4. प्रथम सत्र में ककये गए कायिक्रमों की श्रंखला
को आगे बढाते हुए और नए ववद्यालयों को
भी जोड़ना होगा|
5. अध्यापकों की और बच्चों की सफलता की
कहानी को साझा करना होगा जजससे कु छ करने
वालों अध्यापकों में एक जूनून पैदा हो|
6. कोशिि के तहत चयर्नत ववद्यालयों में जाकर
अध्यापक खुद बदलाव को देखें जजससे वे अपने
ववद्यालयों में करने को प्रेररत हो सकें |
7. ववद्यालय में मनाये जाने वाले कायिक्रमों में
सामुदार्यक सहभागगता में अशभभावकों को
अगिकागिक तवज्जो दी जाये|
जैसे-बालकों के जन्मददन आदद|
8. र्नजरक्रय आंगनवाडी के न्रों को भी इसमें िाशमल
ककया जाए जजससे प्री-प्राइमरी से आने वाले बालक
भी हमसे जुड़ाव महसूस कर सकें |
9. अच्छे स्कू लों और अध्यापकों का चयन करते
समय ब्लाक स्तर की बजाय न्याय-पंचायत स्तर
को ध्यान में रखा जाए|क्योंकक ककसी से अगिक
और ककसी से कोई नहीं भी कोशिि के शलए
साथिक नहीं है|
10. न्यायपंचायत स्तर पर रणनीर्तयां आगामी
पाठ्यक्रम की बनानी चादहए जजससे सभी
अध्यापकों को पता रहे कक चुनौर्तयााँ क्या होंगी
और र्नराकरण भी क्या होंगे|
कायििालाओं का आयोजन छोटे स्तर पर
अगिकागिक हो न कक बड़े स्तर पर|
11. कोशिि में कहा गया कक र्नरीक्षण सुिारात्मक
होगा जबकक इससे भी आगे जाने की जरूरत है|
ववद्यालयों में र्नरीक्षण के समय वास्तववक
कदिनाइयों के संभव र्नराकरण के साथ-साथ
र्नरीक्षण पंजजका में भी अशभप्रेराणात्मक और
सकारात्मक दटपण्णी की जानी चादहए|
12. लेखन वातावरण सुदृढ़ ककये जाने में कोशिि का
योगदान स्परट पररलक्षक्षत है लेककन इस श्रंखला
को आगे बढ़ाते हुए िैक्षक्षक गुणवत्ता अब हमारा
लक्ष्य हो|
इसके शलए हमें शमलकर माहौल तैयार करना है|
13. गुणवत्ता बढाने के शलए ICT टूल्स को
अपनाने,शिक्षण के रोचक तरीके ढूढने की
आवश्यकता है|
इसके शलए डाइट द्वारा तैयार
PPTs,VEDIOs,आदद अशभनव तरीके कायिक्षेत्र में
उतारने होंगे|
14. गुणवत्ता के क्षेत्र में जो भी प्रयास ककये जा रहे
हैं,उन्हें एक मंच भी शमले इसके शलए “कोशिि”
नामक एक पत्रत्रका डाइट द्वारा प्रकाशित की
जाए जजसमें अपनाए गए अशभनव प्रयोगों को
स्थान शमल सके |
“कोशिि का कॉपीराइट भी ले शलया जाये”
15. अब अध्यापकों को र्नत नए प्रयोग करना सीखना
होगा|पाठ्यवस्तु को नए कलेवर में प्रस्तुत
करना,रोचकता उत्पन्न करना भी शिक्षण का अंग
बनाना होगा|गर्तववगियों के र्नमािण के साथ-साथ
इन्हें साझा भी करने के समजन्वत प्रयास करने
होंगे|
16. कक्षा-1 व 2 में प्रारजभभक लेखन और पिन
कौिलों पर अगिक ध्यान देना होगा क्योंकक
लेखन और पिन के अभाव में हर शिक्षण
अनुपयोगी है|
इसके शलए आंगनवाड़ी के न्रों की सहायता की
आवश्यकता भी है इसी शलए इन के न्रों को भी
सकक्रय करना होगा|
17. ग्रुप बनाकर शिक्षण पर अगिक फोकस कर
अध्यापकों को भी अपने ग्रुप बनाने होंगे जजससे
कदिनाइयों का र्नराकरण और रणनीर्तयों का
ववकास ककया जा सके |
18. अंत में के वल इतना ही कक अब कोशिि को
गुणवत्ता से जोड़ने की आवश्यकता है|
अतः अगिकागिक सामगग्रयों को सहेजना सीख
शलया जाये तथा उनके प्रयोग-अनुप्रयोग के
सभबन्ि में जानने के समजन्वत प्रयास ककये जाएाँ
जजससे कोशिि के वास्तववक लक्ष्यों को हम
प्राप्त कर सकें |
क्योंकक
पढ़ें तब पढ़ाएं