1. पैसा और प्यार
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पैसे से िमिल जाती सुविविधा
मिन-चाही चीज़े िमिल जातीं
िमिल जाती है ढेरों खुविशियाँ
बोलो तुवमिको पाऊं कैसे
जेब मिे पैसा खूब है लेिकन
िदिल मिे डर है, प्यार नही है...
िदिल की बाते
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ऐसी नासमिझी की बाते...
उलटी-सीधी बहकी बाते..
दिािनश्विर काहे समिझेगे...
दिीविानों की िदिल की बाते..
कब तक
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हमिे िझझक मिहसूस होती है, नया कपडा पहनने मिे
हमिे िझझक मिहसूस होती है, खुविशिया मिनाने मिे
हमिे िझझक मिहसूस होती है, प्यार प्रकट करने मिे
हमि कब तक इस तरह िझझकते रहेगे
हमि कब अपनी भाविनाविों को छुवपाते रहेगे
कब तक ...आखिखर कब तक...
ख्विाब के िबना कैसा जीविन…
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2. विो मिुवझे यादि करता है
विो मिेरी सलामिती की
िदिन-रात दिुवआखएँ करता है
िबना कुवछ पाने की लालसा पाले
विो िसफर िसफर दिेना ही जानता है
उसे खोने मिे सुवकून िमिलता है
और हदि ये िक विो कोई फ़रिरश्ता नही
बिल्क एक इंसान है
हसरतों, चाहतों, उम्मिीदिों से भरपूर…
उसे मिालूमि है मिैने
बसा ली है एक अलग दिुविनया
उसके बगैर जीने की मिैने
सीख ली है कला…
विो मिुवझमिे घुवला-िमिला है इतना
िक उसका उजला रंग और मिेरा
धुवंधला मििटयाला स्विरूप एकरस है
मिै उसे भूलना चाहता हूँ
जबिक उसकी यादिे मिेरी ताकत है
ये एक कडविी हकीकत है
यिदि विो न होता तो
मिेरी आखँखे तरस जातीं
खुवशिनुवमिा ख्विाब दिेखने के िलए
और ख्विाब के िबना कैसा जीविन…
इंसान और मिशिीन मिे यही तो फकर है……
कैसे िनभे आखपसे सरकार
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लड़ी जा रही है झूठी लडाइयां
खाई जा रही है झूठी कसमिे
3. िकये जा रहे है झूठे विादिे
जताया जा रहा है झूठा प्यार
कैसे िनभेगी आखपसे सरकार....!
बेदिदिर मिौसमि मिे
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तुवम्हे रोने की आखज़ादिी
तुवम्हे िमिल जाएंगे कंधे
तुवम्हे घुवट-घुवट के जीने का
मिुवद्दत से तजुवबार है
तुवम्हे खामिोशि रहकर
बात करना अच्छा आखता है
गमिों का बोझ आख जाए तो
तुवमि गाते-गुवनगुवनाते हो
तुवम्हारे गीत सुवनकर विो
िहलाते िसर दिेते दिादि...
इन्ही आखदित के चलते ये
ज़मिाना बस तुवम्हारा है
िक तुवमि जी लोगे इसी तरह
ऎसे बेदिदिर मिौसमि मिे
ऎसे बेशिमिर लोगों मिे
इसी तरह की िमिट्टी से
बने लोगों की खासखास
ज़रूरत हुक्मिरां को है
ज़रूरत अफसरों को है
हमिारे जैसे िज़द्दी-जट्ट
हुरमिुवठ और चरेरों को
भला कब तक सहे कोई
4. भला क्योंकर मिुवआखफी दिे....
किविता मिे प्रेमि
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उसने मिुवझसे कहा
ये क्या िलखते रहते हो
गरीबी के बारे मिे
अभाविों, असुविविधाओं,
तन और मिन पर लगे घाविों के बारे मिे
रईसों, सुविविधा-भोिगयों के िखलाफ
उगलते रहते हो ज़हर
िनशि-िदिन, चारों पहर
तुवम्हे अपने आखस-पास
क्या िसफर िदिखलाई दिेता है
अन्याय, अत्याचार
आखतंक, भ्रष्टाचार!!
और कभी िविषय बदिलते भी हो
तो अपनी भूिमिगत कोयला खदिान के दिदिर का
उड़ेल दिेते हो
किविताओं मिे
कहािनयों मिे
क्या तुवमि मिेरे िलए
िसफर मिेरे िलए
नहीं िलख सकते प्रेमि-किविताये...
मिै तुवम्हे कैसे बताऊँ िप्रये
िक बेशिक मिै िलख सकता हूँ
किविताये साविन के फुवहारों की
िरमििझमि बौछारों की
उत्सवि-त्योहारों की किविताये
5. कोमिल, सांगीितक छंदि-बद्ध किविताये
लेिकन तुवमि मिेरी किविताओं को
गौर से दिेखो तो सही
उसमिे तुवमि िकतनी ख़ूबसूरती से िछपी हुई हो
िजन पंिक्तियों मिे
िविपरीत पिरिस्थितितयों मिे भी
जीने की चाह िलए खडा दिीखता हूँ
उसमिे तुवम्ही तो मिेरी प्रेरणा हो...
तुवम्ही तो मिेरा संबल हो.....
चलो अच्छा हुआख
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चलो अच्छा हुआख
तुवमिने खुवदि कर िलया िकनारा
तुवमिने खुवदि छुवडा िलया दिामिन
तुवमिने खुवदि बचा िलया खुवदि को
....मिुवझसे
मिेरी परछाई भी अब
नही पड़ेगी तुवमि पर
तुवमि िनिश्चन्त रहो
कागज़ के उन पन्नों से क्यों डरते हो
विे तो मि ैनष्ट कर दिँगूा
उन तस्विीरों से क्यों डरते हो
उन्हे मि ैजला दिँगूा
हाँ, यादिे मिेरी अपनी जागीर है
यादिे मिेरे साथित दिफ़रन होंगी
उनसे घबराने की क्या ज़रूरत ?
6. दक्षता...
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तुम अपने गम मे डूबे हो
और सोचते हो की
सारे दुःख
तुम्हारे सर है
सारी मुसीबते
तुम्हारा नसीब है
सारी िजिल्लते
तुम्हे ही उठानी है
और तुम ये भी सोचते हो
की दुिनया मे सारे सुख
मै लूट रहा हूँ
दुिनया की सारी खुिशियाँ
मेरे दामन मे आ छुपी है
दुिनया के सारे गीत-संगीत
मेरे आँगन मे बजि रहे हों
ऐसा नही है दोस्त
ये तो अपनी स्टाइल है
हम तो
बड़े से बड़े
दुःख मे भी मुस्कुराते है
अपने गमो को मुस्कान के परदे मे छुपाते है....
िसरजि रही औरत...
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औरत ने अपने िलए
रच िलए है नए ग्रन्थ
औरत ने अपने िलए
तराशि िलए है नए खुदा
7. औरत ने अपने िलए
बना ली है नई राहे ...
खोजि िलए है नए पद -िचन्ह ...
अब औरत िसरजि रही है
एक नई पृथ्वी
एक नया सूरजि
एक नया आसमान
ढूंढ िलया है अपने िलए
एक नया साथी ...
एक नया हमसफ़र ...
समझाईशि
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िरश्ते बनाना
बना कर िनभाना
िनभा कर हँसाना
हंसा कर रुलाना
जिब चाहे बुलाना
बुलाकर िरझाना
बइयां झुलाना
झुलाकर डपटना
ये कैसी मुहब्बत
ये कैसा फ़साना
मुहब्बत के झांसे मे
'अनवर' न आना
जिाने क्यों ऐसा है लगता...
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8. जिाने क्यों ऐसा है लगता
जिैसे तुमको पा जिाऊं गा
जिैसे हम-तुम संग रहेगे
जिैसे सूरजि के साथ धूप है
जिैसे फूलों मे गंध-रूप है
जिाने क्यों मेरा मन घोडा
बेपरवाह िनद्र्द्वंद भागता
उलटी-सीधी तदबीरे गढ़ता
बेिसर पैर के सपने बुनता
अपनी दुिनया मे गुम रहकर
तुम क्या मुझको पढ़ पाओगे
मेरा जिीवन गढ़ पाओगे.....
याद
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वो जिो तू साथ नहीं था मेरे
मै भी खुद से जिुदा-जिुदा था
तेरी खुश्बू से तर था कमरा
और मुझमे तारी ितरा नशिा था
जिब तक तुझसे बात चली है
आंखों मे बरसात चली है
िकतना गुमसुम िदन बीता है
िकतनी तन्हा रात कटी है....
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याद की आंच
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ठण्ड के अनगिगिनग तीर
चुभ रहे िजिस्म पर
धंस रहे रूह तक...
इंतज़ार है
जिल्द से जिल्द सुबह हो
और ठण्ड से िठठुरा सूरजि
बादल की रजिाई से
बाहर आकर
िबखेरे गिुनगगिुनगी धूप...
तब तक िप्रिय
16. तुम्हारी याद की आंच
स्नेह का सेक
प्यार की ऊष्मा का ही सहारा है..
वरना दुिनया मे कौन हमारा है....
प्रतीक्षा
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कोई करता रहेगा
उसकी प्रतीक्षा
और वो नही लौटेगा
ये बात हर कोई जानता है
िक इस तरह गया
कभी लौटता नही है...
राह देख-देख कर थक जायेगे लोग
पथरा जायेगी आँखे
टूट जायेगे िदल
सूख जायेगे आंसू
लेिकन एक अच्छी बात ये है
उन्हे यकीन है अपनी प्रतीक्षा पर
अपनी पथराई आँखों पर
अपनी दुखती टांगों पर '
क्योंिक हर कोई जानता है
मायूसी के काले बादलों के पीछे
िछपा है सूयर
अपने उसी तेज के साथ
मौका पाकर सूयर
बादलों के पीछे से
झाँकने लगेगा...
17. इसी घड़ी की तो साथी
हो रही प्रतीक्षा.....
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