संगीत का भरपूर मज़ा लेने के लिए आपके पास एक अच्छा म्यूज़िक सिस्टम होना ही काफी नहीं है, बल्कि आपको 'साउंड' और 'एकूस्टिक्स' की अच्छी-खासी समझ होना भी बेहद जरूरी है, तभी आप अपने उपकरणों और आपने जो पैसा म्यूज़िक सिस्टम खरीदने पर खर्च किया है, उसका पूरा-पूरा लाभ ले सकते हैं। अक्सर लोग अपने 'होम थिएटर' या किसी भी म्यूज़िक सिस्टम से संगीत का बढ़िया अनुभव लेने के लिए अपने कमरे को 'साउंडप्रूफ' बनाने और उसके 'एकूस्टिक ट्रीटमेंट' के बारे में सोचने लगते हैं। लोग इसके लिए कमरे की दीवारों, कोनों, छत पर 'साउंड डिफ्यूज़र', 'एब्ज़ॉर्बर', 'ट्रैप' आदि लगाने में जुट जाते हैं, वो भी साउंड की 'रिफ्लेक्शन' और 'डिफ्रेक्शन', आपसी 'इंटरेक्शन' की प्रवृत्तियों को समझे बिना, या अपने होम थिएटर के 'स्पीकरों' और 'सबवूफर' को कमरे में सही जगहों पर, सही ऊँचाई पर और सही एंगल पर इंस्टॉल किए बिना? बहुत लोगों को स्पीकरों के सही ‘लेआउट’ का या ‘स्वीट स्पॉट’ का भी कोई अंदाज़ा नहीं होता, वे तो बस अपने कमरे की दीवारों और फर्नीचर के साथ तालमेल रखते और जँचते हुए दिखने वाले ढंग से स्पीकरों को इंस्टॉल कर लेते हैं, ताकि कमरे की सजावट बढ़े, बेशक साउंड की क्वालिटी पर समझौता ही क्यों ना करना पड़ जाए। फिर स्पीकर चाहे 'मोनो' हो, या 'स्टीरियो' या '2.1' या '5.1' या '7.1', उनको स्पीकर रखकर अपने कमरे को सजाना होता है, बस!
स्पीकरों के सही आउटपुट के लिए स्पीकरों को कमरे में खास ढंग से ही इंस्टॉल करना जरूरी है, लेकिन उसके लिए उन्हें यह जानना बेहद जरूरी है कि 'डायरेक्ट साउंड' और 'रिफ्लेक्टेड साउंड' हमारे सुनने की प्रक्रिया को किस तरह से प्रभावित करती हैं। उससे भी पहले यह समझना और भी जरूरी है कि एक 'वूफर' से, 'स्क्वैकर' से और 'ट्वीटर' से निकलने वाली 'लो रेंज', 'मिड रेंज' और 'हाई रेंज' वाली साउंड की 'तरंगों का व्यवहार' कैसा होता है और क्यों खास तरह की रेंज की साउंड के लिए विशेषरूप से 'डेडिकेटेड स्पीकर' ही चाहिए होते हैं। लेकिन उनकी उपयोगिता कोई केवल तभी समझ सकता है जब उसे यह पता हो कि दरअसल एक 'स्पीकर काम कैसे करता' है, एक स्पीकर 'इलैक्ट्रिक सिगनलों' को 'साउंड सिगनलों' में कैसे बदलता है। और उससे भी एक कदम पीछे हटें तो यह जानना बेहद जरूरी है कि एक 'माइक्रोफोन' साउंड सिगनलों को इलैक्ट्रिक सिगनलों में कैसे बदलता है।
तो अब मूल मुद्दे पर आते हैं कि इन सब बातों को जानने-समझने की प्रक्रिया में आपको सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि एक 'साउंड' दरअसल क्या होती है, कैसे यह उत्पन्न होती है, कैसे हमारे कान एक साउंड को सुनते हैं, 'साउंड का विज्ञान', उसके आधारभूत लक्षण, नियमों आदि की जानकारी बेहद जरूरी है तभी आप यह समझ सकते हैं कि क्यों दुनिया में 'इतनी तरह की आवाज़ें' हैं और फिर भी हमारे कान कैसे इन 'सब आवाज़ों को पहचानने में सक्षम' हैं।
अब तक आप यह तो समझ गए होंगे कि हमें इस सारे रहस्य को समझने की शुरुआत 'एकूस्टिक के तरीकों' को समझने से नहीं, बल्कि 'साउंड के बेसिक' को समझने से करनी होगी। अच्छी बात यह है कि यह सारी जानकारी लेने के लिए आपको एक 'साउंड इंजिनियर' होने या 'साइंस की डिग्री' लेने की जरूरत नहीं है। यदि आप अपने म्यूज़िक सिस्टम से बढ़िया से बढ़िया आउटपुट लेना चाहते हैं तो बस, इस स्लाइड शो की हर स्लाइड को ध्यान से पढ़ लीजिए जिसमें मैंने 'बिल्कुल सरल भाषा' में, इस सारे विज्ञान को, इससे जुड़ी 'तकनीकी शब्दावली' को उनके 'सरल अर्थों' और 'उनकी कार्यप्रणाली' को शुरू से लेकर आखिर तक समझाया है।
Sound and Acoustic 101 in Hindi Language by GS Virdi (साउंड और एकूस्टिक्स 101)
1. साउ$ड और एक*ि,टक 101
स$गीत 1 भरप4र अनuभव 1 िलए अप: Hi-Fi ,पीकरo का <टअप क=< क>
G S Virdi
• साउ$ड क'( उ)प+न होती 1 और क'( हम उ( सuन पा6 7
• हम iविभ+न <कार की आवाज़o @ अ$तर iकस तरह कर पा6 7
• साउ$ड iसगनल और इलEिFGक iसगनल को आपस @ क'( बदला जाता 1
• Kपीकर Lाइवर क'( काम कर6 7 और इनM साइज़ ( Fया फकP पड़ता 1
• वRफर (LF), टTीटर (HF) और KFवEकर (MF) Lाइवर Fया हो6 7
• साउ$ड क'( गiत करती 1: डायUFट साउ$ड और iरVWFXड साउ$ड
• स$गीत M भरपRर अनuभव M िलए अपZ Hi-Fi Kपीकरo को क'( काम @ [
• अपZ होम iथएटर M बiढ़या अनuभव M िलए Kवीट Kपॉट क'( काम @ [
• 5.1 और 7.1 Kपीकर होम iथएटर का (टअप iकस <कार क_
• स$गीत M बiढ़या अनuभव M साउ$ड <Riफग और एकaिKटक Gीट@ट
2. हाइ-फाइ साउ$ड का एक शानदार और एकदम जीव$त अनuभव!
साउ$ड और एक*ि,टक 101
एक अbछा
Hi-Fi (High-Fidelity*)
Kपीकर वातावरण @ iबHकuल
वJसी ही तर$K$ पEदा करZ @ सeम
होता 1, जEसी तर$f$ माइLोफोन
gारा असल @ hहण की गई थj।
स$गीत M भरपRर अनuभव M िलए अपZ
Hi-Fi Kपीकरo का (टअप क'( क_
*Fidelity=
िकसी चीज को असल के जैसा कॉपी या
िरप्रॉड्यूस करने की क्षमता।
गुरजेन्द्र िसं ह िवदीर्
3. • जब iकसी वKतu @ कNपन होता 1 तो यह
अपZ आसपास की हवा 1 कणo @ भी
कlपन पEदा करती 1, िजन( बन6 7-
• कPQeशन - अiधक दबाव वाW eeo
• SयरफeVशन - कम दबाव वाW eeo
• कp<eशन और UयरफeFशन वातावरण
@ तर$ग का iनमsण कर6 7
• यही तर$f$ हमाU कानo @ <tश करM
इयरWPस @ कlपन पEदा करती 7 िज+u
हमारा मिKतvक साउ$ड M wप @
समझता 1 Wavelength
Compression
Rarefaction
Longitudinal Wave
Transverse Wave
साउ$ड और एक*ि,टक 101 स$गीत M भरपRर अनuभव M िलए अपZ
Hi-Fi Kपीकरo का (टअप क'( क_
साउ$ड क=< उXपYन होती Z और क=< हम उ< सuन पा[
गुरजेन्द्र िसं ह िवदीर्
4. सभी साज़ों का अपना एक अनूठा ही िटम्बर होता है
साउ$ड और एक*ि,टक 101 स$गीत M भरपRर अनuभव M िलए अपZ
Hi-Fi Kपीकरo का (टअप क'( क_
iविभYन Qकार की आवाज़o _ अ$तर: लाउड:स, iपच और iटPबर (Vवािलटी)
इससे तीव्र और मिद्धम आवाज़
में अंतर पता चलता है जोिक
आवाज़ के Amplitude पर
िनभर्र करती है।
लाउडनेस कं पन पैदा करने वाली
चीज के आकार और सुनने वाले
की उससे दूरी पर भी िनभर्र
करती है।
इससे तीखी और भारी आवाज़
में अंतर पता चलता है जोिक
आवाज़ की Frequency पर
िनभर्र करता है।
इससे एक सी लाउडनेस और
िपच वाली दो आवाज़ों में अंतर
पता चलता है जोिक हर आवाज़
की अनूठी तरंग से पैदा होने
वाले साउंड इफै क्ट पर िनभर्र
करता है।
LOUDNESS PITCH TIMBER (QUALITY)
गुरजेन्द्र िसं ह िवदीर्
5. एक माइक्रोफोन इस तक अाने वाली साउंड को इलैिक्ट्रक िसगनलों में बदलता है
साउ$ड और एक*ि,टक 101 स$गीत M भरपRर अनuभव M िलए अपZ
Hi-Fi Kपीकरo का (टअप क'( क_
,टोSज मीiडयम पर रख: 1 िलए साउ$ड की एनकोiडग और iडकोiडग
• माइLोफोन iबyकuल हमाU कानo की तरह ही काम कर6 7!
• माइक @ एक डायाcाम, एक चu$बक और एक कॉइल
होती 1 जो साउ$ड iसगनलo को इलJिVeक iसगनलo
@ बदलता 1
• इन इलEिFGक iसगनलo को ,टोSज मीiडयम
पर Kटोर करZ M िलए एक iरकॉडfर
(एनकोडर) gारा एनकोiडग की जाती 1
• एक ghयर (iडकोडर) iफर ( इनको
इलEिFGक iसगनल @ बदलता 1
• इन इलEिFGक iसगनलo को ऐPgलीफायर
gारा बRKट करM ,पीकरo तक प{|चा iदया जाता
1 जो इन iसगनलo को साउ$ड @ बदल ~6 7
गुरजेन्द्र िसं ह िवदीर्
6. साउ$ड और एक*ि,टक 101 स$गीत M भरपRर अनuभव M िलए अपZ
Hi-Fi Kपीकरo का (टअप क'( क_
एक Wाइवर (,पीकर) इलJिVeक iसगनलo को साउ$ड _ क=< बदलता Z
• एक Wाइवर इलEिFGक iसगनलo को एक लचीh कोन या डायाcाम की
मदद ( साउ$ड की तर$गo @ बदलता 1
• एक डायाcाम, सामा+यतया कागज़, gलाि,टक या शीट का बना
होता 1 जो iक बाहरी iकनाU की तरफ ( एक स,jंशन ( जuड़ा होता 1
• यह सK•ंशन एक लचीW पदाथ• ( बनी एक iरम 1 जो iक कोन को
iहल: @ सहायक होती 1 और यह खuद Lाइवर M मजबRत धातu M
ƒeम (बा,1ट) ( जuड़ी रहती 1
• कोन का स|करा iसरा वॉइस कॉइल ( जuड़ा रहता 1
• यह कॉइल बाKMट पर एक ,पाइडर (लचीW पदाथ• ( बनी एक iरग)
gारा जuड़ी रहती 1 Wiकन इ( आK-पीl हो: की स„िलयत ~ता 1
गुरजेन्द्र िसं ह िवदीर्
7. साउ$ड और एक*ि,टक 101 स$गीत M भरपRर अनuभव M िलए अपZ
Hi-Fi Kपीकरo का (टअप क'( क_
एक Wाइवर (,पीकर) की वॉइस कॉइल साउ$ड क=< उXपYन करती Z
• एक वॉइस कॉइल दरअसल एक इलJVeोmneट (iव…uत-चu$बक) 1-
• एक ,थाई चu$बक M iवपरीत इलEFGो†‡eट @ mneiटक पोHस को आपस @ बदलZ की eमता होती 1
• ऐPgलीफायर gारा जो इलJिVeक iसगनल Kपीकर को ˆ‰ जा6 7, उन@ लाल (सामा+यतया लाल और
काh र$ग की ता_ जuड़ी रहती 7) र$ग वाली तार पर पॉिज़iटव या iनKiटव चाज• बदलता रहता 1
• इस iनर$तर होZ वाW बदलाव M कारण इलEFGो†‡eट की पोhiरटी भी एक (कlड @ कई बार बदलती
रहती 1
• यह इलJVeोmneट एक ,थाई चu$बक M साथ लगा होता 1
• जब इलJVeोmneट की पोWiरटी Kथाई चu$बक M अनuक*ल होती 1 तो यह कॉइल को चu$बक की ओर
आकiषत करता 1 और जब यह Qiतक*ल होती 1 तो इ( चu$बक ( ‹र ध1ला जाता 1
• जब कॉइल आK-पीl होती 1 तो इस( जuड़ा कोन भी आf-पीŒ होकर वातावरण @ तर$f$ उ)प+न करता
1 याiन iक साउ$ड पJदा करता 1
गुरजेन्द्र िसं ह िवदीर्
8. साउ$ड और एक*ि,टक 101 स$गीत M भरपRर अनuभव M िलए अपZ
Hi-Fi Kपीकरo का (टअप क'( क_
tहतर साउ$ड पJदा कर: _ Wाइवर (,पीकर) 1 साइज़ की भ4िमका
• इलJिVeकल ऑiडयो iसगनलo को एक तर$ग M wप @ ~िखए
• इस तर$ग की icVvसी और ऐPgलीw4ड Lाइवर की वॉइस कॉइल
M कNपन की दर और xरी iनधsiरत करती 1
• इस( जuड़e {ए डायाcाम M कlपन ( जो साउ$ड पEदा होती 1, उन
तर$गo की icVvसी और ऐPgलीw4ड इसी ( iनधsiरत होती 1
• iविभYन आकार M Lाइवर iविभYन icVvसी की >ज M िलए
•हतर काम कर6 7। इसी कारण (, लाउड ,पीकर यuiनट @
iविभ+न iƒFŽसी _ज वाW एक < अiधक Wाइवर लगाए जा6 7
गुरजेन्द्र िसं ह िवदीर्
9. साउ$ड और एक*ि,टक 101 स$गीत M भरपRर अनuभव M िलए अपZ
Hi-Fi Kपीकरo का (टअप क'( क_
साइज़ 1 आधार पर Wाइवरo (,पीकरo) 1 Qकार
• साइज़ M आधार पर Lाइवर मोX तौर पर तीन <कार M हो6 7
• सब( बड़e आकार वाW Lाइवर व4फर कहला6 7 जो iक iनचली याiन
लो icVvसी वाली साउ$ड उ)प+न करZ M िलए बनाए जा6 7
• इन( छोX म$झh आकार वाW Lाइवर ,क=वकसf कहला6 7 जो iक
साउ$ड KपEFGम की म•यम याiन िमड >ज वाली साउ$ड उ)प+न करZ
M िलए बनाए जा6 7
• सब( छो| आकार वाW Lाइवर ट}ीटर कहला6 7 जो iक ऊ|ची याiन
हाई icVvसी वाली साउ$ड उ)प+न करZ M िलए बनाए जा6 7
• जाiहर 1 iक एक बड़e आकार 1 कोन वाW Kपीकर ( हाई icVvसी वाली
साउ$ड पEदा करZ M िलए उ( ब~त [ज़ कNपन करना पड़eगा जो iक ब{त
मuि’कल 1। iबyकuल वE( ही एक ट}ीटर 1 िलए धी• कNपन करM
लो icVvसी वाली साउ$ड पEदा करना भी बड़ा मuि’कल 1
High Frequency (HF)
Mid Frequency (MF)
Low Frequency (LF)
तेज़ कं पन
मध्यम कं पन
धीमे कं पन
गुरजेन्द्र िसं ह िवदीर्
10. साउ$ड और एक*ि,टक 101 स$गीत M भरपRर अनuभव M िलए अपZ
Hi-Fi Kपीकरo का (टअप क'( क_
iसगनलo को उनकी icVvसी 1 iहसाब < सही Wाइवर तक प~€चाना
• icVvसी की एक बड़ी >ज वाली बiढ़या Vवािलटी की साउ$ड को ढ$ग ( उ)प+न करZ M िलए, पRरी _ज को
छोX-छोX iहKसo @ बा|टकर Lॉसओवर/iफHटसf (इ$डVटसf और क=jiसटसf) का उपयोग कर6 {ए iविशƒ
Wाइवरo ( ”यविKथत iकया जाता 1।
• एक बiढ़या लाउड,पीकर @ मोX तौर पर एक व4फर, एक ट}ीटर और एक िमड >ज Wाइवर होता 1, िज+u एक ही
ऐनVलोज़र • ”यविKथत iकया जाता 1।
एक लाउड स्पीकर मे लगने वाली क्रॉस ओवर युिनट:
इंडक्टसर् और कै पेिसटसर् द्वारा िफ्रक्वेंसी को तीन
िहस्सों में िवभक्त करके उन्हें वूफर, ट्वीटर और िमड रेंज
ड्राइवरों में भेज िदया जाता है।
एक कै पेिसटर में हायर
िफ्रक्वेंसी के प्रित लोअर
इंपीडेंस (संवेदनशीलता) होता
है अथार्त यह एक तय
िफ्रक्वेंसी से ऊपर वाले करंट
का बहुत अच्छा चालक होता
है। यह लो िफ्रक्वेंसीज़ को
तो रोक लेता है लेिकन हाइ
िफ्रक्वेंसीज़ को जाने देता है।
एक इंडक्टर में लोअर िफ्रक्वेंसी के प्रित
लोअर इंपीडेंस (संवेदनशीलता) होता है
अथार्त यह एक तय िफ्रक्वेंसी से नीचे वाले
करंट का बहुत अच्छा चालक होता है। यह
हाइ िफ्रक्वेंसीज़ को तो रोक लेता है लेिकन
लोअर िफ्रक्वेंसीज़ को जाने देता है।
एक स्पीकर के पैरेलल में एक रेिसस्टर जोड़कर
स्पीकर तक पहुँचने वाली पावर की मात्रा को
िनयंित्रत िकया जा सकता है। सामान्यतया एक
ट्वीटर को एक बेस स्पीकर की तुलना में कम पावर
दी जाती है।
िमड रेंज ड्राइवर के िलए एक
कै पेिसटर और एक इंडक्टर से गुज़ार
कर एक क्रॉसओवर के ज़िरए करंट
भेजा जाता है तािक ऊपर और नीचे के
िलए कट-ऑफ पाइंट तय हो सकें ।
हाइ रेंज
ट्वीटर
बेस रेंज
वूफर
ऐम्पलीफायर
टू-वे
क्रॉसओवर
थ्री-वे
क्रॉसओवर
गुरजेन्द्र िसं ह िवदीर्
11. ब$द (एक*ि,टक स,jंशन) ऐनVलोज़सf की भीतरी बनावट एव$ कायfQणाली
• ऐनVलोज़सf कई तरह ( काम कर6 7-
• सबकuछ एक iसगल यuiनट M wप @ होता 1 और Wाइवर अपनी सही
ि,थiत @ ”यविKथत रह6 7, इसिलए t बiढ़या साउ$ड उ)प+न करZ
M िलए एकसाथ िमलकर अbŒ ढ$ग ( काम कर6 7
• ऐनFलोज़स• सामा+यतया भारी लकड़ी ( बZ हो6 7 ताiक Lाइवर
gारा उ)प+न कNपन को सहन iकया जा सM
• •यान र— iक एनVलोज़र की बनावट ( साउ$ड की Vवािलटी पर
असर पड़ता 1
• चR$iक डायाcाम आf-पीŒ iहलता 1 इसिलए •वiन तर$गo का
iनमsण कोन M आK और पीl, दोनo ओर होता 1
• इन iपछली „वiन तर$गo को अलग-अलग एनFलोज़स• अलग-अलग
ढ$ग ( iनय$ioत कर6 7
अन्य िडज़ाइनों की तुलना में, सील िकए हुए (बंद)
ऐनक्लोज़र अच्छा प्रदशर्न नहीं दे पाते क्योंिक भीतर
बनने वाले हवा के दबाव से िनबटने के िलए ऐम्लीफायर
को इलैिक्ट्रक िसगनलों को बूस्ट करना पड़ता है।
साउ$ड और एक*ि,टक 101 स$गीत M भरपRर अनuभव M िलए अपZ
Hi-Fi Kपीकरo का (टअप क'( क_गुरजेन्द्र िसं ह िवदीर्
12. अYय Qकार 1 ,पीकर ऐनVलोज़सf एव$ उनकी बनावट
• ‹सरी तरह M ऐनVलोज़सf भीतरी दबाव को बाहर iनकाल ~6 7-
• ऐसा करZ M िलए सब( आसान तरीका 1- Kपीकर @ एक छोटा
( पो… बना iदया जाए, इ+u tस iरफhVस ऐनVलोज़र कह6 7।
इन@ डायाƒाम M iपछली ओर बनZ वाली •वiन तर$गo को इन
पोट्स• M रK6 बाहर iनकाल कर भीतरी दबाव को iनय$ioत iकया
जाता 1 और सामZ की ओर िमलZ वाली साउ$ड भी बढ़ जाती 1
• •स iरVWFस यuiनट ( िमल6-जuल6 ही पJiसव Siडएटर
ऐनFलोज़स• हो6 7, Wiकन इन@ iपछली •वiन तर$गo को पो™ M
रK6 यR$ही बाहर iनकाल ~Z की बजाय एक अiतiरFत, पJiसव
Wाइवर (िजस@ इलEFGो•‡eट वॉइस कॉइल भी नहj लगी होती
और ना ही इ( ऐpपलीफायर ( जोड़ा जाता 1) को ऑपUट
करZ M िलए काम @ W िलया जाता 1
साउ$ड और एक*ि,टक 101 स$गीत M भरपRर अनuभव M िलए अपZ
Hi-Fi Kपीकरo का (टअप क'( क_
बेस िरफ्लेक्स ऐनक्लोज़सर्
पैिसव रेिडएटर ऐनक्लोज़सर्
पैिसव
ड्राइवर
ऐिक्टव
ड्राइवर
गुरजेन्द्र िसं ह िवदीर्
13. साउ$ड और एक*ि,टक 101 स$गीत M भरपRर अनuभव M िलए अपZ
Hi-Fi Kपीकरo का (टअप क'( क_
साउ$ड („वiन तर$गo) 1 गमन कर: 1 आधारभ4त एव$ सामाYय iस†‡त
• तर$गo gारा तय की गई xरी
बढ़: M साथ-साथ वॉHय4म
hवल घटता जाता 1
• ट}ीटसf हाइ-iपच वाली साउ$ड
पEदा कर6 7 जोiक एक सीधी
iदशा (डायSVशनल) @ गमन
करती 1
• व4फसf लो-iपच वाली साउ$ड
पEदा कर6 7 जोiक सीधी iदशा
• गमन करZ M Kथान पर
चारo ओर फ=लती 1
(नॉन डायSVशनल)
ट्वीटर
हाइ िफ्रक्वेंसी (HF)
वूफर
लो िफ्रक्वेंसी (LF)
गुरजेन्द्र िसं ह िवदीर्
14. Direct
E CD AB
साउ$ड और एक*ि,टक 101 स$गीत M भरपRर अनuभव M िलए अपZ
Hi-Fi Kपीकरo का (टअप क'( क_
साउ$ड („वiन तर$K$) क=< गमन करती : डायSVट/इनडायSVट साउ$ड (1)
गुरजेन्द्र िसं ह िवदीर्
15. Direct
Reflected A B
CDE
साउ$ड और एक*ि,टक 101 स$गीत M भरपRर अनuभव M िलए अपZ
Hi-Fi Kपीकरo का (टअप क'( क_
साउ$ड („वiन तर$K$) क=< गमन करती : डायSVट/इनडायSVट साउ$ड (2)
गुरजेन्द्र िसं ह िवदीर्
16. Direct
Reflected
E CD AB
D
C
B
साउ$ड और एक*ि,टक 101 स$गीत M भरपRर अनuभव M िलए अपZ
Hi-Fi Kपीकरo का (टअप क'( क_
साउ$ड („वiन तर$K$) क=< गमन करती : डायSVट/इनडायSVट साउ$ड (3)
गुरजेन्द्र िसं ह िवदीर्
17. Direct
1st Reflected
1st Reflected
2nd
Reflected
3rd Reflected
J
H
I
F
G
E
D
C
B
A
साउ$ड और एक*ि,टक 101 स$गीत M भरपRर अनuभव M िलए अपZ
Hi-Fi Kपीकरo का (टअप क'( क_
साउ$ड („वiन तर$K$) क=< गमन करती : डायSVट/इनडायSVट साउ$ड (4)
गुरजेन्द्र िसं ह िवदीर्
18. साउ$ड और एक*ि,टक 101 स$गीत M भरपRर अनuभव M िलए अपZ
Hi-Fi Kपीकरo का (टअप क'( क_
एक साधारण कमS की सभी छ: सतहo < परावiतत हो: वाली „वiन तर$K$
गुरजेन्द्र िसं ह िवदीर्
19. साउ$ड और एक*ि,टक 101 स$गीत M भरपRर अनuभव M िलए अपZ
Hi-Fi Kपीकरo का (टअप क'( क_
हाइ-फाइ ,पीकरo का <टअप क=< क>: मोनो (एकल) ,पीकर की ि,थiत
• ह•शा ,पीकर को सuनZ वाW
की ओर मu|ह कर6 {ए ही रखना
चाiहए, ना iक अपZ कमU M
कोनo ( ताल•ल रख6 {ए
• Kपीकर (कम ( कम ट}ीटर
को तो अव‰य) को ह•शा
सuनZ वाW M कानo की
सीधी Uखा @ ही रखना
चाiहए
20. स्पीकरों का मुँह सुनने वाले की ओर रखें! उन्हें एकदम कोनों से सटाकर कभी ना रखें!
साउ$ड और एक*ि,टक 101 स$गीत M भरपRर अनuभव M िलए अपZ
Hi-Fi Kपीकरo का (टअप क'( क_
,टीiरयो ,पीकरo का <टअप क=< क>: सuन: वाh और कमS 1 अनuक*ल
गुरजेन्द्र िसं ह िवदीर्
21. साउ$ड और एक*ि,टक 101 स$गीत M भरपRर अनuभव M िलए अपZ
Hi-Fi Kपीकरo का (टअप क'( क_
„वiन तर$K$ एक-xसS 1 साथ iकस Qकार < Šयवहार या वात‹लाप करती
गुरजेन्द्र िसं ह िवदीर्
22. Peaks
Nulls
साउ$ड और एक*ि,टक 101 स$गीत M भरपRर अनuभव M िलए अपZ
Hi-Fi Kपीकरo का (टअप क'( क_
कमS 1 ‘,वीट ,पॉट्स’ आपको खuद ही ढ4$ढ़: हoK!
गुरजेन्द्र िसं ह िवदीर्
23. होम iथएटर ,पीकरo का <टअप क=< क>: 5.1 और 7.1 ,पीकर iस,टम
साउ$ड और एक*ि,टक 101 स$गीत M भरपRर अनuभव M िलए अपZ
Hi-Fi Kपीकरo का (टअप क'( क_गुरजेन्द्र िसं ह िवदीर्
24. „वiन तर$गo 1 परावतfन और अपवतfन स$ब$धी Šयवहार को समिझए
साउ$ड और एक*ि,टक 101 स$गीत M भरपRर अनuभव M िलए अपZ
Hi-Fi Kपीकरo का (टअप क'( क_गुरजेन्द्र िसं ह िवदीर्
25. स$गीत 1 भरप4र अनuभव 1 िलए साउ$डQ4iफग और एक*ि,टक eीट_ट क=< क>
Bass
Traps for LF
Absorbers
Diffusers
for HF & MF
साउ$ड और एक*ि,टक 101 स$गीत M भरपRर अनuभव M िलए अपZ
Hi-Fi Kपीकरo का (टअप क'( क_
• लोग अFसर इन दोनo श›दo को एक-xसS की जगह
काम @ W6 रह6 7, जोiक गलत 1-
• साउ$डQ4iफग का ता)पय• साउ$ड M Kतर को
+यRनतम करना होता 1 ताiक आवाज़ कमU (
बाहर ना आ-जा सM
• एक*ि,टक eीट_ट दरअसल डायSVट साउ$ड
और iरŽhV|ड साउ$ड्स को iनय$ioत करZ की
”यवKथा 1, िजसM िलए iनय$ioत करZ हो6 7-
iरŽhVशYस, ऐ•ज़ॉबeस और iडŽय4ज़न
एक सामान्य होम-स्टूिडयो कक्ष
में साधारण एकू िस्टक ट्रीटमेंट
और स्पीकर व्यविस्थत कै से करें
संलग्न िचत्र में बैंगनी रंग में दशार्ए
ऐब्ज़ॉबर्र पैनल बेहद आवश्यक हैं,
लेिकन नारंगी रंग में दशार्ए ऐब्ज़ॉबर्र भी
साथ में लगाने से पिरणाम और भी अच्छे
िमलते हैं। इसके िलए आमतौर पर
एकू िस्टक फोम को काम में िलया जाता
है। यिद आपको बेस को भी ट्रैप करना
हो तो इसके ट्रैपसर् को कक्ष के कोनों में
लगाना चािहए (सभी दीवारों और छत
के जोड़ों सिहत), तभी बेहतर पिरणाम
िमलेंगे। सुनने वाले के अनुरूप ही दोनों
मॉनीटरों की िस्थित और िदशा का भी
ध्यान रखें- सुनने वाले व्यिक्त को
िमलाकर तीन िबन्दुओं वाले समबाहु
ित्रभुजाकार में इन्हें व्यविस्थत करके ही
आपको सवर्श्रेष्ठ स्टीिरयो साउंड
इफै क्ट िमलेगा।
गुरजेन्द्र िसं ह िवदीर्