1. गर्म हवा...
-यूसुफ किरर्ानी
बापू हर् शर्र्िंदा हैं तेरे िाततल ज िंदा हैं
पहनते हैं खादी, ुर्लेबा ी र्ें उम्दा हैं
िहता है खुद िो अहहिंसा िा पु ारी
लेकिन ान ले रहा इिंसान िी दुराचारी
बापू हर् शर्र्िंदा हैं तेरे िाततल ज िंदा हैं...
कितनी गर्म हवा चल रही है अपने देश र्ें
गली-गली हत्यारे घूर् रहे हैं साधू िे वेश र्ें
बापू हर् शर्र्िंदा हैं तेरे िाततल ज िंदा हैं...
ि म है र्सर पर, बेडी है किसान िे पािंव र्ें
बडे साहब ला रहे हैं इिंटरनेट, फे सबुि गािंव र्ें
बापू हर् शर्र्िंदा हैं तेरे िाततल ज िंदा हैं...
दाभालोिर, पनसारे शहीद हो गए सच िी राह र्ें
2. अभी और आएिंगे िई र्सीहा शहादत िी चाह र्ें
बापू हर् शर्र्िंदा हैं तेरे िाततल ज िंदा हैं...
रार्-रहीर् अब न बोले तो िब बोलोगे, अब न तनिले घरों से तो िब तनिलोगे
र्र्टा दो खुद िो हर ुल्र् िे खखलाफ, वरना बाद र्ें तो हाथ र्लते रह ाओगे
बापू हर् शर्र्िंदा हैं तेरे िाततल ज िंदा हैं...
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