2. अक्कमहादेवी
अक्कमहादेवी क
े वचन
मुरझाये फ
ू ल में सुगंधि कौन ढूूँढेगा?
बच्चे में कौन खोट देखेगा?
हे देव! धवश्वास को ठे स लगने पर
धफर से सद् गुण कौन परखेगा?
हे प्रभु, जले पर कौन नमक धिड़क
े गा
सुनो, हे चन्नमल्लिकाजुुन
नदी पार करने क
े बाद मिाह को कौन पूिे गा?
3. अक्कमहादेवी
अक्कमहादेवी क
े वचन
अज्ञाधनयों से स्नेह करना
मानो पत्थर से धचनगारी धनकालना है।
ज्ञाधनयों का संग करना,
मानो दही मथकर माखन पाना है
हे चन्नमल्लिकाजुुन प्रभु,
तुम्हारे भक्ों का संग करना
मानो कपूुरधगरर की ज्योधत को पाना है।
4. अक्कमहादेवी
अक्कमहादेवी क
े वचन
भूख लगी तो गाूँव में धभक्षान्न है,
प्यास लगी तो तालाब-क
ु एूँ हैं,
शीत से बचने जीणु वस्त्र हैं,
सोने क
े धलए उजड़े मंधदर हैं,
हे चन्नमल्लिकाजुुन प्रभु,
मेरा आत्म-सखा तू ही है।