1. नाम – र िंकी
कक्षा – नवमी – “सी”
ववषय – व िंदी
ववषय अध्याविका – श्रीमती इिंवद ा कौविक
2. मिंिी प्रेमचिंद का िर चय
• प्रेमचंद को ह ंदी और उददू क
े म ानतम लेखकों में शुमार हकया जाता ै। प्रेमचंद की रचनाओं को देखकर बंगाल क
े
हिख्यात उपन्यासकार शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने उन्हें ‘उपन्यास सम्राट’ की उपाहि दी थी। प्रेमचंद ने क ानी और
उपन्यास में एक नई परंपरा की शुरुआत की हजसने आने िाली पीह़ियों क
े साह त्यकारों का मागूदशून हकया। प्रेमचंद
ने साह त्य में यथाथूिाद की नींि रखी। प्रेमचंद की रचनाएं ह ंदी साह त्य की िरो र ैं।प्रेमचंद की र रचना बहुमदल्य
ै जो अपने समय की सच्चाई को बयां करती ैं और उनकी खाहसयत ै हक िे आज भी प्रासंहगक ैं। प्रेमचंद की
क ानी ईदगा आपने भी शायद ज़रूर प़िी ोगी। ाहमद को मेला घदमने क
े हलए उसकी दादी अमीना ने तीन पैसे
हदए। मेले में हकस्म-हकस्म की हमठाईयां, झदले और तो फ
े हबक र े थे। ज ां दद सरे बच्चों ने मेले से अपने हलए खखलौने,
हभश्ती और हमठाइयां खरीदी, ि ींचार या पांच साल क
े ाहमद ने दादी क
े हलए हचमटा खरीदा।
3.
4. क
ें द्रीय भाव
• 'बडे घर की बेटी' ह ंदी क
े प्रहसद्ध लेखक 'मुंशी प्रेमचंद' द्वारा हलखी एक प्रहसद्ध क ानी ै। इस क ानी का क
ें द्रीय भाि
ये ै हक हकसी घर में हकसी भी समस्या क
े उत्पन्न ोने क
े पर आपसी सदझबदझ और अपने अ ं को परे रखकर समझदारी
से सुलझाया जा सकता ै।
• इस क ानी मे ‘ मुंशी प्रेमचंद ’ ने संयुक्त पररिारो में ोने िाली समस्याओं का हचत्रण हकया ैउन्होंने इस क ानी क
े
माध्यम से य बताने का प्रयत्न हकया ै की संयुक्त पररिारों में जरा जरा सी बात कल्ह ो जाती ै , बातका बतंगड
बन जाता ै औरआपसी समझ – बदझ से हबगडी बात को संभाल हलया जाता ै। ‘ बडे घर की बेटी ’क ानी में प्रेमचंद
जी ने भारतीय संयुक्त पररिारों क
े मनोहिज्ञान को बडी बारीकी से हदखाने काप्रयत्न हकया ै ।
5. क ानी का उद्देशय
• क ानी का मुख्य उद्देश्य आदशोन्मुख यथाथूिाद का प्रस्तुतीकरण र ा ै । ‘बडे घर की बेटी’ की क ानी एक संयुक्त
पररिार की क ानी ै । बेनीमािि हसं गौरीपुर गााँि क
े ज़मींदार ैं हजन्होंने मुकदमेबाज़ी में अपनी आिी से ज़्यादा
सम्पहि गाँिा दी थी। उनक
े बडे पुत्र श्रीक
ं ठ श र में नौकरी करते ैं लेहकन छोटा बेटा अनप़ि और गाँिार ै परंतु अपने
भाई से हिशेष प्रेम करता ै। श्रीक
ं ठ की पत्नी आनंदी एक बडे घर की बेटी ै। दाल में घी को लेकर भाभी देिर में
झगडा ोता ै और अन्त देिर द्वारा खडाऊ
ाँ फ
ें कने पर ोता ै। आनंदी अनुभि करती ै हक यहद उसक
े पहत ि ााँ
ोते तो उसे इस तर देिर से अपमाहनत न ोना पडता। श्रीक
ं ठ क
े आने पर हपता पुत्र उससे उसकी पत्नी की
हशकायत करते ैं पर जब अाँगुली की चोट को देखकर श्रीक
ं ठ सच्चाई जानते ैं तो िे अलग ोने की बात करते
ैं।हपता पुत्र में जमकर झगडा ोता ै।
6. • य ााँ अपनी खखचडी अलग पकाना ी अच्छा ै। श्रीक
ं ठ आगबबदला ो गए थे। ि भाई का मुाँ भी देखना न ींचा ते थे। जो कायू
लालहब ारी ने लडकपन एिं मदखूता में हकया था उसकी इतनी बडी सज़ा भुगतनी पडेगी, य उसने सोचा भी न ींथा। ि रो र ा
था और भाभी से अपने अपराि क
े हलए क्षमा मााँग र ा था। ि घर छोड कर जा र ा था। यहद सुब का भदला सााँझ को घर आ
जाए तो उसे भदला न ींक ते। य ााँ लेखक का उद्देश्य उसे अपनी से पररहचत कराना ै न हक सज़ा देना। लालहब ारी हसं अपने
बडे भाई से प्रेम करता ै और उनका सम्मान भी करता ै। भाभी ने पहत को समझाया और उसे रोकने क
े हलए क ा। दोनों भाई
गले हमले और इस तर टद टता पररिार हफर जुड गया। हपता को भी अ सास हुआ हक िास्ति में बडे घर की बेहटयााँ हबगडते कायू
को भी बना देती ैं। इस प्रकार लेखक का उद्देश्य मनोिैज्ञाहनक हचत्रण क
े द्वारा एक आदशू उपखथथत करना ै जो यथाथू की
गहलयों से ोकर जाता ै। य एक चररत्र-प्रिान क ानी ै हजसमें बडे घर की संज्ञा बहू को उसक
े गुणों क
े कारण हमलती ै, न हक
िन क
े कारण। ऊ
ाँ चे क
ु ल का म त्त्व दशाूना भी लेखक का उद्देश्य र ा ै।
7. बडे घ की बेटी
• उपन्यास सम्राट प्रेमचंद ने बहुत ी अच्छी क ाहनयााँ हलखी ैं। ‘बडे घर की बेटी’ उनकी एक श्रेष्ठ सामाहजक क ानी
ै।
• आनंदी एक अमीर घराने से मध्यिगीय पररिार की बहू बनकर आती ै। ि ााँ क
े ालतों क
े अनुक
द ल ि अपने को
ढाल लेती
• ै। ि अपने देिर से अपमाहनत ोकर भी घर की इज्जत बचा लेती ै। आनंदी क
े उच्च संस्कार उसे सचमुच ‘बडे घर
की
• बेटी’ बनाते ैं
8.
9. • आनंदी ताल्लुक
े दार भदपहसं की बेटी थी। ि सुंदर ि सुशील थी। ि अपने मायक
े में बडे ी लाड-प्यार से पली थी। आनंदी
• का हििा बेनीमािि हसं क
े बडे बेटे श्रीक
ं ठ से हुआ था। बेनी माििहसं एक जमींदार था। उसकी जमीन-जायदाद सब
• क
ु छ खत्म ो गई थी। अब ि एक सािारण हकसान ी र गया था।
• आनंदी का पहत श्रीक
ं ठ प़िा-हलखा नौजिान था। श र में काम करता था। उसका पररिार गााँि में था। उसक
े घर में सुख
• -सुहििाएाँ बहुत कम थीं। हफर भी आनंदी ने अपने-आप को घर क
े अनुक
द ल बनाये रखा। ि खुशी से जीिन-यापन करने
• लगी। श्रीक
ं ठ प़िाई क
े साथ-साथ, संस्काररत और भारतीय संस्क
ृ हत का अनुयायी था। संयुक्त पररिार का ह मायती भी था।
• श्रीक
ं ठ क
े छोटे भाई का नाम लालहब ारी हसं था। ि अनप़ि और उजड्ड था। एक हदन लालहब ारी हसं ने खाना खाते
• समय घी मााँगा। घी खत्म ो चुका था। अतः आनंदी घी न ींदे पाई। इस कारण लालहब ारी हसं ने गुस्से में भाभी को तथा
• उसक
े मायक
े को गाहलयााँ सुना दीं। आनंदी ने भी िापस क
ु छ खरी-खोटी सुना दी। तब लालहब ारी हसं ने गुस्से में आकर
• आनंदी पर खडाऊ फ
ें क कर मार हदया। इससे आनंदी को बडा दुःख हुआ।
10.
11.
12. अब श्रीक
ं ठ श र से गााँि आया, तो आनंदी ने सारी क ानी उसे सुनाई। श्रीक
ं ठ ने क्रोहित ोकर अपने बाप से क ा – इस
घर
में या तो ि र ेगा, या लालहब ारी। हपता ने पुत्र को समझाया हक घर का बाँटिारा न ो। उनका घर गााँि में एक आदशू था।
अगर भाई-भाई क
े बीच की अनबन की बात गााँि में फ
ै लेगी, तो उनकी बदनामी ोगी। लालहब ारी हसं को अपनी गलती
पर
पछतािा हुआ। पर उसकी बातें श्रीक
ं ठ को शांत न ींकर पाईं। ि घर क
े अलगाि की बात पर अडे र े। तब लालहब ारी
हसं
ने भाभी क
े पास जाकर, ि खुद घर से हनकल जाने की बात क ी। य सुनकर आनंदी का हदल हपघल गया।
13.
14. • आनंदी बडे घर की बेटी थी। उसक
े संस्कार अच्छे थे। उसने अपने पहत श्रीक
ं ठ को समझाया हक आगे घर में इस
प्रकार क
े
• झगडे न ीं ोने देंगे। श्रीक
ं ठ ने अपने भाई को गले लगाया। ठाक
ु र बेनीमािि हसं की आाँखें भर आईं। गुणिती
आनंदी क
े
• संस्कारों क
े कारण टद टता हुआ घर बच गया। सचमुच बडे घर की बेहटयााँ ऐसी ी ोती ैं|
15. • आनन्दी
•
• प्रेमचन्द द्वारा हलखी गई इस क ानी की मुख्य पात्रा आनन्दी ै। आनन्दी एक बडे उच्च क
ु ल की लडकी ै। उसक
े हपता एक छोटी सी ररयासत
क
े ताल्लुक
े दार थे। ि एक प्रहतहष्ठत पररिार था। एक अच्छे और उच्च पररिार क
े संस्कार उसमें समाह त ैं। अपने पहत क
े घर में आकर ि
उसमें घुल-हमल जाती ै, यद्यहप य ााँ पर इतने सुख न ींथे जो उसक
े हपता क
े घर पर थे। ि संयुक्त पररिार में प्रेम से र ती ै और घर क
े
काम भी करती ै। ि अपने त्याग ि सेिा भािना से पररिार को जोडे रखती ै। ि अपने पहत को प्रेम करती ै और उन पर भरोसा करती
ै। गााँि िाले उसक
े स्वभाि से पररहचत ैं तथा आए हदन आनन्दी की तारीफों क
े पुल बााँिते ैं हक इतनी, सुशील, सुन्दर, गम्भीर तथा पररिार
को बनाये रखने िाली ि अक
े ली ी लडकी थी। ि प्रेम और त्याग की प्रहतमदहतू ै।
•
• उसमें क्रोि भी ै। अपने देिर से तकरार क्रोि क
े कारण ी हुई। क्रोि में ी उसने देिर को घर छोडकर जाने पर हििश कर हदया। लेहकन
क्षमा भािना भी उसक
े अन्दर ै। लालहब ारी क
े क्षमा मााँगने पर उसने उसे क्षमा कर हदया और उसे घर छोडने से रोक हलया। दोनों भाइयों
को हफर से हमला हदया। बडे घर की बेटी क
े सभी सद् गुण उसमें मौजदद ै। तभी उसक
े ससुर बेनीमािि ने उसक
े बारे में क ा- “बडे घर की
बेहटयााँ ऐस ी ोती ै। हबगडता हुआ काम बना लेती