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Importance of Neem
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3. भारत में नीम का पेड़ ग्रामीण जीवन का
अभभन्न अंग रहा है। लोग इसकी छाया में
बैठने का सुख तो उठाते ही हैं, साथ ही इसके
पत्तों, ननबौभलयों, डंडडयों और छाल को
ववभभन्न बीमाररयााँ दूर करने के भलए प्रयोग
करते हैं। यह एंटीसेप्टटक की तरह इस्तेमाल
होता रहा है।
नीम के गुण
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5. नीम एक चमत्कारी वृक्ष माना जाता है।
भारत में इसके औषधीय गुणों की जानकारी
हजारों सालों से रही है। चरक संहहता और
सुश्रुत संहहता जैसे प्राचीन चचककत्सा ग्रंथों में
इसका उल्लेख भमलता है। इसे ग्रामीण
औषधालय का नाम भी हदया गया है। यह
पेड़ बीमाररयों वगैरह से आजाद होता है और
उस पर कोई कीड़ा-मकौड़ा नहीं लगता,
इसभलए नीम को आजाद पेड़ कहा जाता है।
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7. भारत में एक कहावत प्रचभलत है कक प्जस
धरती पर नीम के पेड़ होते हैं वहााँ मृत्यु और
बीमारी कै से हो सकती है। नीम के पेड़ पूरे
दक्षक्षण एभिया में फै ले हैं और हमारे जीवन से
जुड़े हुए हैं। लेककन, अब अन्य देि भी इसके
गुणों के प्रनत जागरूक हो रहे हैं। नीम की छाल
में ऐसे गुण होते हैं, जो दााँतों और मसूढ़ों में
लगने वाले तरह-तरह के बैक्टीररया को पनपने
नहीं देते हैं, प्जससे दााँत स्वस्थ व मजबूत रहते
हैं।
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9. नीम एक बहुत ही अच्छी वनस्पनत है जोकक भारतीय
पयाावरण के अनुकू ल है और भारत में बहुत पाया
जाता है।इसका वानस्पनतक नाम है‘Melia
azadirachta अथवा Azadiracta Indica’ । इसका
स्वाद तो कड़वा होता हैलेककन इसके फायदे तो अनेक
और बहुत प्रभाविाली हैं, और उनमें से कु छ नीचे
भलखता हूं।
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11. नीम की पवत्तयां चबाने से रक्त िोधन होता है और
त्वचाववकाररहहत और कांनतवान होती है। नीम की पवत्तयां
कड़वी होती हैं , लेककन कु छ पाने के भलये कु छ तो खोना
पड़ेगा मसलनस्वाद।
नीम का लेप सभी प्रकार के चमा रोगों के ननवारण में
सहायक है।
नीम की दातुन कर ने से दांत और मसूड़े स्वस्थ रहते हैं।
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13. नीमके फल(छोटासा)औरउसकी पवत्तयोंसे ननकाले गये
तेल से माभलि की जाये तो िरीरके भलये अच्छा रहता है।
नीमके द्वारा बनाया गया लेपवालोंमें लगानेसे बाल स्वस्थ
रहते हैं और कमझड़ते हैं।
नीमकी पवत्तयों के रसको आंखोंमें डालनेसे आंख आनेकी
बीमारी(कं जेप्क्टवाइहटस) समाटत हो जाती है।
नीम मलेररया फै लाने वाले मच्छरोंको दूर रखनेमें अत्यन्त
सहायक है।प्जस वातावरण में नीमके पेड़ रहते हैं , वहां
मलेररया नहीं फै लता है।
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15. नीमके बीजोंके चूणाको खाली पेट गुनगुने पानीके साथ लेने
से बवासीर में काफ़ी फ़ायदा होता है।
नीमके तेलकी५-१०बूंदोंको सोतेसमय दूध में डालकर
पीनेसे ज़्यादा पसीना आने और जलनहोने सम्बन्धी
ववकारोंमें बहुत फायदा होता है।
नीमकी पवत्तयों के रस और िहदको २:१के अनुपात में
पीनेसे पीभलया में फायदा होता है, और इसको कान में डालने
कान के ववकारों मेंभी फायदा होता है।
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17. वैसे तो हम लोग आजकल पप्चचमी चचककत्सा
पद्धनत का ही प्रयोग करते हैं, और इसकी
अच्छाइयों को झुठलाया नहीं जा सकता है। लेककन
इसकी काफ़ी कभमयां भी जैसे कक अनजाने प्रभाव
या साइडइफ़े क्टस। इस मामले में भारतीय
आयुवेहदक चचककत्सा काफ़ी बेहतर है और इन में से
कु छ उपचार तो अब घरेलू हो चुके हैं। ऐसी ही कु छ
दवाओं में है नीम।