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International Journal of Trend in Scientific Research and Development (IJTSRD)
Volume 6 Issue 3, March-April 2022 Available Online: www.ijtsrd.com e-ISSN: 2456 – 6470
@ IJTSRD | Unique Paper ID – IJTSRD49892 | Volume – 6 | Issue – 3 | Mar-Apr 2022 Page 2005
िशरोमिण अकाली दल एवं िसख राजनीित
Dr. Sukhwinder Singh
Assistant Professor, Department of Humanities & Social Sciences,
Govt. Engineering College, Jhalawar, Rajasthan, India
ABSTRACT
पाट क
े नविनवािचत अ सरदार एमपीएस च ा ने कहा िक यह िद ी क
े
िसखों का ऐितहािसक फ
ै सला है। िद ी क
े िसखों को अपनी पाट की ज$रत थी।
उ'ोंने कहा िक अब वह िसख कौम क
े िलए िबना *कावट काम कर सक
+ गे और
िद ी गु*/ारा कमेटी म+ सेवा भी कर सक
+ गे। िद ी की िसख राजनीित म+ एक
और पाट का नाम जुड़ गया है। इसका नाम िशरोमिण अकाली दल िद ी 5ेट
रखा गया है। िशरोमिण अकाली दल बादल गुट क
े सद6 रहे िसख नेताओं ने ही
इस नई पाट का गठन िकया है। इसम+ :ादातर िसख नेता िद ी िसख गु*/ारा
;बंधक कमेटी पदािधकारी व सद6 है। ;बंधक कमेटी क
े अ हरमीत िसंह
कालका ने खुद इस पाट का गठन िकया है।
िद ी िसख गु*/ारा ;बंधक कमेटी क
े सद6ों व िद ी क
े िसखों ने नई पाट का
ऐलान बृह>ितवार को िकया। इस दौरान यह भी दावा िकया गया िक यह पाट
िसखों क
े धािमक मामलों क
े िलए पंथक परंपराओं क
े मुतािबक काम करेगी।
मीिडया से बातचीत म+ िद ी गु*/ारा ;बंधक कमेटी क
े महासिचव सरदार
जगदीप िसंह काहलों ने बताया िक ;बंधक कमेटी क
े अ सरदार हरमीत िसंह
कालका पाट क
े मु@ संर क चुने गए हA।
इस मौक
े पर हरमीत िसंह कालका ने बताया िक सरदार एमपीएस च ा िशरोमिण
अकाली दल िद ी 5ेट पाट क
े ;धान चुने गए हA। वBरC नेता सरदार भजन िसंह
वािलया और सरदार हरिवंदर िसंह क
े पी को पाट क
े संर क क
े तौर पर चुना गया
है। कालका ने यह भी कहा िक यह पाट Dी अकाल तE सािहब क
े संर ण म+
पंथक परंपराओं क
े अनुसार काम करेगी।
नई पाट बनाने
का उ े
हरमीत िसंह कालका ने नई पाट गिठत करने क
े संबंध म+ बताया िक अकाली दल
बादल गुट क
े मौजूदा नेतृG ने पंथ का भरोसा गंवा िदया है। इसका सबूत पंजाब
िवधानसभा चुनाव क
े नतीजे हA। उ'ोंने कहा िक लीडरिशप उसक
े Hखलाफ लगे
बेअदबी और अI आरोपों क
े बारे अपना प रखने तक म+ नाकाम रही है। यहीं
वजह है िक बेअदबी क
े दोिषयों को सजा तक नहीं िमली।
How to cite this paper: Dr. Sukhwinder
Singh "Shiromani Akali Dal and Sikh
Politics" Published
in International
Journal of Trend in
Scientific Research
and Development
(ijtsrd), ISSN: 2456-
6470, Volume-6 |
Issue-3, April 2022,
pp.2005-2013, URL:
www.ijtsrd.com/papers/ijtsrd49892.pdf
Copyright © 2022 by author (s) and
International Journal of Trend in
Scientific Research and Development
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(http://creativecommons.org/licenses/by/4.0)
प रचय
िद"ी क
ेिसखों का ऐितहािसक फ
ै सला
पाट क
े नविनवािचत अ सरदार एमपीएस च ा ने कहा िक
यह िद ी क
े िसखों का ऐितहािसक फ
ै सला है। िद ी क
े िसखों
को अपनी पाट की ज$रत थी। उ'ोंने कहा िक अब वह िसख
कौम क
े िलए िबना *कावट काम कर सक
+ गे और िद ी
गु*/ारा कमेटी म+ सेवा भी कर सक
+ गे। इस दौरान आLा िसंह
लुबाणा, भुिपंदर िसंह भु र, सरवजीत िसंह िवरक, िवNम िसंह
रोहनी, एमपीएस च ा, सुरजीत िसंह जीती, अमरजीत िसंह
िपंकी, अमरजीत िसंह पOू, परिवंदर िसंह लPी, जुझार िसंह,
भजन िसंह वािलया, ओंकार िसंह राजा, जसमीर िसंह मसी,
दलजीत िसंह सरना, रमीत िसंह, Rाट च ा और गुरमीत िसंह
िटंक
ू और नेतृG क
े समथक बड़ी सं@ा म+ उपHSथत थे।
कोर कमे
टी का िकया गठन
पाट गिठत करने क
े साथ ही एक कोर कमेटी का भी गठन
िकया गया। पांच सद6ीय यह कमेटी संगठन को मजबूत
करेगी। 10 िदनों क
े भीतर यह कमेटी अपनी Bरपोट देगी। तब
तक पाट को चुनाव िच' भी िमल जाएगा। इस कमेटी म+ आLा
िसंह लुबाणा, बलबीर िसंह िववेक िवहार, अमरजीत िसंह पOू,
अमरजीत िसंह िपंकी और हरिवंदर िसंह क
े पी को शािमल िकया
गया है।
यूथ िवंग का िकया गया गठन
िशरोमणी अकाली दल िद ी 5ेट पाट की यूथ िवंग भी होगी।
पाट क
े गठन क
े बाद यूथ िवंग की घोषणा की गई। इसकी
िजWेदरी रमनदीप िसंह थापर, सतबीर िसंह गगन और मनजीत
िसंह औलख को सौंपी गई है। यूथ िवंग छाY चुनाव लड़ेगी।
IJTSRD49892
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चुनाव लड़ने वाले छाYों क
े िवंग का गठन रमनजोत िसंह मीता
और गुरदेव िसंह को सौंपी गई है। इसक
े साथ ही पाट की
मजबूती क
े िलए एक मिहला िवंग टीम होगी। बीबी भुिपंदर कौर,
बीबी बलजीत कौर, बीबी परमजीत कौर गुZी, बीबी मनजीत
कौर गोिवंदपुरी, बीबी मनजीत कौर लार+स रोड और बीबी
सूरबीर कौर को यह िजWेदारी सौंपी गई है।
िवप+ ने
का कमजोर ,ई पाट
िवप ी पािटयों ने नई पाट क
े गठन को कमजोर बताया है। कहा
है िक 30 सद6ीय िद ी िसख गु*/ारा ;बंधक कमेटी नई
पाट क
े गठन से िसमट गई है। अब उनक
े पास महज 26 सद6
रह गए है। ^ोंिक िशरोमिण अकाली दल बादल गुट म+ 4
सद6ों ने नई पाट म+ शािमल नहीं `ए। इसम+ हरिवंदर िसंह
क
े पी, मिहंदर पाल िसंह च ा, गुर;ीत िसंह जaा और िशरोमणी
कमेटी अ हरिजंदर िसंह धामी शािमल है। इससे साफ हो
गया है िक कालका की पाट म+ अब 26 सद6 हA। दू सरी तरफ
िशरोमिण अकाली दल िद ी सरना गुट, जागो पाट व अI
िवप ी पाट क
े गु*/ारा ;बंधक कमेटी क
े सद6ों की सं@ा
25 है।
िसरसा की भूिमका कम नहीं
िसख राजनीित क
े जानकारों की माने तो िसख नेता मनिजंदर
िसंह िसरसा पदc क
े पीछे राजनीितक िबसात िबछा रहे है।
भाजपा म+ शािमल होने क
े बाद िसरसा ने अपने समथकों से नई
पाट गिठत करने की चचा की। बतौर राजनीितक सलाहकार
की भूिमका म+ िसरसा ने िसख नेताओं को संगिठत कर नई पाट
बनाने म+ सहयोगी भूिमका म+ रहे। [1]
िवचार-िवमश/
7 जुलाई 2020 को, सुखदेव िसंह ढींडसा , सेवा िसंह सेखवां ,
िशरोमिण अकाली दल और िशरोमिण अकाली दल (टकसाली)
क
े कई और नेताओं क
े साथ लुिधयाना क
े एक गु*/ारे म+ आए
और िशरोमिण अकाली दल (लोकतांिYक) का गठन िकया और
सुखदेव िसंह ढींडसा को बनाया । अकाली दल लोकतांिYक क
े
नए अ । नई पाट का नाम पूछे जाने पर उ'ोंने कहा िक यह
िशरोमिण अकाली दल (लोकतांिYक) होगी ।
उ'ोंने कहा िक यह असली अकाली दल है, और दूसरे
तथाकिथत अकाली दल क
े पीछे एक "(बादल)" है। उ'ोंने कहा
िक पाट चुनाव आयोग को पाट क
े चुनाव िच' को बादल की
पाट क
े समान वजनदार बनाने क
े िलए दबाव डालेगी, वे भाजपा
को बादल क
े साथ गठबंधन तोड़ने और राkl ीय जनतांिYक
गठबंधन म+ अपनी पाट को जोड़ने क
े िलए भी ;ेBरत कर+गे ।
इस िववाद क
े चलते ढींडसा और बादल दोनों को अ पद से
हटाने से समथकों क
े बीच आग लग जाएगी और अकाली िववाद
और गहरा सकता है। तो अकाली पाट सिहत िकसी भी
अनुmे द म+ बादल या ढींडसा को भी पाट क
े अ क
े $प म+
शािमल करना होगा। दलजीत चीमा ने इस कदम को गैर-
लोकतांिYक और धोखाधड़ी और चोरी कहा है, हालांिक िकसी ने
भी इसे गंभीरता से नहीं िलया ... िसमरनजीत मान क
े अलावा
सभी गुट एक साथ आते हA और एक मजबूत तीसरा मोचा बनाते
हA।
पहले तो सभी को लगा िक यह मजाक है, उ'ोंने कहा िक जब
वे बीड़ी करते हA तो वे सभी बादल क
े साथ खड़े होते हA, लेिकन
बाद म+ लोक इंसाफ पाट ने pीकार िकया िक वे बातचीत कर
रहे हA। कई राजनीितक दल और पBरवार उनक
े गुट क
े साथ जुड़
गए हA, यूनाइटेड अकाली दल का 25 जुलाई, 2020 को पाट म+
िवलय हो गया, संधू और तलवंडी पBरवार का पाट म+ िवलय हो
गया, और इसी तरह कई और राजनेता भी हA। अब, अपने
िशरोमिण अकाली दल (लोकतांिYक) और पूव लोकसभा सद6
रंजीत िसंह qrपुरा क
े नेतृG वाले िशरोमिण अकाली दल
(टकसाली) क
े िवलय क
े बाद रा:सभा सद6 सुखदेव िसंह
ढींडसा /ारा गिठत िशरोमिण अकाली दल (संयुक
् त)। [2]
प रणाम
1. दो राजनीितक दलों /ारा दायर दो Bरट यािचकाएं ; (i)
िशरोमिण अकाली दल (िसमरनजीत िसंह मान) (1993 का
CWP नंबर 4091) और (ii) िशरोमिण अकाली दल (बादल)
(CWP No. 4587 of 1993) को पूण ब+च /ारा सुनवाई क
े िलए
pीकार िकया गया था, जैसा िक सामाI पया~ था इसम+ कानून
का सवाल शािमल है।
2. अंतBरम राहत ;दान करने क
े संबंध म+ मतभेद था िक मामला
िकसी अI Iायाधीश को भेजा गया था। अब अंितम सुनवाई म+
हम+ चुनाव Sथिगत करने की अंतBरम राहत ;दान करने से
संबंिधत मु•ों से कोई सरोकार नहीं है।
3. €ापक त• िशरोमिण अकाली दल (िसमरनजीत िसंह मान)
/ारा दायर 1993 की सीड‚ूपी सं@ा 4091 से िलए गए
हA। यािचकाकता-प को चुनाव िचƒ (आर ण और आवंटन)
आदेश, 1968 (बाद म+ ';तीक आदेश' क
े $प म+ संदिभत िकया
जाएगा) क
े ;ावधानों क
े तहत उप चुनाव आयु… /ारा पाBरत
आदेश िदनांक 20 नवंबर, 1992 क
े तहत अमाI कर िदया गया
था। िनदcश है िक पूव†… पाट पंजाब रा: म+ इसक
े िलए पहले
आरि त ;तीक "शेर" क
े अनI उपयोग क
े िलए हकदार नहीं
होगी। कहा िक राजनीितक दल को तब तक गैर-माIता ;ा~
माना जाना चािहए जब तक िक अगले आम चुनाव म+ उसक
े
चुनाव ;दशन की िफर से समी ा नहीं की जाती है और जब
आयोिजत िकया जाता है। फरवरी 1992 म+ `ए िपछले आम
चुनावों म+ इस राजनीितक दल का चुनावी ;दशन शूI
रहा। िशरोमिण अकाली दल (बादल) /ारा दायर अI Bरट
यािचका म+ इसी आशय का आदेश उप चुनाव आयु… /ारा 20
नवंबर, 1992 को पाBरत िकया गया था। इस मामले म+ उपरो…
आदेश की वैधता क
े अलावा सामाI आधार पर चुनौती दी जा
रही है। यह भी कहा िक आदेश ;ाक
ृ ितक Iाय क
े िस‡ांतों क
े
उ ंघन म+ पाBरत िकया गया था ^ोंिक यािचकाकता को
सुनवाई का कोई नोिटस नहींिदया गया था। आरोपों क
े अनुसार
यािचकाकता को कायवाही म+ तामील नहीं िकया गया/िविधवत
तामील नहीं िकया गया।
4. यािचका म+ उठाए गए िववादा>द िबंदु पर ान क
+ ि‰त करने
क
े िलए, उस पृCभूिम का संदभ िदया जाना चािहए िजसक
े
कारण राजनीितक दलों ने चुनाव का बिहŠार िकया, िजसक
े
पBरणाम को ;ितवादी-चुनाव आयु… ने शूI ;दशन क
े $प म+
माना। आरोपों क
े अनुसार, ये राजनीितक दल पंजाब रा: म+
िवधानसभा चुनावों म+ भाग ले रहे थे, जो जून, 1991 म+ होने वाले
थे। चुनावी ;िNया क
े दौरान अंितम समय म+ लगभग 30
उWीदवारों की मौत हो गई थी, जब क
े वल मतदान होना था।
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और चुनाव ;चार आिधकाBरक $प से समा~ हो गया था चुनाव
र• कर िदया गया था। पूव†… यािचकाओं म+ आरोिपत र• करने
का कारण यह था िक क
+ ‰ म+ कां‹ेस पाट सŒा म+ आ गई थी
और चूंिक वह पाट पंजाब चुनाव म+ भाग नहीं ले रही थी, इसे
Sथिगत कर िदया गया और फरवरी 1992 म+ आयोिजत िकया
जाना था। फरवरी, 1992 तक पंजाब की HSथित म+ कोई बदलाव
नहीं आया था, िसवाय इसक
े िक कां‹ेस पाट ने चुनावों म+ भाग
लेने का फ
ै सला िकया था। चूंिक कोई आ•ासन नहीं िदया गया
था िक यिद यािचकाकता प भाग ल+गे तो चुनाव अंततः होंगे,
यािचकाकता-पािटयों ने चुनावों का बिहŠार िकया और उWीद
की िक इस तरह क
े चुनाव उनकी गैर-भागीदारी क
े िलए नहीं
होंगे। इस तरह पंजाब क
े लोगों क
े साथ जून 1991 म+ होने वाले
चुनावों म+ गंदगी की तरह €वहार िकया गया िजसे क
+ ‰ ने र•
कर िदया। इसिलए यािचकाकता राजनीितक दलों क
े िलए
फरवरी, 1992 क
े िलए िनधाBरत चुनाव लड़ने और िफर से मूख
बनाए जाने का कोई कारण नहीं था। फरवरी 1992 म+ `ए
चुनावों म+ अaी ;ितशत मतदाताओं ने मतदान से परहेज
िकया। इस ;कार 20% का जनादेश 80% क
े िनणय पर क
ै से
भारी पड़ सकता है। पूरे चुनाव म+ धांधली एक तमाशा और
िदखावा था। ऐसे चुनाव क
े आधार पर यािचकाकताओं जैसे
राजनीितक दलों का ;दशन वैध नहींथा। ;तीक आदेश क
े पैरा
6 और 7 क
े ;ावधानों को खराब और अमाI होने क
े कारण
अपया~ बताया गया ^ोंिक यह िवचार नहीं िकया गया था िक
ऐसी HSथित उ•‘ होगी िक राजनीितक दल / दल चुनाव म+ भाग
लेने से परहेज कर+गे। जून, 1991 म+ िनधाBरत चुनावों को Sथिगत
करक
े पंजाब क
े लोगों को एक सवारी क
े िलए ले जाया
गया। उस ;िNया म+ कई उWीदवार मारे गए, िबना क
ु छ िलए
करोड़ों *पये भेजे गए। ;तीक आदेश क
े पैरा 6 और 7 क
े
;ावधानों को खराब और अमाI होने क
े कारण अपया~ बताया
गया ^ोंिक यह िवचार नहींिकया गया था िक ऐसी HSथित उ•‘
होगी िक राजनीितक दल / दल चुनाव म+ भाग लेने से परहेज
कर+गे। जून, 1991 म+ िनधाBरत चुनावों को Sथिगत करक
े पंजाब
क
े लोगों को एक सवारी क
े िलए ले जाया गया। उस ;िNया म+
कई उWीदवार मारे गए, िबना क
ु छ िलए करोड़ों *पये भेजे
गए। ;तीक आदेश क
े पैरा 6 और 7 क
े ;ावधानों को खराब और
अमाI होने क
े कारण अपया~ बताया गया ^ोंिक यह िवचार
नहीं िकया गया था िक ऐसी HSथित उ•‘ होगी िक राजनीितक
दल / दल चुनाव म+ भाग लेने से परहेज कर+गे। जून, 1991 म+
िनधाBरत चुनावों को Sथिगत करक
े पंजाब क
े लोगों को एक
सवारी क
े िलए ले जाया गया। उस ;िNया म+ कई उWीदवार
मारे गए, िबना क
ु छ िलए करोड़ों *पये भेजे गए।[3]
5. भारत िनवाचन आयोग की ओर से उ… दो Bरट यािचकाओं म+
िलHखत बयान दाHखल िकया गया है। ;ितवादी ने यािचकाओं का
जोरदार िवरोध िकया। यािचकाओं म+ लगाए गए सभी आरोपोंको
खाBरज िकया गया है। जून 1991 म+ चुनाव Sथिगत करने क
े
आदेश क
े संबंध म+, यह कहा गया था िक उपरो… आदेश को
सव†’ Iायालय म+ असफल $प से चुनौती दी गई थी। सव†’
Iायालय /ारा 1968 क
े ;तीक आदेश क
े ;ावधानों को वैध
माना गया था। अपया~ता क
े आधार पर ऐसे ;ावधान खराब
नहींथे। चुनाव कानून, ;तीक आदेश, 1968 क
े ;ावधानों सिहत,
उस HSथित/HSथितयों की क“ना करता है जहां एक बार माIता
;ा~ राजनीितक दलों को माIता दी जा सकती है, यिद वे
िनधाBरत अनुसार आम चुनावों म+ Iूनतम सं@ा म+ सीट+ या वोट
हािसल करने म+ िवफल रहे हA।
6. मु@ ;” िजस पर यािचकाकताओं की ओर से बहस की गई
है, वह िन•ानुसार तैयार िकया गया है:-
"1968 क
े ;तीक आदेश क
े ;ावधानों म+ ऐसी HSथित की क“ना
नहीं की गई थी जहां एक या अिधक माIता ;ा~ राजनीितक
दल चुनावों का बिहŠार कर+गे या दू सरे श—ों म+ चुनाव म+ भाग
नहीं ल+गे और क
े वल उस आधार पर ऐसे राजनीितक दलों को
माIता नहीं दी जा सकती है। ;तीक आदेश, 1968 म+ अपवाद
या ;ावधान क
े $प म+ ;ावधान होना चािहए था िक यिद क
ु छ वैध
कारणों से कोई राजनीितक दल या दल चुनाव म+ भाग नहीं लेते
हA, तो उनकी माIता र• नहीं की जाएगी।"
7. यािचकाकताओं की ओर से उपHSथत िव/ान अिधव…ा Dी
रंजन लखनपाल और Dी एच.एस. मतेवाल ने जोरदार तक िदया
है िक एक अजीबोगरीब HSथित मौजूद थी जब अचानक जून,
1991 म+ चुनाव होने वाले थे िक इसे Sथिगत कर िदया गया था,
जैसा िक एक िदन पहले क
+ ‰ म+ कां‹ेस पाट सŒा म+ आई
थी। चूंिक कां‹ेस पाट पंजाब रा: म+ चुनावों म+ भाग नहींले रही
थी, इसिलए चुनाव Sथिगत कर िदए गए थे। इस तरह पंजाब क
े
लोगों को ठगा गया। यािचकाकताओं-राजनीितक दलों/ारा बाद
म+ घोिषत चुनावों का बिहŠार करने क
े ये वैध कारण थे। इस
तरह की ;˜ुितयों से उ•‘ कानूनी तक™ की सराहना करने क
े
िलए संिवधान क
े ;ावधानों, लोक ;ितिनिधG अिधिनयम का
उ ेख करना आवšक है।, 1951, और 1968 का ;तीक
आदेश। चुनाव आयोग संवैधािनक इकाई है। संिवधान का
अ ाय XV िवशेष $प से चुनाव क
े िवषय से संबंिधत है। कला
क
े तहत । 324 , िनवाचक नामावली की तैयारी का अधी ण,
िनदcशन और िनयंYण और संसद और रा:ों क
े िवधान मंडलों
और राkl पित और उपराkl पित क
े कायालयों क
े सभी चुनावों क
े
संचालन को एक चुनाव आयोग म+ िनिहत करना है। ऐसा
आयोग कला क
े तहत गिठत िकया गया है। 324(2). मु@ चुनाव
आयोग को चुनाव आयोग क
े अ क
े $प म+ काय करना
है। राkl पित /ारा चुनाव आयोग क
े परामश क
े बाद, चुनाव
आयोग की सहायता क
े िलए ेYीय आयु…ों की भी िनयुH… की
जाती है। कला। 325 और 326 मतदाता सूची तैयार करने का
संदभ देते हA। नीचेकला। 327 संसद क
े िकसी भी सदन या रा:
क
े िवधानमंडल क
े िकसी भी सदन क
े चुनाव से संबंिधत या
उसक
े संबंध म+ समय-समय पर कानून बनाने का अिधकार
संसद को है। ऐसे मामले िजन पर कानून बनाया जा सकता है,
उनम+ मतदाता सूची तैयार करना, िनवाचन ेYों का पBरसीमन
या सदन या सदनों क
े उिचत संिवधान को हािसल करने क
े िलए
आवšक अI मामले शािमल हA। रा: सरकार रा: क
े
िवधानमंडल क
े सदन या सदनों क
े चुनाव क
े संबंध म+ भी ऐसे
कानून बना सकती है, कला क
े तहत। 328. कला। 329 चुनाव
मामलों म+ Iायालयों क
े अिधकार ेY को रोकता है और यह
िन•ानुसार पढ़ता है:-
"329. चुनावी मामलों म+ अदालतों क
े ह˜ ेप पर रोक :- इस
संिवधान म+ िकसी बात क
े होते `ए भी:-
(ए) िनवाचन ेYों क
े पBरसीमन या ऐसे िनवाचन ेYों क
े िलए
सीटों क
े आवंटन से संबंिधत िकसी भी कानून की वैधता, कला क
े
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तहत बनाई गई या बनाई जाने वाली। 327 या कला। 328 ,
िकसी भी Iायालय म+ ;”गत नहीं िकया जाएगा;
(बी) संसद क
े िकसी भी सदन या सदन या िकसी रा: क
े
िवधानमंडल क
े िकसी भी सदन क
े िलए कोई चुनाव ;” म+ नहीं
बुलाया जाएगा, जब तक िक ऐसे ;ािधकरण को ;˜ुत चुनाव
यािचका और इस तरह से िकसी क
े /ारा या उसक
े तहत ;दान
िकया जा सकता है उपयु… िवधानमंडल /ारा बनाया गया
कानून।"
8. संिवधान क
े उपरो… ;ावधान संसद और रा: िवधानसभाओं
क
े चुनावों क
े संचालन पर अधी ण, िनदcशन और िनयंYण क
े
संबंध म+ चुनाव आयोग की शH…यों को >k $प से इंिगत करते
हA। इस तरह क
े िनयंYण क
े अžास म+ चुनाव आयोग आदेश
जारी करने क
े िलए स म है। ऐसे आदेश संिवधान क
े अI
;ावधानों या संसद या रा: िवधानमंडल /ारा बनाए गए कानूनों
क
े उ ंघन म+ नहीं हो सकते। उपरो… दो अपवादों को
छोड़कर चुनाव क
े संचालन पर चुनाव आयोग का पूण िनयंYण
होता है। जन ;ितिनिधG अिधिनयम, 1951 संसद क
े साथ-साथ
पुरानी िवधानसभाओं क
े चुनावों क
े संचालन क
े संबंध म+ एक पूण
संिहता है। इस अिधिनयम क
े एस 29ए म+ चुनाव आयोग क
े संघों
और िनकायों क
े साथ राजनीितक दलों क
े $प म+ पंजीकरण
करने का ;ावधान है। इस तरह क
े एक संघ को उप-धारा क
े
तहत इस अिधिनयम क
े ;योजनों क
े िलए एक राजनीितक दल
क
े $प म+ पंजीकरण क
े िलए चुनाव आयोग को आवेदन करने
की आवšकता है। (मA) उसक
े । उप-सेक
ं ड। (2) ऐसे संघों या
िनकायों पर िवचार करता है जो लोगों क
े ;ितिनिधG (संशोधन)
अिधिनयम क
े ;ारंभ म+ अH˜G म+ थे, 1988 इस तरह क
े शु$
होने से 60 िदनों क
े भीतर और उसक
े गठन की तारीख क
े बाद
30 िदनों क
े भीतर उसक
े बाद गिठत संघों या िनकायों क
े िलए
ऐसा आवेदन करने क
े िलए। अI आवšक िववरण िजनका
ऐसे आवेदनों म+ उ ेख िकया जाना आवšक है, उप-भाग क
े
अंतगत िदए गए हA। (4). उन सभी आवšक िववरणों पर िवचार
करने क
े बाद िज'+ धारा 29ए की उप-धारा (4) और (5) क
े
तहत ;˜ुत करना आवšक हैया ऐसे िववरण जो अIथा
;˜ुत िकए जाने की आवšकता है, और आवšक और
;ासंिगक कारकों को ान म+ रखते `ए और एसोिसएशन क
े
;ितिनिधयों को सुनवाई का एक उिचत अवसर देने क
े बाद
आयोग को यह तय करना है िक टीसी एसोिसएशन को एक
राजनीितक दल क
े $प म+ पंजीक
ृ त कर+ या नहीं रिज5र करने
क
े िलए। आयोग का िनणय अंितम होगा जैसा िक उप-धारा क
े
तहत ;दान िकया गया है। (8) उसक
े । अिधिनयम का भाग V
चुनाव क
े संचालन से संबंिधत ;िNया क
े बारे म+ िव˜ार से
बताता है। चुनाव आयोग /ारा एस. 30 क
े तहत नामांकन आिद
की तारीख+ तय करने क
े तहत एक अिधसूचना जारी करना
आवšक है, जो चुनाव ;िNया को गित ;दान करता है। अंतत:
पBरणाम की घोषणा की अिधसूचना क
े साथ चुनाव ;िNया एस
67 क
े तहत आवšकतानुसार पूरी की जाती हैअिधिनयम
का। िकसी चुनाव को संिवधान क
े भाग VI क
े अ ाय III क
े तहत
िदए गए आधार पर और िनधाBरत तरीक
े से चुनौती दी जा सकती
है और िकसी अI तरीक
े से नहीं। जब पूव†… अिधिनयम क
े
;ावधानों क
े तहत चुनाव की घोषणा की जाती है िक चुनाव म+
भाग लेने क
े िलए पाY उWीदवारों को चुनाव िच' आवंिटत
करने की ;िNया शु$ की जाती है। चुनाव िच' (आर ण और
आवंटन) आदेश, 1968 चुनाव आयोग /ारा संसद और
िवधानसभा चुनावों म+ चुनाव म+ िविनदcश, आर ण, पसंद और
आवंटन क
े िलए और साथ ही उसक
े संबंध म+ राजनीितक दल
की माIता क
े िलए जारी िकया गया है। उससे जुड़े मामलों क
े
िलए। 1968 क
े आदेश का पैरा 2 (एच) राजनीितक दल को
पBरभािषत करता है, िजसका अथ है एक राजनीितक दल क
े
$प म+ आयोग क
े साथ पंजीक
ृ त €H…गत नागBरकों का एक
संघ या िनकाय।लोक ;ितिनिधG अिधिनयम, 1951 का एस
29ए । पैरा 3 आयोग को गैर राजनीितक दल क
े $प म+
पंजीकरण क
े िलए आवेदन क
े साथ ;˜ुत िकए जाने वाले
अितBर… िववरण ;दान करता है। पैरा 5 ;तीक क
े वग करण
का ;ावधान करता है अथात या तो आरि त या मु…। पैरा 5 का
उप-पैरा (2) माIता ;ा~ राजनीितक दल क
े िलए उस पाट
/ारा खड़े िकए गए चुनाव लड़ने वाले उWीदवारों को िवशेष
आवंटन क
े िलए आरि त ;तीक ;दान करता है। एक मु…
;तीक एक आरि त ;तीक क
े अलावा एक ;तीक है। पैरा 6 म+
राजनीितक दलों क
े वग करण का ;ावधान है और पैरा 7 म+
माIता ;ा~ राजनीितक दलों की दो Dेिणयों का ;ावधान
है। चूंिक वतमान मामले म+ तक पैरा 6 और 7 से संबंिधत है,
इसिलए उ'+ नीचे पुन: ;˜ुत िकया गया है:-
"6 राजनीितक दलों का वग करण (1) .....
(2) एक राजनीितक दल को एक रा: म+ एक माIता ;ा~
राजनीितक दल क
े $प म+ माना जाएगा, यिद और क
े वल यिद या
तो Cl म+ िनिदk शत¡। (ए) हA, या सीएल म+ िनिदk शत। (बी) उस
पाट /ारा पूरा िकया जाता है और अIथा नहीं, अथात्:-
(ए) िक ऐसी पाट
(ए) लगातार पांच साल की अविध क
े िलए राजनीितक
गितिविधयों म+ लगा `आ है और
(बी) उस रा: म+ आम चुनाव म+, लोक सभा क
े िलए, या, जैसा
भी मामला हो, िवधान सभा क
े िलए, वतमान म+ अH˜G म+ है
और काय कर रहा है :- (i) कम से कम एक उस सदन क
े
;¢ेक प’ीस सद6ों या उस रा: से िनवािचत उस सं@ा क
े
िकसी अंश क
े िलए लोक सभा का सद6; "या" (ii) उस
िवधानसभा क
े ;¢ेक तीस सद6ों या उस सं@ा क
े िकसी भी
अंश क
े िलए उस रा: की िवधान सभा म+ कम से कम एक
सद6;
(बी) िक रा: म+ आम चुनाव म+ उस पाट /ारा खड़े िकए गए
सभी चुनाव लड़ने वाले उWीदवारों /ारा वैध मतों की क
ु ल
सं@ा, या जैसा भी मामला हो, िवधान सभा म+ उस समय क
े िलए
अH˜G और काय;णाली (एक िनवाचन ेY म+ ऐसे ;¢ेक
चुनाव लड़ने वाले उWीदवार क
े वैध मतों को छोड़कर जो
िनवािचत नहीं `आ है और उस िनवाचन ेY म+ सभी चुनाव
लड़ने वाले उWीदवारों /ारा डाले गए वैध मतों की क
ु ल सं@ा
का कम से कम एक-बारहवाँ िहaा नहींहै) कम नहींहै रा: म+
ऐसे आम चुनाव म+ लड़ने वाले सभी उWीदवारों /ारा डाले गए
वैध मतों की क
ु ल सं@ा क
े चार ;ितशत से अिधक (उन
उWीदवारों क
े वैध मतों सिहत, िज'ोंने अपनी जमा रािश ज¤
कर ली है)।
International Journal of Trend in Scientific Research and Development @ www.ijtsrd.com eISSN: 2456-6470
@ IJTSRD | Unique Paper ID – IJTSRD49892 | Volume – 6 | Issue – 3 | Mar-Apr 2022 Page 2009
(3) शंकाओं को दू र करने क
े िलए यह घोिषत िकया जाता है िक
Cl. (ए) या (बी) क
े उप-पैरा (2) को िकसी राजनीितक दल /ारा
पूरा िकया गया नहीं माना जाएगा यिद लोक सभा या रा: की
िवधानसभा का कोई सद6 उस राजनीितक दल का सद6 बन
जाता है उस सदन क
े िलए या, जैसा भी मामला हो, उस
िवधानसभा क
े िलए उसका चुनाव।"
"7. माIता ;ा~ राजनीितक दलों की दो Dेिणयां:- (1) यिद
िकसी राजनीितक दल को चार या अिधक रा:ों म+ अनुmे द 6
क
े अनुसार एक माIता ;ा~ राजनीितक दल क
े $प म+ माना
जाता है, तो इसे कहा जाएगा, और होगा और HSथित का आनंद
लेगा पूरे भारत म+ एक "राkl ीय दल"; और यिद िकसी राजनीितक
दल को चार से कम रा:ों म+ उस पैरा‹ाफ क
े अनुसार एक
माIता ;ा~ राजनीितक दल क
े $प म+ माना जाता है, तो इसे
रा: या रा:ों म+ क
े $प म+ जाना जाएगा, और होगा जो एक
माIता ;ा~ राजनीितक दल है।
(2) उप-अनुmे द (1) म+ िकसी भी बात क
े होते `ए भी, ;¢ेक
राजनीितक दल जो इस आदेश क
े शु$ होने से ठीक पहले एक
ब`-रा:ीय दल है, ऐसे शु$ होने पर, एक राkl ीय पाट होगी
और तब तक बनी रहेगी जब तक िक यह समा~ नहींहो जाती।
ऐसे ;ारंभ क
े बाद `ए िकसी भी आम चुनाव क
े पBरणाम पर एक
राkl ीय पाट बन+।
(3) उप-अनुmे द (1) म+ िकसी भी बात क
े होते `ए भी, ;¢ेक
राजनीितक दल जो इस आदेश क
े शु$ होने से ठीक पहले एक
रा: म+ एक माIता ;ा~ राजनीितक दल है, एक ब`-रा:ीय
दल क
े अलावा, जैसा िक पूव†… है, ऐसे ;ारंभ पर, उस रा: म+
पाट का रा: है और ऐसा तब तक बना रहेगा जब तक िक उस
रा: म+ ऐसे ;ारंभ क
े बाद `ए िकसी भी आम चुनाव क
े पBरणाम
पर रा: म+ एक पाट नहीं रह जाती है।
9. आदेश क
े पैरा 8 म+ राkl ीय और रा: दलों क
े उWीदवारों
/ारा ;तीकों क
े चुनाव और उनक
े आवंटन का ;ावधान है। उप-
पैरा (1) क
े तहत एक राkl ीय पाट क
े उWीदवार को उस पाट
क
े िलए आरि त ;तीक क
े आवंटन क
े िलए पहली पसंद दी
जाती है और कोई अI ;तीक नहीं। इसी तरह उप-पैरा (2)
रा: म+ पाट क
े िलए आरि त चुनाव िच' क
े आवंटन क
े िलए
रा: पाट /ारा खड़े उWीदवारों को िवक“ देता है और कोई
अI ;तीक नहीं। पैरा 12 अI उWीदवारों /ारा ;तीकों क
े
चुनाव और उसक
े आवंटन को संदिभत करता है। पैरा 18 िनदcश
और िनदcश जारी करने क
े िलए आयु… की शH…यों को
संदिभत करता है। यह इस ;कार पढ़ता है:--
"18. िनदcश और िनदcश जारी करने की आयोग की शH…:
आयोग िनदcश और िनदcश जारी कर सकता है:-
(ए) इस आदेश क
े िकसी भी ;ावधान क
े >kीकरण क
े िलए;[4]
(बी) ऐसे िकसी ;ावधान क
े काया¥यन क
े संबंध म+ उ•‘ होने
वाली िकसी भी किठनाई को दू र करने क
े िलए; और
(सी) आर ण और ;तीकों क
े आवंटन और राजनीितक दलों की
माIता क
े संबंध म+ िकसी भी मामले क
े संबंध म+, िजसक
े िलए
यह आदेश कोई ;ावधान नहीं करता है या अपया~ ;ावधान
करता है, और ;ावधान सुचा$ और €वHSथत क
े िलए
आवšक है आयोग की राय म+ चयन का संचालन।"
10. पूव†… आदेश का पैरा 6 आयोग को यह िनिदk करने क
े
िलए अिधक
ृ त करता है िक जब कभी आवšक हो िक
राजनीितक दल माIता ;ा~ राजनीितक दल या गैर-माIता
;ा~ राजनीितक दल हA। एक राजनीितक दल, जैसा िक उप-
पैरा (2) म+ ;दान िकया गया है, को रा: म+ एक माIता ;ा~
पाट क
े $प म+ माना जाना चािहए, यिद और क
े वल उस पाट
/ारा पूरा िकया गया हो और अIथा नहीं। (आदेश म+ िनिदk शत¡
- एड।) एक राजनीितक दल क
े िलए ¦ॉज (ए) क
े तहत माIता
;ा~ करने क
े िलए आवšक यो¨ताएं तीन हA: (i) ऐसे
राजनीितक दल की लगातार पांच साल की अविध क
े िलए
सगाई, खंड (ए) म+ िनधाBरत पूव†… शत¡ ऐसे राजनीितक दल क
े
सद6ों क
े लोगों क
े घर क
े चुनाव को संदिभत करती हA खंड (बी)
ऐसी पाट /ारा खड़े सभी चुनाव लड़ने वाले उWीदवारों क
े वैध
वोटों की सं@ा को संदिभत करती है। िवधानसभा क
े आम
चुनाव वतमान म+ अH˜G म+ हA और काय कर रहे हA और रा:
म+ आम चुनाव लड़ने वाले सभी उWीदवारों /ारा डाले गए वैध
मतों की क
ु ल सं@ा क
े 4 ;ितशत से कम नहीं हA। इस ;कार
यह खंड माIता ;ा~ पाट क
े उWीदवारों /ारा सुरि त िकए
जाने क
े िलए आवšक वोटों की Iूनतम सं@ा को संदिभत
करता है। पैरा 7 क
े उप-पैरा (3) म+ ;ावधान है िक जब कोई
माIता ;ा~ राजनीितक दल ऐसा नहींरहेगा। इससे पता चलता
है िक आम चुनाव होने क
े बाद राजनीितक दलों की माIता और
माIता र• करने की ;िNया शु$ करनी होती है।
11. 1968 क
े ;तीक आदेश क
े ;ावधानों की संवैधािनक वैधता
को सव†’ Iायालय ने कH'या लाल उमर बनाम आरक
े िYवेदी
, एआईआर 1986 एससी 111 म+ पहले ही बरकरार रखा
है। सािदक अली बनाम सु;ीम कोट क
े पहले क
े फ
ै सले पर
भरोसा करते `ए । भारत िनवाचन आयोग , एआईआर 1972
एससी 187, यह िन•ानुसार आयोिजत िकया गया था:-
"चुनाव आयोग को राजनीितक दलों को माIता देने और उनक
े
बीच या राजनीितक दल क
े भीतर अलग-अलग समूहों क
े बीच
उ•‘ होने वाले िववादों को तय करने का अिधकार है। इसे
;तीक आदेश जारी करने का भी अिधकार है। यह नहींकहा जा
सकता है िक जब आयोग ने ;तीक आदेश जारी िकया तो यह
अपनी ओर से नहींबH© िकसी अI ;ािधकरण क
े ;ितिनिध क
े
$प म+ ऐसा कर रहा था। ;तीक आदेश जारी करने की शH…
आयोग म+ िनिहत चुनावों क
े अधी ण, िनदcशन और िनयंYण की
शH… म+ समझी जाती है।"
12. यह देखा गया िक ;तीक आदेश, 1968 क
े ;ावधान
संवैधािनक $प से वैध थे ^ोंिक आयोग ने कला क
े तहत अपनी
शH… ;ा~ की थी। संिवधान क
े 324(1) . पूव†… अनुmे द उन
ेYों म+ संचािलत होता है जो िवधान /ारा खाली छोड़ िदए गए हA
और श— "अधी ण", "िदशा" और "िनयंYण" क
े साथ-साथ
"सभी चुनावों का संचालन" श— €ापक श— हA िजनम+ ऐसे
सभी ;ावधान करने की शH… शािमल है। मोिहंदर िसंह िगल
बनाम मु@ चुनाव आयु…, नई िद ी , एआईआर 1978 एससी
851 और एसी जोस बनाम िसवन िप ई , एआईआर 1984
एससी 921 म+ सु;ीम कोट क
े पहले क
े फ
ै सलों पर भरोसा िकया
गया था। क'ैया लाल क
े मामले (सु;ा) म+ सामाI आदेश और
िविशk आदेश पाBरत करने क
े संबंध म+ पैरा 17 म+ िन•ानुसार
देखा गया:
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@ IJTSRD | Unique Paper ID – IJTSRD49892 | Volume – 6 | Issue – 3 | Mar-Apr 2022 Page 2010
"यह एक िविशk या एक सामाI आदेश हो सकता है। िकसी
को यह भी याद रखना होगा िक इस मामले म+ शH… का ªोत
संिवधान है, देश का सव†’ कानून, जो सभी कानूनी शH…यों
का भंडार और ªोत है और िकसी भी शH… /ारा ;दान की गई
शH… है। एक िविशk उ•ेš क
े िलए संिवधान का उदारतापूवक
अथ लगाया जाना चािहए तािक िजस उ•ेš क
े िलए शH…
;दान की गई है उसे ;भावी ढंग से ;ा~ िकया जा सक
े । इस
कोण से देखने पर यह नहींकहा जा सकता है िक ;तीक आदेश
क
े िकसी भी ;ावधान की ओर से अिधकार की कमी से ‹˜ है
आयोग, िजसने इसे जारी िकया है।"
13. ;तीक आदेश 1968 की संवैधािनक वैधता क
े संबंध म+ ऐसी
HSथित का सामना करते `ए जैसा िक सु;ीम कोट /ारा पहले ही
िनधाBरत िकया गया है, यािचकाकताओं क
े िव/ान वकील ने तक
िदया िक अ>kता और अपया~ता क
े कारण ;तीक आदेश को
कानून म+ खराब माना जाना चािहए . इस दावे को दोहराने क
े
िलए िक ऊपर बताई गई HSथित पर िवचार नहीं िकया गया था
िक राजनीितक दल चुनावों का बिहŠार कर+गे या चुनाव म+ भाग
लेने से परहेज कर+गे, Iायालय को ;तीक आदेश 1968 क
े
;ावधानों का पूरक होना चािहए। ऐसी HSथितयों को कवर करने
क
े िलए जहां वैध कारणों से ऐसे राजनीितक दलों ने चुनाव म+
भाग नहीं िलया, उ'+ माIता नहीं खोनी चािहए। हालांिक >k
$प से आकषक, तक िबना िकसी सार क
े है। एक
े रॉय बनाम
भारत संघ म+ सव†’ Iायालय, एआईआर 1982 एससी 710:
(1982 सीआर एलजे 340) ने देखा िक एक क़ानून क
े ;ावधानों
को अ>kता क
े आधार पर नहीं हटाया जा सकता है- उस
HSथित म+ राkl ीय सुर ा अिधिनयम क
े ;ावधान िवचाराधीन
थे। इसे िन•ानुसार आयोिजत िकया गया था:--
"भारत की र ा', 'भारत की सुर ा, रा: की सुर ा और िवदेशी
शH…यों क
े साथ भारत क
े संबंध, जो अिधिनयम की धारा 3 म+
उH Hखत हA, की अवधारणाएं िकसी महान िनि-तता या
िनि-तता की नहीं हA। लेिकन ब`त ;क
ृ ित म+ हA। उन चीजों की
िज'+ पBरभािषत करना मुH®ल है। इसिलए अिधिनयम क
े एस
3 क
े अय¯ ;ावधानों को उनकी अ>kता और अिनि-तता क
े
आधार पर नहीं हटाया जा सकता है।"
िन0ष/
मेसस म+ िविधयों की €ा@ा क
े सामाI िस‡ांत क
े संबंध म+
। िगरधारी लाल एं ड संस बनाम बलबीर नाथ माथुर , एआईआर
1986 एससी 1499। िनणय क
े पैरा 9 म+ िन•िलHखत िस‡ांत
िनधाBरत िकया गया था:-
"िकसी क़ानून की €ा@ा करने म+ Iायालय का ;ाथिमक और
सबसे महGपूण काय िवधाियका क
े इरादे का पता लगाना है,
वा˜िवक या आरोिपत। इरादे का पता लगाने क
े बाद, Iायालय
को क़ानून की €ा@ा करने का ;यास करना चािहए तािक व˜ु
और उ•ेš को बढ़ावा िदया जा सक
े और आगे बढ़ाया जा सक
े ।
इस उ•ेš क
े िलए, जहां आवšक हो, Iायालय इस िनयम से
भी हट सकता है िक सादे श—ों की €ा@ा उनक
े >k अथ क
े
अनुसार की जानी चािहए। भाषा की सरलता क
े िलए न° और
मूक ;˜ुत करने की आवšकता नहींहै। पेट+ट अIाय से बचने
क
े िलए , िवसंगित या बेतुकापन या िकसी कानून क
े अमाI होने
से बचने क
े िलए, Iायालय को िनमाण क
े तथाकिथत सुनहरे
िनयम से िवदा करना उिचत होगा तािक यिद आवšक हो तो
िलHखत श— को पूरक करक
े अिधिनयम क
े उ•ेš और उ•ेš
को ;भािवत िकया जा सक
े । ।"[5]
14. पूव†… िनणयों क
े अनुपात से यह िनधाBरत नहीं िकया जा
सकता है िक उ’ Iायालय कला क
े तहत अिधकार ेY का
;योग करता है। संिवधान की धारा 226 म+ संशोधन या क़ानून
जोड़कर िवधानमंडल क
े काय™ का ;योग कर सकता है ऐसा
काय िवधाियका का है न िक Iायालयों का। Iायालय क
े वल
एक या दो श—ों को पूरक कर सकता है जो िक क़ानून की
वैधता को बनाए रखने क
े िलए आवšक समझे जाते हA जो
िकसी अिधिनयम क
े उ•ेš और उ•ेš को बढ़ावा देगा। इसक
े
अलावा, Iायालय को क़ानून बनाने या संशोिधत करने क
े िलए
िवधायी ेYािधकार क
े दायरे म+ जाने की कोई शH… नहींहै। इस
संदभ म+ आिसफ हमीद बनाम जWू और क±ीर रा: , AIR
1989 SC 1899 म+ सव†’ Iायालय क
े िनणय का संदभ िलया
जा सकता है। िनणय क
े पैरा 17 म+ यह देखा गया था:
"िवधानमंडल, कायपािलका और Iायपािलका को संिवधान क
े
तहत िनधाBरत अपने ेYों क
े भीतर काय करना है। कोई भी अंग
दू सरे को सौंपे गए काय™ को हड़प नहीं सकता है। संिवधान इन
अंगों क
े िनणय पर भरोसा करता है िक वे इसम+ िनधाBरत ;िNया
का सEी से पालन करक
े अपने िववेक का ;योग कर+ और
काम कर+। लोकतंY का कामकाज उसक
े ;¢ेक अंग की ताकत
और pतंYता पर िनभर करता है।"
िनण/य क
ेपैरा 19 म4 आगे
िन6 7कार से
दे
खा गया:-
"संिवधान Iायालय को नीित क
े मामलों म+ कायपािलका को
िनदcश देने या सलाह देने की अनुमित नहीं देता है, जो संिवधान
क
े तहत िवधाियका या कायपािलका क
े दायरे म+ आता है, बशतc
ये ;ािधकरण अपनी संवैधािनक सीमाओं या वैधािनक शH…यों
का उ ंघन न कर+।"
िनण/य क
ेपैरा 21 म4 आगे
िन6 7कार से
दे
खा गया:-
"संिवधान ने िवधाियका क
े िलए काय करने क
े िलए िव˜ृत
;िNया िनधाBरत की है। संिवधान क
े तहत िवधाियका अपने ेY
म+ सव†’ है। यह क
े वल िवधाियका क
े िलए है िक कब और
िकस िवषय-व˜ु क
े संबंध म+, कानून हA अिधिनयिमत िकया
जाना है। इस संबंध म+ Iायालयों /ारा िवधाियका को कोई
िनदcश जारी नहीं िकया जा सकता है।"
यािचकाकताओं का यह 5Aड िक इस Iायालय को चुनाव
आयोग को उस राजनीितक दल की माIता र• नहीं करने क
े
िलए अिधक
ृ त करने क
े िलए 1968 क
े ;तीक आदेश क
े पैरा 6 म+
"अपवाद" या "परंतु" क
े $प म+ ;ावधान करना चािहए जो भाग
लेने म+ िवफल रहा था। आम चुनावों म+ वैध कारणों से। कानून
/ारा इस तरह क
े पाµNम की अनुमित नहींहै। ;तीक आदेश
1968 क
े पैरा 6 और 7 क
े ;ावधान माI हA जैसा िक सव†’
Iायालय ने पहले ही बरकरार रखा है। वे िकसी भी अपया~ता
क
े कारण खराब नहीं हA।
15. िकसी राजनीितक दल को इस $प म+ माIता िदए जाने का
अिधकार, जैसा िक पहले ही ऊपर उ ेख िकया गया है, संिविध
का िनमाण है। ऐसा अिधकार क
े वल संिविध म+ ;दान की गई
आवšकताओं की पूित पर ;दान िकया जाता है अथात जैसा
िक 1968 क
े ;तीक आदेश क
े पैरा 6(ए) या (बी) क
े तहत ;दान
International Journal of Trend in Scientific Research and Development @ www.ijtsrd.com eISSN: 2456-6470
@ IJTSRD | Unique Paper ID – IJTSRD49892 | Volume – 6 | Issue – 3 | Mar-Apr 2022 Page 2011
िकया गया है। दू सरे श—ों म+, िकसी राजनीितक दल की माIता
या माIता र• की जानी चािहए। अिधिनयम /ारा िनधाBरत चार
कोनों या सीमाओं क
े भीतर। इस संबंध म+ एनपी पो‘ुpामी
बनाम राहत अिधकारी, नामखाल िनवाचन ेY म+ सव†’
Iायालय क
े िनणय का संदभ िलया जा सकता है ।, एआईआर
1952 एससी 64. मतदान क
े अिधकार या चुनाव क
े िलए
उWीदवार क
े $प म+ खड़े होने पर िटOणी करते `ए यह देखा
गया िक यह एक नागBरक अिधकार नहीं था बH© क़ानून या
िवशेष कानून का एक ;ाणी है और इसक
े /ारा लगाई गई
सीमाओं क
े अधीन होना चािहए। फ
ै सले क
े पैरा 18 म+ आगे कहा
गया है:-
"सEी से बोलते `ए, यह िवधाियका का एकमाY अिधकार है
10 अपने pयं क
े सद6ों क
े चुनाव से संबंिधत सभी मामलों की
जांच और िनधारण करता है, और यिद िवधाियका इसे अपने
हाथों से लेती है और एक िवशेष Iायािधकरण म+ एक पूरी तरह
से नया और अ¶ात अिधकार ेY िनिहत करती है , उस िवशेष
ेYािधकार का ;योग उस कानून क
े अनुसार िकया जाना चािहए
जो इसे बनाता है।"
16. िNयाLक त• िक अपेि त Iूनतम मानक 1968 क
े
;तीक आदेश क
े पैरा 6(ए) या (बी) म+ िनधाBरत िकया गया था,
यह दशाता है िक यिद कोई माIता ;ा~ राजनीितक दल
चुनावों म+ कोई वोट या कोई सीट हािसल नहीं करेगा, तो यह
होगा माIता र• हो।
17. न तो आयोग क
े िलए और न ही उस ;योजन क
े िलए
Iायालय क
े िलए, िकसी माIता ;ा~ राजनीितक दल क
े िकसी
सद6 क
े िनवािचत न होने या िकसी वोट को सुरि त न कराने
क
े कारणों की वा˜िवकता, युH…संगतता या पया~ता म+ जाना
या िनधाBरत करना आवšक नहीं है। दू सरे श—ों म+ ;तीक
आदेश क
े पैरा 6 (ए) या (बी) क
े तहत ;दान िकए गए अनुसार
ऐसे राजनीितक दल का ;दशन अपेि त नहींहै। आयोग को यह
िनधाBरत करने क
े िलए िक ^ा िकसी राजनीितक दल को
माIता दी जानी है या गैर-माIता ;ा~ है या नहीं, यह िनधाBरत
करने क
े िलए िवधानसभा क
े आम चुनावों क
े अH˜G और
कामकाज क
े पBरणाम को ान म+ रखना था। यह गिणतीय
गणना का मामला था। ऐसी HSथित म+ िववेक का तG पूरी तरह से
अनुपHSथत था।
18. यािचकाकताओं क
े िव/ान अिधव…ा ने आगे जोर देकर
कहा िक ;तीक आदेश, 1968 क
े पैरा 6 म+ ;ावधान, िक आम
चुनावों म+ ;दशन को क
े वल राजनीितक दलों की माIता क
े
उ•ेš से देखा जाना था, मनमाना और अनुिचत है। उनक
े
अनुसार एक लोकतांिYक ;िNया चुनाव से पहले और चुनाव क
े
बाद भी जारी रहती है। रा: या संसद म+ िववािदत आम चुनावों
से ठीक पहले `ए चुनावों म+ यािचकाकता-राजनीितक दलों क
े
;दशन को ान म+ रखा जा सकता है। यह सहमित यो¨ता से
रिहत है और कानून /ारा समिथत नहींहै। ऊपर िदए गए पैरा 6
(ए) और (बी) को पढ़ने से यह >k $प से >k हो जाता है िक
यह िवधानसभा क
े मौजूदा और कामकाज क
े आम चुनावों का
पहला ;दशन है जो आवšक है, राजनीितक दलों की माIता
क
े ;योजनों क
े िलए िवचार िकया जाना। उपरो… पैरा 6 म+
"अगर और क
े वल अगर" और "अIथा नहीं" श— कोई संदेह
नहींछोड़ता है िक आदेश तैयार करने वाले ;ािधकारी का इरादा
यह था िक आम चुनावों म+ राजनीितक दलों क
े ;दशन को ही
देखा जाना है। अIथा भी यह ;ावधान मनमानी या अpSथता
का आभास नहीं देता है। यह अIथा अवा˜िवक होगा यिद
;¢ेक चुनाव आम या अलिवदा क
े बाद, ऐसा अžास िकया
जाता है। माIता ;ा~ दल उथल-पुथल और अिनि-तता की
HSथित म+ रह+गे यिद हर क
ु छ महीनों या वष™ क
े बाद माIता
;ा~ राजनीितक दल की HSथित म+ संशोधन िकया जाता है।
19. यािचकाकताओं क
े साथ कोई अIाय नहीं, बH© गंभीर
नहीं है िक वह कला क
े तहत अिधकार ेY क
े ;योग म+ उ’
Iायालय /ारा ह˜ ेप की मांग करे। ऐसे ही मामलोंम+ संिवधान
क
े 226 . चुनाव आयोग /ारा 1968 क
े ;तीक आदेश क
े पैरा 6
(ए) और (बी) म+ उH Hखत मामलों क
े संबंध म+ िनŠष पर
प`ंचने क
े िलए, जैसा िक पहले ही ऊपर कहा गया है, कोई
Iाियक ;िNया करने की आवšकता नहींहै। इन यािचकाओं
म+ दबाया गया एक ऐसा आधार नहीं है िक चुनाव को र• िकया
जा सकता है और यह कड़ाई से नहीं कहा जा सकता है िक
परािजत उWीदवारों या यािचकाकता-राजनीितक दलों क
े िलए
चुनाव यािचका का वैकH“क उपाय उपल· होगा। िजन आधारों
पर चुनाव र• िकया जा सकता है, वे S. 100 . म+ िदए गए
हAजन;ितिनिधG कानून क
े तहत। जैसा भी हो, कला क
े तहत
ह˜ ेप का कोई मामला नहीं बनता है। संिवधान क
े 226 क
े
$प म+ यािचकाकता-राजनीितक दलों को राजनीितक
गितिविधयों म+ शािमल होने और चुनावों, आम या अI, संसद या
िवधानसभाओं या अI लोकतांिYक संSथानों म+ भाग लेने से
वंिचत नहीं िकया जाता है।
20. मामले का एक और कोण है िजस पर ान देने की
आवšकता है। लोक ;ितिनिधG अिधिनयम क
े एस 79
(डी)चुनावी अिधकार को पBरभािषत करता है िक िकसी €H…
क
े खड़े होने या न खड़े होने का अिधकार, उWीदवार होने से
पीछे हटने या न हटने या वोट देने या िकसी भी चुनाव म+ मतदान
से परहेज करने का अिधकार। इस ;कार िकसी को भी मतदान
करने या न करने क
े िलए बा नहीं िकया जा सकता है। इसी
तरह िकसी को भी चुनाव लड़ने या न करने क
े िलए बा नहीं
िकया जा सकता है। यह पूरी तरह से संबंिधत €H… की मधुर
इmा और िववेक है िक उसे कोई चुनाव लड़ना है या नहीं। इसी
तरह यह पूरी तरह से संबंिधत राजनीितक दल क
े िलए है िक वह
िकसी भी चुनाव म+ भाग लेने या न लेने का फ
ै सला करे। इस तरह
क
े िनणय या तो कारवाई या िनH¸यता या अIथा को Iायोिचत
ठहराने क
े िलए Iायालयों /ारा जांच का िवषय नहीं हो सकते
हA। चुनाव की वैधता ऐसे काय™ या िनH¸यता पर िनभर नहीं
है। भारत क
े चुनाव आयोग बनाम िशवाजी म+ सव†’ Iायालय,
एआईआर 1988 एससी 61, िनणय क
े पैरा 6 म+ िन•ानुसार देखा
गया है: -
"संिवधान क
े अनुmे द 329 म+ िनिहत गैर-अवरोधक खंड क
े
म•ेनजर संिवधान क
े अनुmे द 226 क
े तहत िकसी भी आधार
पर चुनाव पर सवाल उठाने वाली यािचका पर िवचार करने क
े
िलए उ’ Iायालय की शH… छीन ली गई है।"
एनपी पो‘ुpामी क
े मामले (सु;ा) म+ िनणय को उसम+ संदिभत
िकया गया था।
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21. यहां तक िक िकसी राजनीितक दल की माIता र• करने
पर भी चुनाव म+ भाग लेने सिहत राजनीितक गितिविधयों को
आगे बढ़ाने क
े उसक
े अिधकारों पर कोई बंधन नहीं रखा जाता
है। माIता र• करने का एकमाY ;भाव यह है िक भिव¹ क
े
चुनाव म+ ;तीकों क
े चुनाव क
े मामले म+ अनारि त ;तीकों से
बाहर होगा। दू सरे श—ों म+ माIता ;ा~ राजनीितक दलों क
े
िलए आरि त ;तीक इसकी माIता समा~ होने क
े बाद
उपल· नहीं होंगे। हालांिक, गैर-माIता ;ा~ राजनीितक दल
जैसे राजनीितक दल नए ;तीकों का चुनाव कर सकते हA और
ऐसे राजनीितक दलों क
े उWीदवार ऐसे ;तीकों क
े आवंटन क
े
हकदार होंगे। अI उWीदवारोंक
े पास िनि-त $प से शेष अI
;तीकों म+ से िवक“ होगा। ऐसे राजनीितक दल क
े उWीदवार
क
े चुनाव लड़ने का अिधकार इस ;कार िकसी राजनीितक दल
की माIता समा~ करने से नहीं छीना जाता है।
22. समा~ करने क
े िलए, ;तीक आदेश | 1968 म+ वतमान
मामले म+ पेश की गई HSथितयों जैसे चुनावों का बिहŠार करने
जैसी HSथितयों को शािमल करने क
े िलए €ापक है ^ोंिक ऐसे
मामले ;दशन क
े होंगे िजसक
े पBरणामp$प शूI पBरणाम
होंगे और ऐसे राजनीितक दल ;तीक आदेश क
े पैरा 6 क
े तहत
गैर-माIता ;ा~ करने क
े िलए उŒरदायी होंगे, 1968. पूव†…
आदेश म+ िकसी संशोधन की आवšकता नहीं है और चुनाव
आयोग को उसम+ संशोधन करने का कोई िनदcश नहीं िदया जा
सकता है। िजस आधार पर एक राजनीितक दल चुनाव म+ भाग
लेने या न करने का फ
ै सला करता है, वह चुनाव आयोग क
े सम
या इस Iायालय क
े सम , िकसी भी चुनाव यािचका म+ या कला
क
े तहत एक यािचका म+ उिचत नहीं है। संिवधान क
े 226 और
227। यह पूरी तरह से संबंिधत €H… या संबंिधत राजनीितक
दल क
े िलए मतदान करने या चुनाव म+ भाग लेने क
े िलए
है। इसक
े साथ कोई बा ता नहीं जुड़ी है और न ही िकसी को
जोड़ा जा सकता है। िकसी भी कारण से राजनीितक दलों /ारा
गैर-भागीदारी, माIता र• करने की अयो¨ता अिजत
करेगी। ऊपर उH Hखत दो मामलोंम+ यािचकाकता-राजनीितक
दलों की माIता र• करने वाले आदेश वैध और कानून क
े
अनुसार हA।
23. िशरोमिण अकाली दल (बादल समूह) /ारा दायर यािचका म+
एक अI ;” पर बहस की गई है िक चुनाव आयोग /ारा पाBरत
आदेश शूI है और ;ाक
ृ ितक Iाय क
े िस‡ांतों का पालन न
करने क
े आधार पर र• िकया जा सकता है। जहां तक आ ेिपत
आदेश पाBरत होने से पहले यािचकाकता को नोिटस क
े साथ
िविधवत तामील नहीं िकया गया था। यािचकाकता क
े िव/ान
अिधव…ा ने कहा है िक यािचकाकता को िबना िकसी नोिटस क
े
पाBरत िकया गया ऐसा आदेश ;ारंभ से ही अमाI होगा और
इस तक क
े समथन म+ ;काश िसंह बादल म+ इस Iायालय की
पूण पीठ क
े अवलोकन का संदभ िदया गया है। भारत संघ,
एआईआर 1987 पी एं ड एच 263। यह मामला अकाली दल
िवधायक दल क
े बंटवारे से जुड़ा है। एक qेकवे अकाली दल
िवधायक दल का गठन िकया गया था िजसे अ ने माIता दी
थी। उनक
े उŒरािधकारी ने मूल अकाली दल पाट क
े कहने पर
पाट क
े अलग समूह क
े सद6ों को अयो¨ घोिषत करने का
मामला उठाया। इस स»भ म+ िनणय क
े पैरा 40 म+ िन•ानुसार
देखा गया:-
"आदेश पाBरत करने से पहले, qेकवे समूह को अलग पाट क
े
$प म+ माIता देते `ए, न तो राजनीितक दल और न ही इस
मामले म+ *िच रखने वाले िकसी अI €H… को सुना गया था,
यह िकसी को भी बा नहींकरेगा और इस अथ म+ इसे शु$ से
ही एक आदेश कहा जा सकता है। "
24. तक-िवतक क
े दौरान यह सुझाव िदया गया था िक यिद यह
पाया जाता है िक आ ेिपत आदेश पाBरत होने से पहले
यािचकाकता को सेवा नहीं दी गई थी या ठीक से सेवा नहीं दी
गई थी, तो दो पाµNम खुले हो सकते हA; एक यािचकाकता को
संबंिधत ;ािधकारी से एकप ीय आदेश को अलग करने क
े
उपाय क
े िलए आरोिपत करना था और दू सरा यह इस Iायालय
/ारा ऊपर बताए गए आधार क
े ;माण पर उस आधार पर
आदेश को र• करना था और चुनाव आयोग को िनदcश देना था।
कानून क
े अनुसार यो¨ता क
े आधार पर उिचत आदेश पाBरत
करने क
े िलए आगे बढ़+। इन दोनों पाµNमों को मामले क
े
त•ों और पBरHSथितयों म+ उपयु… नहींमाना जाता है। चूंिक दो
मामलों को िववािदत ;” क
े िनणय क
े िलए पूण पीठ को भेजा
गया था, जैसा िक पहले ही ऊपर उ ेख िकया गया है, इस
Iायालय से उसी का उŒर देने की अपे ा की गई थी और
उपरो… क
े $प म+ उŒर देने क
े बाद हमारी राय है िक
यािचकाकता की सुनवाई क
े बाद कानून क
े अनुसार उिचत
आदेश पाBरत करने क
े िनदcश क
े साथ मामले को चुनाव आयोग
को वापस भेजने से कोई उपयोगी उ•ेš पूरा नहीं होगा। या
एकतरफा आदेश को र• करने क
े िलए यािचकाकता को सीधे
चुनाव आयोग से संपक करने का िनदcश देने क
े िलए इसे अलग
िकए िबना। इस Iायालय /ारा कानून क
े ;” क
े िनणय क
े बाद,
चुनाव आयोग को उसी का पालन करना होगा और उसक
े
अनुसार आदेश पाBरत करने क
े िलए पािटयों की सेवा क
े
बाद। इस ;कार चुनाव आयोग क
े सम यािचकाकता की सेवा
या उिचत सेवा क
े त• क
े िववािदत ;” क
े संबंध म+ कोई और
िटOणी नहीं की जाती है। इस Iायालय /ारा कानून क
े ;” क
े
िनणय क
े बाद, चुनाव आयोग को उसी का पालन करना होगा
और उसक
े अनुसार आदेश पाBरत करने क
े िलए पािटयों की
सेवा क
े बाद। इस ;कार चुनाव आयोग क
े सम यािचकाकता
की सेवा या उिचत सेवा क
े त• क
े िववािदत ;” क
े संबंध म+
कोई और िटOणी नहीं की जाती है। इस Iायालय /ारा कानून
क
े ;” क
े िनणय क
े बाद, चुनाव आयोग को उसी का पालन
करना होगा और उसक
े अनुसार आदेश पाBरत करने क
े िलए
पािटयों की सेवा क
े बाद। इस ;कार चुनाव आयोग क
े सम
यािचकाकता की सेवा या उिचत सेवा क
े त• क
े िववािदत ;”
क
े संबंध म+ कोई और िटOणी नहीं की जाती है।[6]
संदभ/
[1] Singh, Pritam (2008). Federalism, Nationalism
and Development: India and the Punjab
Economy. London; New York: Routledge.
पृ॰ 3. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-415-45666-5. मूल से 30
अ;ैल 2014 को पुरालेHखत. अिभगमन ितिथ 17 जनवरी
2015.
[2] "Guru Nanak Jayanti [Hindi]: गु*नानक जयंती पर
जािनए नानक जी को गहराई से". S A NEWS (अं‹ेज़ी
म+).
International Journal of Trend in Scientific Research and Development @ www.ijtsrd.com eISSN: 2456-6470
@ IJTSRD | Unique Paper ID – IJTSRD49892 | Volume – 6 | Issue – 3 | Mar-Apr 2022 Page 2013
[3] "पंजाब का इितहास | भारतकोश".
m.bharatdiscovery.org.
[4] "Ëया आपको पता है भारत-पाक बंटवारे की ये सÌचाई,
िसर चकरा जाएगा आपका..!". News18 India.
[5] "Ëया आपको पता है भारत-पाक बंटवारे की ये सÌचाई,
िसर चकरा जाएगा आपका..!". News18 India.
[6] "पंजाब क
े शहर- GK in Hindi - सामाI ¶ान एवं
कर+ट अफ
े यस". hindi.gktoday.in.

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Shiromani Akali Dal and Sikh Politics

  • 1. International Journal of Trend in Scientific Research and Development (IJTSRD) Volume 6 Issue 3, March-April 2022 Available Online: www.ijtsrd.com e-ISSN: 2456 – 6470 @ IJTSRD | Unique Paper ID – IJTSRD49892 | Volume – 6 | Issue – 3 | Mar-Apr 2022 Page 2005 िशरोमिण अकाली दल एवं िसख राजनीित Dr. Sukhwinder Singh Assistant Professor, Department of Humanities & Social Sciences, Govt. Engineering College, Jhalawar, Rajasthan, India ABSTRACT पाट क े नविनवािचत अ सरदार एमपीएस च ा ने कहा िक यह िद ी क े िसखों का ऐितहािसक फ ै सला है। िद ी क े िसखों को अपनी पाट की ज$रत थी। उ'ोंने कहा िक अब वह िसख कौम क े िलए िबना *कावट काम कर सक + गे और िद ी गु*/ारा कमेटी म+ सेवा भी कर सक + गे। िद ी की िसख राजनीित म+ एक और पाट का नाम जुड़ गया है। इसका नाम िशरोमिण अकाली दल िद ी 5ेट रखा गया है। िशरोमिण अकाली दल बादल गुट क े सद6 रहे िसख नेताओं ने ही इस नई पाट का गठन िकया है। इसम+ :ादातर िसख नेता िद ी िसख गु*/ारा ;बंधक कमेटी पदािधकारी व सद6 है। ;बंधक कमेटी क े अ हरमीत िसंह कालका ने खुद इस पाट का गठन िकया है। िद ी िसख गु*/ारा ;बंधक कमेटी क े सद6ों व िद ी क े िसखों ने नई पाट का ऐलान बृह>ितवार को िकया। इस दौरान यह भी दावा िकया गया िक यह पाट िसखों क े धािमक मामलों क े िलए पंथक परंपराओं क े मुतािबक काम करेगी। मीिडया से बातचीत म+ िद ी गु*/ारा ;बंधक कमेटी क े महासिचव सरदार जगदीप िसंह काहलों ने बताया िक ;बंधक कमेटी क े अ सरदार हरमीत िसंह कालका पाट क े मु@ संर क चुने गए हA। इस मौक े पर हरमीत िसंह कालका ने बताया िक सरदार एमपीएस च ा िशरोमिण अकाली दल िद ी 5ेट पाट क े ;धान चुने गए हA। वBरC नेता सरदार भजन िसंह वािलया और सरदार हरिवंदर िसंह क े पी को पाट क े संर क क े तौर पर चुना गया है। कालका ने यह भी कहा िक यह पाट Dी अकाल तE सािहब क े संर ण म+ पंथक परंपराओं क े अनुसार काम करेगी। नई पाट बनाने का उ े हरमीत िसंह कालका ने नई पाट गिठत करने क े संबंध म+ बताया िक अकाली दल बादल गुट क े मौजूदा नेतृG ने पंथ का भरोसा गंवा िदया है। इसका सबूत पंजाब िवधानसभा चुनाव क े नतीजे हA। उ'ोंने कहा िक लीडरिशप उसक े Hखलाफ लगे बेअदबी और अI आरोपों क े बारे अपना प रखने तक म+ नाकाम रही है। यहीं वजह है िक बेअदबी क े दोिषयों को सजा तक नहीं िमली। How to cite this paper: Dr. Sukhwinder Singh "Shiromani Akali Dal and Sikh Politics" Published in International Journal of Trend in Scientific Research and Development (ijtsrd), ISSN: 2456- 6470, Volume-6 | Issue-3, April 2022, pp.2005-2013, URL: www.ijtsrd.com/papers/ijtsrd49892.pdf Copyright © 2022 by author (s) and International Journal of Trend in Scientific Research and Development Journal. This is an Open Access article distributed under the terms of the Creative Commons Attribution License (CC BY 4.0) (http://creativecommons.org/licenses/by/4.0) प रचय िद"ी क ेिसखों का ऐितहािसक फ ै सला पाट क े नविनवािचत अ सरदार एमपीएस च ा ने कहा िक यह िद ी क े िसखों का ऐितहािसक फ ै सला है। िद ी क े िसखों को अपनी पाट की ज$रत थी। उ'ोंने कहा िक अब वह िसख कौम क े िलए िबना *कावट काम कर सक + गे और िद ी गु*/ारा कमेटी म+ सेवा भी कर सक + गे। इस दौरान आLा िसंह लुबाणा, भुिपंदर िसंह भु र, सरवजीत िसंह िवरक, िवNम िसंह रोहनी, एमपीएस च ा, सुरजीत िसंह जीती, अमरजीत िसंह िपंकी, अमरजीत िसंह पOू, परिवंदर िसंह लPी, जुझार िसंह, भजन िसंह वािलया, ओंकार िसंह राजा, जसमीर िसंह मसी, दलजीत िसंह सरना, रमीत िसंह, Rाट च ा और गुरमीत िसंह िटंक ू और नेतृG क े समथक बड़ी सं@ा म+ उपHSथत थे। कोर कमे टी का िकया गठन पाट गिठत करने क े साथ ही एक कोर कमेटी का भी गठन िकया गया। पांच सद6ीय यह कमेटी संगठन को मजबूत करेगी। 10 िदनों क े भीतर यह कमेटी अपनी Bरपोट देगी। तब तक पाट को चुनाव िच' भी िमल जाएगा। इस कमेटी म+ आLा िसंह लुबाणा, बलबीर िसंह िववेक िवहार, अमरजीत िसंह पOू, अमरजीत िसंह िपंकी और हरिवंदर िसंह क े पी को शािमल िकया गया है। यूथ िवंग का िकया गया गठन िशरोमणी अकाली दल िद ी 5ेट पाट की यूथ िवंग भी होगी। पाट क े गठन क े बाद यूथ िवंग की घोषणा की गई। इसकी िजWेदरी रमनदीप िसंह थापर, सतबीर िसंह गगन और मनजीत िसंह औलख को सौंपी गई है। यूथ िवंग छाY चुनाव लड़ेगी। IJTSRD49892
  • 2. International Journal of Trend in Scientific Research and Development @ www.ijtsrd.com eISSN: 2456-6470 @ IJTSRD | Unique Paper ID – IJTSRD49892 | Volume – 6 | Issue – 3 | Mar-Apr 2022 Page 2006 चुनाव लड़ने वाले छाYों क े िवंग का गठन रमनजोत िसंह मीता और गुरदेव िसंह को सौंपी गई है। इसक े साथ ही पाट की मजबूती क े िलए एक मिहला िवंग टीम होगी। बीबी भुिपंदर कौर, बीबी बलजीत कौर, बीबी परमजीत कौर गुZी, बीबी मनजीत कौर गोिवंदपुरी, बीबी मनजीत कौर लार+स रोड और बीबी सूरबीर कौर को यह िजWेदारी सौंपी गई है। िवप+ ने का कमजोर ,ई पाट िवप ी पािटयों ने नई पाट क े गठन को कमजोर बताया है। कहा है िक 30 सद6ीय िद ी िसख गु*/ारा ;बंधक कमेटी नई पाट क े गठन से िसमट गई है। अब उनक े पास महज 26 सद6 रह गए है। ^ोंिक िशरोमिण अकाली दल बादल गुट म+ 4 सद6ों ने नई पाट म+ शािमल नहीं `ए। इसम+ हरिवंदर िसंह क े पी, मिहंदर पाल िसंह च ा, गुर;ीत िसंह जaा और िशरोमणी कमेटी अ हरिजंदर िसंह धामी शािमल है। इससे साफ हो गया है िक कालका की पाट म+ अब 26 सद6 हA। दू सरी तरफ िशरोमिण अकाली दल िद ी सरना गुट, जागो पाट व अI िवप ी पाट क े गु*/ारा ;बंधक कमेटी क े सद6ों की सं@ा 25 है। िसरसा की भूिमका कम नहीं िसख राजनीित क े जानकारों की माने तो िसख नेता मनिजंदर िसंह िसरसा पदc क े पीछे राजनीितक िबसात िबछा रहे है। भाजपा म+ शािमल होने क े बाद िसरसा ने अपने समथकों से नई पाट गिठत करने की चचा की। बतौर राजनीितक सलाहकार की भूिमका म+ िसरसा ने िसख नेताओं को संगिठत कर नई पाट बनाने म+ सहयोगी भूिमका म+ रहे। [1] िवचार-िवमश/ 7 जुलाई 2020 को, सुखदेव िसंह ढींडसा , सेवा िसंह सेखवां , िशरोमिण अकाली दल और िशरोमिण अकाली दल (टकसाली) क े कई और नेताओं क े साथ लुिधयाना क े एक गु*/ारे म+ आए और िशरोमिण अकाली दल (लोकतांिYक) का गठन िकया और सुखदेव िसंह ढींडसा को बनाया । अकाली दल लोकतांिYक क े नए अ । नई पाट का नाम पूछे जाने पर उ'ोंने कहा िक यह िशरोमिण अकाली दल (लोकतांिYक) होगी । उ'ोंने कहा िक यह असली अकाली दल है, और दूसरे तथाकिथत अकाली दल क े पीछे एक "(बादल)" है। उ'ोंने कहा िक पाट चुनाव आयोग को पाट क े चुनाव िच' को बादल की पाट क े समान वजनदार बनाने क े िलए दबाव डालेगी, वे भाजपा को बादल क े साथ गठबंधन तोड़ने और राkl ीय जनतांिYक गठबंधन म+ अपनी पाट को जोड़ने क े िलए भी ;ेBरत कर+गे । इस िववाद क े चलते ढींडसा और बादल दोनों को अ पद से हटाने से समथकों क े बीच आग लग जाएगी और अकाली िववाद और गहरा सकता है। तो अकाली पाट सिहत िकसी भी अनुmे द म+ बादल या ढींडसा को भी पाट क े अ क े $प म+ शािमल करना होगा। दलजीत चीमा ने इस कदम को गैर- लोकतांिYक और धोखाधड़ी और चोरी कहा है, हालांिक िकसी ने भी इसे गंभीरता से नहीं िलया ... िसमरनजीत मान क े अलावा सभी गुट एक साथ आते हA और एक मजबूत तीसरा मोचा बनाते हA। पहले तो सभी को लगा िक यह मजाक है, उ'ोंने कहा िक जब वे बीड़ी करते हA तो वे सभी बादल क े साथ खड़े होते हA, लेिकन बाद म+ लोक इंसाफ पाट ने pीकार िकया िक वे बातचीत कर रहे हA। कई राजनीितक दल और पBरवार उनक े गुट क े साथ जुड़ गए हA, यूनाइटेड अकाली दल का 25 जुलाई, 2020 को पाट म+ िवलय हो गया, संधू और तलवंडी पBरवार का पाट म+ िवलय हो गया, और इसी तरह कई और राजनेता भी हA। अब, अपने िशरोमिण अकाली दल (लोकतांिYक) और पूव लोकसभा सद6 रंजीत िसंह qrपुरा क े नेतृG वाले िशरोमिण अकाली दल (टकसाली) क े िवलय क े बाद रा:सभा सद6 सुखदेव िसंह ढींडसा /ारा गिठत िशरोमिण अकाली दल (संयुक ् त)। [2] प रणाम 1. दो राजनीितक दलों /ारा दायर दो Bरट यािचकाएं ; (i) िशरोमिण अकाली दल (िसमरनजीत िसंह मान) (1993 का CWP नंबर 4091) और (ii) िशरोमिण अकाली दल (बादल) (CWP No. 4587 of 1993) को पूण ब+च /ारा सुनवाई क े िलए pीकार िकया गया था, जैसा िक सामाI पया~ था इसम+ कानून का सवाल शािमल है। 2. अंतBरम राहत ;दान करने क े संबंध म+ मतभेद था िक मामला िकसी अI Iायाधीश को भेजा गया था। अब अंितम सुनवाई म+ हम+ चुनाव Sथिगत करने की अंतBरम राहत ;दान करने से संबंिधत मु•ों से कोई सरोकार नहीं है। 3. €ापक त• िशरोमिण अकाली दल (िसमरनजीत िसंह मान) /ारा दायर 1993 की सीड‚ूपी सं@ा 4091 से िलए गए हA। यािचकाकता-प को चुनाव िचƒ (आर ण और आवंटन) आदेश, 1968 (बाद म+ ';तीक आदेश' क े $प म+ संदिभत िकया जाएगा) क े ;ावधानों क े तहत उप चुनाव आयु… /ारा पाBरत आदेश िदनांक 20 नवंबर, 1992 क े तहत अमाI कर िदया गया था। िनदcश है िक पूव†… पाट पंजाब रा: म+ इसक े िलए पहले आरि त ;तीक "शेर" क े अनI उपयोग क े िलए हकदार नहीं होगी। कहा िक राजनीितक दल को तब तक गैर-माIता ;ा~ माना जाना चािहए जब तक िक अगले आम चुनाव म+ उसक े चुनाव ;दशन की िफर से समी ा नहीं की जाती है और जब आयोिजत िकया जाता है। फरवरी 1992 म+ `ए िपछले आम चुनावों म+ इस राजनीितक दल का चुनावी ;दशन शूI रहा। िशरोमिण अकाली दल (बादल) /ारा दायर अI Bरट यािचका म+ इसी आशय का आदेश उप चुनाव आयु… /ारा 20 नवंबर, 1992 को पाBरत िकया गया था। इस मामले म+ उपरो… आदेश की वैधता क े अलावा सामाI आधार पर चुनौती दी जा रही है। यह भी कहा िक आदेश ;ाक ृ ितक Iाय क े िस‡ांतों क े उ ंघन म+ पाBरत िकया गया था ^ोंिक यािचकाकता को सुनवाई का कोई नोिटस नहींिदया गया था। आरोपों क े अनुसार यािचकाकता को कायवाही म+ तामील नहीं िकया गया/िविधवत तामील नहीं िकया गया। 4. यािचका म+ उठाए गए िववादा>द िबंदु पर ान क + ि‰त करने क े िलए, उस पृCभूिम का संदभ िदया जाना चािहए िजसक े कारण राजनीितक दलों ने चुनाव का बिहŠार िकया, िजसक े पBरणाम को ;ितवादी-चुनाव आयु… ने शूI ;दशन क े $प म+ माना। आरोपों क े अनुसार, ये राजनीितक दल पंजाब रा: म+ िवधानसभा चुनावों म+ भाग ले रहे थे, जो जून, 1991 म+ होने वाले थे। चुनावी ;िNया क े दौरान अंितम समय म+ लगभग 30 उWीदवारों की मौत हो गई थी, जब क े वल मतदान होना था।
  • 3. International Journal of Trend in Scientific Research and Development @ www.ijtsrd.com eISSN: 2456-6470 @ IJTSRD | Unique Paper ID – IJTSRD49892 | Volume – 6 | Issue – 3 | Mar-Apr 2022 Page 2007 और चुनाव ;चार आिधकाBरक $प से समा~ हो गया था चुनाव र• कर िदया गया था। पूव†… यािचकाओं म+ आरोिपत र• करने का कारण यह था िक क + ‰ म+ कां‹ेस पाट सŒा म+ आ गई थी और चूंिक वह पाट पंजाब चुनाव म+ भाग नहीं ले रही थी, इसे Sथिगत कर िदया गया और फरवरी 1992 म+ आयोिजत िकया जाना था। फरवरी, 1992 तक पंजाब की HSथित म+ कोई बदलाव नहीं आया था, िसवाय इसक े िक कां‹ेस पाट ने चुनावों म+ भाग लेने का फ ै सला िकया था। चूंिक कोई आ•ासन नहीं िदया गया था िक यिद यािचकाकता प भाग ल+गे तो चुनाव अंततः होंगे, यािचकाकता-पािटयों ने चुनावों का बिहŠार िकया और उWीद की िक इस तरह क े चुनाव उनकी गैर-भागीदारी क े िलए नहीं होंगे। इस तरह पंजाब क े लोगों क े साथ जून 1991 म+ होने वाले चुनावों म+ गंदगी की तरह €वहार िकया गया िजसे क + ‰ ने र• कर िदया। इसिलए यािचकाकता राजनीितक दलों क े िलए फरवरी, 1992 क े िलए िनधाBरत चुनाव लड़ने और िफर से मूख बनाए जाने का कोई कारण नहीं था। फरवरी 1992 म+ `ए चुनावों म+ अaी ;ितशत मतदाताओं ने मतदान से परहेज िकया। इस ;कार 20% का जनादेश 80% क े िनणय पर क ै से भारी पड़ सकता है। पूरे चुनाव म+ धांधली एक तमाशा और िदखावा था। ऐसे चुनाव क े आधार पर यािचकाकताओं जैसे राजनीितक दलों का ;दशन वैध नहींथा। ;तीक आदेश क े पैरा 6 और 7 क े ;ावधानों को खराब और अमाI होने क े कारण अपया~ बताया गया ^ोंिक यह िवचार नहीं िकया गया था िक ऐसी HSथित उ•‘ होगी िक राजनीितक दल / दल चुनाव म+ भाग लेने से परहेज कर+गे। जून, 1991 म+ िनधाBरत चुनावों को Sथिगत करक े पंजाब क े लोगों को एक सवारी क े िलए ले जाया गया। उस ;िNया म+ कई उWीदवार मारे गए, िबना क ु छ िलए करोड़ों *पये भेजे गए। ;तीक आदेश क े पैरा 6 और 7 क े ;ावधानों को खराब और अमाI होने क े कारण अपया~ बताया गया ^ोंिक यह िवचार नहींिकया गया था िक ऐसी HSथित उ•‘ होगी िक राजनीितक दल / दल चुनाव म+ भाग लेने से परहेज कर+गे। जून, 1991 म+ िनधाBरत चुनावों को Sथिगत करक े पंजाब क े लोगों को एक सवारी क े िलए ले जाया गया। उस ;िNया म+ कई उWीदवार मारे गए, िबना क ु छ िलए करोड़ों *पये भेजे गए। ;तीक आदेश क े पैरा 6 और 7 क े ;ावधानों को खराब और अमाI होने क े कारण अपया~ बताया गया ^ोंिक यह िवचार नहीं िकया गया था िक ऐसी HSथित उ•‘ होगी िक राजनीितक दल / दल चुनाव म+ भाग लेने से परहेज कर+गे। जून, 1991 म+ िनधाBरत चुनावों को Sथिगत करक े पंजाब क े लोगों को एक सवारी क े िलए ले जाया गया। उस ;िNया म+ कई उWीदवार मारे गए, िबना क ु छ िलए करोड़ों *पये भेजे गए।[3] 5. भारत िनवाचन आयोग की ओर से उ… दो Bरट यािचकाओं म+ िलHखत बयान दाHखल िकया गया है। ;ितवादी ने यािचकाओं का जोरदार िवरोध िकया। यािचकाओं म+ लगाए गए सभी आरोपोंको खाBरज िकया गया है। जून 1991 म+ चुनाव Sथिगत करने क े आदेश क े संबंध म+, यह कहा गया था िक उपरो… आदेश को सव†’ Iायालय म+ असफल $प से चुनौती दी गई थी। सव†’ Iायालय /ारा 1968 क े ;तीक आदेश क े ;ावधानों को वैध माना गया था। अपया~ता क े आधार पर ऐसे ;ावधान खराब नहींथे। चुनाव कानून, ;तीक आदेश, 1968 क े ;ावधानों सिहत, उस HSथित/HSथितयों की क“ना करता है जहां एक बार माIता ;ा~ राजनीितक दलों को माIता दी जा सकती है, यिद वे िनधाBरत अनुसार आम चुनावों म+ Iूनतम सं@ा म+ सीट+ या वोट हािसल करने म+ िवफल रहे हA। 6. मु@ ;” िजस पर यािचकाकताओं की ओर से बहस की गई है, वह िन•ानुसार तैयार िकया गया है:- "1968 क े ;तीक आदेश क े ;ावधानों म+ ऐसी HSथित की क“ना नहीं की गई थी जहां एक या अिधक माIता ;ा~ राजनीितक दल चुनावों का बिहŠार कर+गे या दू सरे श—ों म+ चुनाव म+ भाग नहीं ल+गे और क े वल उस आधार पर ऐसे राजनीितक दलों को माIता नहीं दी जा सकती है। ;तीक आदेश, 1968 म+ अपवाद या ;ावधान क े $प म+ ;ावधान होना चािहए था िक यिद क ु छ वैध कारणों से कोई राजनीितक दल या दल चुनाव म+ भाग नहीं लेते हA, तो उनकी माIता र• नहीं की जाएगी।" 7. यािचकाकताओं की ओर से उपHSथत िव/ान अिधव…ा Dी रंजन लखनपाल और Dी एच.एस. मतेवाल ने जोरदार तक िदया है िक एक अजीबोगरीब HSथित मौजूद थी जब अचानक जून, 1991 म+ चुनाव होने वाले थे िक इसे Sथिगत कर िदया गया था, जैसा िक एक िदन पहले क + ‰ म+ कां‹ेस पाट सŒा म+ आई थी। चूंिक कां‹ेस पाट पंजाब रा: म+ चुनावों म+ भाग नहींले रही थी, इसिलए चुनाव Sथिगत कर िदए गए थे। इस तरह पंजाब क े लोगों को ठगा गया। यािचकाकताओं-राजनीितक दलों/ारा बाद म+ घोिषत चुनावों का बिहŠार करने क े ये वैध कारण थे। इस तरह की ;˜ुितयों से उ•‘ कानूनी तक™ की सराहना करने क े िलए संिवधान क े ;ावधानों, लोक ;ितिनिधG अिधिनयम का उ ेख करना आवšक है।, 1951, और 1968 का ;तीक आदेश। चुनाव आयोग संवैधािनक इकाई है। संिवधान का अ ाय XV िवशेष $प से चुनाव क े िवषय से संबंिधत है। कला क े तहत । 324 , िनवाचक नामावली की तैयारी का अधी ण, िनदcशन और िनयंYण और संसद और रा:ों क े िवधान मंडलों और राkl पित और उपराkl पित क े कायालयों क े सभी चुनावों क े संचालन को एक चुनाव आयोग म+ िनिहत करना है। ऐसा आयोग कला क े तहत गिठत िकया गया है। 324(2). मु@ चुनाव आयोग को चुनाव आयोग क े अ क े $प म+ काय करना है। राkl पित /ारा चुनाव आयोग क े परामश क े बाद, चुनाव आयोग की सहायता क े िलए ेYीय आयु…ों की भी िनयुH… की जाती है। कला। 325 और 326 मतदाता सूची तैयार करने का संदभ देते हA। नीचेकला। 327 संसद क े िकसी भी सदन या रा: क े िवधानमंडल क े िकसी भी सदन क े चुनाव से संबंिधत या उसक े संबंध म+ समय-समय पर कानून बनाने का अिधकार संसद को है। ऐसे मामले िजन पर कानून बनाया जा सकता है, उनम+ मतदाता सूची तैयार करना, िनवाचन ेYों का पBरसीमन या सदन या सदनों क े उिचत संिवधान को हािसल करने क े िलए आवšक अI मामले शािमल हA। रा: सरकार रा: क े िवधानमंडल क े सदन या सदनों क े चुनाव क े संबंध म+ भी ऐसे कानून बना सकती है, कला क े तहत। 328. कला। 329 चुनाव मामलों म+ Iायालयों क े अिधकार ेY को रोकता है और यह िन•ानुसार पढ़ता है:- "329. चुनावी मामलों म+ अदालतों क े ह˜ ेप पर रोक :- इस संिवधान म+ िकसी बात क े होते `ए भी:- (ए) िनवाचन ेYों क े पBरसीमन या ऐसे िनवाचन ेYों क े िलए सीटों क े आवंटन से संबंिधत िकसी भी कानून की वैधता, कला क े
  • 4. International Journal of Trend in Scientific Research and Development @ www.ijtsrd.com eISSN: 2456-6470 @ IJTSRD | Unique Paper ID – IJTSRD49892 | Volume – 6 | Issue – 3 | Mar-Apr 2022 Page 2008 तहत बनाई गई या बनाई जाने वाली। 327 या कला। 328 , िकसी भी Iायालय म+ ;”गत नहीं िकया जाएगा; (बी) संसद क े िकसी भी सदन या सदन या िकसी रा: क े िवधानमंडल क े िकसी भी सदन क े िलए कोई चुनाव ;” म+ नहीं बुलाया जाएगा, जब तक िक ऐसे ;ािधकरण को ;˜ुत चुनाव यािचका और इस तरह से िकसी क े /ारा या उसक े तहत ;दान िकया जा सकता है उपयु… िवधानमंडल /ारा बनाया गया कानून।" 8. संिवधान क े उपरो… ;ावधान संसद और रा: िवधानसभाओं क े चुनावों क े संचालन पर अधी ण, िनदcशन और िनयंYण क े संबंध म+ चुनाव आयोग की शH…यों को >k $प से इंिगत करते हA। इस तरह क े िनयंYण क े अžास म+ चुनाव आयोग आदेश जारी करने क े िलए स म है। ऐसे आदेश संिवधान क े अI ;ावधानों या संसद या रा: िवधानमंडल /ारा बनाए गए कानूनों क े उ ंघन म+ नहीं हो सकते। उपरो… दो अपवादों को छोड़कर चुनाव क े संचालन पर चुनाव आयोग का पूण िनयंYण होता है। जन ;ितिनिधG अिधिनयम, 1951 संसद क े साथ-साथ पुरानी िवधानसभाओं क े चुनावों क े संचालन क े संबंध म+ एक पूण संिहता है। इस अिधिनयम क े एस 29ए म+ चुनाव आयोग क े संघों और िनकायों क े साथ राजनीितक दलों क े $प म+ पंजीकरण करने का ;ावधान है। इस तरह क े एक संघ को उप-धारा क े तहत इस अिधिनयम क े ;योजनों क े िलए एक राजनीितक दल क े $प म+ पंजीकरण क े िलए चुनाव आयोग को आवेदन करने की आवšकता है। (मA) उसक े । उप-सेक ं ड। (2) ऐसे संघों या िनकायों पर िवचार करता है जो लोगों क े ;ितिनिधG (संशोधन) अिधिनयम क े ;ारंभ म+ अH˜G म+ थे, 1988 इस तरह क े शु$ होने से 60 िदनों क े भीतर और उसक े गठन की तारीख क े बाद 30 िदनों क े भीतर उसक े बाद गिठत संघों या िनकायों क े िलए ऐसा आवेदन करने क े िलए। अI आवšक िववरण िजनका ऐसे आवेदनों म+ उ ेख िकया जाना आवšक है, उप-भाग क े अंतगत िदए गए हA। (4). उन सभी आवšक िववरणों पर िवचार करने क े बाद िज'+ धारा 29ए की उप-धारा (4) और (5) क े तहत ;˜ुत करना आवšक हैया ऐसे िववरण जो अIथा ;˜ुत िकए जाने की आवšकता है, और आवšक और ;ासंिगक कारकों को ान म+ रखते `ए और एसोिसएशन क े ;ितिनिधयों को सुनवाई का एक उिचत अवसर देने क े बाद आयोग को यह तय करना है िक टीसी एसोिसएशन को एक राजनीितक दल क े $प म+ पंजीक ृ त कर+ या नहीं रिज5र करने क े िलए। आयोग का िनणय अंितम होगा जैसा िक उप-धारा क े तहत ;दान िकया गया है। (8) उसक े । अिधिनयम का भाग V चुनाव क े संचालन से संबंिधत ;िNया क े बारे म+ िव˜ार से बताता है। चुनाव आयोग /ारा एस. 30 क े तहत नामांकन आिद की तारीख+ तय करने क े तहत एक अिधसूचना जारी करना आवšक है, जो चुनाव ;िNया को गित ;दान करता है। अंतत: पBरणाम की घोषणा की अिधसूचना क े साथ चुनाव ;िNया एस 67 क े तहत आवšकतानुसार पूरी की जाती हैअिधिनयम का। िकसी चुनाव को संिवधान क े भाग VI क े अ ाय III क े तहत िदए गए आधार पर और िनधाBरत तरीक े से चुनौती दी जा सकती है और िकसी अI तरीक े से नहीं। जब पूव†… अिधिनयम क े ;ावधानों क े तहत चुनाव की घोषणा की जाती है िक चुनाव म+ भाग लेने क े िलए पाY उWीदवारों को चुनाव िच' आवंिटत करने की ;िNया शु$ की जाती है। चुनाव िच' (आर ण और आवंटन) आदेश, 1968 चुनाव आयोग /ारा संसद और िवधानसभा चुनावों म+ चुनाव म+ िविनदcश, आर ण, पसंद और आवंटन क े िलए और साथ ही उसक े संबंध म+ राजनीितक दल की माIता क े िलए जारी िकया गया है। उससे जुड़े मामलों क े िलए। 1968 क े आदेश का पैरा 2 (एच) राजनीितक दल को पBरभािषत करता है, िजसका अथ है एक राजनीितक दल क े $प म+ आयोग क े साथ पंजीक ृ त €H…गत नागBरकों का एक संघ या िनकाय।लोक ;ितिनिधG अिधिनयम, 1951 का एस 29ए । पैरा 3 आयोग को गैर राजनीितक दल क े $प म+ पंजीकरण क े िलए आवेदन क े साथ ;˜ुत िकए जाने वाले अितBर… िववरण ;दान करता है। पैरा 5 ;तीक क े वग करण का ;ावधान करता है अथात या तो आरि त या मु…। पैरा 5 का उप-पैरा (2) माIता ;ा~ राजनीितक दल क े िलए उस पाट /ारा खड़े िकए गए चुनाव लड़ने वाले उWीदवारों को िवशेष आवंटन क े िलए आरि त ;तीक ;दान करता है। एक मु… ;तीक एक आरि त ;तीक क े अलावा एक ;तीक है। पैरा 6 म+ राजनीितक दलों क े वग करण का ;ावधान है और पैरा 7 म+ माIता ;ा~ राजनीितक दलों की दो Dेिणयों का ;ावधान है। चूंिक वतमान मामले म+ तक पैरा 6 और 7 से संबंिधत है, इसिलए उ'+ नीचे पुन: ;˜ुत िकया गया है:- "6 राजनीितक दलों का वग करण (1) ..... (2) एक राजनीितक दल को एक रा: म+ एक माIता ;ा~ राजनीितक दल क े $प म+ माना जाएगा, यिद और क े वल यिद या तो Cl म+ िनिदk शत¡। (ए) हA, या सीएल म+ िनिदk शत। (बी) उस पाट /ारा पूरा िकया जाता है और अIथा नहीं, अथात्:- (ए) िक ऐसी पाट (ए) लगातार पांच साल की अविध क े िलए राजनीितक गितिविधयों म+ लगा `आ है और (बी) उस रा: म+ आम चुनाव म+, लोक सभा क े िलए, या, जैसा भी मामला हो, िवधान सभा क े िलए, वतमान म+ अH˜G म+ है और काय कर रहा है :- (i) कम से कम एक उस सदन क े ;¢ेक प’ीस सद6ों या उस रा: से िनवािचत उस सं@ा क े िकसी अंश क े िलए लोक सभा का सद6; "या" (ii) उस िवधानसभा क े ;¢ेक तीस सद6ों या उस सं@ा क े िकसी भी अंश क े िलए उस रा: की िवधान सभा म+ कम से कम एक सद6; (बी) िक रा: म+ आम चुनाव म+ उस पाट /ारा खड़े िकए गए सभी चुनाव लड़ने वाले उWीदवारों /ारा वैध मतों की क ु ल सं@ा, या जैसा भी मामला हो, िवधान सभा म+ उस समय क े िलए अH˜G और काय;णाली (एक िनवाचन ेY म+ ऐसे ;¢ेक चुनाव लड़ने वाले उWीदवार क े वैध मतों को छोड़कर जो िनवािचत नहीं `आ है और उस िनवाचन ेY म+ सभी चुनाव लड़ने वाले उWीदवारों /ारा डाले गए वैध मतों की क ु ल सं@ा का कम से कम एक-बारहवाँ िहaा नहींहै) कम नहींहै रा: म+ ऐसे आम चुनाव म+ लड़ने वाले सभी उWीदवारों /ारा डाले गए वैध मतों की क ु ल सं@ा क े चार ;ितशत से अिधक (उन उWीदवारों क े वैध मतों सिहत, िज'ोंने अपनी जमा रािश ज¤ कर ली है)।
  • 5. International Journal of Trend in Scientific Research and Development @ www.ijtsrd.com eISSN: 2456-6470 @ IJTSRD | Unique Paper ID – IJTSRD49892 | Volume – 6 | Issue – 3 | Mar-Apr 2022 Page 2009 (3) शंकाओं को दू र करने क े िलए यह घोिषत िकया जाता है िक Cl. (ए) या (बी) क े उप-पैरा (2) को िकसी राजनीितक दल /ारा पूरा िकया गया नहीं माना जाएगा यिद लोक सभा या रा: की िवधानसभा का कोई सद6 उस राजनीितक दल का सद6 बन जाता है उस सदन क े िलए या, जैसा भी मामला हो, उस िवधानसभा क े िलए उसका चुनाव।" "7. माIता ;ा~ राजनीितक दलों की दो Dेिणयां:- (1) यिद िकसी राजनीितक दल को चार या अिधक रा:ों म+ अनुmे द 6 क े अनुसार एक माIता ;ा~ राजनीितक दल क े $प म+ माना जाता है, तो इसे कहा जाएगा, और होगा और HSथित का आनंद लेगा पूरे भारत म+ एक "राkl ीय दल"; और यिद िकसी राजनीितक दल को चार से कम रा:ों म+ उस पैरा‹ाफ क े अनुसार एक माIता ;ा~ राजनीितक दल क े $प म+ माना जाता है, तो इसे रा: या रा:ों म+ क े $प म+ जाना जाएगा, और होगा जो एक माIता ;ा~ राजनीितक दल है। (2) उप-अनुmे द (1) म+ िकसी भी बात क े होते `ए भी, ;¢ेक राजनीितक दल जो इस आदेश क े शु$ होने से ठीक पहले एक ब`-रा:ीय दल है, ऐसे शु$ होने पर, एक राkl ीय पाट होगी और तब तक बनी रहेगी जब तक िक यह समा~ नहींहो जाती। ऐसे ;ारंभ क े बाद `ए िकसी भी आम चुनाव क े पBरणाम पर एक राkl ीय पाट बन+। (3) उप-अनुmे द (1) म+ िकसी भी बात क े होते `ए भी, ;¢ेक राजनीितक दल जो इस आदेश क े शु$ होने से ठीक पहले एक रा: म+ एक माIता ;ा~ राजनीितक दल है, एक ब`-रा:ीय दल क े अलावा, जैसा िक पूव†… है, ऐसे ;ारंभ पर, उस रा: म+ पाट का रा: है और ऐसा तब तक बना रहेगा जब तक िक उस रा: म+ ऐसे ;ारंभ क े बाद `ए िकसी भी आम चुनाव क े पBरणाम पर रा: म+ एक पाट नहीं रह जाती है। 9. आदेश क े पैरा 8 म+ राkl ीय और रा: दलों क े उWीदवारों /ारा ;तीकों क े चुनाव और उनक े आवंटन का ;ावधान है। उप- पैरा (1) क े तहत एक राkl ीय पाट क े उWीदवार को उस पाट क े िलए आरि त ;तीक क े आवंटन क े िलए पहली पसंद दी जाती है और कोई अI ;तीक नहीं। इसी तरह उप-पैरा (2) रा: म+ पाट क े िलए आरि त चुनाव िच' क े आवंटन क े िलए रा: पाट /ारा खड़े उWीदवारों को िवक“ देता है और कोई अI ;तीक नहीं। पैरा 12 अI उWीदवारों /ारा ;तीकों क े चुनाव और उसक े आवंटन को संदिभत करता है। पैरा 18 िनदcश और िनदcश जारी करने क े िलए आयु… की शH…यों को संदिभत करता है। यह इस ;कार पढ़ता है:-- "18. िनदcश और िनदcश जारी करने की आयोग की शH…: आयोग िनदcश और िनदcश जारी कर सकता है:- (ए) इस आदेश क े िकसी भी ;ावधान क े >kीकरण क े िलए;[4] (बी) ऐसे िकसी ;ावधान क े काया¥यन क े संबंध म+ उ•‘ होने वाली िकसी भी किठनाई को दू र करने क े िलए; और (सी) आर ण और ;तीकों क े आवंटन और राजनीितक दलों की माIता क े संबंध म+ िकसी भी मामले क े संबंध म+, िजसक े िलए यह आदेश कोई ;ावधान नहीं करता है या अपया~ ;ावधान करता है, और ;ावधान सुचा$ और €वHSथत क े िलए आवšक है आयोग की राय म+ चयन का संचालन।" 10. पूव†… आदेश का पैरा 6 आयोग को यह िनिदk करने क े िलए अिधक ृ त करता है िक जब कभी आवšक हो िक राजनीितक दल माIता ;ा~ राजनीितक दल या गैर-माIता ;ा~ राजनीितक दल हA। एक राजनीितक दल, जैसा िक उप- पैरा (2) म+ ;दान िकया गया है, को रा: म+ एक माIता ;ा~ पाट क े $प म+ माना जाना चािहए, यिद और क े वल उस पाट /ारा पूरा िकया गया हो और अIथा नहीं। (आदेश म+ िनिदk शत¡ - एड।) एक राजनीितक दल क े िलए ¦ॉज (ए) क े तहत माIता ;ा~ करने क े िलए आवšक यो¨ताएं तीन हA: (i) ऐसे राजनीितक दल की लगातार पांच साल की अविध क े िलए सगाई, खंड (ए) म+ िनधाBरत पूव†… शत¡ ऐसे राजनीितक दल क े सद6ों क े लोगों क े घर क े चुनाव को संदिभत करती हA खंड (बी) ऐसी पाट /ारा खड़े सभी चुनाव लड़ने वाले उWीदवारों क े वैध वोटों की सं@ा को संदिभत करती है। िवधानसभा क े आम चुनाव वतमान म+ अH˜G म+ हA और काय कर रहे हA और रा: म+ आम चुनाव लड़ने वाले सभी उWीदवारों /ारा डाले गए वैध मतों की क ु ल सं@ा क े 4 ;ितशत से कम नहीं हA। इस ;कार यह खंड माIता ;ा~ पाट क े उWीदवारों /ारा सुरि त िकए जाने क े िलए आवšक वोटों की Iूनतम सं@ा को संदिभत करता है। पैरा 7 क े उप-पैरा (3) म+ ;ावधान है िक जब कोई माIता ;ा~ राजनीितक दल ऐसा नहींरहेगा। इससे पता चलता है िक आम चुनाव होने क े बाद राजनीितक दलों की माIता और माIता र• करने की ;िNया शु$ करनी होती है। 11. 1968 क े ;तीक आदेश क े ;ावधानों की संवैधािनक वैधता को सव†’ Iायालय ने कH'या लाल उमर बनाम आरक े िYवेदी , एआईआर 1986 एससी 111 म+ पहले ही बरकरार रखा है। सािदक अली बनाम सु;ीम कोट क े पहले क े फ ै सले पर भरोसा करते `ए । भारत िनवाचन आयोग , एआईआर 1972 एससी 187, यह िन•ानुसार आयोिजत िकया गया था:- "चुनाव आयोग को राजनीितक दलों को माIता देने और उनक े बीच या राजनीितक दल क े भीतर अलग-अलग समूहों क े बीच उ•‘ होने वाले िववादों को तय करने का अिधकार है। इसे ;तीक आदेश जारी करने का भी अिधकार है। यह नहींकहा जा सकता है िक जब आयोग ने ;तीक आदेश जारी िकया तो यह अपनी ओर से नहींबH© िकसी अI ;ािधकरण क े ;ितिनिध क े $प म+ ऐसा कर रहा था। ;तीक आदेश जारी करने की शH… आयोग म+ िनिहत चुनावों क े अधी ण, िनदcशन और िनयंYण की शH… म+ समझी जाती है।" 12. यह देखा गया िक ;तीक आदेश, 1968 क े ;ावधान संवैधािनक $प से वैध थे ^ोंिक आयोग ने कला क े तहत अपनी शH… ;ा~ की थी। संिवधान क े 324(1) . पूव†… अनुmे द उन ेYों म+ संचािलत होता है जो िवधान /ारा खाली छोड़ िदए गए हA और श— "अधी ण", "िदशा" और "िनयंYण" क े साथ-साथ "सभी चुनावों का संचालन" श— €ापक श— हA िजनम+ ऐसे सभी ;ावधान करने की शH… शािमल है। मोिहंदर िसंह िगल बनाम मु@ चुनाव आयु…, नई िद ी , एआईआर 1978 एससी 851 और एसी जोस बनाम िसवन िप ई , एआईआर 1984 एससी 921 म+ सु;ीम कोट क े पहले क े फ ै सलों पर भरोसा िकया गया था। क'ैया लाल क े मामले (सु;ा) म+ सामाI आदेश और िविशk आदेश पाBरत करने क े संबंध म+ पैरा 17 म+ िन•ानुसार देखा गया:
  • 6. International Journal of Trend in Scientific Research and Development @ www.ijtsrd.com eISSN: 2456-6470 @ IJTSRD | Unique Paper ID – IJTSRD49892 | Volume – 6 | Issue – 3 | Mar-Apr 2022 Page 2010 "यह एक िविशk या एक सामाI आदेश हो सकता है। िकसी को यह भी याद रखना होगा िक इस मामले म+ शH… का ªोत संिवधान है, देश का सव†’ कानून, जो सभी कानूनी शH…यों का भंडार और ªोत है और िकसी भी शH… /ारा ;दान की गई शH… है। एक िविशk उ•ेš क े िलए संिवधान का उदारतापूवक अथ लगाया जाना चािहए तािक िजस उ•ेš क े िलए शH… ;दान की गई है उसे ;भावी ढंग से ;ा~ िकया जा सक े । इस कोण से देखने पर यह नहींकहा जा सकता है िक ;तीक आदेश क े िकसी भी ;ावधान की ओर से अिधकार की कमी से ‹˜ है आयोग, िजसने इसे जारी िकया है।" 13. ;तीक आदेश 1968 की संवैधािनक वैधता क े संबंध म+ ऐसी HSथित का सामना करते `ए जैसा िक सु;ीम कोट /ारा पहले ही िनधाBरत िकया गया है, यािचकाकताओं क े िव/ान वकील ने तक िदया िक अ>kता और अपया~ता क े कारण ;तीक आदेश को कानून म+ खराब माना जाना चािहए . इस दावे को दोहराने क े िलए िक ऊपर बताई गई HSथित पर िवचार नहीं िकया गया था िक राजनीितक दल चुनावों का बिहŠार कर+गे या चुनाव म+ भाग लेने से परहेज कर+गे, Iायालय को ;तीक आदेश 1968 क े ;ावधानों का पूरक होना चािहए। ऐसी HSथितयों को कवर करने क े िलए जहां वैध कारणों से ऐसे राजनीितक दलों ने चुनाव म+ भाग नहीं िलया, उ'+ माIता नहीं खोनी चािहए। हालांिक >k $प से आकषक, तक िबना िकसी सार क े है। एक े रॉय बनाम भारत संघ म+ सव†’ Iायालय, एआईआर 1982 एससी 710: (1982 सीआर एलजे 340) ने देखा िक एक क़ानून क े ;ावधानों को अ>kता क े आधार पर नहीं हटाया जा सकता है- उस HSथित म+ राkl ीय सुर ा अिधिनयम क े ;ावधान िवचाराधीन थे। इसे िन•ानुसार आयोिजत िकया गया था:-- "भारत की र ा', 'भारत की सुर ा, रा: की सुर ा और िवदेशी शH…यों क े साथ भारत क े संबंध, जो अिधिनयम की धारा 3 म+ उH Hखत हA, की अवधारणाएं िकसी महान िनि-तता या िनि-तता की नहीं हA। लेिकन ब`त ;क ृ ित म+ हA। उन चीजों की िज'+ पBरभािषत करना मुH®ल है। इसिलए अिधिनयम क े एस 3 क े अय¯ ;ावधानों को उनकी अ>kता और अिनि-तता क े आधार पर नहीं हटाया जा सकता है।" िन0ष/ मेसस म+ िविधयों की €ा@ा क े सामाI िस‡ांत क े संबंध म+ । िगरधारी लाल एं ड संस बनाम बलबीर नाथ माथुर , एआईआर 1986 एससी 1499। िनणय क े पैरा 9 म+ िन•िलHखत िस‡ांत िनधाBरत िकया गया था:- "िकसी क़ानून की €ा@ा करने म+ Iायालय का ;ाथिमक और सबसे महGपूण काय िवधाियका क े इरादे का पता लगाना है, वा˜िवक या आरोिपत। इरादे का पता लगाने क े बाद, Iायालय को क़ानून की €ा@ा करने का ;यास करना चािहए तािक व˜ु और उ•ेš को बढ़ावा िदया जा सक े और आगे बढ़ाया जा सक े । इस उ•ेš क े िलए, जहां आवšक हो, Iायालय इस िनयम से भी हट सकता है िक सादे श—ों की €ा@ा उनक े >k अथ क े अनुसार की जानी चािहए। भाषा की सरलता क े िलए न° और मूक ;˜ुत करने की आवšकता नहींहै। पेट+ट अIाय से बचने क े िलए , िवसंगित या बेतुकापन या िकसी कानून क े अमाI होने से बचने क े िलए, Iायालय को िनमाण क े तथाकिथत सुनहरे िनयम से िवदा करना उिचत होगा तािक यिद आवšक हो तो िलHखत श— को पूरक करक े अिधिनयम क े उ•ेš और उ•ेš को ;भािवत िकया जा सक े । ।"[5] 14. पूव†… िनणयों क े अनुपात से यह िनधाBरत नहीं िकया जा सकता है िक उ’ Iायालय कला क े तहत अिधकार ेY का ;योग करता है। संिवधान की धारा 226 म+ संशोधन या क़ानून जोड़कर िवधानमंडल क े काय™ का ;योग कर सकता है ऐसा काय िवधाियका का है न िक Iायालयों का। Iायालय क े वल एक या दो श—ों को पूरक कर सकता है जो िक क़ानून की वैधता को बनाए रखने क े िलए आवšक समझे जाते हA जो िकसी अिधिनयम क े उ•ेš और उ•ेš को बढ़ावा देगा। इसक े अलावा, Iायालय को क़ानून बनाने या संशोिधत करने क े िलए िवधायी ेYािधकार क े दायरे म+ जाने की कोई शH… नहींहै। इस संदभ म+ आिसफ हमीद बनाम जWू और क±ीर रा: , AIR 1989 SC 1899 म+ सव†’ Iायालय क े िनणय का संदभ िलया जा सकता है। िनणय क े पैरा 17 म+ यह देखा गया था: "िवधानमंडल, कायपािलका और Iायपािलका को संिवधान क े तहत िनधाBरत अपने ेYों क े भीतर काय करना है। कोई भी अंग दू सरे को सौंपे गए काय™ को हड़प नहीं सकता है। संिवधान इन अंगों क े िनणय पर भरोसा करता है िक वे इसम+ िनधाBरत ;िNया का सEी से पालन करक े अपने िववेक का ;योग कर+ और काम कर+। लोकतंY का कामकाज उसक े ;¢ेक अंग की ताकत और pतंYता पर िनभर करता है।" िनण/य क ेपैरा 19 म4 आगे िन6 7कार से दे खा गया:- "संिवधान Iायालय को नीित क े मामलों म+ कायपािलका को िनदcश देने या सलाह देने की अनुमित नहीं देता है, जो संिवधान क े तहत िवधाियका या कायपािलका क े दायरे म+ आता है, बशतc ये ;ािधकरण अपनी संवैधािनक सीमाओं या वैधािनक शH…यों का उ ंघन न कर+।" िनण/य क ेपैरा 21 म4 आगे िन6 7कार से दे खा गया:- "संिवधान ने िवधाियका क े िलए काय करने क े िलए िव˜ृत ;िNया िनधाBरत की है। संिवधान क े तहत िवधाियका अपने ेY म+ सव†’ है। यह क े वल िवधाियका क े िलए है िक कब और िकस िवषय-व˜ु क े संबंध म+, कानून हA अिधिनयिमत िकया जाना है। इस संबंध म+ Iायालयों /ारा िवधाियका को कोई िनदcश जारी नहीं िकया जा सकता है।" यािचकाकताओं का यह 5Aड िक इस Iायालय को चुनाव आयोग को उस राजनीितक दल की माIता र• नहीं करने क े िलए अिधक ृ त करने क े िलए 1968 क े ;तीक आदेश क े पैरा 6 म+ "अपवाद" या "परंतु" क े $प म+ ;ावधान करना चािहए जो भाग लेने म+ िवफल रहा था। आम चुनावों म+ वैध कारणों से। कानून /ारा इस तरह क े पाµNम की अनुमित नहींहै। ;तीक आदेश 1968 क े पैरा 6 और 7 क े ;ावधान माI हA जैसा िक सव†’ Iायालय ने पहले ही बरकरार रखा है। वे िकसी भी अपया~ता क े कारण खराब नहीं हA। 15. िकसी राजनीितक दल को इस $प म+ माIता िदए जाने का अिधकार, जैसा िक पहले ही ऊपर उ ेख िकया गया है, संिविध का िनमाण है। ऐसा अिधकार क े वल संिविध म+ ;दान की गई आवšकताओं की पूित पर ;दान िकया जाता है अथात जैसा िक 1968 क े ;तीक आदेश क े पैरा 6(ए) या (बी) क े तहत ;दान
  • 7. International Journal of Trend in Scientific Research and Development @ www.ijtsrd.com eISSN: 2456-6470 @ IJTSRD | Unique Paper ID – IJTSRD49892 | Volume – 6 | Issue – 3 | Mar-Apr 2022 Page 2011 िकया गया है। दू सरे श—ों म+, िकसी राजनीितक दल की माIता या माIता र• की जानी चािहए। अिधिनयम /ारा िनधाBरत चार कोनों या सीमाओं क े भीतर। इस संबंध म+ एनपी पो‘ुpामी बनाम राहत अिधकारी, नामखाल िनवाचन ेY म+ सव†’ Iायालय क े िनणय का संदभ िलया जा सकता है ।, एआईआर 1952 एससी 64. मतदान क े अिधकार या चुनाव क े िलए उWीदवार क े $प म+ खड़े होने पर िटOणी करते `ए यह देखा गया िक यह एक नागBरक अिधकार नहीं था बH© क़ानून या िवशेष कानून का एक ;ाणी है और इसक े /ारा लगाई गई सीमाओं क े अधीन होना चािहए। फ ै सले क े पैरा 18 म+ आगे कहा गया है:- "सEी से बोलते `ए, यह िवधाियका का एकमाY अिधकार है 10 अपने pयं क े सद6ों क े चुनाव से संबंिधत सभी मामलों की जांच और िनधारण करता है, और यिद िवधाियका इसे अपने हाथों से लेती है और एक िवशेष Iायािधकरण म+ एक पूरी तरह से नया और अ¶ात अिधकार ेY िनिहत करती है , उस िवशेष ेYािधकार का ;योग उस कानून क े अनुसार िकया जाना चािहए जो इसे बनाता है।" 16. िNयाLक त• िक अपेि त Iूनतम मानक 1968 क े ;तीक आदेश क े पैरा 6(ए) या (बी) म+ िनधाBरत िकया गया था, यह दशाता है िक यिद कोई माIता ;ा~ राजनीितक दल चुनावों म+ कोई वोट या कोई सीट हािसल नहीं करेगा, तो यह होगा माIता र• हो। 17. न तो आयोग क े िलए और न ही उस ;योजन क े िलए Iायालय क े िलए, िकसी माIता ;ा~ राजनीितक दल क े िकसी सद6 क े िनवािचत न होने या िकसी वोट को सुरि त न कराने क े कारणों की वा˜िवकता, युH…संगतता या पया~ता म+ जाना या िनधाBरत करना आवšक नहीं है। दू सरे श—ों म+ ;तीक आदेश क े पैरा 6 (ए) या (बी) क े तहत ;दान िकए गए अनुसार ऐसे राजनीितक दल का ;दशन अपेि त नहींहै। आयोग को यह िनधाBरत करने क े िलए िक ^ा िकसी राजनीितक दल को माIता दी जानी है या गैर-माIता ;ा~ है या नहीं, यह िनधाBरत करने क े िलए िवधानसभा क े आम चुनावों क े अH˜G और कामकाज क े पBरणाम को ान म+ रखना था। यह गिणतीय गणना का मामला था। ऐसी HSथित म+ िववेक का तG पूरी तरह से अनुपHSथत था। 18. यािचकाकताओं क े िव/ान अिधव…ा ने आगे जोर देकर कहा िक ;तीक आदेश, 1968 क े पैरा 6 म+ ;ावधान, िक आम चुनावों म+ ;दशन को क े वल राजनीितक दलों की माIता क े उ•ेš से देखा जाना था, मनमाना और अनुिचत है। उनक े अनुसार एक लोकतांिYक ;िNया चुनाव से पहले और चुनाव क े बाद भी जारी रहती है। रा: या संसद म+ िववािदत आम चुनावों से ठीक पहले `ए चुनावों म+ यािचकाकता-राजनीितक दलों क े ;दशन को ान म+ रखा जा सकता है। यह सहमित यो¨ता से रिहत है और कानून /ारा समिथत नहींहै। ऊपर िदए गए पैरा 6 (ए) और (बी) को पढ़ने से यह >k $प से >k हो जाता है िक यह िवधानसभा क े मौजूदा और कामकाज क े आम चुनावों का पहला ;दशन है जो आवšक है, राजनीितक दलों की माIता क े ;योजनों क े िलए िवचार िकया जाना। उपरो… पैरा 6 म+ "अगर और क े वल अगर" और "अIथा नहीं" श— कोई संदेह नहींछोड़ता है िक आदेश तैयार करने वाले ;ािधकारी का इरादा यह था िक आम चुनावों म+ राजनीितक दलों क े ;दशन को ही देखा जाना है। अIथा भी यह ;ावधान मनमानी या अpSथता का आभास नहीं देता है। यह अIथा अवा˜िवक होगा यिद ;¢ेक चुनाव आम या अलिवदा क े बाद, ऐसा अžास िकया जाता है। माIता ;ा~ दल उथल-पुथल और अिनि-तता की HSथित म+ रह+गे यिद हर क ु छ महीनों या वष™ क े बाद माIता ;ा~ राजनीितक दल की HSथित म+ संशोधन िकया जाता है। 19. यािचकाकताओं क े साथ कोई अIाय नहीं, बH© गंभीर नहीं है िक वह कला क े तहत अिधकार ेY क े ;योग म+ उ’ Iायालय /ारा ह˜ ेप की मांग करे। ऐसे ही मामलोंम+ संिवधान क े 226 . चुनाव आयोग /ारा 1968 क े ;तीक आदेश क े पैरा 6 (ए) और (बी) म+ उH Hखत मामलों क े संबंध म+ िनŠष पर प`ंचने क े िलए, जैसा िक पहले ही ऊपर कहा गया है, कोई Iाियक ;िNया करने की आवšकता नहींहै। इन यािचकाओं म+ दबाया गया एक ऐसा आधार नहीं है िक चुनाव को र• िकया जा सकता है और यह कड़ाई से नहीं कहा जा सकता है िक परािजत उWीदवारों या यािचकाकता-राजनीितक दलों क े िलए चुनाव यािचका का वैकH“क उपाय उपल· होगा। िजन आधारों पर चुनाव र• िकया जा सकता है, वे S. 100 . म+ िदए गए हAजन;ितिनिधG कानून क े तहत। जैसा भी हो, कला क े तहत ह˜ ेप का कोई मामला नहीं बनता है। संिवधान क े 226 क े $प म+ यािचकाकता-राजनीितक दलों को राजनीितक गितिविधयों म+ शािमल होने और चुनावों, आम या अI, संसद या िवधानसभाओं या अI लोकतांिYक संSथानों म+ भाग लेने से वंिचत नहीं िकया जाता है। 20. मामले का एक और कोण है िजस पर ान देने की आवšकता है। लोक ;ितिनिधG अिधिनयम क े एस 79 (डी)चुनावी अिधकार को पBरभािषत करता है िक िकसी €H… क े खड़े होने या न खड़े होने का अिधकार, उWीदवार होने से पीछे हटने या न हटने या वोट देने या िकसी भी चुनाव म+ मतदान से परहेज करने का अिधकार। इस ;कार िकसी को भी मतदान करने या न करने क े िलए बा नहीं िकया जा सकता है। इसी तरह िकसी को भी चुनाव लड़ने या न करने क े िलए बा नहीं िकया जा सकता है। यह पूरी तरह से संबंिधत €H… की मधुर इmा और िववेक है िक उसे कोई चुनाव लड़ना है या नहीं। इसी तरह यह पूरी तरह से संबंिधत राजनीितक दल क े िलए है िक वह िकसी भी चुनाव म+ भाग लेने या न लेने का फ ै सला करे। इस तरह क े िनणय या तो कारवाई या िनH¸यता या अIथा को Iायोिचत ठहराने क े िलए Iायालयों /ारा जांच का िवषय नहीं हो सकते हA। चुनाव की वैधता ऐसे काय™ या िनH¸यता पर िनभर नहीं है। भारत क े चुनाव आयोग बनाम िशवाजी म+ सव†’ Iायालय, एआईआर 1988 एससी 61, िनणय क े पैरा 6 म+ िन•ानुसार देखा गया है: - "संिवधान क े अनुmे द 329 म+ िनिहत गैर-अवरोधक खंड क े म•ेनजर संिवधान क े अनुmे द 226 क े तहत िकसी भी आधार पर चुनाव पर सवाल उठाने वाली यािचका पर िवचार करने क े िलए उ’ Iायालय की शH… छीन ली गई है।" एनपी पो‘ुpामी क े मामले (सु;ा) म+ िनणय को उसम+ संदिभत िकया गया था।
  • 8. International Journal of Trend in Scientific Research and Development @ www.ijtsrd.com eISSN: 2456-6470 @ IJTSRD | Unique Paper ID – IJTSRD49892 | Volume – 6 | Issue – 3 | Mar-Apr 2022 Page 2012 21. यहां तक िक िकसी राजनीितक दल की माIता र• करने पर भी चुनाव म+ भाग लेने सिहत राजनीितक गितिविधयों को आगे बढ़ाने क े उसक े अिधकारों पर कोई बंधन नहीं रखा जाता है। माIता र• करने का एकमाY ;भाव यह है िक भिव¹ क े चुनाव म+ ;तीकों क े चुनाव क े मामले म+ अनारि त ;तीकों से बाहर होगा। दू सरे श—ों म+ माIता ;ा~ राजनीितक दलों क े िलए आरि त ;तीक इसकी माIता समा~ होने क े बाद उपल· नहीं होंगे। हालांिक, गैर-माIता ;ा~ राजनीितक दल जैसे राजनीितक दल नए ;तीकों का चुनाव कर सकते हA और ऐसे राजनीितक दलों क े उWीदवार ऐसे ;तीकों क े आवंटन क े हकदार होंगे। अI उWीदवारोंक े पास िनि-त $प से शेष अI ;तीकों म+ से िवक“ होगा। ऐसे राजनीितक दल क े उWीदवार क े चुनाव लड़ने का अिधकार इस ;कार िकसी राजनीितक दल की माIता समा~ करने से नहीं छीना जाता है। 22. समा~ करने क े िलए, ;तीक आदेश | 1968 म+ वतमान मामले म+ पेश की गई HSथितयों जैसे चुनावों का बिहŠार करने जैसी HSथितयों को शािमल करने क े िलए €ापक है ^ोंिक ऐसे मामले ;दशन क े होंगे िजसक े पBरणामp$प शूI पBरणाम होंगे और ऐसे राजनीितक दल ;तीक आदेश क े पैरा 6 क े तहत गैर-माIता ;ा~ करने क े िलए उŒरदायी होंगे, 1968. पूव†… आदेश म+ िकसी संशोधन की आवšकता नहीं है और चुनाव आयोग को उसम+ संशोधन करने का कोई िनदcश नहीं िदया जा सकता है। िजस आधार पर एक राजनीितक दल चुनाव म+ भाग लेने या न करने का फ ै सला करता है, वह चुनाव आयोग क े सम या इस Iायालय क े सम , िकसी भी चुनाव यािचका म+ या कला क े तहत एक यािचका म+ उिचत नहीं है। संिवधान क े 226 और 227। यह पूरी तरह से संबंिधत €H… या संबंिधत राजनीितक दल क े िलए मतदान करने या चुनाव म+ भाग लेने क े िलए है। इसक े साथ कोई बा ता नहीं जुड़ी है और न ही िकसी को जोड़ा जा सकता है। िकसी भी कारण से राजनीितक दलों /ारा गैर-भागीदारी, माIता र• करने की अयो¨ता अिजत करेगी। ऊपर उH Hखत दो मामलोंम+ यािचकाकता-राजनीितक दलों की माIता र• करने वाले आदेश वैध और कानून क े अनुसार हA। 23. िशरोमिण अकाली दल (बादल समूह) /ारा दायर यािचका म+ एक अI ;” पर बहस की गई है िक चुनाव आयोग /ारा पाBरत आदेश शूI है और ;ाक ृ ितक Iाय क े िस‡ांतों का पालन न करने क े आधार पर र• िकया जा सकता है। जहां तक आ ेिपत आदेश पाBरत होने से पहले यािचकाकता को नोिटस क े साथ िविधवत तामील नहीं िकया गया था। यािचकाकता क े िव/ान अिधव…ा ने कहा है िक यािचकाकता को िबना िकसी नोिटस क े पाBरत िकया गया ऐसा आदेश ;ारंभ से ही अमाI होगा और इस तक क े समथन म+ ;काश िसंह बादल म+ इस Iायालय की पूण पीठ क े अवलोकन का संदभ िदया गया है। भारत संघ, एआईआर 1987 पी एं ड एच 263। यह मामला अकाली दल िवधायक दल क े बंटवारे से जुड़ा है। एक qेकवे अकाली दल िवधायक दल का गठन िकया गया था िजसे अ ने माIता दी थी। उनक े उŒरािधकारी ने मूल अकाली दल पाट क े कहने पर पाट क े अलग समूह क े सद6ों को अयो¨ घोिषत करने का मामला उठाया। इस स»भ म+ िनणय क े पैरा 40 म+ िन•ानुसार देखा गया:- "आदेश पाBरत करने से पहले, qेकवे समूह को अलग पाट क े $प म+ माIता देते `ए, न तो राजनीितक दल और न ही इस मामले म+ *िच रखने वाले िकसी अI €H… को सुना गया था, यह िकसी को भी बा नहींकरेगा और इस अथ म+ इसे शु$ से ही एक आदेश कहा जा सकता है। " 24. तक-िवतक क े दौरान यह सुझाव िदया गया था िक यिद यह पाया जाता है िक आ ेिपत आदेश पाBरत होने से पहले यािचकाकता को सेवा नहीं दी गई थी या ठीक से सेवा नहीं दी गई थी, तो दो पाµNम खुले हो सकते हA; एक यािचकाकता को संबंिधत ;ािधकारी से एकप ीय आदेश को अलग करने क े उपाय क े िलए आरोिपत करना था और दू सरा यह इस Iायालय /ारा ऊपर बताए गए आधार क े ;माण पर उस आधार पर आदेश को र• करना था और चुनाव आयोग को िनदcश देना था। कानून क े अनुसार यो¨ता क े आधार पर उिचत आदेश पाBरत करने क े िलए आगे बढ़+। इन दोनों पाµNमों को मामले क े त•ों और पBरHSथितयों म+ उपयु… नहींमाना जाता है। चूंिक दो मामलों को िववािदत ;” क े िनणय क े िलए पूण पीठ को भेजा गया था, जैसा िक पहले ही ऊपर उ ेख िकया गया है, इस Iायालय से उसी का उŒर देने की अपे ा की गई थी और उपरो… क े $प म+ उŒर देने क े बाद हमारी राय है िक यािचकाकता की सुनवाई क े बाद कानून क े अनुसार उिचत आदेश पाBरत करने क े िनदcश क े साथ मामले को चुनाव आयोग को वापस भेजने से कोई उपयोगी उ•ेš पूरा नहीं होगा। या एकतरफा आदेश को र• करने क े िलए यािचकाकता को सीधे चुनाव आयोग से संपक करने का िनदcश देने क े िलए इसे अलग िकए िबना। इस Iायालय /ारा कानून क े ;” क े िनणय क े बाद, चुनाव आयोग को उसी का पालन करना होगा और उसक े अनुसार आदेश पाBरत करने क े िलए पािटयों की सेवा क े बाद। इस ;कार चुनाव आयोग क े सम यािचकाकता की सेवा या उिचत सेवा क े त• क े िववािदत ;” क े संबंध म+ कोई और िटOणी नहीं की जाती है। इस Iायालय /ारा कानून क े ;” क े िनणय क े बाद, चुनाव आयोग को उसी का पालन करना होगा और उसक े अनुसार आदेश पाBरत करने क े िलए पािटयों की सेवा क े बाद। इस ;कार चुनाव आयोग क े सम यािचकाकता की सेवा या उिचत सेवा क े त• क े िववािदत ;” क े संबंध म+ कोई और िटOणी नहीं की जाती है। इस Iायालय /ारा कानून क े ;” क े िनणय क े बाद, चुनाव आयोग को उसी का पालन करना होगा और उसक े अनुसार आदेश पाBरत करने क े िलए पािटयों की सेवा क े बाद। इस ;कार चुनाव आयोग क े सम यािचकाकता की सेवा या उिचत सेवा क े त• क े िववािदत ;” क े संबंध म+ कोई और िटOणी नहीं की जाती है।[6] संदभ/ [1] Singh, Pritam (2008). Federalism, Nationalism and Development: India and the Punjab Economy. London; New York: Routledge. पृ॰ 3. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-415-45666-5. मूल से 30 अ;ैल 2014 को पुरालेHखत. अिभगमन ितिथ 17 जनवरी 2015. [2] "Guru Nanak Jayanti [Hindi]: गु*नानक जयंती पर जािनए नानक जी को गहराई से". S A NEWS (अं‹ेज़ी म+).
  • 9. International Journal of Trend in Scientific Research and Development @ www.ijtsrd.com eISSN: 2456-6470 @ IJTSRD | Unique Paper ID – IJTSRD49892 | Volume – 6 | Issue – 3 | Mar-Apr 2022 Page 2013 [3] "पंजाब का इितहास | भारतकोश". m.bharatdiscovery.org. [4] "Ëया आपको पता है भारत-पाक बंटवारे की ये सÌचाई, िसर चकरा जाएगा आपका..!". News18 India. [5] "Ëया आपको पता है भारत-पाक बंटवारे की ये सÌचाई, िसर चकरा जाएगा आपका..!". News18 India. [6] "पंजाब क े शहर- GK in Hindi - सामाI ¶ान एवं कर+ट अफ े यस". hindi.gktoday.in.