Desi Gauvansh Chandigarh | Tricity big desi cow | Maat Pitah Temple
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2. परमपपता परमेश्वर ने इस भौततक जगत में सुखमय मानव जीवन की कल्पना करते ही इसका धाार
बनाया माता-पपता को, शायद इसक
े बबना मानव जन्म संभव न था
और मानव जीवन को शुरू से अंत तक स्वस्थ व समृद्धा रखने क
े लिए बनाया गौमाता को । ऐसे हुई
शुरुधत मानव-जीवन की, जजसका धाार बने माता-पपता और सुपोषण करने वािी गौमाता । अतीत में
संपूणण मानव जातत क
े तनरोगी रहने का कारण “गाय” और खुश रहने का कारण “मां-बाप” का धशीवाणद ही
मुख्य थे । क्योंकक पहिे गोवंश की संख्या, मानव जनसंख्या से बहुत अधाक थी, जजस कारण ज्यादा मात्रा
में गोवंश का गोबर, गोमूत्र ारती को खाद ( फ़र्टणिाइज़र ) क
े रूप में लमिता था जजससे हम यूररया व
क
े लमकि मुक्त अन्य ग्रहण करक
े तनरोग जीवन जी पाते थे । शास्त्र मत है कक जैसा खाओगे अन्न, वैसा
होगा मन क्योंकक हमारी जीवनशैिी मन से ही चिती है पहिे हम शुद्ा अन्न खाकर ही संयुक्त पररवार
में सद्भावनाओं वािा जीवन जीते थे
WELCOME TO MAAT PITAH TEMPLE
3. उपरोक्त शब्दों की गहराई को हृदय में उतार कर जीवन जीने वािे बहुत से महापुरुष हमारे गौरवमई इततहास में मौजूद
है, जैसे पपता की धज्ञा मानकर भगवान श्री रामचंद्र का बनवास जाना और श्रवण क
ु मार का अंाे माता पपता को क
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पर बैठाकर तीथण करवाना धर्द । िेककन धज हम अपनी संस्कृ तत को भूिते जा रहे हैं पररणामस्वरूप माता-पपता और
गौमाता जो हमारे लिए सवाणधाक पूजनीय होने चार्हए उन्हीं की अधाक दुदणशा हो रही है इसी पवषय की गंभीरता क
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कारण पररणाम स्वरूप व अपने माता-पपता क
े प्रतत अत्याधाक धदरभाव तथा गौमाता क
े प्रतत अटूट प्रेम क
े चिते श्री
ज्ञान चंद वालिया क
े र्दमाग में बार-बार यही पवचार धता था, कक जब परमात्मा की इतनी सुंदर पररकल्पना का
पररणाम है मां-बाप और गौमाता, तो यह असहाय क
ै से हो सकते हैं और इनक
े बेसहाय होते मानव-जीवन सुखी क
ै से हो
सकता है ? बस इसी एक पवचार से इन्होंने अपना समस्त जीवन माता-पपता और गौ माता की सेवा में समपपणत करने
का मन बना लिया । मां-बाप का सत्कार और गौमाता से प्रयाग की िहर को जन-जन तक पहुंचाने में इतने मग्न हो
गए कक ज्ञान चंद वालिया कब गौचर दास ज्ञान बन गए पता ही नहीं चिा
।। मात-पपता ही भगवान मेरे, इनसे बड़ा न कोए ।।
।। जो धशीष ये र्दि से दे दे, अवश्य ही पूणण होये ।।