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यादें
छ
ू प छ
ू प कर क्यों याद करते हों ! यादों को रो रो कर क्यों बरवाद करते हों !
यादें कभी भी अतीत नह ीं होती हैं ! वह हर शक्स क
े लिये एक दपपण होती हैं !
यादों को क्यों जुल्म करक
े दफनाते हों ! यादें ह तो हमार असि पहचान होती हैं !
यादें ह तो जीवन की भूि भूिभुिैया हैं ! ख़यािों और यादों क
े ह सींसार में जी रहा हैं हर इन्सान !
यादों में तुन्हे कभी ना भूि पाऊ
ँ गा ना कभी दोहरा पाऊ
ँ गा !
यादों तुम ज्वार भाटे की तरह मेरे जीवन मैं आना जाना बनाये रखना !
ख्यािों में ह सह , मगर जीना सीखों ! छ
ू प छ
ू प कर ह यादों में भी जीना सीखों !!
वीरेंद्र श्रीवास्तव उफप कक्क
ू
15/10/2020

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