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किशोर क
ु मार का जीवन परिचय (The Most Veteran Actor Kishore
Kumar Biography in Hindi)
अपनी जादुई आवाज क
े दम पर लोगों को दीवाना बना देने वाले किशोर क
ु मार भारतीय सिनेमा क
े मशहूर
गायकों में से एक थे। वह गायक क
े साथ एक अभिनेता, गीतकार, संगीतकार, निर्माता, निर्देशक और पटकथा
लेखक भी थे। उन्होंने हिंदी भाषा क
े साथ बंगाली, मराठी, असमीया, गुजराती, कन्नड़, भोजपुरी, मलयालम,
ओड़िया और उर्दू भाषा में भी कई गाने गाए है। सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक क
े तौर पर उन्होंने 8 फिल्मफ
े यर पुरस्कार
जीते है और उस श्रेणी में सबसे ज्यादा फिल्मफ
े यर पुरस्कार जितने का रिकॉर्ड भी बनाया है। तो चलिए जानते
है किशोर क
ु मार क
े जीवन (Kishore Kumar Biography in Hindi) क
े बारे में विस्तार से –
किशोर क
ु मार का परिवार (Kishore Kumar Family)
किशोर क
ु मार का रियल नाम ‘आभास क
ु मार गांगुली’ था और लोग उन्हें प्यार से ‘किशोर दा’ क
े नाम से
पुकारते थे। उनका जन्म 04 अगस्त 1929 को मध्य प्रदेश क
े खंडवा में हुआ था। उनक
े पिता का नाम ‘
क
ुं जलाल गांगुली’ है, जो पेशे से एक वकील थे। उनकी माता का नाम गौरी देवी है, जो एक गृहणी थीं। किशोर
क
ु मार चार भाई बहनों में सबसे छोटे थे। उनक
े बड़े भाई अशोक क
ु मार और अनूप क
ु मार ने भी फिल्मों में
अभिनेता क
े तौर पर काम किया था। उनक
े बड़े भाई अशोक क
ु मार हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में ‘दादा मुनि’ क
े नाम
से जाने जाते थे। किशोर क
ु मार क
े जीवन (Kishore Kumar Biography in Hindi) में उनक
े बड़े भाई
अशोक क
ु मार का अहम योगदान रहा है क्योंकि अशोक क
ु मार की वजह से ही उनकी रूचि भी फिल्मों की ओर
बढ़ने लगा।
उनकी बहन का नाम सती रानी देवी है, जिनका विवाह भारतीय फिल्म उद्योग क
े जाने माने फिल्म निर्माता
शशधर मुखर्जी से हुआ था, जिन्होंने 1930 क
े दशक में बॉम्बे टॉकीज की स्थापना की थी। शशधर मुखर्जी
अभिनेत्री काजोल क
े दादाजी थे। किशोर क
ु मार ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मध्यप्रदेश क
े खंडवा शहर से पूरा
किया। उसक
े बाद उन्होंने इन्दौर क
े क्रिश्चियन कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की थी।
किशोर क
ु मार का फिल्मी करियर (Kishore Kumar Filmy Career)
एक अभिनेता क
े रूप में (As An Actor)
किशोर क
ु मार ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत साल 1946 में फिल्म ‘शिकारी’ से की थी। इस फिल्म में
उनक
े बड़े भाई अशोक क
ु मार ने लीड अभिनेता क
े तौर पर काम किया था। साल 1951 में किशोर क
ु मार ने
‘फणी मजूमदार’ की फिल्म ‘आन्दोलन’ में एक लीड अभिनेता क
े तौर पर काम किया, लेकिन यह फिल्म क
ु छ
खास कमाल नहीं कर पाई। एक अभिनेता क
े तौर पर उन्हें असली पहचान साल 1954 में बिमल राय की
फिल्म ‘नौकरी’ से मिली, जिसमें उन्होंने एक बेरोजगार युवक का किरदार निभाया था। इसक
े बाद उन्होंने ‘बाप
रे बाप’, ‘नई दिल्ली’, ‘मिस मैरी’ और ‘आशा’ जैसी कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया।
साल 1958 में उन्होंने फिल्म ‘चलती का नाम गाड़ी’ में मधुबाला और अपने दोनों भाईयों अशोक क
ु मार और
अनूप क
ु मार क
े साथ काम किया। यह भी दिलचस्प है कि मोहम्मद रफी ने किशोर क
ु मार की कई फिल्मों में
गाने गाए थे और इसक
े लिए रफी जी ने उनसे सिर्फ एक रुपया लिया था। अपने फिल्मी करियर क
े दौरान एक
अभिनेता क
े तौर पर उन्होंने करीब 81 फिल्मों में काम किया था, जबकि करीब 18 फिल्मों का निर्देशन
उन्होंने खुद किया था।
एक संगीतकार क
े रूप में (As A Singer)
किशोर क
ु मार ने अपना पहला गाना साल 1948 में रिलीज हुई फिल्म ‘जिद्दी’ क
े गाने ‘मरने की दुआएं क्यों
मांगू’ गाया था, जिसे देव आनन्द साहब क
े ऊपर फिल्माया गया था। हालांकि इस फिल्म क
े सफलता क
े
बावजूद भी उन्हें कोई खास पहचान नहीं मिली थी। इसक
े बाद एस डी बर्मन ने उन्हें साल 1950 में फिल्म
‘प्यार’ और साल 1951 में फिल्म ‘बहार’ में गाने का मौका दिया। फिल्म ‘बहार’ में उनक
े द्वारा गाए गए गाने
‘क
ु सुर आप का’ हिट साबित हुई। इसक
े बाद उन्होंने कई फिल्मों में गाने गाए, लेकिन संगीत की दुनिया में
उन्हें असली पहचान साल 1957 में रिलीज हुई फिल्म ‘फ
ं टूस’ क
े गाने ‘दुखी मन मेरे’ से मिली। इस गाने क
े
बाद ‘एस डी बर्मन’ ने अपने संगीत निर्देशन में उन्हें कई फिल्मों में गाने का मौका दिया।
साल 1940 से 1980 तक किशोर क
ु मार ने अपने जीवन (Kishore Kumar Biography in Hindi) में
करीब 574 गाने गाए। एक पार्श्वगायक क
े तौर उन्होंने 8 फिल्मफ
े यर पुरस्कार जितने क
े साथ ही सबसे ज्यादा
फिल्मफ
े यर पुरस्कार जितने का भी रिकॉर्ड बनाया था। उन्हें पहला फिल्मफ
े यर पुरस्कार साल 1969 में फिल्म
‘आराधना’ क
े गाने ‘रूप तेरा मस्ताना प्यार मेरा दीवाना’ क
े लिए मिला था। किशोर क
ु मार की यह खासियत
रही है कि वह देव आनंद साहब से लेकर सुपर स्टार राजेश खन्ना, जिस भी अभिनेता क
े लिए गाने गाए हो
उनकी आवाज सभी पर फिट बैठती थी। लगता था जैसे उस अभिनेता क
े अंदर खुद किशोर क
ु मार समा गए हो।
किशोर क
ु मार का वैवाहिक जीवन (Kishore Kumar Marriage)
किशोर क
ु मार ने अपने जीवन में चार शादियां की थीं। पहली शादी उन्होंने ‘रुमा घोष’ उर्फ ‘रुमा गुहा ठाक
ु रता’
से की, जो एक बंगाली गायक और अभिनेत्री थी। उनकी यह शादी साल 1950 से 1958 तक चली। उनसे
उनका एक पुत्र है, जिसका नाम अमित क
ु मार है।
दूसरी शादी उन्होंने साल 1960 में भारतीय सिनेमा जगत की जानी मानी अभिनेत्री मधुबाला से की। दोनों ने
‘चलती का नाम गाड़ी’, ‘हाफ टिकट’ और ‘झुमुरू’ जैसे कई फिल्मों में साथ काम किया था। इसक
े लिए उन्होंने
धर्म परिवर्तन कर इस्लाम धर्म को अपनाया और उन्होंने अपना नाम बदल कर ‘करीम अब्दुल’ रख लिया।
किशोर क
ु मार क
े माता पिता उनक
े इस शादी से खुश नहीं थे, इसलिए उनक
े माता पिता उनकी शादी में शामिल
नहीं हुए थे। बाद में उन्होंने मधुबाला से हिन्दू रीती रिवाज से भी शादी की, लेकिन उनक
े माता पिता ने
मधुबाला को कभी भी अपने बहु क
े रूप में स्वीकार नहीं किया। घर में तनाव का माहौल होने की वजह से
मधुबाला बांद्रा में स्थित अपने बंगले में वापस लौट आई और वहां वह अक
े ली रहने लगी। दिल की बीमारी की
वजह से 23 फरवरी 1969 को मधुबाला का निधन हो गया।
इसक
े बाद किशोर क
ु मार क
े जीवन (Kishore Kumar Biography in Hindi) में योगिता बाली आई और
साल 1976 में उन्होंने योगिता बाली से तीसरी शादी की, जो सिर्फ 2 साल तक ही चल पाई और साल 1978 में
उनका तलाक हो गया। तलाक क
े बाद योगिता बाली ने मिथुन चक्रवर्ती से शादी कर ली।
चौथी और अंतिम शादी किशोर क
ु मार ने साल 1980 में लीना चन्दावरकर से की, जो उनक
े बड़े बेटे अमित
क
ु मार से सिर्फ 2 साल बड़ी है। लीना चन्दावरकर से उनका एक बेटा है, जिसका नाम सुमित क
ु मार है।
किशोर क
ु मार से जुड़े विवाद (Kishore Kumar Controversy)
1) साल 1989 में किशोर क
ु मार क
े निर्देशन में बनने वाली फिल्म “ममता की छांव में” अमिताभ बच्चन ने
क
ै मियो की भूमिका निभाने से इनकार कर दिया था। जिसकी वजह से अमिताभ बच्चन क
े साथ उनका
सम्बन्ध खराब हो गया था और उन्होंने उनकी फिल्मों में गाने गाना बंद कर दिया था। हालांकि समय क
े साथ
यह विवाद खत्म हो गया और बाद में अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘तूफान’ क
े गाने ‘आया आया तूफान’ उन्होंने
ही गाया था।
2) साल 1979 में किशोर क
ु मार की तीसरी पत्नी योगिता बाली ने उनसे तलाक लेकर मिथुन चक्रवर्ती क
े साथ
शादी कर ली। जिसकी वजह से किशोर क
ु मार ने मिथुन क
ु मार क
े फिल्मों में गाने गाना बंद कर दिया। लेकिन
बाद में उन्होंने मिथुन चक्रवर्ती की फिल्म ‘सुरक्षा’, ‘डिस्को डांसर’ और ‘वक्त की आवाज’ में गाने गाये।
3) किशोर क
ु मार क
े जीवन (Kishore Kumar Biography in Hindi) में एक बड़ी घटना उस समय हुई जब
साल 1975 में देश में आपातकाल क
े समय कांग्रेस पार्टी की एक रैली में उन्हें गाने क
े लिए संपर्क किया गया,
लेकिन उन्होंने इस रैली में भाग लेने से साफ इनकार कर दिया। जिसकी वजह से उस समय की सूचना एवं
प्रसारण मंत्री ‘विद्याचरण शुक्ला’ ने दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो पर किशोर क
ु मार क
े गानों क
े प्रसारण
पर रोक लगा दी। यह प्रतिबंध 4 मई 1976 से लेकर आपातकाल क
े अंत तक लगा रहा। साथ ही किशोर क
ु मार
क
े घर पर इनकम टैक्स विभाग द्वारा छापेमारी भी की गई। लेकिन इतना होने क
े बावजूद भी किशोर क
ु मार ने
कभी आपात काल का समर्थन नहीं किया।
किशोर क
ु मार क
े बारे में अज्ञात तथ्य (Kishore Kumar Unknown Facts)
● किशोर क
ु मार का जन्म मध्य प्रदेश क
े खंडवा में एक बंगाली परिवार में हुआ था।
● जब वह बालावस्था में थे, उस समय उनक
े बड़े भाई अशोक क
ु मार हिंदी फिल्म जगत क
े एक जाने
माने अभिनेता बन चुक
े थे।
● बड़े भाई अशोक क
ु मार और अनूप क
ु मार का फिल्मों में काम करने की वजह से उनकी रूचि भी शुरू से
ही फिल्मों की ओर थी।
● उनका रियल नाम ‘आभास क
ु मार गांगुली’ था, लेकिन फिल्मों में काम करने क
े साथ ही उन्होंने
अपना नाम बदल कर ‘किशोर क
ु मार’ रख लिया।
● उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत साल 1946 में फिल्म ‘शिकारी’ से एक अभिनेता क
े तौर पर
किया था।
● वह हिंदी सिनेमा क
े जाने माने गायक क
ु न्दन लाल सहगल से काफी प्रभावित थे और वह उनकी
गायन शैली का भी अनुकरण करते थे।
● साल 1948 में संगीत निर्देशक ‘खेमचंद्र प्रकाश’ ने उन्हें पहली बार फिल्म ‘जिद्दी’ क
े गीत ‘मरने की
दुआएं क्यों मांगू’ गाने का मौका दिया था।
● उनक
े बड़े भाई अशोक क
ु मार चाहते थे कि वह एक अभिनेता बने, लेकिन वह गायन में ज्यादा रूचि
रखते थे।
● किशोर क
ु मार क
े जीवन (Kishore Kumar Biography in Hindi) में ‘एस डी बर्मन’ का भी अहम
रोल रहा है। उनक
े गायन प्रतिभा को निखारने का श्रेय ‘एस डी बर्मन’ को ही जाता है।
● एस डी बर्मन ने किशोर क
ु मार को ‘क
े . एल. सहगल’ क
े जैसा बनने क
े बजाय अपनी स्वयं की गायन
शैली विकसित करने का सुझाव दिया था। साथ ही उन्होंने किशोर क
ु मार की गायन कला से खुश
होकर अपने संगीत निर्देशन में कई फिल्मों में गाने का मौका भी दिया था।
● साल 1957 में किशोर क
ु मार ने हिंदी फिल्म जगत क
े जाने माने निर्देशक ऋषिक
े श मुखर्जी की पहली
फिल्म ‘मुसाफिर’ में भी काम किया था।
किशोर क
ु मार ने संगीत में कोई औपचारिक प्रशिक्षण नहीं ली थी
● उन्होंने संगीत में कोई औपचारिक प्रशिक्षण नहीं ली थी, इसलिए साल 1954 में रिलीज हुई फिल्म
‘नौकरी’ में संगीत निर्देशक ‘सलिल चौधरी’ ने किशोर क
ु मार को एक गायक क
े रूप में स्वीकार करने
से इनकार कर दिया। हालांकि किशोर क
ु मार की आवाज सुनंने क
े बाद उन्होंने फिल्म का एक गाना
‘छोटा सा घर होगा’ गाने का मौका उन्हें दिया।
● किशोर क
ु मार ने गायन क
े साथ ही ‘चलती का नाम गाड़ी’, ‘हाफ टिकट’ और ‘पड़ोसन’ जैसी कई
सुपरहिट फिल्मों में काम किया।
● साल 1958 में रिलीज हुई फिल्म ‘चलती का नाम गाड़ी’ उनकी होम प्रोडक्शन फिल्म थी। इसमें
किशोर क
ु मार क
े साथ अशोक क
ु मार, अनूप क
ु मार और मधुबाला भी मुख्य किरदार में थे।
● साल 1962 में रिलीज हुई फिल्म ‘हाफ टिकट’ क
े गाने ‘आक
े सीधी लगी दिल पे’ क
े लिए संगीत
निर्देशक सलिल चौधरी चाहते थे कि यह गाना किशोर क
ु मार और लता मंगेशकर दोनों साथ मिलकर
गाए। लेकिन लता मंगेशकर की अनुपस्थिति में किशोर क
ु मार ने इस गाने को पुरुष और महिला दोनों
संस्करणों में खुद ही गाया। यह गाना किशोर क
ु मार और प्राण क
े ऊपर फिल्माया गया था और इस
फिल्म में किशोर क
ु मार एक महिला क
े किरदार में नजर आए थे।
● हिंदी फिल्म जगत क
े जाने माने संगीत निर्देशक ‘आर. डी बर्मन’ और किशोर क
ु मार ने टैक्सी ड्राइवर,
फ
ं टूश, पेइंग गेस्ट, गाइड, ज्वेल थीफ और प्रेम पुजारी जैसी कई सुपरहिट फिल्मों में साथ काम किया।
● किशोर क
ु मार और आशा भोसले ने ‘आर. डी. बर्मन’ द्वारा लिखे ‘छोड़ दो आंचल, जमाना क्या
कहेगा’, ‘हाल क
ै सा है जनाब का’ और ‘पांच रुपैया बारह आना’ जैसे कई सुपरहिट गाने गाए थे।
कई फिल्मों का निर्माण और निर्देशन खुद किशोर क
ु मार ने किया है
● वर्ष 1961 में रिलीज हुई फिल्म ‘झुमरू’ का निर्माण और इसका निर्देशन किशोर क
ु मार ने ही किया
था। साथ ही इस फिल्म में उन्होंने अभिनय क
े साथ साथ इस फिल्म का टाइटल सांग ‘मैं हूँ झुमरू’ भी
उन्होंने खुद लिखा था।
● 1964 में रिलीज हुई फिल्म ‘दूर गगन की छाँव में’ का निर्माण और निर्देशन खुद किशोर क
ु मार ने ही
किया था। इस फिल्म की संगीत और पटकथा भी उन्होंने खुद लिखा था। इस फिल्म में किशोर क
ु मार
और उनक
े पुत्र अमित क
ु मार ने क्रमशः पिता और पुत्र की भूमिका निभाई थी।
● साल 1969 में रिलीज हुई फिल्म ‘आराधना’ क
े गाने ‘कोरा कागज था ये मन मेरा’, ‘मेरे सपनों की
रानी कब आएगी तू’ और ‘रूप तेरा मस्ताना प्यार तेरा दीवाना’ जैसे गानों से किशोर क
ु मार को संगीत
की दुनिया में एक अलग पहचान मिली। इस फिल्म क
े गाने ‘रूप तेरा मस्ताना प्यार तेरा दीवाना’ क
े
लिए उन्हें पहला फिल्मफ
े यर पुरस्कार भी मिला था।
● किशोर क
ु मार ने हिंदी फिल्म जगत क
े जाने माने अभिनेता ‘राजेश खन्ना’ की कई फिल्मों में गाने
गाए थे, इसलिए उनकी सफलता क
े पीछे किशोर क
ु मार की आवाज को माना जाता है।
● 1970 क
े दशक में किशोर क
ु मार ने ‘आर डी बर्मन’ क
े संगीत निर्देशन में ‘ये शाम मस्तानी’, ‘रात
कली एक ख्वाब में आई’ और ‘चिंगारी कोई भड़क
े ’ जैसी कई सुपरहिट गाने गाए।
● किशोर क
ु मार ने शास्त्रीय संगीत में कोई औपचारिक प्रशिक्षण हासिल नहीं किया था। इसक
े बावजूद
भी ‘आर. डी. बर्मन’ उन्हें अक्सर ‘मेरे नैना सावन भादो’ और ‘हमें तुम से प्यार कितना’ जैसे शास्त्रीय
संगीत से जुड़े गीत गाने क
े लिए देते रहते थे।
● फिल्म ‘दूर वादियों में कहीं’ एक अभिनेता क
े तौर पर किशोर क
ु मार की आखिरी फिल्म थी।
फिल्म ‘आनंद’ में पहले किशोर क
ु मार को कास्ट किया जाना था
● क्या आप जानते है कि साल 1971 में रिलीज हुई फिल्म ‘आनंद’ में निर्देशक ऋषिक
े श मुखर्जी
,अमिताभ बच्चन और राजेश खन्ना की जगह किशोर क
ु मार और महमूद को कास्ट करने वाले थे।
लेकिन जब ऋषिक
े श मुखर्जी, किशोर क
ु मार क
े घर पहुंचे तो उनका चोकीदार उन्हें डराकर भगा दिया।
दरअसल किशोर क
ु मार को एक बांग्ला स्टेज शो क
े आयोजक ने भुगतान नहीं किया था, इसलिए
किशोर क
ु मार ने अपने चौकीदार से किसी बांग्ला व्यक्ति को घर आते ही उसे भगाने क
े लिए कह दिया
था।
● उन्हें मिडिया से बातचीत करना पसंद नहीं था, इसलिए वह अपने कमरे में लाल बत्ती क
े साथ खोपड़ी
और हड्डियों को रखा करते थे। साथ ही उन्होंने अपने कमरे में डरावनी आवाज भी लगा रखी थी।
● उन्हें टेबल टेनिस खेलना और उपन्यास पढ़ना बहुत पसंद था।
● साल 1975 में रिलीज हुई फिल्म ‘मिली’ क
े गीत ‘बड़ी सूनी सूनी है’ उनकी सबसे पसंदीदा गीत है। यह
एस.डी.बर्मन द्वारा लिखा गया सबसे अंतिम गीत था।
● 13 अक्टूबर 1987 को मुम्बई में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया।
● साल 1988 में रिलीज हुई फिल्म ‘वक्त की आवाज’ का गीत ‘गुरु गुरु’ उनक
े द्वारा गाया हुआ आखिर
गीत था। इस गीत को किशोर क
ु मार और आशा भोसलें ने साथ में गाया था । बप्पी लाहिड़ी द्वारा
लिखे इस गीत को मिथुन चक्रवर्ती और श्रीदेवी क
े ऊपर फिल्माया गया था।
निष्कर्ष (Conclusion)
उम्मीद करते है कि किशोर क
ु मार क
े जीवन (Kishore Kumar Biography in Hindi) क
े बारे में यह
जानकारी आपको पसंद आई होगी। इसी तरह अपने पसंदीदा सितारों क
े बारे में जानने क
े लिए इस वेबसाइट क
े
अन्य आर्टिकल को भी पढ सकते है। इस आर्टिकल से सम्बंधित आपका कोई सवाल हो तो कमेंट करक
े जरूर
बताए। इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ने क
े लिए धन्यवाद !
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Kishore Kumar Biography in Hindi

  • 1. किशोर क ु मार का जीवन परिचय (The Most Veteran Actor Kishore Kumar Biography in Hindi) अपनी जादुई आवाज क े दम पर लोगों को दीवाना बना देने वाले किशोर क ु मार भारतीय सिनेमा क े मशहूर गायकों में से एक थे। वह गायक क े साथ एक अभिनेता, गीतकार, संगीतकार, निर्माता, निर्देशक और पटकथा लेखक भी थे। उन्होंने हिंदी भाषा क े साथ बंगाली, मराठी, असमीया, गुजराती, कन्नड़, भोजपुरी, मलयालम, ओड़िया और उर्दू भाषा में भी कई गाने गाए है। सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक क े तौर पर उन्होंने 8 फिल्मफ े यर पुरस्कार जीते है और उस श्रेणी में सबसे ज्यादा फिल्मफ े यर पुरस्कार जितने का रिकॉर्ड भी बनाया है। तो चलिए जानते है किशोर क ु मार क े जीवन (Kishore Kumar Biography in Hindi) क े बारे में विस्तार से – किशोर क ु मार का परिवार (Kishore Kumar Family) किशोर क ु मार का रियल नाम ‘आभास क ु मार गांगुली’ था और लोग उन्हें प्यार से ‘किशोर दा’ क े नाम से पुकारते थे। उनका जन्म 04 अगस्त 1929 को मध्य प्रदेश क े खंडवा में हुआ था। उनक े पिता का नाम ‘ क ुं जलाल गांगुली’ है, जो पेशे से एक वकील थे। उनकी माता का नाम गौरी देवी है, जो एक गृहणी थीं। किशोर क ु मार चार भाई बहनों में सबसे छोटे थे। उनक े बड़े भाई अशोक क ु मार और अनूप क ु मार ने भी फिल्मों में अभिनेता क े तौर पर काम किया था। उनक े बड़े भाई अशोक क ु मार हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में ‘दादा मुनि’ क े नाम से जाने जाते थे। किशोर क ु मार क े जीवन (Kishore Kumar Biography in Hindi) में उनक े बड़े भाई अशोक क ु मार का अहम योगदान रहा है क्योंकि अशोक क ु मार की वजह से ही उनकी रूचि भी फिल्मों की ओर बढ़ने लगा। उनकी बहन का नाम सती रानी देवी है, जिनका विवाह भारतीय फिल्म उद्योग क े जाने माने फिल्म निर्माता शशधर मुखर्जी से हुआ था, जिन्होंने 1930 क े दशक में बॉम्बे टॉकीज की स्थापना की थी। शशधर मुखर्जी अभिनेत्री काजोल क े दादाजी थे। किशोर क ु मार ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मध्यप्रदेश क े खंडवा शहर से पूरा किया। उसक े बाद उन्होंने इन्दौर क े क्रिश्चियन कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की थी। किशोर क ु मार का फिल्मी करियर (Kishore Kumar Filmy Career) एक अभिनेता क े रूप में (As An Actor) किशोर क ु मार ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत साल 1946 में फिल्म ‘शिकारी’ से की थी। इस फिल्म में उनक े बड़े भाई अशोक क ु मार ने लीड अभिनेता क े तौर पर काम किया था। साल 1951 में किशोर क ु मार ने ‘फणी मजूमदार’ की फिल्म ‘आन्दोलन’ में एक लीड अभिनेता क े तौर पर काम किया, लेकिन यह फिल्म क ु छ खास कमाल नहीं कर पाई। एक अभिनेता क े तौर पर उन्हें असली पहचान साल 1954 में बिमल राय की
  • 2. फिल्म ‘नौकरी’ से मिली, जिसमें उन्होंने एक बेरोजगार युवक का किरदार निभाया था। इसक े बाद उन्होंने ‘बाप रे बाप’, ‘नई दिल्ली’, ‘मिस मैरी’ और ‘आशा’ जैसी कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया। साल 1958 में उन्होंने फिल्म ‘चलती का नाम गाड़ी’ में मधुबाला और अपने दोनों भाईयों अशोक क ु मार और अनूप क ु मार क े साथ काम किया। यह भी दिलचस्प है कि मोहम्मद रफी ने किशोर क ु मार की कई फिल्मों में गाने गाए थे और इसक े लिए रफी जी ने उनसे सिर्फ एक रुपया लिया था। अपने फिल्मी करियर क े दौरान एक अभिनेता क े तौर पर उन्होंने करीब 81 फिल्मों में काम किया था, जबकि करीब 18 फिल्मों का निर्देशन उन्होंने खुद किया था। एक संगीतकार क े रूप में (As A Singer) किशोर क ु मार ने अपना पहला गाना साल 1948 में रिलीज हुई फिल्म ‘जिद्दी’ क े गाने ‘मरने की दुआएं क्यों मांगू’ गाया था, जिसे देव आनन्द साहब क े ऊपर फिल्माया गया था। हालांकि इस फिल्म क े सफलता क े बावजूद भी उन्हें कोई खास पहचान नहीं मिली थी। इसक े बाद एस डी बर्मन ने उन्हें साल 1950 में फिल्म ‘प्यार’ और साल 1951 में फिल्म ‘बहार’ में गाने का मौका दिया। फिल्म ‘बहार’ में उनक े द्वारा गाए गए गाने ‘क ु सुर आप का’ हिट साबित हुई। इसक े बाद उन्होंने कई फिल्मों में गाने गाए, लेकिन संगीत की दुनिया में उन्हें असली पहचान साल 1957 में रिलीज हुई फिल्म ‘फ ं टूस’ क े गाने ‘दुखी मन मेरे’ से मिली। इस गाने क े बाद ‘एस डी बर्मन’ ने अपने संगीत निर्देशन में उन्हें कई फिल्मों में गाने का मौका दिया। साल 1940 से 1980 तक किशोर क ु मार ने अपने जीवन (Kishore Kumar Biography in Hindi) में करीब 574 गाने गाए। एक पार्श्वगायक क े तौर उन्होंने 8 फिल्मफ े यर पुरस्कार जितने क े साथ ही सबसे ज्यादा फिल्मफ े यर पुरस्कार जितने का भी रिकॉर्ड बनाया था। उन्हें पहला फिल्मफ े यर पुरस्कार साल 1969 में फिल्म ‘आराधना’ क े गाने ‘रूप तेरा मस्ताना प्यार मेरा दीवाना’ क े लिए मिला था। किशोर क ु मार की यह खासियत रही है कि वह देव आनंद साहब से लेकर सुपर स्टार राजेश खन्ना, जिस भी अभिनेता क े लिए गाने गाए हो उनकी आवाज सभी पर फिट बैठती थी। लगता था जैसे उस अभिनेता क े अंदर खुद किशोर क ु मार समा गए हो। किशोर क ु मार का वैवाहिक जीवन (Kishore Kumar Marriage) किशोर क ु मार ने अपने जीवन में चार शादियां की थीं। पहली शादी उन्होंने ‘रुमा घोष’ उर्फ ‘रुमा गुहा ठाक ु रता’ से की, जो एक बंगाली गायक और अभिनेत्री थी। उनकी यह शादी साल 1950 से 1958 तक चली। उनसे उनका एक पुत्र है, जिसका नाम अमित क ु मार है। दूसरी शादी उन्होंने साल 1960 में भारतीय सिनेमा जगत की जानी मानी अभिनेत्री मधुबाला से की। दोनों ने ‘चलती का नाम गाड़ी’, ‘हाफ टिकट’ और ‘झुमुरू’ जैसे कई फिल्मों में साथ काम किया था। इसक े लिए उन्होंने धर्म परिवर्तन कर इस्लाम धर्म को अपनाया और उन्होंने अपना नाम बदल कर ‘करीम अब्दुल’ रख लिया। किशोर क ु मार क े माता पिता उनक े इस शादी से खुश नहीं थे, इसलिए उनक े माता पिता उनकी शादी में शामिल नहीं हुए थे। बाद में उन्होंने मधुबाला से हिन्दू रीती रिवाज से भी शादी की, लेकिन उनक े माता पिता ने मधुबाला को कभी भी अपने बहु क े रूप में स्वीकार नहीं किया। घर में तनाव का माहौल होने की वजह से मधुबाला बांद्रा में स्थित अपने बंगले में वापस लौट आई और वहां वह अक े ली रहने लगी। दिल की बीमारी की वजह से 23 फरवरी 1969 को मधुबाला का निधन हो गया। इसक े बाद किशोर क ु मार क े जीवन (Kishore Kumar Biography in Hindi) में योगिता बाली आई और साल 1976 में उन्होंने योगिता बाली से तीसरी शादी की, जो सिर्फ 2 साल तक ही चल पाई और साल 1978 में उनका तलाक हो गया। तलाक क े बाद योगिता बाली ने मिथुन चक्रवर्ती से शादी कर ली। चौथी और अंतिम शादी किशोर क ु मार ने साल 1980 में लीना चन्दावरकर से की, जो उनक े बड़े बेटे अमित क ु मार से सिर्फ 2 साल बड़ी है। लीना चन्दावरकर से उनका एक बेटा है, जिसका नाम सुमित क ु मार है। किशोर क ु मार से जुड़े विवाद (Kishore Kumar Controversy) 1) साल 1989 में किशोर क ु मार क े निर्देशन में बनने वाली फिल्म “ममता की छांव में” अमिताभ बच्चन ने क ै मियो की भूमिका निभाने से इनकार कर दिया था। जिसकी वजह से अमिताभ बच्चन क े साथ उनका सम्बन्ध खराब हो गया था और उन्होंने उनकी फिल्मों में गाने गाना बंद कर दिया था। हालांकि समय क े साथ
  • 3. यह विवाद खत्म हो गया और बाद में अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘तूफान’ क े गाने ‘आया आया तूफान’ उन्होंने ही गाया था। 2) साल 1979 में किशोर क ु मार की तीसरी पत्नी योगिता बाली ने उनसे तलाक लेकर मिथुन चक्रवर्ती क े साथ शादी कर ली। जिसकी वजह से किशोर क ु मार ने मिथुन क ु मार क े फिल्मों में गाने गाना बंद कर दिया। लेकिन बाद में उन्होंने मिथुन चक्रवर्ती की फिल्म ‘सुरक्षा’, ‘डिस्को डांसर’ और ‘वक्त की आवाज’ में गाने गाये। 3) किशोर क ु मार क े जीवन (Kishore Kumar Biography in Hindi) में एक बड़ी घटना उस समय हुई जब साल 1975 में देश में आपातकाल क े समय कांग्रेस पार्टी की एक रैली में उन्हें गाने क े लिए संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने इस रैली में भाग लेने से साफ इनकार कर दिया। जिसकी वजह से उस समय की सूचना एवं प्रसारण मंत्री ‘विद्याचरण शुक्ला’ ने दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो पर किशोर क ु मार क े गानों क े प्रसारण पर रोक लगा दी। यह प्रतिबंध 4 मई 1976 से लेकर आपातकाल क े अंत तक लगा रहा। साथ ही किशोर क ु मार क े घर पर इनकम टैक्स विभाग द्वारा छापेमारी भी की गई। लेकिन इतना होने क े बावजूद भी किशोर क ु मार ने कभी आपात काल का समर्थन नहीं किया। किशोर क ु मार क े बारे में अज्ञात तथ्य (Kishore Kumar Unknown Facts) ● किशोर क ु मार का जन्म मध्य प्रदेश क े खंडवा में एक बंगाली परिवार में हुआ था। ● जब वह बालावस्था में थे, उस समय उनक े बड़े भाई अशोक क ु मार हिंदी फिल्म जगत क े एक जाने माने अभिनेता बन चुक े थे। ● बड़े भाई अशोक क ु मार और अनूप क ु मार का फिल्मों में काम करने की वजह से उनकी रूचि भी शुरू से ही फिल्मों की ओर थी। ● उनका रियल नाम ‘आभास क ु मार गांगुली’ था, लेकिन फिल्मों में काम करने क े साथ ही उन्होंने अपना नाम बदल कर ‘किशोर क ु मार’ रख लिया। ● उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत साल 1946 में फिल्म ‘शिकारी’ से एक अभिनेता क े तौर पर किया था। ● वह हिंदी सिनेमा क े जाने माने गायक क ु न्दन लाल सहगल से काफी प्रभावित थे और वह उनकी गायन शैली का भी अनुकरण करते थे। ● साल 1948 में संगीत निर्देशक ‘खेमचंद्र प्रकाश’ ने उन्हें पहली बार फिल्म ‘जिद्दी’ क े गीत ‘मरने की दुआएं क्यों मांगू’ गाने का मौका दिया था। ● उनक े बड़े भाई अशोक क ु मार चाहते थे कि वह एक अभिनेता बने, लेकिन वह गायन में ज्यादा रूचि रखते थे। ● किशोर क ु मार क े जीवन (Kishore Kumar Biography in Hindi) में ‘एस डी बर्मन’ का भी अहम रोल रहा है। उनक े गायन प्रतिभा को निखारने का श्रेय ‘एस डी बर्मन’ को ही जाता है। ● एस डी बर्मन ने किशोर क ु मार को ‘क े . एल. सहगल’ क े जैसा बनने क े बजाय अपनी स्वयं की गायन शैली विकसित करने का सुझाव दिया था। साथ ही उन्होंने किशोर क ु मार की गायन कला से खुश होकर अपने संगीत निर्देशन में कई फिल्मों में गाने का मौका भी दिया था। ● साल 1957 में किशोर क ु मार ने हिंदी फिल्म जगत क े जाने माने निर्देशक ऋषिक े श मुखर्जी की पहली फिल्म ‘मुसाफिर’ में भी काम किया था। किशोर क ु मार ने संगीत में कोई औपचारिक प्रशिक्षण नहीं ली थी ● उन्होंने संगीत में कोई औपचारिक प्रशिक्षण नहीं ली थी, इसलिए साल 1954 में रिलीज हुई फिल्म ‘नौकरी’ में संगीत निर्देशक ‘सलिल चौधरी’ ने किशोर क ु मार को एक गायक क े रूप में स्वीकार करने से इनकार कर दिया। हालांकि किशोर क ु मार की आवाज सुनंने क े बाद उन्होंने फिल्म का एक गाना ‘छोटा सा घर होगा’ गाने का मौका उन्हें दिया। ● किशोर क ु मार ने गायन क े साथ ही ‘चलती का नाम गाड़ी’, ‘हाफ टिकट’ और ‘पड़ोसन’ जैसी कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया। ● साल 1958 में रिलीज हुई फिल्म ‘चलती का नाम गाड़ी’ उनकी होम प्रोडक्शन फिल्म थी। इसमें किशोर क ु मार क े साथ अशोक क ु मार, अनूप क ु मार और मधुबाला भी मुख्य किरदार में थे। ● साल 1962 में रिलीज हुई फिल्म ‘हाफ टिकट’ क े गाने ‘आक े सीधी लगी दिल पे’ क े लिए संगीत निर्देशक सलिल चौधरी चाहते थे कि यह गाना किशोर क ु मार और लता मंगेशकर दोनों साथ मिलकर गाए। लेकिन लता मंगेशकर की अनुपस्थिति में किशोर क ु मार ने इस गाने को पुरुष और महिला दोनों
  • 4. संस्करणों में खुद ही गाया। यह गाना किशोर क ु मार और प्राण क े ऊपर फिल्माया गया था और इस फिल्म में किशोर क ु मार एक महिला क े किरदार में नजर आए थे। ● हिंदी फिल्म जगत क े जाने माने संगीत निर्देशक ‘आर. डी बर्मन’ और किशोर क ु मार ने टैक्सी ड्राइवर, फ ं टूश, पेइंग गेस्ट, गाइड, ज्वेल थीफ और प्रेम पुजारी जैसी कई सुपरहिट फिल्मों में साथ काम किया। ● किशोर क ु मार और आशा भोसले ने ‘आर. डी. बर्मन’ द्वारा लिखे ‘छोड़ दो आंचल, जमाना क्या कहेगा’, ‘हाल क ै सा है जनाब का’ और ‘पांच रुपैया बारह आना’ जैसे कई सुपरहिट गाने गाए थे। कई फिल्मों का निर्माण और निर्देशन खुद किशोर क ु मार ने किया है ● वर्ष 1961 में रिलीज हुई फिल्म ‘झुमरू’ का निर्माण और इसका निर्देशन किशोर क ु मार ने ही किया था। साथ ही इस फिल्म में उन्होंने अभिनय क े साथ साथ इस फिल्म का टाइटल सांग ‘मैं हूँ झुमरू’ भी उन्होंने खुद लिखा था। ● 1964 में रिलीज हुई फिल्म ‘दूर गगन की छाँव में’ का निर्माण और निर्देशन खुद किशोर क ु मार ने ही किया था। इस फिल्म की संगीत और पटकथा भी उन्होंने खुद लिखा था। इस फिल्म में किशोर क ु मार और उनक े पुत्र अमित क ु मार ने क्रमशः पिता और पुत्र की भूमिका निभाई थी। ● साल 1969 में रिलीज हुई फिल्म ‘आराधना’ क े गाने ‘कोरा कागज था ये मन मेरा’, ‘मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू’ और ‘रूप तेरा मस्ताना प्यार तेरा दीवाना’ जैसे गानों से किशोर क ु मार को संगीत की दुनिया में एक अलग पहचान मिली। इस फिल्म क े गाने ‘रूप तेरा मस्ताना प्यार तेरा दीवाना’ क े लिए उन्हें पहला फिल्मफ े यर पुरस्कार भी मिला था। ● किशोर क ु मार ने हिंदी फिल्म जगत क े जाने माने अभिनेता ‘राजेश खन्ना’ की कई फिल्मों में गाने गाए थे, इसलिए उनकी सफलता क े पीछे किशोर क ु मार की आवाज को माना जाता है। ● 1970 क े दशक में किशोर क ु मार ने ‘आर डी बर्मन’ क े संगीत निर्देशन में ‘ये शाम मस्तानी’, ‘रात कली एक ख्वाब में आई’ और ‘चिंगारी कोई भड़क े ’ जैसी कई सुपरहिट गाने गाए। ● किशोर क ु मार ने शास्त्रीय संगीत में कोई औपचारिक प्रशिक्षण हासिल नहीं किया था। इसक े बावजूद भी ‘आर. डी. बर्मन’ उन्हें अक्सर ‘मेरे नैना सावन भादो’ और ‘हमें तुम से प्यार कितना’ जैसे शास्त्रीय संगीत से जुड़े गीत गाने क े लिए देते रहते थे। ● फिल्म ‘दूर वादियों में कहीं’ एक अभिनेता क े तौर पर किशोर क ु मार की आखिरी फिल्म थी। फिल्म ‘आनंद’ में पहले किशोर क ु मार को कास्ट किया जाना था ● क्या आप जानते है कि साल 1971 में रिलीज हुई फिल्म ‘आनंद’ में निर्देशक ऋषिक े श मुखर्जी ,अमिताभ बच्चन और राजेश खन्ना की जगह किशोर क ु मार और महमूद को कास्ट करने वाले थे। लेकिन जब ऋषिक े श मुखर्जी, किशोर क ु मार क े घर पहुंचे तो उनका चोकीदार उन्हें डराकर भगा दिया। दरअसल किशोर क ु मार को एक बांग्ला स्टेज शो क े आयोजक ने भुगतान नहीं किया था, इसलिए किशोर क ु मार ने अपने चौकीदार से किसी बांग्ला व्यक्ति को घर आते ही उसे भगाने क े लिए कह दिया था। ● उन्हें मिडिया से बातचीत करना पसंद नहीं था, इसलिए वह अपने कमरे में लाल बत्ती क े साथ खोपड़ी और हड्डियों को रखा करते थे। साथ ही उन्होंने अपने कमरे में डरावनी आवाज भी लगा रखी थी। ● उन्हें टेबल टेनिस खेलना और उपन्यास पढ़ना बहुत पसंद था। ● साल 1975 में रिलीज हुई फिल्म ‘मिली’ क े गीत ‘बड़ी सूनी सूनी है’ उनकी सबसे पसंदीदा गीत है। यह एस.डी.बर्मन द्वारा लिखा गया सबसे अंतिम गीत था। ● 13 अक्टूबर 1987 को मुम्बई में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। ● साल 1988 में रिलीज हुई फिल्म ‘वक्त की आवाज’ का गीत ‘गुरु गुरु’ उनक े द्वारा गाया हुआ आखिर गीत था। इस गीत को किशोर क ु मार और आशा भोसलें ने साथ में गाया था । बप्पी लाहिड़ी द्वारा लिखे इस गीत को मिथुन चक्रवर्ती और श्रीदेवी क े ऊपर फिल्माया गया था। निष्कर्ष (Conclusion) उम्मीद करते है कि किशोर क ु मार क े जीवन (Kishore Kumar Biography in Hindi) क े बारे में यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। इसी तरह अपने पसंदीदा सितारों क े बारे में जानने क े लिए इस वेबसाइट क े अन्य आर्टिकल को भी पढ सकते है। इस आर्टिकल से सम्बंधित आपका कोई सवाल हो तो कमेंट करक े जरूर बताए। इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ने क े लिए धन्यवाद ! Read more: https://nayisochonline.com/kishore-kumar-biography-in-hindi/