1. गान्धी-हत्या के कारण
गान्धी-हत्या के मुकद्दमें के दौरान न्यायमूर्ति खोसला से नाथूराम ने अपना वक्तव्य स्वयं पढ़
कर सुनाने की अनुमर्त मााँगी थी और उसे यह अनुमर्त ममली थी। नाथूराम गोडसे का यह
न्यायालयीन वक्तव्य भारत सरकार द्वारा प्रर्तबन्न्धत कर ददया गया था। इस प्रर्तबन्ध के
ववरुद्ध नाथूराम गोडसे के भाई तथा गान्धी-हत्या के सह-अमभयुक्त गोपाल गोडसे ने ६० वर्षों
तक वैधार्नक लडाई लडी और उसके फलस्वरूप सवोच्च न्यायालय ने इस प्रर्तबन्ध को हटा
मलया तथा उस वक्तव्य के प्रकाशन की अनुमर्त दी। नाथूराम गोडसे ने न्यायालय के समक्ष
गान्धी-वध के जो १५० कारण बताये थे उनमें से प्रमुख कारण र्नम्नमलखखत हैं: -
1. अमृतसर के जमलयााँवाला बाग़ गोली काण्ड (१९१९) से समस्त देशवासी आक्रोश में थे तथा
चाहते थे कक इस नरसंहार के नायक जनरल डायर पर अमभयोग चलाया जाये। गान्धी ने
भारतवामसयों के इस आग्रह को समथिन देने से स्पष्ठ मना कर ददया।
2. भगत मसंह व उसके साथथयों के मृत्युदण्ड के र्नणिय से सारा देश क्षुब्ध था व गान्धी की
ओर देख रहा था, कक वह हस्तक्षेप कर इन देशभक्तों को मृत्यु से बचायें, ककन्तु गान्धी ने
भगत मसंह की दहंसा को अनुथचत ठहराते हुए जनसामान्य की इस मााँग को अस्वीकार कर
ददया।
3. ६ मई १९४६ को समाजवादी कायिकतािओं को ददये गये अपने सम्बोधन में गान्धी
ने मुन्स्लम लीग की दहंसा के समक्ष अपनी आहुर्त देने की प्रेरणा दी।
4. मोहम्मद अली न्जन्ना आदद राष्रवादी मुन्स्लम नेताओं के ववरोध को अनदेखा करते हुए
१९२१ में गान्धी ने खखलाफ़त आन्दोलन को समथिन देने की घोर्षणा की। तो भी के रल के
मोपला मुसलमानों द्वारा वहााँ के दहन्दुओं की मारकाट की न्जसमें लगभग १५०० दहन्दू
मारे गये व २००० से अथधक को मुसलमान बना मलया गया। गान्धी ने इस दहंसा का
ववरोध नहीं ककया, वरन ्खुदा के बहादुर बन्दों की बहादुरी के रूप में वणिन ककया।
5. १९२६ में आयि समाज द्वारा चलाए गए शुद्थध आन्दोलन में लगे स्वामी श्रद्धानन्द की
अब्दुल रशीद नामक मुन्स्लम युवक ने हत्या कर दी, इसकी प्रर्तकक्रयास्वरूप गान्धी ने
अब्दुल रशीद को अपना भाई कह कर उसके इस कृ त्य को उथचत ठहराया व शुद्थध
आन्दोलन को अनगिल राष्र-ववरोधी तथा दहन्दू-मुन्स्लम एकता के मलये अदहतकारी
घोवर्षत ककया।
2. 6. गान्धी ने अनेक अवसरों पर मशवाजी, महाराणा प्रताप व गुरू गोबबन्द मसंह को पथभ्रष्ट
देशभक्त कहा।
7. गान्धी ने जहााँ एक ओर कश्मीर के दहन्दू राजा हरर मसंह को कश्मीर मुन्स्लम बहुल होने से
शासन छोडने व काशी जाकर प्रायन्श्चत करने का परामशि ददया, वहीं दूसरी ओर हैदराबाद
के र्नजाम के शासन का दहन्दू बहुल हैदराबाद में समथिन ककया।
8. यह गान्धी ही थे न्जन्होंने मोहम्मद अली न्जन्ना को कायदे-आजम की उपाथध दी।
9. कांग्रेस के ध्वज र्नधािरण के मलये बनी सममर्त (१९३१) ने सविसम्मर्त से चरखा अंककत
भगवा वस्र पर र्नणिय मलया ककन्तु गान्धी की न्जद के कारण उसे र्तरंगा कर ददया
गया।
10. कांग्रेस के बरपुरा अथधवेशन में नेताजी सुभार्ष चन्र बोस को बहुमत से कााँग्रेस
अध्यक्ष चुन मलया गया ककन्तु गान्धी पट्टामभ सीतारमय्या का समथिन कर रहे थे, अत:
सुभार्ष बाबू ने र्नरन्तर ववरोध व असहयोग के कारण पद त्याग ददया।
11. लाहौर कांग्रेस में वल्लभभाई पटेल का बहुमत से चुनाव सम्पन्न हुआ ककन्तु
गान्धी की न्जद के कारण यह पद जवाहरलाल नेहरु को ददया गया।
12. १४-१५ १९४७ जून को ददल्ली में आयोन्जत अखखल भारतीय कांग्रेस सममर्त की
बैठक में भारत ववभाजन का प्रस्ताव अस्वीकृ त होने वाला था, ककन्तु गान्धी ने वहााँ पहुाँच
कर प्रस्ताव का समथिन करवाया। यह भी तब जबकक उन्होंने स्वयं ही यह कहा था कक
देश का ववभाजन उनकी लाश पर होगा।
13. जवाहरलाल की अध्यक्षता में मन्रीमण्डल ने सोमनाथ मन्न्दर का सरकारी व्यय
पर पुनर्निमािण का प्रस्ताव पाररत ककया, ककन्तु गान्धी जो कक मन्रीमण्डल के सदस्य भी
नहीं थे; ने सोमनाथ मन्न्दर पर सरकारी व्यय के प्रस्ताव को र्नरस्त करवाया और १३
जनवरी १९४८ को आमरण अनशन के माध्यम से सरकार पर ददल्ली की मन्स्जदों का
सरकारी खचे से पुनर्निमािण कराने के मलए दबाव डाला।
14. पाककस्तान से आये ववस्थावपत दहन्दुओं ने ददल्ली की खाली मन्स्जदों में जब
अस्थाई शरण ली तो गान्धी ने उन उजडे दहन्दुओं को न्जनमें वृद्ध, न्स्रयााँ व बालक
अथधक थे मन्स्जदों से खदेड बाहर दठठु रते शीत में रात बबताने पर मजबूर ककया गया।
15. २२ अक्टूबर १९४७ को पाककस्तान ने कश्मीर पर आक्रमण कर ददया, उससे पूवि
माउण्टबैटन ने भारत सरकार से पाककस्तान सरकार को ५५ करोड रुपये की रामश देने का
परामशि ददया था। के न्रीय मन्न्रमण्डल ने आक्रमण के दृन्ष्टगत यह रामश देने को टालने
3. का र्नणिय मलया ककन्तु गान्धी ने उसी समय यह रामश तुरन्त ददलवाने के मलए आमरण
अनशन शुरू कर ददया न्जसके पररणामस्वरूप यह रामश पाककस्तान को भारत के दहतों के
ववपरीत दे दी गयी।
मृत्युदण्ड
नाथूराम गोडसे को सह-अमभयुक्त नारायण आप्टे के साथ १५ नवम्बर १९४९ को पंजाब की
अम्बाला जेल में फााँसी पर लटका कर मार ददया गया। उन्होंने अपने अन्न्तम शब्दों में कहा था:
"यदद अपने देश के प्रर्त भन्क्तभाव रखना कोई पाप है तो मैंने वह पाप ककया है और यदद यह पुण्य है
तो उसके द्वारा अन्जित पुण्य पद पर मैं अपना नम्र अथधकार व्यक्त करता हूाँ"
– नाथूराम ववनायक गोडसे