SlideShare a Scribd company logo
1 of 22
Sunday, July 25, 2021 1
Sunday, July 25, 2021 2
क
ुं डलिय ाँ
गिरिधि कविि य
कमिी थोिे द म की , बहतै आिै क म ।
ख स मिमि ि फ्त , उनकि ि खै म न ।।
उनकि ि खै म न , बुंद जाँह आड़े आिै ।।
बकच ब ाँधे मोट , ि तत को झ रि बबछ िै ।।
कह ' गिरिधि कविि य ' , लमित है थोिे दमिी ।।
सब ददन ि खै स थ ,बड़ी मय ाद कमिी ।। 2 II
Sunday, July 25, 2021 3
शब्द था –
कमिी - क ि क
ुं बि
ख स - उत्तम प्रक ि क
ि फ्त - महाँि िस्त्र
थोिे - थोड़े
द म - कीमत , रुपय -पैस
थोिे द म - कम मूल्य क
बकच - छोटी िठिी
मोट - िठिी , स म न
ि तत - ि त
झ रि - झ ड़कि
थोिे दमिी - कम कीमत में
बड़ी मय ाद - बड़ी क म की चीज़
Sunday, July 25, 2021 4
व्य ख्य - क ि क
ुं बि थोड़े मूल्य में लमि ज त है। इस क
ुं बि क
े
अनेक ि भ हैं। घि में भी औि य र क
े दौि न भी िह बहत क म
आती है I उत्तम प्रक ि क कपड़ , मिमि औि महाँि कपड़ जैसे
कीमती कपड़ों की धूि औि प नी से िक्ष कित है। िैसे ही पिेश नी
पड़ने पि यह क
ुं बि आमजन क सम्म न बन ए िखत है। कीमती
कपड़ों को य स म न को उसमें ब ाँधकि िठिी बन ई ज सकती है I
जजसमें स ि स म न एक ही जिह पि लसमट ज त है औि उसे
आस नी से िे ज य ज सकत है I ि त में विश्र म क
े लिए उसे
झ ड़ कि बबछ य ज सकत है औि आि म से सोय ज सकत है
गिरिधि कविि य कहते हैं कक कम कीमत में लमिने ि िे क
ुं बि को
सदैि अपने प स िखन च दहए क्योंकक यह क
ुं बि बहत उपयोिी
होत है। कमिी बहत सस्त्ती लमि ज ती है उसे हमेश अपने स थ
िखन च दहए क्योंकक इसक
े बहत ि भ हैं I
Sunday, July 25, 2021 5
प्रसुंि - प्रस्त्तत क
ुं डलिय में गिरिधि कविि य ने क
ुं बि
क
े िणों क / उसकी उपयोगित क िणान ककय है।
बकच ब ाँधे मोट , ि तत को झ रि बबछ िै –
यदद ककसी क
े प स क
ुं बि हो , तो उसमें स म न
ब ाँधकि /िखकि छोटी िठिी बन य ज सकत है।
ि त को विश्र म क
े लिए उसे झ ड़कि ओढ़ / बबछ य
ज सकत है।
Sunday, July 25, 2021 6
िन क
े ि हक सहस नि बबन िन िहै न कोय I
जैसे क ि कोककि , शब्द सनै सब कोय II
शब्द सनै सब कोय , कोककि सबै सह िन I
दोऊ को एक िुंि , क ि सब भये अप िन I
कह ' गिरिधि कविि य ', सनो हो ठ कि मन क
े II
बबन िन िहै न कोय , सहस नि ि हक िन क
े II 3 II
Sunday, July 25, 2021 7
शब्द था –
1) िन - िण
2) ि हक - ग्र हक
3) सहस - सहस्र , हज िों
4) क ि - कौआ
5) सह िन - अच्छ ििन
6) दोऊ - दोनों
7) अप िन - अपविर
8) िहै - िेन
9) कोककि - कोयि
10) बबन - बबन
Sunday, July 25, 2021 8
व्याख्या - प्रस्त्तत क
ुं डलिय में कवि कहते हैं कक िणी व्यजक्त क हि जिह
सम्म न होत है I अतः हमें अपने अुंदि िणों को बढ़ न च दहए I िणों को
च हने ि िे अनेक िोि हैं पि बबन िणों ि िे व्यजक्त को कोई नहीुं पूछत
यही क िण है कक हम जन्म से ही अच्छे सुंस्त्क ि औि िण अपने अुंदि
विकलसत किने क प्रयत्न किते हैं औि सम ज में सम्म न प ते हैं I कवि
कौआ औि कोयि क दृषट ुंत देकि इस ब त को समझ ने क प्रय स किते
हैं कक कौए औि कोयि की आि ज सभी िोि सनते हैं पि कौए की क ाँि -
क ाँि को कोई पसुंद नहीुं कित अवपत कोयि की मधि क
ू क सभी क
े मन
को भ ती है I दोनों क िुंि भी एक होत है I पिुंत कवि क
े अनस ि कौआ हि
तिह से अपविर है I गिरिधि कविि य कहते हैं कक स्त्ियुं को श्रेषठ समझने
ि िों सनो हम स्त्ियुं पि ककतन भी अलभम न कि िे पि सम ज में कद्र
क
े िि हम िे िणों की होती है रूप िुंि कक नहीुं क्योंकक िण स्त्थ ई होते हैं
औि िुंि रूप नश्िि है I बबन िणों क
े कोई हम ि सम्म न नहीुं कित हमें
नहीुं च हत I िेककन िणी व्यजक्त को च हने ि िे हज िों व्यजक्त हैं I
इसलिए सही कह िय है कक िणों क
े बबन कोई ककसी को नहीुं पूछत पि
िणी क
े अनेक ग्र हक होते हैं I
Sunday, July 25, 2021 9
कौआ औि कोयि में सम नत –
दोनों क िुंि क ि होत है I
कौआ औि कोयि में औि असम नत –
कौिे की ि णी कक
ा श होती है जबकक कोयि की क
ू क
कणावप्रय तथ मधि होती है I
Sunday, July 25, 2021 10
प्रसुंि - प्रस्त्तत क
ुं डलिय क
े िचतयत गिरिधि कविि य हैं I
प्रस्त्तत क
ुं डलिय में कवि बत ते हैं कक सुंस ि में मनषय क
सम्म न िणों क
े क िण ही होत है इस सुंस ि में िणों को
च हने ि िे अनेक िोि हैं िणी व्यजक्त क सभी सम्म न
किते हैं िेककन िणहीन को कोई भी नहीुं च हत उसकी सब
उपेक्ष किते हैं I
कौए औि कोयि क
े उद हिण द्ि ि कवि ने यह स्त्पषट
ककय है कक कोयि ि णी की मधित जैसे िण क
े क िण
सभी क
े द्ि ि पसुंद की ज ती है पिुंत कौआ अपनी कक
ा श
ि णी तथ िणहीन होने क
े क िण सम्म न नहीुं प त है I
Sunday, July 25, 2021 11
स ाँई सब सुंस ि में मतिब क व्यिह ि I
जब िि पैस ि ाँठ में , तब िि त को य ि II
तब िि त को य ि , य ि सुंि ही सुंि डोिे I
पैस िहे न प स य ि मख से नदहुं बोिे I
कह ' गिरिधि कविि य ' जित यदह िेख भ ई I
कित बेििजी प्रीतत , य ि बबिि कोई स ाँई II 4 II
Sunday, July 25, 2021 12
शब्द था –
1) मतिब - स्त्ि था
2) व्यिह ि - बत ाि
3) ि ाँठ - जेब
4) य ि - दोस्त्त
5) डोिे -घूमे
6) िेख - िीत
7) बेििजी - बबन स्त्ि था क
े
8) प्रीतत - प्रेम
9) बबिि - कोई-कोई , बहतों में कोई एक
Sunday, July 25, 2021 13
कवि ने इस क
ुं डलिय में इस सुंस ि की िीत बत ते हए
कह है कक यह ाँ प्रत्येक व्यजक्त अपने स्त्ि था क
े दहस ब से
ही व्यिह ि कित है I यह ाँ हि व्यजक्त स्त्ि थी है I जब
तक जेब में पैसे हैं तब तक लमर एक पि क
े लिए भी
स थ नहीुं छोड़ते िेककन धन - दौित सम प्त होते ही
उनकी लमरत भी सम प्त हो ज ती है औि िे अच्छी तिह
से ब त तक नहीुं किते हैं I देखते ही माँह फ
े ि िेते हैं I
कवि कहते हैं कक इस सुंस ि क यही तनयम है यह ाँ सभी
स्त्ि था पूणा व्यिह ि किते हैं I इस सुंस ि में ऐसे व्यजक्त
बहत कम है जो बबन स्त्ि था क
े लमरत किते हैं , बबन
स्त्ि था क
े सबक
े स थ प्रेम पूणा व्यिह ि किते हैं I
Sunday, July 25, 2021 14
प्रसुंि - गिरिधि कविि य क
े अनस ि इस सुंस ि में स्त्ि था क
े व्यिह ि की िीत है अथ ात
इस सुंस ि में िोि एक दूसिे से अपने मतिब क
े लिए ब त किते हैं I
कवि ने अपने कथन क
े समथान में लमरत क दृषट ुंत ददय है I इस सुंस ि में लमरत
क आध ि रुपय - पैस , धन - दौित है I जब तक ककसी व्यजक्त क
े प स धन-दौित
, रुपय - पैस प्रचि म र में होत है तब तक उसक
े अनेक लमर होते हैं I उसक
े
आसप स घूमते कफिते हैं I पिुंत जैसे ही उसक धन सम प्त हो ज त है सभी लमर
उससे ककन ि कि िेते हैं तथ उससे अच्छे से नहीुं बोिते हैं I
' बबिि ' शब्द क प्रयोि कवि ने तन:स्त्ि था लमरत किने ि िे िोिों क
े लिए ककय है |
सुंस ि में बबन ककसी स्त्ि था क
े ककसी से लमरत किने ि िे िोि कम ही लमिते हैं |
बबििे ही लमिते हैं |
Sunday, July 25, 2021 15
िदहए िटपट क दट ददन , बरु घ मे म ाँ सोय |
छ ाँह न ब की बैदठये , जो तरु पतरु होय ||
जो तरु पतरु होय , एक ददन धोख देहैं |
ज ददन बहै बय रि , टूदट तब जड़ से जैहैं ||
कह गििधि कविि य , छ ाँह मोटे की िदहए |
प ती सब झरि ज याँ , तऊ छ य में िदहए ||5||
Sunday, July 25, 2021 16
शब्द था –
1) िटपट - गििते - पड़ते, ककसी तिह
2) बरु - भिे ही
3) घ मे - धूप में
4) पतिो - पति , कमज़ोि
5) जि - जड़
6) प ती - पवत्तय ाँ
7) तऊ - तब भी
8) जैहैं - ज एि
9) िदहए - पकड़ड़ए , ग्रहण कीजजए
10) झरि – झड़न
11) छ ाँह - छ य
12) ब की - उसकी
13) तरु - पेड़
14) बय रि - हि
Sunday, July 25, 2021 17
Sunday, July 25, 2021 18
प्रस्त्तत क
ुं डलिय में कवि पेड़ क
े उद हिण से यह समझ न च हते हैं कक हमें
समथा क आश्रय िेन च दहए अथ ात सबि व्यजक्त क सह ि िेन च दहए
I तनबाि व्यजक्त मसीबत आने पि अपने ही िक्ष नहीुं कि प एि I कफि िह
हम िी सिक्ष क
ै से कि सक
े ि ? सफि व्यजक्त अनेक कषट झेि कि भी
सिक्षक्षत िहत है औि उसक
े सह िे हम भी सिक्षक्षत िहेंिे I
Sunday, July 25, 2021 19
कविि य क
े अनस ि जीिन में सख दख सहते हए ककसी भी प्रक ि जीिन
व्यतीत कि िीजजए च हे धूप में सो िीजजए पि उस पेड़ की छ य में कभी
नहीुं बैठन च दहए जो पति य कमजोि हो I क्योंकक ऐसे पेड़ की छ य में
बैठने से खति है I यह पेड़ एक ददन अिश्य ही धोख देि I जजस ददन
तेज हि चिेिी िह जड़ से उखड़ ज एि , िह पेड़ भी टूट ज एि औि
ह तन पहाँच सकत है I मोटे पेड़ की छ य घनी होती है तथ मोटे तने
ि ि पेड़ आाँधी आने पि गिित नहीुं है , उसक
े नीचे बैठे िहने ि िे
व्यजक्त क जीिन सिक्षक्षत िहत है I पति पेड़ हमें कभी भी धोख दे
सकत है I पतिे पेड़ की छ य भी घनी नहीुं होती है I स थ ही जैसे ही
तेज हि चिने ििती है उसक
े धि श यी होने क खति िहत है I उसक
े
नीचे बैठे िोिों क जीिन खतिे में पड़ ज त है I
ि ज क
े दिब ि में , जैये समय प य I
स ईं तह ाँ न बैदठए , जहाँ कोउ देय उठ य II
जहाँ कोउ देय उठ य , बोि अनबोिे िदहए I
हाँलसये नहीुं हह य , ब त पूछे ते कदहए II
कह ' गििधि कविि य ' समय सों कीजै क ज I
अतत आति नदह होय , बहरि अनखैहैं ि ज II 7II
Sunday, July 25, 2021 20
शब्द था -
1) समय - समय पि
2) कोउ - कोई
3) देय - देन
4) स ाँईं - स्त्ि मी
5) अनबोिे - बबन बोिे / चप
6) हह य - ह - ह किन
7) कीजै - किन
8) क ज - क या
9) आति - व्य कि , बेचैन
10) तह ाँ - उस जिह , िह ाँ
11) बहरि - बहत
12) अनखैहैं - बि म नते हैं , न ि ज़ होते हैं
Sunday, July 25, 2021 21
प्रस्त्तत क
ुं डलिय में कवि जनस ध िण को ि जदिब ि क
े तनयमों से अिित कि
िहे हैं I हमें अपने व्यिह ि को श िीनत से यक्त बन न च दहए I
ि ज क
े दिब ि में अिसि लमिने पि उपयक्त समय में ही जIन च दहए I हमें
अपने स्त्ति क
े अनस ि ही स्त्थ न ग्रहण किन च दहए I कभी ऐसे स्त्थ न पि नहीुं
बैठन च दहए जह ाँ से कोई उठ दे I यदद अज्ञ निश ऐसी जिह पि बैठ ज ओ
जह ाँ से कोई उठ दे तो ििती को चपच प स्त्िीक ि कि िेन च दहए I ि ज क
े
दिब ि क
े तनयम होते हैं उनक प िन किन च दहए I िह ाँ ज़ोि - ज़ोि से हाँसन
नहीुं च दहए I जब कोई ब त पूछी ज ए तब उसक उत्ति देन च दहए यही नम्रत
है I कवि कहते हैं कक अगधक उत िि नहीुं होन च दहए I क म समय आने पि
ही होि I समय आने पि ि ज अिश्य ही हम िी ओि ध्य न देंिे औि हम िी
समस्त्य को सनेंिे I अन्यथ ि ज क
े क्रोध क प र बनन पड़ेि , ि ज न ि ज़
भी हो सकते हैं I
Sunday, July 25, 2021 22

More Related Content

Featured

How Race, Age and Gender Shape Attitudes Towards Mental Health
How Race, Age and Gender Shape Attitudes Towards Mental HealthHow Race, Age and Gender Shape Attitudes Towards Mental Health
How Race, Age and Gender Shape Attitudes Towards Mental Health
ThinkNow
 
Social Media Marketing Trends 2024 // The Global Indie Insights
Social Media Marketing Trends 2024 // The Global Indie InsightsSocial Media Marketing Trends 2024 // The Global Indie Insights
Social Media Marketing Trends 2024 // The Global Indie Insights
Kurio // The Social Media Age(ncy)
 

Featured (20)

Everything You Need To Know About ChatGPT
Everything You Need To Know About ChatGPTEverything You Need To Know About ChatGPT
Everything You Need To Know About ChatGPT
 
Product Design Trends in 2024 | Teenage Engineerings
Product Design Trends in 2024 | Teenage EngineeringsProduct Design Trends in 2024 | Teenage Engineerings
Product Design Trends in 2024 | Teenage Engineerings
 
How Race, Age and Gender Shape Attitudes Towards Mental Health
How Race, Age and Gender Shape Attitudes Towards Mental HealthHow Race, Age and Gender Shape Attitudes Towards Mental Health
How Race, Age and Gender Shape Attitudes Towards Mental Health
 
AI Trends in Creative Operations 2024 by Artwork Flow.pdf
AI Trends in Creative Operations 2024 by Artwork Flow.pdfAI Trends in Creative Operations 2024 by Artwork Flow.pdf
AI Trends in Creative Operations 2024 by Artwork Flow.pdf
 
Skeleton Culture Code
Skeleton Culture CodeSkeleton Culture Code
Skeleton Culture Code
 
PEPSICO Presentation to CAGNY Conference Feb 2024
PEPSICO Presentation to CAGNY Conference Feb 2024PEPSICO Presentation to CAGNY Conference Feb 2024
PEPSICO Presentation to CAGNY Conference Feb 2024
 
Content Methodology: A Best Practices Report (Webinar)
Content Methodology: A Best Practices Report (Webinar)Content Methodology: A Best Practices Report (Webinar)
Content Methodology: A Best Practices Report (Webinar)
 
How to Prepare For a Successful Job Search for 2024
How to Prepare For a Successful Job Search for 2024How to Prepare For a Successful Job Search for 2024
How to Prepare For a Successful Job Search for 2024
 
Social Media Marketing Trends 2024 // The Global Indie Insights
Social Media Marketing Trends 2024 // The Global Indie InsightsSocial Media Marketing Trends 2024 // The Global Indie Insights
Social Media Marketing Trends 2024 // The Global Indie Insights
 
Trends In Paid Search: Navigating The Digital Landscape In 2024
Trends In Paid Search: Navigating The Digital Landscape In 2024Trends In Paid Search: Navigating The Digital Landscape In 2024
Trends In Paid Search: Navigating The Digital Landscape In 2024
 
5 Public speaking tips from TED - Visualized summary
5 Public speaking tips from TED - Visualized summary5 Public speaking tips from TED - Visualized summary
5 Public speaking tips from TED - Visualized summary
 
ChatGPT and the Future of Work - Clark Boyd
ChatGPT and the Future of Work - Clark Boyd ChatGPT and the Future of Work - Clark Boyd
ChatGPT and the Future of Work - Clark Boyd
 
Getting into the tech field. what next
Getting into the tech field. what next Getting into the tech field. what next
Getting into the tech field. what next
 
Google's Just Not That Into You: Understanding Core Updates & Search Intent
Google's Just Not That Into You: Understanding Core Updates & Search IntentGoogle's Just Not That Into You: Understanding Core Updates & Search Intent
Google's Just Not That Into You: Understanding Core Updates & Search Intent
 
How to have difficult conversations
How to have difficult conversations How to have difficult conversations
How to have difficult conversations
 
Introduction to Data Science
Introduction to Data ScienceIntroduction to Data Science
Introduction to Data Science
 
Time Management & Productivity - Best Practices
Time Management & Productivity -  Best PracticesTime Management & Productivity -  Best Practices
Time Management & Productivity - Best Practices
 
The six step guide to practical project management
The six step guide to practical project managementThe six step guide to practical project management
The six step guide to practical project management
 
Beginners Guide to TikTok for Search - Rachel Pearson - We are Tilt __ Bright...
Beginners Guide to TikTok for Search - Rachel Pearson - We are Tilt __ Bright...Beginners Guide to TikTok for Search - Rachel Pearson - We are Tilt __ Bright...
Beginners Guide to TikTok for Search - Rachel Pearson - We are Tilt __ Bright...
 
Unlocking the Power of ChatGPT and AI in Testing - A Real-World Look, present...
Unlocking the Power of ChatGPT and AI in Testing - A Real-World Look, present...Unlocking the Power of ChatGPT and AI in Testing - A Real-World Look, present...
Unlocking the Power of ChatGPT and AI in Testing - A Real-World Look, present...
 

Giridhar ki kundaliyaan class 9 ( icse ) - part 2

  • 2. Sunday, July 25, 2021 2 क ुं डलिय ाँ गिरिधि कविि य
  • 3. कमिी थोिे द म की , बहतै आिै क म । ख स मिमि ि फ्त , उनकि ि खै म न ।। उनकि ि खै म न , बुंद जाँह आड़े आिै ।। बकच ब ाँधे मोट , ि तत को झ रि बबछ िै ।। कह ' गिरिधि कविि य ' , लमित है थोिे दमिी ।। सब ददन ि खै स थ ,बड़ी मय ाद कमिी ।। 2 II Sunday, July 25, 2021 3
  • 4. शब्द था – कमिी - क ि क ुं बि ख स - उत्तम प्रक ि क ि फ्त - महाँि िस्त्र थोिे - थोड़े द म - कीमत , रुपय -पैस थोिे द म - कम मूल्य क बकच - छोटी िठिी मोट - िठिी , स म न ि तत - ि त झ रि - झ ड़कि थोिे दमिी - कम कीमत में बड़ी मय ाद - बड़ी क म की चीज़ Sunday, July 25, 2021 4
  • 5. व्य ख्य - क ि क ुं बि थोड़े मूल्य में लमि ज त है। इस क ुं बि क े अनेक ि भ हैं। घि में भी औि य र क े दौि न भी िह बहत क म आती है I उत्तम प्रक ि क कपड़ , मिमि औि महाँि कपड़ जैसे कीमती कपड़ों की धूि औि प नी से िक्ष कित है। िैसे ही पिेश नी पड़ने पि यह क ुं बि आमजन क सम्म न बन ए िखत है। कीमती कपड़ों को य स म न को उसमें ब ाँधकि िठिी बन ई ज सकती है I जजसमें स ि स म न एक ही जिह पि लसमट ज त है औि उसे आस नी से िे ज य ज सकत है I ि त में विश्र म क े लिए उसे झ ड़ कि बबछ य ज सकत है औि आि म से सोय ज सकत है गिरिधि कविि य कहते हैं कक कम कीमत में लमिने ि िे क ुं बि को सदैि अपने प स िखन च दहए क्योंकक यह क ुं बि बहत उपयोिी होत है। कमिी बहत सस्त्ती लमि ज ती है उसे हमेश अपने स थ िखन च दहए क्योंकक इसक े बहत ि भ हैं I Sunday, July 25, 2021 5
  • 6. प्रसुंि - प्रस्त्तत क ुं डलिय में गिरिधि कविि य ने क ुं बि क े िणों क / उसकी उपयोगित क िणान ककय है। बकच ब ाँधे मोट , ि तत को झ रि बबछ िै – यदद ककसी क े प स क ुं बि हो , तो उसमें स म न ब ाँधकि /िखकि छोटी िठिी बन य ज सकत है। ि त को विश्र म क े लिए उसे झ ड़कि ओढ़ / बबछ य ज सकत है। Sunday, July 25, 2021 6
  • 7. िन क े ि हक सहस नि बबन िन िहै न कोय I जैसे क ि कोककि , शब्द सनै सब कोय II शब्द सनै सब कोय , कोककि सबै सह िन I दोऊ को एक िुंि , क ि सब भये अप िन I कह ' गिरिधि कविि य ', सनो हो ठ कि मन क े II बबन िन िहै न कोय , सहस नि ि हक िन क े II 3 II Sunday, July 25, 2021 7
  • 8. शब्द था – 1) िन - िण 2) ि हक - ग्र हक 3) सहस - सहस्र , हज िों 4) क ि - कौआ 5) सह िन - अच्छ ििन 6) दोऊ - दोनों 7) अप िन - अपविर 8) िहै - िेन 9) कोककि - कोयि 10) बबन - बबन Sunday, July 25, 2021 8
  • 9. व्याख्या - प्रस्त्तत क ुं डलिय में कवि कहते हैं कक िणी व्यजक्त क हि जिह सम्म न होत है I अतः हमें अपने अुंदि िणों को बढ़ न च दहए I िणों को च हने ि िे अनेक िोि हैं पि बबन िणों ि िे व्यजक्त को कोई नहीुं पूछत यही क िण है कक हम जन्म से ही अच्छे सुंस्त्क ि औि िण अपने अुंदि विकलसत किने क प्रयत्न किते हैं औि सम ज में सम्म न प ते हैं I कवि कौआ औि कोयि क दृषट ुंत देकि इस ब त को समझ ने क प्रय स किते हैं कक कौए औि कोयि की आि ज सभी िोि सनते हैं पि कौए की क ाँि - क ाँि को कोई पसुंद नहीुं कित अवपत कोयि की मधि क ू क सभी क े मन को भ ती है I दोनों क िुंि भी एक होत है I पिुंत कवि क े अनस ि कौआ हि तिह से अपविर है I गिरिधि कविि य कहते हैं कक स्त्ियुं को श्रेषठ समझने ि िों सनो हम स्त्ियुं पि ककतन भी अलभम न कि िे पि सम ज में कद्र क े िि हम िे िणों की होती है रूप िुंि कक नहीुं क्योंकक िण स्त्थ ई होते हैं औि िुंि रूप नश्िि है I बबन िणों क े कोई हम ि सम्म न नहीुं कित हमें नहीुं च हत I िेककन िणी व्यजक्त को च हने ि िे हज िों व्यजक्त हैं I इसलिए सही कह िय है कक िणों क े बबन कोई ककसी को नहीुं पूछत पि िणी क े अनेक ग्र हक होते हैं I Sunday, July 25, 2021 9
  • 10. कौआ औि कोयि में सम नत – दोनों क िुंि क ि होत है I कौआ औि कोयि में औि असम नत – कौिे की ि णी कक ा श होती है जबकक कोयि की क ू क कणावप्रय तथ मधि होती है I Sunday, July 25, 2021 10
  • 11. प्रसुंि - प्रस्त्तत क ुं डलिय क े िचतयत गिरिधि कविि य हैं I प्रस्त्तत क ुं डलिय में कवि बत ते हैं कक सुंस ि में मनषय क सम्म न िणों क े क िण ही होत है इस सुंस ि में िणों को च हने ि िे अनेक िोि हैं िणी व्यजक्त क सभी सम्म न किते हैं िेककन िणहीन को कोई भी नहीुं च हत उसकी सब उपेक्ष किते हैं I कौए औि कोयि क े उद हिण द्ि ि कवि ने यह स्त्पषट ककय है कक कोयि ि णी की मधित जैसे िण क े क िण सभी क े द्ि ि पसुंद की ज ती है पिुंत कौआ अपनी कक ा श ि णी तथ िणहीन होने क े क िण सम्म न नहीुं प त है I Sunday, July 25, 2021 11
  • 12. स ाँई सब सुंस ि में मतिब क व्यिह ि I जब िि पैस ि ाँठ में , तब िि त को य ि II तब िि त को य ि , य ि सुंि ही सुंि डोिे I पैस िहे न प स य ि मख से नदहुं बोिे I कह ' गिरिधि कविि य ' जित यदह िेख भ ई I कित बेििजी प्रीतत , य ि बबिि कोई स ाँई II 4 II Sunday, July 25, 2021 12
  • 13. शब्द था – 1) मतिब - स्त्ि था 2) व्यिह ि - बत ाि 3) ि ाँठ - जेब 4) य ि - दोस्त्त 5) डोिे -घूमे 6) िेख - िीत 7) बेििजी - बबन स्त्ि था क े 8) प्रीतत - प्रेम 9) बबिि - कोई-कोई , बहतों में कोई एक Sunday, July 25, 2021 13
  • 14. कवि ने इस क ुं डलिय में इस सुंस ि की िीत बत ते हए कह है कक यह ाँ प्रत्येक व्यजक्त अपने स्त्ि था क े दहस ब से ही व्यिह ि कित है I यह ाँ हि व्यजक्त स्त्ि थी है I जब तक जेब में पैसे हैं तब तक लमर एक पि क े लिए भी स थ नहीुं छोड़ते िेककन धन - दौित सम प्त होते ही उनकी लमरत भी सम प्त हो ज ती है औि िे अच्छी तिह से ब त तक नहीुं किते हैं I देखते ही माँह फ े ि िेते हैं I कवि कहते हैं कक इस सुंस ि क यही तनयम है यह ाँ सभी स्त्ि था पूणा व्यिह ि किते हैं I इस सुंस ि में ऐसे व्यजक्त बहत कम है जो बबन स्त्ि था क े लमरत किते हैं , बबन स्त्ि था क े सबक े स थ प्रेम पूणा व्यिह ि किते हैं I Sunday, July 25, 2021 14
  • 15. प्रसुंि - गिरिधि कविि य क े अनस ि इस सुंस ि में स्त्ि था क े व्यिह ि की िीत है अथ ात इस सुंस ि में िोि एक दूसिे से अपने मतिब क े लिए ब त किते हैं I कवि ने अपने कथन क े समथान में लमरत क दृषट ुंत ददय है I इस सुंस ि में लमरत क आध ि रुपय - पैस , धन - दौित है I जब तक ककसी व्यजक्त क े प स धन-दौित , रुपय - पैस प्रचि म र में होत है तब तक उसक े अनेक लमर होते हैं I उसक े आसप स घूमते कफिते हैं I पिुंत जैसे ही उसक धन सम प्त हो ज त है सभी लमर उससे ककन ि कि िेते हैं तथ उससे अच्छे से नहीुं बोिते हैं I ' बबिि ' शब्द क प्रयोि कवि ने तन:स्त्ि था लमरत किने ि िे िोिों क े लिए ककय है | सुंस ि में बबन ककसी स्त्ि था क े ककसी से लमरत किने ि िे िोि कम ही लमिते हैं | बबििे ही लमिते हैं | Sunday, July 25, 2021 15
  • 16. िदहए िटपट क दट ददन , बरु घ मे म ाँ सोय | छ ाँह न ब की बैदठये , जो तरु पतरु होय || जो तरु पतरु होय , एक ददन धोख देहैं | ज ददन बहै बय रि , टूदट तब जड़ से जैहैं || कह गििधि कविि य , छ ाँह मोटे की िदहए | प ती सब झरि ज याँ , तऊ छ य में िदहए ||5|| Sunday, July 25, 2021 16
  • 17. शब्द था – 1) िटपट - गििते - पड़ते, ककसी तिह 2) बरु - भिे ही 3) घ मे - धूप में 4) पतिो - पति , कमज़ोि 5) जि - जड़ 6) प ती - पवत्तय ाँ 7) तऊ - तब भी 8) जैहैं - ज एि 9) िदहए - पकड़ड़ए , ग्रहण कीजजए 10) झरि – झड़न 11) छ ाँह - छ य 12) ब की - उसकी 13) तरु - पेड़ 14) बय रि - हि Sunday, July 25, 2021 17
  • 18. Sunday, July 25, 2021 18 प्रस्त्तत क ुं डलिय में कवि पेड़ क े उद हिण से यह समझ न च हते हैं कक हमें समथा क आश्रय िेन च दहए अथ ात सबि व्यजक्त क सह ि िेन च दहए I तनबाि व्यजक्त मसीबत आने पि अपने ही िक्ष नहीुं कि प एि I कफि िह हम िी सिक्ष क ै से कि सक े ि ? सफि व्यजक्त अनेक कषट झेि कि भी सिक्षक्षत िहत है औि उसक े सह िे हम भी सिक्षक्षत िहेंिे I
  • 19. Sunday, July 25, 2021 19 कविि य क े अनस ि जीिन में सख दख सहते हए ककसी भी प्रक ि जीिन व्यतीत कि िीजजए च हे धूप में सो िीजजए पि उस पेड़ की छ य में कभी नहीुं बैठन च दहए जो पति य कमजोि हो I क्योंकक ऐसे पेड़ की छ य में बैठने से खति है I यह पेड़ एक ददन अिश्य ही धोख देि I जजस ददन तेज हि चिेिी िह जड़ से उखड़ ज एि , िह पेड़ भी टूट ज एि औि ह तन पहाँच सकत है I मोटे पेड़ की छ य घनी होती है तथ मोटे तने ि ि पेड़ आाँधी आने पि गिित नहीुं है , उसक े नीचे बैठे िहने ि िे व्यजक्त क जीिन सिक्षक्षत िहत है I पति पेड़ हमें कभी भी धोख दे सकत है I पतिे पेड़ की छ य भी घनी नहीुं होती है I स थ ही जैसे ही तेज हि चिने ििती है उसक े धि श यी होने क खति िहत है I उसक े नीचे बैठे िोिों क जीिन खतिे में पड़ ज त है I
  • 20. ि ज क े दिब ि में , जैये समय प य I स ईं तह ाँ न बैदठए , जहाँ कोउ देय उठ य II जहाँ कोउ देय उठ य , बोि अनबोिे िदहए I हाँलसये नहीुं हह य , ब त पूछे ते कदहए II कह ' गििधि कविि य ' समय सों कीजै क ज I अतत आति नदह होय , बहरि अनखैहैं ि ज II 7II Sunday, July 25, 2021 20
  • 21. शब्द था - 1) समय - समय पि 2) कोउ - कोई 3) देय - देन 4) स ाँईं - स्त्ि मी 5) अनबोिे - बबन बोिे / चप 6) हह य - ह - ह किन 7) कीजै - किन 8) क ज - क या 9) आति - व्य कि , बेचैन 10) तह ाँ - उस जिह , िह ाँ 11) बहरि - बहत 12) अनखैहैं - बि म नते हैं , न ि ज़ होते हैं Sunday, July 25, 2021 21
  • 22. प्रस्त्तत क ुं डलिय में कवि जनस ध िण को ि जदिब ि क े तनयमों से अिित कि िहे हैं I हमें अपने व्यिह ि को श िीनत से यक्त बन न च दहए I ि ज क े दिब ि में अिसि लमिने पि उपयक्त समय में ही जIन च दहए I हमें अपने स्त्ति क े अनस ि ही स्त्थ न ग्रहण किन च दहए I कभी ऐसे स्त्थ न पि नहीुं बैठन च दहए जह ाँ से कोई उठ दे I यदद अज्ञ निश ऐसी जिह पि बैठ ज ओ जह ाँ से कोई उठ दे तो ििती को चपच प स्त्िीक ि कि िेन च दहए I ि ज क े दिब ि क े तनयम होते हैं उनक प िन किन च दहए I िह ाँ ज़ोि - ज़ोि से हाँसन नहीुं च दहए I जब कोई ब त पूछी ज ए तब उसक उत्ति देन च दहए यही नम्रत है I कवि कहते हैं कक अगधक उत िि नहीुं होन च दहए I क म समय आने पि ही होि I समय आने पि ि ज अिश्य ही हम िी ओि ध्य न देंिे औि हम िी समस्त्य को सनेंिे I अन्यथ ि ज क े क्रोध क प र बनन पड़ेि , ि ज न ि ज़ भी हो सकते हैं I Sunday, July 25, 2021 22