2. ववचारक-ककशन गोपाल मीना टी जी टी संस्कृ र् कें द्रीय ववद्यालय
सवाई माधोपुर (राजस्थान
संसार की रचना अदभूर् है प्राकृ तर्क सौंदयतर्ा ववशाल समुद्र
,नीले गगन की असीम सुंदरर्ा ,कल –कल बहर्े झरने ,ऊं चे-ऊं चे
पवतर् ,ववववध जीव मानों सृष्टट में र्ीनों लोकों की मानों सकल
चारुर्ा रस घोल ददया हो |ववशेष कर मानव कृ तर् के ललए र्ो
सारे गुण ,सुंदरर्ा ,दयालुर्ा ,कारुण्यभाव आदद प्रदान कर मानों
देवर्ाओं के साथ भेदभाव ककया हो |मानव जीवन इस जगर् का
सवोपरर जीव है देवर्ा भी इस देह के ललए आशा रखर्े है
3. तुलसीदासजी ने रामचररत मानस मे ललखा है ------
बड़े भाग मानुष तन पावा |
सुर दुललभ सब ग्रंथ न गावा ||
ईश्वर ने सभी जीवों को बराबर का हक ददया है ककसी के साथ भेदभाव नह ं ककया है |इहलोक में सब प्रेम से रहते है |परंतु कु छ मानव
ईश्वर की द हुई शक्तत का दुरुपयोग कर रहे है ,ववशेष कर ननजी स्वाथल वश इस जगत में अनथल कायल कर रहे है | क्जससे पृथ्वी के
अनेक दहस्से ववभाक्जत हो गए वो अलग-अलग देश के नाम से जाने गए है |आज के समय में जानत भेदभाव ,धमल ,वर्ल आदद को
माध्यम बनाकर सम्पूर्ल ववश्व में कोहराम मचा हुआ सभी जगत के जीवों में आपसी गहर खाई बनाने का काम ककया जा रहा है
क्जसको धमल की रक्षा मानते है |