2. सुभद्रा क
ु मारी चौहान का जन्म 16 अगस्त 1904 को ननहालपुर (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। उनकी प्रारंनभक
नशक्षा महादेवी वमाा क
े साथ इलाहाबाद में हुई थी। उनकी शादी ठाक
ु र लक्ष्मण नसंह से हुई थी।
सुभद्रा जी ने 1921 में गांधीजी क
े असहयोग आंदोलन में भाग नलया। वह असहयोग आन्दोलन में नगरफ्तार होने
वाली प्रथम मनहला थीं। सुभद्रा जी भारत की आजादी क
े नलए कई बार जेल गईं। वह नवधानसभा की सदस्य भी
रहीं।
जीवन पररचय
काया
3. उन्ोंने देशवानसयों क
े मनोबल को बढ़ाने क
े नलए देश प्रेम की अनेक कनवताएं नलखीं। नजसमें “झांसी की रानी”
बहुत प्रनसद्ध है। मेरा नया बचपन, नबखरे मोती, जनलयांवाला बाग़ में बसंत जैसी अनेक प्रनसद्ध कनवताएं नलखी
है।
नहंदी सानहत्य एवं भारत की आजादी में सुभद्रा जी क
े योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। उनकी एक कनवता
की दो पंक्तियों क
े साथ मैं अपनी बात खत्म करता हूँ।
“बुंदेले हरबोलों क
े मुूँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लडी मदाानी वह तो झाूँसी वाली रानी थी।”