1. deveshksinghal@gmail.com, September 2017 Page 1
अं तम सं कार चंतन
गढ़ मु ते वर गया था उस दन.
एक र तेदार के अं तम सं कार के लए.
दुःख का समय था, और चता सजाई जा रह& थी.
अनजाने ह& मेरा (यान लक)ड़य+ पर चला गया.
हम -कतनी लकड़ी जला देते ह.,
-कतनी ऑ सीजन खपा देते ह.,
अं तम सं कार के लए.
या कोई 1वक2प संभव है?
इतने सारे धम7, इतने सारे कम7कांड,
अं तम सं कार के लए, के वल दो ह& तर&के .
दफना दो या -फर जला दो.
या कु छ और संभव नह&ं?
बहुत सोचा उस दन. रात को भी.
जब आप दल से सोचते है,
तो अ सर जवाब आता है.
आ गया. एक 1वचार.
सो चये एक बड़ा सा ट.क है. भरा हुआ
साफ़ पानी से नह&ं, अ1पतु, गंगाजल से.
उसम? तैर रह& ह. मछ लयां,
वो मछ लयां नह&ं ह., वो है जल दे1वयां.
काश भ1वAय म? कभी,
मेरे वजन मेर& मृत देह को वहां पर लाते ह.,
पं)डत जी, मंCोDचार के प चात ्, मेर& देह को
उस ट.क म? 1वसज7न के लए नदFश देते ह.,
2. deveshksinghal@gmail.com, September 2017 Page 2
और कर दया जाता है मुझको
उन जल दे1वय+ को सम1प7त.
मेर& देह के अवयव उन दे1वय+ कH
Iुधा तृिKत का मा(यम बनते ह..
और उस ट.क से लए गए
जल के एक कलश को
गंगाजी म? Lवा हत करके ,
मेरे वजन मुझको तलांज ल देते ह..
आज मेर& आMमा तृKत है,
मेरे अं तम सं कार म?,
न कोई पेड़ कटा, न धरा Lदू1षत हुई.
बस एक L न शेष....
या ये संभव होगा?
या ये संभव होगा?
देवेश कु मार संघल
deveshksinghal@gmail.com
पुन चः...
L न और भी ह......
या कभी इस तरह कH परंपरा LारPभ हो सके गी?
या हमारा संत समाज इस Lकार के सं कार को माQयता देगा?
या इस तरह कH परंपरा को कानूनी Rप से वीकृ त -कया जायेगा?
या इस Lकार के अं तम सं कार के उपरांत नगर पा लका से मृMयु Lमाण पC जार& हो सके गा?
सो चये.
Digitally signed by D K Singhal
Date: 2017.09.13 16:14:40 +05:30
Reason: For Sharing
Location: Chandpur
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