1. एक अनजानी दौड़ में,
कु छ पाने की होड़ में,
चाहे-अनचाहे ही पर,
हैं आज सब लगे हुए।१।
कु छ नहीीं तो कु छ पाना है,
कम है तो ज्यादा पाना है,
ज्यादा हो फिर भी पाना है,
है ख्वाईश सब कु छ पाना है।२।
ररश्ते - नाते सब ताख पे,
बात आई है साख पे,
एक 'अहम्' के 'मैं' के खाततर,
हर दूजा बस बेगाना है।३।
साथ-साथ रहते खाते हैं ,
साथ-साथ बततयाते हैं,
साथ-साथ ही साथ ना देते,
साथ-साथ से कतराते हैं।४।
हर एक तो पहचान चाहहए,
हो कै से भी शान चाहहए,
अपना ही अभभमान चाहहए,
औरों से भी ध्यान चाहहए।५।
कु छ भी करने को तैयार,
कै से भी हो नौका पार,
कोई भी हो खेवनहार,
कोई तारणहार चाहहए।६।
कािी कु छ उलझा-उलझा है,
कु छ हदखता कु छ भी होता है,
इींसा नहीीं समझ सकता है,
ऐसों को भगवान चाहहए।७।
औरों से काम हो मुलाकात,
खुद ही खुद से कर लेते बात,
जजींदगी की एक नयी शुरुआत,
चाहे ना हो कोई साथ।८।
हम खुद से बढ़ते जायेंगे,
बाधाओीं से टकरायेंगे,
खीींचेगा कोई टाींग अगर भी,
हम मेहनत और बढ़ायेंगे।९ ।
चचाायें फकतनी करेंगे,
ऐसे उनको ही बल देंगे,
खुद से ही ध्यान हटा कर के ,
खुद पर ही ध्यान लगाएींगे।१०।
जब आया था इस दुतनयााँ में,
जब होशोहवास सींभाला था,
तब कभी ना ऐसे जाना था,
जीवन में ऐसे प्रपींच होंगे। ११।
खुद हूाँ मगर आज भी मैं,
हर अनुभव से ही सीखा है,
ना है औरों से कोई भशकायत,
ना ही अपना कोई रीता है।१२।
भावों का है यह उिान,
एक हदन तूफ़ान लाएगा,
उल्टा - सीधा जजतना कर लो,
एक हदन पररवतान आयेगा।१३।
गोपाल कृ ष्ण शर्ाा
gopalkrishnasharma@outlook.com
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