3. ६ चेरापुंजी से आया हूँ
• लेखक- प्रदीप पंत
लेखक का जन्म लखनऊ क
े हलद्वानी में २४
अप्रैल १९४१ को हुआ। इनक
े ६ उपन्यास
प्रकामसत हो गए हैं।
यात्रा संस्मरणों क
े चार संकलन प्रकामशत हुए
हैं।
पंडडत जवाहरलाल नेहरू पर उत्कृ ष्ट लेखन क
े
ककए पंत जी को “जनतमलस््स वेलफ़
े यर
फ़ाऊ
ं टेशन ”
4. • भ्रमणपुरस्कार,उत्तरप्रदेश का “प्रेमचंद अनिशंसा
पुरस्कार”ह ंदी अकादमी द्वारा दो बार “
साह त्यिक कृ नि पुरस्कार प्राप्ि ुआ ै।
• साह यिकार सम्माि ,उयकृ ष्ट व्िंग्ि लेखि क
े
ललए ह ंदी भवि ,िई हदल्ली का “ व्िंग्िश्री” भी
प्राप्ि ै।
• प्रस्िुि गध्ि क
े द्वारा लेखक चेरापुंजी का
िैसर्गिक वणिि करिा चा िे ैं।
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6. • मेघालि िािे बादलों का घर ै।इसकी राजधािी
लशलंग ै।ि पवििीि िगर ै।लशलंग से
चेरापुंजी की ओर बढिी रास्िों क
े दोिो ओर रे
भरे वृक्ष, प ाड सबको मोह ि कर देिे ैम।
• लशलंग से चेरापुंजी ५३ दूर ै।
• त्जस जीप में लेखक जा र े थे उस्में उस राज्ि
की एक अर्धकारी संगमा और उन्क
े दो लमत्र भी
थे।संगमा उस स्थाि की ववशेषिाओं से लेख्क
को पररर्चि करवािे र े।
7. • संगमा चेरापुंजी क
े बारे में बिािे ुए- व ााँ बार
म ीिे बाररश ोिे क
े कारण पिबबजली का
उयपादि अर्धक मात्रा में ोिी ै।अर्धक्िर
बबजली को अन्ि राज्िों को दे देिे ैं।
• मेघालि क
े िीि पवििीिअंचल –
खासी,गारो,जिंनििा पााँच त्जलों में ववभात्जि ुई
ैं। र अंचल की संस्कृ नि ,ररवाज अलग ै।
• ि ााँ मािृसत्तायमक पाररवाररक व्िवस्था ै। ि
गुवा टी में भी देख सकिे ैम।
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10. • मणणपुर की राजधािी इम्फ़ाला ै।ि ााँ का
माििी बाजार प्रलसद्ध ै।त्स्त्रिााँ दुकािों में
सामाि भरकर व्िापार करिी ैं। र वगि की
मह लाएाँ दुकािों को संभालिी िजर आिी ैं।
• िो शंगनििांग प्रपाि : मासमाई क
े िाम से
लोकवपि ै।
• चेरापुंजी समुद्र क
े सि से १३००सौ मीटर
ऊपर ै।
• खालसिों को सम्माि स देखा जािा ै।िोंगक्र
े म
खालसिों का प्रमुख िृयि ै।
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16. • मााँसमई गााँव की गुफ़ाएाँ आज भी सुरक्षक्षि रखी
गई ैं।मशालों को लेकर ी अंदर जािा चाह ए।
• ि ााँ एक प्राकृ निक लसवललंग भी देख सकिे ैं।
• चेरापुंजी क
े लोगों िे अपिी संस्कृ नि और
सभ्ििा को आज भी सुरक्षक्षि रखा ै।ि ां की
िैसर्गिक सुंदरिा सबको अपिी ओर आकवषिि
कर लेिी ै।
धन्िवाद।