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इलेक्ट्रान युग्म दोनों परमाणुओं के नाभिक के ठीक मध्य में अर्ाात दोनों से समान दुरी पर रहता है
H : H
परन्तु जब भिन्न तत्वों के दो परमाणु परस्पर सहसंयोजक बांध द्वारा जुड़कर अणु का िनमााण करते है
तो साझे का इलेक्ट्रान युग्म दोनों के नाभिक के ठीक मध्य में न रह कर ककसी एक के िनकट रहता है
H :Cl
उदाहरण :- कल्पना कीजजए की AB एक अणु है A और B दो भिन्न तत्वों के परमाणु है इस अणु में
सहसंयोजक आबंध बनाने वाला एलेक्ट्रोन युग्म िनम्न दो प्रकार से हो सकता है
A: B
साझे का इलेक्ट्रान युग्म परमाणु A के नाभिक के अधधक िनकट है
A :B
साझे का इलेक्ट्रान युग्म परमाणु B के अधधक के अभिक िनकट है
3. इलेक्ट्रान युग्म जजस परमाणु के अपेक्षाकृ त अधधक िनकट होगा ,उस परमाणु पर आंभकक ऋण आवेक(-)
और जजस परमाणु से अपेक्षाकृ त दूर होगा , उस परमाणु पर आंभकक धनवेक (+) आ जाता है
A+ :B-
या A- : B+
परमाणु द्वारा साझे के इलेक्ट्रान युग्म को अपनी ओर खींचना की छमता को ववधुत ऋणात्मकता कहते है
जैसे :- B की अपेक्षा A इस साझे के इलेक्ट्रान युग्म को अपनी ओर आकवषात करने की छमता अधधक
है तो साझे का इलेक्ट्रान युग्म A के अधधक िनकट रहेगा
विधुत ऋणात्मकता के गुण
(i) जजस परमाणु का परमाणु क्रमांक अधधक होता है और जजसकी परमाणु त्रिज्या कम होती है वे इलेक्ट्रान
को अधधक आकवषात करने की छमता होती है अर्ाात उनकी ववधुत ऋणात्मकता अधधक होती है
4. (ii) ववधुत ऋणात्मकता ऊजाा नहीं है यह तो परमाणु की प्रवववि या छमता है अतः इसकी को यूिनट नहीं है
(iii) आवता साररणी में ककसी िी आवता में बाये से दाए जाने पर ववधुत ऋणात्मकता का मान बढ़ता है
जैसे क्ट्लोरीन नइरोजन की अपेक्षा अधधक ववधुत ऋणी है
उदाहरण:-
H < C = I < Br < N = Cl < O <F