1. मााँ का दुलार –
संसार समाया मााँ तेरे चरणों में
नसीब वाले आशीष पाए तेरे चरणों में
नव मास खिलाया कोंि में
हर पल ध्यान रिा हर पीड़ा का
िान-पान में लगी बंदिसे अंशी को सुि िेने में
जग में लाई मााँ तू थी ननराली
हर िुि को भूली िेि मेरी प्यारी मूरत
धूप सही आपने छाया िी मााँ मुझे
अंगना तेरा प्यारा जो ममले ना िोबारा
अंगुली पकड़ चलना मशिाया
गगरते को सभाला हर राह दििाई
फू ल से नाजुक समझा मुझे
हर ििद को भूली िेि मेरी हंसी
जब रोया तो मानो टू टा पहाड़ दहम सा
आाँचल में नछपाके ममता िूनी लुटाई
पहला अक्षर मााँ ने मसिाया
जग में ज्ञान का झण्डा फहराया
हर जीवन में मााँ तेरा एहसान
चंिा सूरज जैसे अमर ननशानी
मााँ की मधुर ध्वनन कोककल से प्यारी
नवनीत संस्कार दिया वह िुगाद की अवतारी
कवव-ककशन गोपाल मीना