वोटों के ध्रूवीकरण के लिए सांप्रदायिक हिंसा और बेगुनाहों की गिरफ्तारी को बेनकाब करेगा ‘जन विकल्प मार्च’
+=+=+=+=+=+=+=+=+
महाराष्ट्र और देश किसी के बाप की जागीर नहीं: तेजस्वी
+=+=+=+=+=+=+=+=+
संघ का बेशर्म राष्ट्रवाद
Mantra siddhi rahasya by sri yogeshwaranand ji best book on tantraSumit Girdharwal
Mantra Siddhi Rahasya by Sri Yogeshwaranand Ji Best Book on Tantra Mantra
If you want to buy Shatkarma Vidhaan book then please call us on 9410030994
Book Shatkarm Vidhan Written by Sri Yogeshwaranand Ji & Sumit Girdharwal Ji provides necessary details to the readers about indian ancient science based on Mantra Tantra Yantra. It is one the best book on tantra which explains various methodology.
Shatkarmas are mentioned below
Shanti, Vashikaran (Mohan & Akarshan) Stambhan, Uchattan, Vidweshan, Maran
Ganapati Prayoga ( गणपति प्रयोग )
Hanumat Prayoga ( हनुमत प्रयोग )
Baglamukhi Prayoga ( बगलामुखी प्रयोग )
Dhanada Yakshini Prayoga ( धनदा यक्षिणी प्रयोग )
Pratyangira Prayoga ( प्रत्यंगिरा प्रयोग )
Aghori Prayoga ( अघोरी प्रयोग )
Saundarya Lehri Ke Tantrik Prayoga ( सौर्न्दर्य लहरी के तांत्रिक प्रयोग )
Durga Tantra Prayoga ( दुर्गा तंत्र प्रयोग )
Pitambara Panchastra Prayoga
Dhumavati Tantra Prayoga
Kaalratri Prayoga
Bhairav Prayoga
Navarna Mantra Prayoga
Shanti, Vashikaran (Mohan & Akarshan) , Stambhan, Uchattan, Vidweshan, Maran hetu mishra prayoga
Vishwavasu Gandharvaraaj Prayoga
रेकी या स्पर्श-चिकित्सा
रेकी क्या है
रेकी या स्पर्श चिकित्सा में हाथों के द्वारा एक विशेष रीति से रोगी अथवा रोग से ग्रसित अंग को ब्रह्माण्डीय जीवन ऊर्जा या दिव्य प्राण शक्ति देकर बीमारी को दूर किया जाता है। रेकी शब्द दो जापानी शब्दों ' रे ' और ' की ' से बना है। ' रे ' का मतलब ब्रह्म बोध या दिव्य ज्ञान और ' की ' का मतलब जीवन ऊर्जा होता है (संस्कृत में की को प्राण कहते हैं)। यही जीवन ऊर्जा हमारे शरीर को चेतना प्रदान करती है और इस पूरे ब्रह्माण्ड में हमारे चारों तरफ विद्यमान है। रेकी शरीर, मन और आत्मा में सामंजस्य स्थापित करती है। जब हम बुजुर्गों के पैर छूते हैं और वे सिर पर हाथ रख कर आशीर्वाद देते हैं, वह भी रेकी का ही रूप है। वास्तव में वे हमें जीवन ऊर्जा देकर अनुग्रहीत करते हैं।
यह बहुत आसान, अचूक, कारगर तथा एक सफल वैकल्पिक उपचार है। कोई भी व्यक्ति रेकी सीख सकता है। यह आवश्यक नहीं कि रेकी सीखने वाला व्यक्ति बहुत बुद्धिमान, योगी, संत-सन्यासी या आध्यात्मिक क्षेत्र का पहुंचा हुआ व्यक्ति हो। अभ्यास और एकाग्रता के बल पर कोई भी इसे सीख सकता है। न ही इसे सीखने के लिए उम्र का बंधन है। इसे सीखने के लिए कई वर्षों के लम्बे अभ्यास की आवश्यकता भी नहीं होती। रेकी एक ऐसा अद्भुत तरीका है, जिसमें रोगी और रोग से ग्रसित अंग को रेकी उपचारक द्वारा दिव्य प्राण ऊर्जा देकर बीमारी से छुटकारा दिलाया जाता है।
वोटों के ध्रूवीकरण के लिए सांप्रदायिक हिंसा और बेगुनाहों की गिरफ्तारी को बेनकाब करेगा ‘जन विकल्प मार्च’
+=+=+=+=+=+=+=+=+
महाराष्ट्र और देश किसी के बाप की जागीर नहीं: तेजस्वी
+=+=+=+=+=+=+=+=+
संघ का बेशर्म राष्ट्रवाद
Mantra siddhi rahasya by sri yogeshwaranand ji best book on tantraSumit Girdharwal
Mantra Siddhi Rahasya by Sri Yogeshwaranand Ji Best Book on Tantra Mantra
If you want to buy Shatkarma Vidhaan book then please call us on 9410030994
Book Shatkarm Vidhan Written by Sri Yogeshwaranand Ji & Sumit Girdharwal Ji provides necessary details to the readers about indian ancient science based on Mantra Tantra Yantra. It is one the best book on tantra which explains various methodology.
Shatkarmas are mentioned below
Shanti, Vashikaran (Mohan & Akarshan) Stambhan, Uchattan, Vidweshan, Maran
Ganapati Prayoga ( गणपति प्रयोग )
Hanumat Prayoga ( हनुमत प्रयोग )
Baglamukhi Prayoga ( बगलामुखी प्रयोग )
Dhanada Yakshini Prayoga ( धनदा यक्षिणी प्रयोग )
Pratyangira Prayoga ( प्रत्यंगिरा प्रयोग )
Aghori Prayoga ( अघोरी प्रयोग )
Saundarya Lehri Ke Tantrik Prayoga ( सौर्न्दर्य लहरी के तांत्रिक प्रयोग )
Durga Tantra Prayoga ( दुर्गा तंत्र प्रयोग )
Pitambara Panchastra Prayoga
Dhumavati Tantra Prayoga
Kaalratri Prayoga
Bhairav Prayoga
Navarna Mantra Prayoga
Shanti, Vashikaran (Mohan & Akarshan) , Stambhan, Uchattan, Vidweshan, Maran hetu mishra prayoga
Vishwavasu Gandharvaraaj Prayoga
रेकी या स्पर्श-चिकित्सा
रेकी क्या है
रेकी या स्पर्श चिकित्सा में हाथों के द्वारा एक विशेष रीति से रोगी अथवा रोग से ग्रसित अंग को ब्रह्माण्डीय जीवन ऊर्जा या दिव्य प्राण शक्ति देकर बीमारी को दूर किया जाता है। रेकी शब्द दो जापानी शब्दों ' रे ' और ' की ' से बना है। ' रे ' का मतलब ब्रह्म बोध या दिव्य ज्ञान और ' की ' का मतलब जीवन ऊर्जा होता है (संस्कृत में की को प्राण कहते हैं)। यही जीवन ऊर्जा हमारे शरीर को चेतना प्रदान करती है और इस पूरे ब्रह्माण्ड में हमारे चारों तरफ विद्यमान है। रेकी शरीर, मन और आत्मा में सामंजस्य स्थापित करती है। जब हम बुजुर्गों के पैर छूते हैं और वे सिर पर हाथ रख कर आशीर्वाद देते हैं, वह भी रेकी का ही रूप है। वास्तव में वे हमें जीवन ऊर्जा देकर अनुग्रहीत करते हैं।
यह बहुत आसान, अचूक, कारगर तथा एक सफल वैकल्पिक उपचार है। कोई भी व्यक्ति रेकी सीख सकता है। यह आवश्यक नहीं कि रेकी सीखने वाला व्यक्ति बहुत बुद्धिमान, योगी, संत-सन्यासी या आध्यात्मिक क्षेत्र का पहुंचा हुआ व्यक्ति हो। अभ्यास और एकाग्रता के बल पर कोई भी इसे सीख सकता है। न ही इसे सीखने के लिए उम्र का बंधन है। इसे सीखने के लिए कई वर्षों के लम्बे अभ्यास की आवश्यकता भी नहीं होती। रेकी एक ऐसा अद्भुत तरीका है, जिसमें रोगी और रोग से ग्रसित अंग को रेकी उपचारक द्वारा दिव्य प्राण ऊर्जा देकर बीमारी से छुटकारा दिलाया जाता है।