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प्रभुत्ववादी सिद्ाांत
(Authoritarian Theories)
समाज की अपनी सामाजजक व राजनैजिक व्यवस्था होिी है।
कु छ जनयम व आदर्श होिे हैं। इसी व्यवस्था के िहि जनयम व
आदर्श को ध्यान में रखकर संचार माध्यमों को अपना कायश
करना पड़िा है। संचार माध्यमों के प्रभाव से सामाजजक व
राजनैजिक व्यवस्था न के वल प्रभाजवि, बल्कि पररवजिशि भी होिी
है। यहीं कारण है जक संचार जवर्ेषज्ञ सदैव यह जानने के जलए
प्रयासरि रहिे है जक समाज का सामाजजक व राजनैजिक
पररवरेर् कै सा है? जकसी देर् व समाज के संचार माध्यमों को
समझने के जलए उस देर् व समाज की आजथशक व राजनैजिक
व्यवस्था, भौगोजलक पररल्कस्थजि िथा जनसंख्या को जानना
महत्वपूणश है, क्ोंजक इसके अभाव में संचार माध्यमों का जवकास
व जवस्तार असंभव है।
इि िम्बन्् में िांचार ववशेषज्ञ फ्रे डररक सिबर्ट, थियोडोर पीर्रिन तिा
ववलबर श्राम ने 1956 में प्रकासशत अपनी चथचटत पुस्तक Four Theories of
the Press के अांतर्टत प्रेि के चार प्रमुख सिद्ाांतों की ववस्तृत व्याख्या की है,
जििे ननयामक सिद्ाांत कहा िाता है। िो ननम्नसलखखत हैं
प्रभुत्ववादी सिद्ाांत (Authoritarian Theories)
उदारवादी सिद्ाांत (Libertarian Theories)
िामाजिक उत्तरदानयत्व का सिद्ाांत (Social Responsibility Theories)
िाम्यवादी मीडडया सिद्ाांत ( Communist Media Theories)
इन चारों सिद्ाांतों का प्रनतपादन प्रेि के िांदभट में ककया र्या है। बाद
में िांचार ववशेषज्ञों ने इिे माि मीडडया के िांदभट में देखते हुए दो अन्य
सिद्ाांतों को प्रनतपाददत करके िोडा है।
लोकताांत्रिक भार्ीदारी का सिद्ाांत (Democratic Participant Theories)
ववकाि माध्यम सिद्ाांत (Development Media Theories)
प्रभुत्ववादी सिद्ाांत (Authoritarian Theories)
प्राचीन काल के शािकों का अपने िाम्राज्य पर पूर्ट
ननयांिर् होता िा। उिे िवटशजततमान तिा ईश्वर का
दूत माना िाता िा। ग्रीक दाशटननक प्लेर्ो ने अपने
दाशटननक रािा के सिद्ाांत में शजततशाली रािा का
उल्लेख ककया है। प्रभुत्ववादी या ननरांकु श शािन-
व्यवस्िा में व्यजतत व िमाि के पाि कोई अथ्कार
नहीां होता है। उिके सलए शािक वर्ट की आज्ञा का
पालन करना अननवायट होता है। ऐिी व्यवस्िा में
शािक को उिके कायों के सलए उत्तरदायी ठहराने के
सलए ववथ् का अभाव होता है। मध्य युर्ीन इर्ली के
दाशटननक मेककयावली ने अपनी पुस्तक The Prince
में शािक को ित्ता के सलए िभी ववकल्पों का प्रयोर्
करने का उल्लेख ककया है।
लाइिेंि प्रर्ाली : प्राचीन काल में शािक वर्ट ने प्रेि पर
प्रभावी तरीके िे ननयांिर् रखने के सलए वप्रांदर्ांर् प्रेि लर्ाने के
सलए लाइिेंि अननवायट कर ददया। शािक वर्ट को निर
अांदाि करने पर लाइिेंि रदद करने की व्यवस्िा िी।
िेंिरसशप कानून : लाइिेंि लेने के बाविूद प्रेि को कु छ भी
प्रकासशत करने का अथ्कार नहीां िा। िेंिरसशप कानून के
अनुपालन तिा ित्ता ववरो्ी िामग्री के प्रकाशन पर प्रनतयों
का प्रिारर् रोकने का अथ्कार शािक वर्ट के पाि िा।
ििा : शािक वर्ट की नीनतयों के ववरूद् कायट करने पर
िुमाटना व कारावाि के ििा की व्यवस्िा िी।

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Authoritarian Theories

  • 2. समाज की अपनी सामाजजक व राजनैजिक व्यवस्था होिी है। कु छ जनयम व आदर्श होिे हैं। इसी व्यवस्था के िहि जनयम व आदर्श को ध्यान में रखकर संचार माध्यमों को अपना कायश करना पड़िा है। संचार माध्यमों के प्रभाव से सामाजजक व राजनैजिक व्यवस्था न के वल प्रभाजवि, बल्कि पररवजिशि भी होिी है। यहीं कारण है जक संचार जवर्ेषज्ञ सदैव यह जानने के जलए प्रयासरि रहिे है जक समाज का सामाजजक व राजनैजिक पररवरेर् कै सा है? जकसी देर् व समाज के संचार माध्यमों को समझने के जलए उस देर् व समाज की आजथशक व राजनैजिक व्यवस्था, भौगोजलक पररल्कस्थजि िथा जनसंख्या को जानना महत्वपूणश है, क्ोंजक इसके अभाव में संचार माध्यमों का जवकास व जवस्तार असंभव है।
  • 3. इि िम्बन्् में िांचार ववशेषज्ञ फ्रे डररक सिबर्ट, थियोडोर पीर्रिन तिा ववलबर श्राम ने 1956 में प्रकासशत अपनी चथचटत पुस्तक Four Theories of the Press के अांतर्टत प्रेि के चार प्रमुख सिद्ाांतों की ववस्तृत व्याख्या की है, जििे ननयामक सिद्ाांत कहा िाता है। िो ननम्नसलखखत हैं प्रभुत्ववादी सिद्ाांत (Authoritarian Theories) उदारवादी सिद्ाांत (Libertarian Theories) िामाजिक उत्तरदानयत्व का सिद्ाांत (Social Responsibility Theories) िाम्यवादी मीडडया सिद्ाांत ( Communist Media Theories) इन चारों सिद्ाांतों का प्रनतपादन प्रेि के िांदभट में ककया र्या है। बाद में िांचार ववशेषज्ञों ने इिे माि मीडडया के िांदभट में देखते हुए दो अन्य सिद्ाांतों को प्रनतपाददत करके िोडा है। लोकताांत्रिक भार्ीदारी का सिद्ाांत (Democratic Participant Theories) ववकाि माध्यम सिद्ाांत (Development Media Theories)
  • 4. प्रभुत्ववादी सिद्ाांत (Authoritarian Theories) प्राचीन काल के शािकों का अपने िाम्राज्य पर पूर्ट ननयांिर् होता िा। उिे िवटशजततमान तिा ईश्वर का दूत माना िाता िा। ग्रीक दाशटननक प्लेर्ो ने अपने दाशटननक रािा के सिद्ाांत में शजततशाली रािा का उल्लेख ककया है। प्रभुत्ववादी या ननरांकु श शािन- व्यवस्िा में व्यजतत व िमाि के पाि कोई अथ्कार नहीां होता है। उिके सलए शािक वर्ट की आज्ञा का पालन करना अननवायट होता है। ऐिी व्यवस्िा में शािक को उिके कायों के सलए उत्तरदायी ठहराने के सलए ववथ् का अभाव होता है। मध्य युर्ीन इर्ली के दाशटननक मेककयावली ने अपनी पुस्तक The Prince में शािक को ित्ता के सलए िभी ववकल्पों का प्रयोर् करने का उल्लेख ककया है।
  • 5. लाइिेंि प्रर्ाली : प्राचीन काल में शािक वर्ट ने प्रेि पर प्रभावी तरीके िे ननयांिर् रखने के सलए वप्रांदर्ांर् प्रेि लर्ाने के सलए लाइिेंि अननवायट कर ददया। शािक वर्ट को निर अांदाि करने पर लाइिेंि रदद करने की व्यवस्िा िी। िेंिरसशप कानून : लाइिेंि लेने के बाविूद प्रेि को कु छ भी प्रकासशत करने का अथ्कार नहीां िा। िेंिरसशप कानून के अनुपालन तिा ित्ता ववरो्ी िामग्री के प्रकाशन पर प्रनतयों का प्रिारर् रोकने का अथ्कार शािक वर्ट के पाि िा। ििा : शािक वर्ट की नीनतयों के ववरूद् कायट करने पर िुमाटना व कारावाि के ििा की व्यवस्िा िी।