2. एि या अधिि वर्णों से
बनी हुई स्वतंत्र सार्थि
ध्वनन शब्द िहलाती है।
जैसे- एि वर्णथ से
ननर्मथत शब्द- न (नह ं)
व (और) अनेि वर्णों से
ननर्मथत शब्द-िु त्ता, शेर,
िमल, नयन, प्रासाद,
सवथव्यापी, परमात्मा
आदद
3. सार्थि वर्णथ या वर्णोँ िे समूह िो शब्द िहा
जाता है। शब्द सार्िप्राय होते हैँ। जब िोई
सार्थि शब्द वाक्य मेँ प्रयुक्त होता है तब
उसे ‘पद’ िहते हैँ। व्यािरर्ण िे ननयमोँ िे
अनुसार वविक्क्त, वचन, र्लिँग, िाल आदद
िी योग्यता रखने वाला वर्णोँ िा समूह ‘पद’
िहलाता है। जैसे– राम ववद्यालय जायेगा।
यह वाक्य ‘राम’, ‘ववद्यालय’ और ‘जायेगा’
तीन पदोँ से बना है।
8. किया िे पदान्वय मेँ किया िे िेद (सिमथि और अिमथि), िाल
(वतथमान िाल, िूतिाल, िववष्यत्िाल), पुरुष, र्लिँग, वाच्य
(ित्ततथवाच्य, िमथवाच्य, िाववाच्य), किया िा ित्ताथ आदद से सम्बन्ि
बताया जाता है। जैसे–
• सुरेन्र ने िहा– “मैँ पुस्ति पढ़ूिँगा। तुम िी अपना पाठ पढ़िर
सुनाओ।”
पद–पररचय–
(1) िहा—सिमथि किया, सामान्य िूतिाल, अन्यपुरुष, पुक््लिँग,
एिवचन, ित्ततथवाच्य, ‘पढ़ूिँगा’ किया िा ित्ताथ सुरेन्र है और िमथ है–
मैँ पुस्ति पढ़ूिँगा।
(2) पढ़ूिँगा—सिमथि किया, सामान्य िववष्यत िाल, उत्तम पुरुष,
पुक््लिँग, एिवचन, ित्ततथवाच्य, ‘पढ़ूिँगा’ किया िा ित्ताथ ‘मैँ’ और िमथ
है– ‘पुस्ति’ ।
(3) पढ़िर—सिमथि पूवथिार्लि किया, िमथ है– ‘पाठ’।
(4) सुनाओ—सिमथि प्रेरर्णार्थि किया, मध्यम पुरुष, बहुवचन,
ित्ततथवाच्य, इसिा ित्ताथ है– ‘तुम’।
9. इसमेँ अव्यय (किया–ववशेषर्ण) िा प्रिार और किया से सम्बन्ि
बताया जाता है। जैसे–
• तुम यहािँ िब आये।
पद–पररचय–
(1) यहािँ—स्र्ानवाचि कियाववशेषर्ण अव्यय ‘आये’ किया िी
ववशेषता बताता है।
(2) िब—िालबोिि कियाववशेषर्ण अव्यय ‘आये’ किया िी
ववशेषता बतलाता है।
• मैँ आज िाम नह ीँ िरूिँ गा।
पद–पररचय–
(1) आज—िालवाचि किया ववशेषर्ण, ववशेष्य किया ‘िरूिँ गा’।
(2) नह ीँ—र नतवाचि कियाववशेषर्ण, ववशेष्य किया ‘िरूिँ गा’।