पण्डित दीनदयाल उपाध्याय ( जन्म: 25 सितम्बर 1916–11 फरवरी 1968) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चिन्तक और संगठनकर्ता थे। वे भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने भारत की सनातन विचारधारा को युगानुकूल रूप में प्रस्तुत करते हुए देश को एकात्म मानववाद नामक विचारधारा दी। वे एक समावेशित विचारधारा के समर्थक थे जो एक मजबूत और सशक्त भारत चाहते थे
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पण्डित दीनदयाल उपाध्याय.pdf
1. पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 डितम्बर
1916 को मथुरा डजले क
े "नगला चन्द्रभान" ग्राम
में हुआ था। उनक
े डपता का नाम भगवती प्रिाद
उपाध्याय था, जो नगला चंद्रभान (फरह, मथुरा)
क
े डनवािी थे। उनकी माता का नाम रामप्यारी
था, जो धाडमिक प्रवृडि की थीं। डपता रेलवे में
जलेिर रोि स्टेशन क
े िहायक स्टेशन मास्टर
थे। रेल की नौकरी होने क
े कारण उनक
े डपता का
अडधक िमय बाहर ही बीतता था। कभी-कभी
छु ट्टी डमलने पर ही घर आते थे।
2. भारतीय जन संघ क
े अध्यक्ष
जन्म 25 डितम्बर 1916
नगला चन्द्रभान,(मथुरा) U.P डिडिश भारत
मृत्यु 11 फरवरी 1968
स्वतन्त्र भारत में मुगलिराय क
े
आिपाि रेल में हत्या
राजनीडतक दल भारतीय जनिंघ,(वतिमान नाम),भारतीय
जनता पािी
धमि डहन्दू
3. एक दृष्टि में
मैडििक और इण्टरमीडिएि-दोनों ही परीक्षाओं में प्रथम श्रेणी।
कानपुर डवश्वडवद्यालय िे बी०ए० िे राजनीडत का पदापिण डकया।
प्रशािडनक परीक्षा में भी ऊिीणि हुए ।
1937 में राष्ट्ि ीय स्वयंिेवक िंघ िे जुड़ गये।
1942 िे पूरी तरह राष्ट्ि ीय स्वयंिेवक िंघ क
े डलए कायि करना शुरू डकया।
राष्ट्ि धमि, पाञ्चजन्य और स्वदेश जैिी पत्र-पडत्रकाएँ प्रारम्भ की।
1951 में श्यामा प्रिाद मुखजी ने जनिंघ की स्थापना क
े िमय उिर-
प्रदेश का महािडचव बनाया ।
हाल ही में उिर प्रदेश िरकार ने मुगलिराय जंक्शन का नाम दीनदयाल
उपाध्याय स्टेशन कर डदया।
कान्दला बन्दरगाह क
े नाम को दीनदयाल उपाध्याय बन्दरगाह कर डदया
गया।
4. क
ृ ष्टतयााँ
उपाध्याय जी पत्रकार होने क
े िाथ-िाथ डचन्तक और लेखक भी
थे। उनकी अिामडयक मृत्यु िे यह बात स्पष्ट् है डक डजि धारा में
वे भारतीय राजनीडत को ले जाना चाहते थे वह धारा डहन्दुत्व की
थी। इिका िंक
े त उन्ोंने अपनी क
ु छ क
ृ डतयों में भी दे डदया था।
इिीडलए कालीकि अडधवेशन क
े बाद मीडिया का ध्यान उनकी
ओर गया। उनकी क
ु छ प्रमुख पुस्तकों क
े नाम[1] नीचे डदये गये
हैं-
दो योजनाएँ
राजनीडतक िायरी
राष्ट्ि डचन्तन : यह पुस्तक दीनदयाल उपाध्याय द्वारा डदए गए
भाषणों का िंग्रह है ।
भारतीय अथि नीडत : डवकाि की एक डदशा
भारतीय अथिनीडत का अवमूल्यन