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त ाँबे क
े कीडे
प त्र :-
अनाउंसर, एक परेशान रमणी, एक मसरूफ पति, एक थका हुआ अफसर, पागल आया,
एक ररक्शा क
ु ली: क
ु छ और आवाजें।
स र ांश :-
िााँबे क
े कीडे एक असंगि एकांकी नाटक है। इस एकांकी में क्रमबद्ध या ठोस कथा-वस्तु
नहीं है। चररत्र भी तवकतसि या समग्रिा तलए हुए नहीं हैं। स्थथति और तवचारों को स्क्रीन क
े
पीछे से, तवतभन्न पात्रों क
े माध्यम से मंच पर प्रतिध्वतनि तकया गया है। मंच पर क
े वल मतहला
अनाउंसर ही रहिी है। नाटक, पार्श्व- नाटक की शैली में तलखा गया है।
यानी नाटक का मुख्य तक्रया व्यापार तजिना मंच पर घतटि होिा है, उिना ही या
उससे ज्यादा मंच क
े पीछे घतटि होिा है। मतहला अनाउंसर झुनझुना बजािी हुई,
नाटक की पृष्ठभूतम तनतमवि करिी है। वह कहिी है "हम अक
े ले और बेसरोसामान
इस संसार में आये। हम सवालाि उठािे हैं और ये सवाल ही मनुष्य क
े जीवन क
े
स ंदयव को काट देिे हैं, और हम मृत्यु को तनरुत्तर कर देिे हैं। हमारा संगमरमर-सा
सुंदर जीवन घायल और खून से लथपथ हो जािा है।
िााँबे क
े कीडे में तििीय तवर्श्युद्ध से उत्पन्न संत्रास और भय को तचतत्रि तकया गया है।
तवज्ञान क
े तनमावण और तवनाशक अतवष्कारों क
े सामने हम ब ने हो गये हैं। हमारे
अस्स्तत्व का संकट उभर कर सामने आ गया है। भ तिक तलप्सा ने हमको अत्यतिक
स्वाथी और अजनबी बना तदया है।
हम अक
े ले, लक्ष्यहीन अपने अस्स्तत्व की खोज में लगे हैं। स्क्रीन क
े पीछे से उठिी
आवाजें कहिी हैं "तकसने अपने पडोसी का चेहरा पहचाना?... तकसने अपनी आत्मा
में जीवन क
े आतद मुहूिव को तससकिे-सुबकिे नहीं सुना? अक
े ले और बेसरोसामान
हम भूले हुए रास्ते खोजिे हैं। जब हम जन्म लेिे हैं, तससकिे सुबकिे, तवकार रतहि
बच्चे क
े रूप में रहिे हैं, लेतकन बडे होिे ही हम मानवीय रूप को भुलाकर, आत्म-
क
ें तिि हो जािे हैं, अक
े ले हो जािे हैं, तवनाश में लग जािे हैं, और स्वयं क
े तवनाश
की आशंका हमें भयभीि कर देिी है। तवनाश करने की एक होड-सी चलने लगिी
है।
अनाउंसर कहिी है 'हम खुद तनयम और मनुष्य को कायल कर देिे हैं और
हमारे अंिर क
े अंिकार से शस्ि फ
ू ट पडिी है। हम अपनी आत्मा से रचिे हैं,
और शरीर से नाश कर देिे हैं तक हम तफर अपने सत्य से उसे सजायें।... मृत्यु
हमारे तसरहाने लोररयााँ गािी है। हम अपनी जानें खिरे में डाल सकिे हैं, पेंशनें
नहीं। युद्ध में सैतनक जान पर खेल सकिा है, मगर अपनी आत्मा की आवाज
सुनकर युद्ध से अलग होकर पेंशन बंद होने का खिरा मोल नहीं ले सकिा।
मनुष्य सभी ओर से बेसहारा और असुरतिि हो गया है। कोई थकाहारा
है, कोई परेशान है,कोई पागल है, कोई अपनी व्यस्तिा से त्रस्त है।
पागल आया अपने जान बाबा, मशालत्नी बाबा को, स्वेटर तलए ढ
ूाँढ रही
है। वह कहीं दू र तनकल गया है। वह उसे ठं ड से बचाना चाहिी है।
पागल आया ने दो स तकिाबें तलखी हैं। पर उसकी कोई सुनिा नहीं है।
वह देखिी नहीं, तसफ
व ढ
ूाँढ़िी है। इसी समय एक स्त्री की आवाज सुनाई
पडिी है। वह पानी बरसने क
े कारण खडे-खडे अकड गई है। वह
तचंतिि है तक वर्ाव क
े कारण उसक
े बीज सड जायेंगे।
लेतकन एक और आवाज आिी है तक अब कांच क
े बीज बन गये हैं, जो
सडिे नहीं हैं। उगने से इंकार नहीं करिे। इनको बार-बार बोना नहीं
पडिा। एक बार बोओ, हजार बार काटो। अनाउंसर इससे भी आगे
बढ़कर बिािी है तक अब सीसे क
े बीज बन गये हैं जो कांच क
े बीजों से
ज्यादा पायदार हैं। ये बीज तवज्ञान की उस उत्तरोत्तर बढ़िी हुई शस्ि
को इंतगि करिे हैं जो भ तिक समृस्द्ध को िो बढ़ािी है लेतकन मनुष्य क
े
हृदय की िरलिा को नष्ट करिी है।
स्क्रीन क
े पीछे से ररक्शेवाले की आवाज आिी है तक बादलों ने सूरज की
हत्या कर दी, सूरज मर गया। मानव-शस्ि ने प्रक
ृ ति की शस्ि को मार
तदया। सूयव, जो पृथ्वी पर जीवन का संचार करिा है, उस जीवन को इस
आिुतनक उन्नति ने मार तदया या उसे पंगु कर तदया।
अब हम मानव तनतमवि आइने से प्रकाश ले रहे हैं, उस प्रकाश में अपना
मुख देख रहे हैं। ररक्शेवाले क
े ररक्शे में भी आईने लगे हैं तजनमें वह
अपना मुाँह देखिा है। ररक्शे वाला कहिा है 'अब िरिी पर आईनों का
शासन होगा। आईने अब उगने और न उगने वाले बीज अलग-अलग
कर देंगे।' इसी समय एक थका अफसर ररक्शे से टकरा जािा है और
ररक्शेवाले का एक आईना टू ट जािा है। अफ़सर क
े भिीर थकावट पूरी
िरह बैठ गई है। वह कहिा है- 'जवानी में मैंने हजारों खोपडे चटकाये
थे, अब तसफ
व उंगतलयााँ चटकािा हूाँ।'
स्क्रीन क
े पीछे से एक ऊबी हुई स्त्री की आवाज उनस्ती है। वह संपूणव
संसार को चुपक
े से मंथना चाहिी है। वह सृजन नहीं करना चाहिी है,
क
े वल मंथना चाहिी है। सृजन का काम वह पुरुर् पर छोडिी है। स्त्री क
े
भीिर अिृप्त वासना है जो उसकी मंथने की इच्छा में प्रकट होिी है वह
क
े वल सेक्स चाहिी है, बच्चा नहीं। एक मसरूफ पति से भी वह कहिी
है िुम अपनी आत्मा-मॅथिे क्ों नहीं, िुम अपना शरीर क्ों नहीं माँथिे?"
मसरूफ पति डरकर उससे कहिा है- "मैं यह सब नहीं करू
ं गा।... मैं
एकबारगी शरीर को तदमाग क
े बंिन से अलग कर दूाँगा। मैं लड
ूंगा, मैं
शहीद हो जाऊ
ाँ गा, मैं अजनतबयों की भार्ा बोलूाँगा।... मैं सूरज का गला
घोंट दूाँगा।
मसरूफ पति सोचने की िाकि को, शरीर से अलग करना चाहिा है।
वह शराब पीकर, तदमाग से मुि हो जािा है। नशे की हालि में वह,
काल्पतनक तनमाविा से तदल बहलािा है। उसकी तनमाविा ऊनी बादलों में
रहिी है। लगिा है, वह अपनी अिीि की स्मृतियों में खोकर, अपने को
भूल जाना चाहिा है। वह तनरथवक प्रलाप करिा है। उसकी पत्नी साि
बजे से उसका इंिजार कर रही है। उसे देखकर वह कहिी है लडखडा
रहे हो। वह पति को ररक्शे में तबठाकर, ' िुम्हारा चेहरा क्ों उिरा है?...
िुम िो ररक्शेवाले से कहिी है साहब की ितबयि ठीक नहीं है, जल्दी से
चलो।
परेशान रमणी अपने मसरूफ पति से कहिी है 'मैंने िुम से शादी क्ों
की? वह भयानक रूप से हाँसिी है, तफर िीरे-िीरे मिुर हो जािी है।
शायराने लहजे में कहिी है- 'िुम तनमवला क
े बारे में सोचिे हो। कभी मेरे
बारे में यह नहीं सोचा तक मैं बादलों से तनकलकर आयी हूाँ या बादलों में
रह सकिी हैं। बादलों में रहना परेशान रमणी की रोमानी प्रवृतत्त और
इच्छाओं को दशाविा है, लेतकन मसरूफ पति ने उसकी भावनाओं को
क
ु चल डाला है। 'इस पर पति कहिा है- "मैं सोचिा कहााँ हूाँ। सुनिा हूाँ,
और खुद देखिा हूाँ।... मेरी कोतशश रहिी है, जो मैंने देखा है, उसे िुम न
देखो। पति अत्यतिक डरा हुआ है।
वह डर को उखाड फ
ें कना चाहिा है, पर उखाड नहीं पािा। वह कहिा
है संसार में भय क
े नाश करन का मिलब है, संसार का नाश करना। ...
िुम जानिी हो, भय छोड देने से क्ा होगा? िब मैं क
ु छ तमटा नहीं
सकिा, नाश नहीं कर सकिा। मुझे बरबस सृजन करना होगा। और
तफर िब हमारी आत्मा और शरीर क
े मंथन से जो तनकलेगा, वह हमें मार
डालेगा। िुम बूढ़ी हो जाओगी। जीवन क्रीडा नन्ीं-सी स्तनजडी
ररस्टवाच की िरह रूक जायेगी। हमें हर स्थथति में नष्ट होना ही है, तफर
हम नाश से पीछे क्ों हटें? ररक्शावाला आगे देखिा नहीं है। परेशान
रमणी ररक्शेवाले को पीछे से ठोकर मारिी है। ररक्शावाला तगर पडिा
है।
वह डर को उखाड फ
ें कना चाहिा है, पर उखाड नहीं पािा। वह कहिा
है संसार में भय क
े नाश करन का मिलब है, संसार का नाश करना। ...
िुम जानिी हो, भय छोड देने से क्ा होगा? िब मैं क
ु छ तमटा नहीं
सकिा, नाश नहीं कर सकिा। मुझे बरबस सृजन करना होगा। और
तफर िब हमारी आत्मा और शरीर क
े मंथन से जो तनकलेगा, वह हमें मार
डालेगा। िुम बूढ़ी हो जाओगी। जीवन क्रीडा नन्ीं-सी स्तनजडी
ररस्टवाच की िरह रूक जायेगी। हमें हर स्थथति में नष्ट होना ही है, तफर
हम नाश से पीछे क्ों हटें? ररक्शावाला आगे देखिा नहीं है। परेशान
रमणी ररक्शेवाले को पीछे से ठोकर मारिी है। ररक्शावाला तगर पडिा
है।
उसका एक पैर बेकार हो जािा है। थका अफसर परेशान रमणी और
उसक
े पति से कहिा है 'िुम ररक्शेवाले का नाश करना चाहिे थे। मैं
सीटी बजाऊ
ाँ गा। मैं अपनी िाकि सीटी बजाने में खचव कर दूाँगा। सीटी
बजाना, यहााँ नाश करने का तवरोि करना है, व्यवथथा का साथ देना है।
तजस प्रकार पुतलस वाले सीटी बजािे हैं। परेशान रमणी उसे सीटी बजाने
से रोकिी है। उसे अपने पि में करना चाहिी है। पर थका अफसर
तवरोि करने पर भी डटा रहिा है। वह कहिा है "आप जानिी हैं तक एक
कानून है, तजसमें उन लोगों को सजा तमलिी है, जो जानवरों क
े साथ,
खासकर सवाररयों में जुिनेवाले जानवरों क
े साथ बेरहमी करिे हैं।
जब थका अफसर उसक
े पि में नहीं आिा, िो वह अपना िेवर बदलिी
है, और ररक्शेवाले का पि लेिी हुई गुस्से में कहिी है 'िुम क्ा इस
आदमी को जानवर बना दोगे? यह ररक्शावाला कोई बैल है या घोडा?
मसरूफ पति भी पत्नी का पि लेिा हुआ जोशीली आवाज में कहिा है
"मैं इसक
े स्खलाफ लड
ूंगा। मैं आंदोलन करू
ाँ गा। मैं आलमगीर लडाइयााँ
लड
ूंगा। ... यह आदमी है, जानवर नहीं है। दोनों तमलकर थक
े अफसर
को ही अतभयुि बना देिे हैं। ररक्शावाला भी यही समझिा है तक थक
े
अफसर ने ही ठोकर मारी है। ररक्शावाला थक
े अफसर को मार डालिा
है। परेशान रमणी अवसरवातदयों की िरह अपने फरेब में सफल होिी
है।
पागल आया अचानक मसरूफ पति को देखिी है और जोश में कहिी है
'अहा, तमल गया बाबा, जान बाबा, मशालची बाबा तमल गया। पागल
आया और मसरूफ पति, दोनों सुबकने लगिे हैं। इसक
े बाद पागल
आया उन्ीं दोनों का पि लेिी हुई कहिी है "ररक्शेवाले ने क
ै सा नाश
तकया। मेरी ख्वातहश है तक हम उसक
े स्टेचू बनाएाँ । उसक
े जाली
आटोग्राफ बेचने क
े तलये क
ं पतनयों खडी करें।
पागल आया, मसरूफ पति से कहिी है लेतकन मशालची बाबा िुम घर
से तकिनी दू र तनकल आये हो, ओह िुम्हारा सूटर कीडों ने खत्म कर
तदया है। इस पर एक स्वर उभरिा है - 'हमारी सबसे िाजी ईजाद, कांच
क
े सूटर। इनको तसफ
व िााँबे क
े कीडे खा सकिे हैं। ... हमारी इससे भी
िाजी ईजाद िााँबे क
े कीडे। यह बुलाने से बोलिे और हाँसाने से हाँसिे हैं।'
इस प्रकार आिुतनक प्रगति, अपने ही बनाये को नष्ट करने क
े रास्ते
खोजिी है। नष्ट करिी है और तफर बनािी है।
नाश और तनमावण की प्रतक्रया चलिी रहिी है।अब ऑडीटोररयम में
रोशनी हो जािी है और अनाउंसर कहिी है 'तजंदगी और नाटक का
प्राबलम एक ही है, यानी लम्हे को मुकस्िल कर देना। तवरोि और
तविोह को एक स्वर करना और उसमें एक क
ें िीय महत्व यानी सेंटरल
तसगनीफक
ें स हातसल करक
े उसका दशवकों पर एक फीका असर
उपजाना, तक वह उनकी बुस्द्ध, तवचार और नजर को उकसाए।
इसक
े बाद ररक्शावाला पैरों में घुाँघरू बााँिकर, जोकरों की िरह भद्दी
लय में गाना गािा है, और उछलिा- क
ू दिा और नाचिा है। ररक्शेवाले
का गीि, उसकी अपनी वेदना व्यि करिा है। ररक्शेवाले की पत्नी
बोलिी नहीं, क
ुं डा नहींखोलिी, जबतक बरसाि उमड रही है। ररक्शेवाले
की उल-जलूल हरकिें देखकर अनाउंसर लाल तसंदू र होकर लोटपोट
हो जािी है, और नाटक समाप्त हो जािा है।

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  • 1. त ाँबे क े कीडे प त्र :- अनाउंसर, एक परेशान रमणी, एक मसरूफ पति, एक थका हुआ अफसर, पागल आया, एक ररक्शा क ु ली: क ु छ और आवाजें। स र ांश :- िााँबे क े कीडे एक असंगि एकांकी नाटक है। इस एकांकी में क्रमबद्ध या ठोस कथा-वस्तु नहीं है। चररत्र भी तवकतसि या समग्रिा तलए हुए नहीं हैं। स्थथति और तवचारों को स्क्रीन क े पीछे से, तवतभन्न पात्रों क े माध्यम से मंच पर प्रतिध्वतनि तकया गया है। मंच पर क े वल मतहला अनाउंसर ही रहिी है। नाटक, पार्श्व- नाटक की शैली में तलखा गया है।
  • 2. यानी नाटक का मुख्य तक्रया व्यापार तजिना मंच पर घतटि होिा है, उिना ही या उससे ज्यादा मंच क े पीछे घतटि होिा है। मतहला अनाउंसर झुनझुना बजािी हुई, नाटक की पृष्ठभूतम तनतमवि करिी है। वह कहिी है "हम अक े ले और बेसरोसामान इस संसार में आये। हम सवालाि उठािे हैं और ये सवाल ही मनुष्य क े जीवन क े स ंदयव को काट देिे हैं, और हम मृत्यु को तनरुत्तर कर देिे हैं। हमारा संगमरमर-सा सुंदर जीवन घायल और खून से लथपथ हो जािा है। िााँबे क े कीडे में तििीय तवर्श्युद्ध से उत्पन्न संत्रास और भय को तचतत्रि तकया गया है। तवज्ञान क े तनमावण और तवनाशक अतवष्कारों क े सामने हम ब ने हो गये हैं। हमारे अस्स्तत्व का संकट उभर कर सामने आ गया है। भ तिक तलप्सा ने हमको अत्यतिक स्वाथी और अजनबी बना तदया है।
  • 3. हम अक े ले, लक्ष्यहीन अपने अस्स्तत्व की खोज में लगे हैं। स्क्रीन क े पीछे से उठिी आवाजें कहिी हैं "तकसने अपने पडोसी का चेहरा पहचाना?... तकसने अपनी आत्मा में जीवन क े आतद मुहूिव को तससकिे-सुबकिे नहीं सुना? अक े ले और बेसरोसामान हम भूले हुए रास्ते खोजिे हैं। जब हम जन्म लेिे हैं, तससकिे सुबकिे, तवकार रतहि बच्चे क े रूप में रहिे हैं, लेतकन बडे होिे ही हम मानवीय रूप को भुलाकर, आत्म- क ें तिि हो जािे हैं, अक े ले हो जािे हैं, तवनाश में लग जािे हैं, और स्वयं क े तवनाश की आशंका हमें भयभीि कर देिी है। तवनाश करने की एक होड-सी चलने लगिी है।
  • 4. अनाउंसर कहिी है 'हम खुद तनयम और मनुष्य को कायल कर देिे हैं और हमारे अंिर क े अंिकार से शस्ि फ ू ट पडिी है। हम अपनी आत्मा से रचिे हैं, और शरीर से नाश कर देिे हैं तक हम तफर अपने सत्य से उसे सजायें।... मृत्यु हमारे तसरहाने लोररयााँ गािी है। हम अपनी जानें खिरे में डाल सकिे हैं, पेंशनें नहीं। युद्ध में सैतनक जान पर खेल सकिा है, मगर अपनी आत्मा की आवाज सुनकर युद्ध से अलग होकर पेंशन बंद होने का खिरा मोल नहीं ले सकिा।
  • 5. मनुष्य सभी ओर से बेसहारा और असुरतिि हो गया है। कोई थकाहारा है, कोई परेशान है,कोई पागल है, कोई अपनी व्यस्तिा से त्रस्त है। पागल आया अपने जान बाबा, मशालत्नी बाबा को, स्वेटर तलए ढ ूाँढ रही है। वह कहीं दू र तनकल गया है। वह उसे ठं ड से बचाना चाहिी है। पागल आया ने दो स तकिाबें तलखी हैं। पर उसकी कोई सुनिा नहीं है। वह देखिी नहीं, तसफ व ढ ूाँढ़िी है। इसी समय एक स्त्री की आवाज सुनाई पडिी है। वह पानी बरसने क े कारण खडे-खडे अकड गई है। वह तचंतिि है तक वर्ाव क े कारण उसक े बीज सड जायेंगे।
  • 6. लेतकन एक और आवाज आिी है तक अब कांच क े बीज बन गये हैं, जो सडिे नहीं हैं। उगने से इंकार नहीं करिे। इनको बार-बार बोना नहीं पडिा। एक बार बोओ, हजार बार काटो। अनाउंसर इससे भी आगे बढ़कर बिािी है तक अब सीसे क े बीज बन गये हैं जो कांच क े बीजों से ज्यादा पायदार हैं। ये बीज तवज्ञान की उस उत्तरोत्तर बढ़िी हुई शस्ि को इंतगि करिे हैं जो भ तिक समृस्द्ध को िो बढ़ािी है लेतकन मनुष्य क े हृदय की िरलिा को नष्ट करिी है। स्क्रीन क े पीछे से ररक्शेवाले की आवाज आिी है तक बादलों ने सूरज की हत्या कर दी, सूरज मर गया। मानव-शस्ि ने प्रक ृ ति की शस्ि को मार तदया। सूयव, जो पृथ्वी पर जीवन का संचार करिा है, उस जीवन को इस आिुतनक उन्नति ने मार तदया या उसे पंगु कर तदया।
  • 7. अब हम मानव तनतमवि आइने से प्रकाश ले रहे हैं, उस प्रकाश में अपना मुख देख रहे हैं। ररक्शेवाले क े ररक्शे में भी आईने लगे हैं तजनमें वह अपना मुाँह देखिा है। ररक्शे वाला कहिा है 'अब िरिी पर आईनों का शासन होगा। आईने अब उगने और न उगने वाले बीज अलग-अलग कर देंगे।' इसी समय एक थका अफसर ररक्शे से टकरा जािा है और ररक्शेवाले का एक आईना टू ट जािा है। अफ़सर क े भिीर थकावट पूरी िरह बैठ गई है। वह कहिा है- 'जवानी में मैंने हजारों खोपडे चटकाये थे, अब तसफ व उंगतलयााँ चटकािा हूाँ।'
  • 8. स्क्रीन क े पीछे से एक ऊबी हुई स्त्री की आवाज उनस्ती है। वह संपूणव संसार को चुपक े से मंथना चाहिी है। वह सृजन नहीं करना चाहिी है, क े वल मंथना चाहिी है। सृजन का काम वह पुरुर् पर छोडिी है। स्त्री क े भीिर अिृप्त वासना है जो उसकी मंथने की इच्छा में प्रकट होिी है वह क े वल सेक्स चाहिी है, बच्चा नहीं। एक मसरूफ पति से भी वह कहिी है िुम अपनी आत्मा-मॅथिे क्ों नहीं, िुम अपना शरीर क्ों नहीं माँथिे?" मसरूफ पति डरकर उससे कहिा है- "मैं यह सब नहीं करू ं गा।... मैं एकबारगी शरीर को तदमाग क े बंिन से अलग कर दूाँगा। मैं लड ूंगा, मैं शहीद हो जाऊ ाँ गा, मैं अजनतबयों की भार्ा बोलूाँगा।... मैं सूरज का गला घोंट दूाँगा।
  • 9. मसरूफ पति सोचने की िाकि को, शरीर से अलग करना चाहिा है। वह शराब पीकर, तदमाग से मुि हो जािा है। नशे की हालि में वह, काल्पतनक तनमाविा से तदल बहलािा है। उसकी तनमाविा ऊनी बादलों में रहिी है। लगिा है, वह अपनी अिीि की स्मृतियों में खोकर, अपने को भूल जाना चाहिा है। वह तनरथवक प्रलाप करिा है। उसकी पत्नी साि बजे से उसका इंिजार कर रही है। उसे देखकर वह कहिी है लडखडा रहे हो। वह पति को ररक्शे में तबठाकर, ' िुम्हारा चेहरा क्ों उिरा है?... िुम िो ररक्शेवाले से कहिी है साहब की ितबयि ठीक नहीं है, जल्दी से चलो।
  • 10. परेशान रमणी अपने मसरूफ पति से कहिी है 'मैंने िुम से शादी क्ों की? वह भयानक रूप से हाँसिी है, तफर िीरे-िीरे मिुर हो जािी है। शायराने लहजे में कहिी है- 'िुम तनमवला क े बारे में सोचिे हो। कभी मेरे बारे में यह नहीं सोचा तक मैं बादलों से तनकलकर आयी हूाँ या बादलों में रह सकिी हैं। बादलों में रहना परेशान रमणी की रोमानी प्रवृतत्त और इच्छाओं को दशाविा है, लेतकन मसरूफ पति ने उसकी भावनाओं को क ु चल डाला है। 'इस पर पति कहिा है- "मैं सोचिा कहााँ हूाँ। सुनिा हूाँ, और खुद देखिा हूाँ।... मेरी कोतशश रहिी है, जो मैंने देखा है, उसे िुम न देखो। पति अत्यतिक डरा हुआ है।
  • 11. वह डर को उखाड फ ें कना चाहिा है, पर उखाड नहीं पािा। वह कहिा है संसार में भय क े नाश करन का मिलब है, संसार का नाश करना। ... िुम जानिी हो, भय छोड देने से क्ा होगा? िब मैं क ु छ तमटा नहीं सकिा, नाश नहीं कर सकिा। मुझे बरबस सृजन करना होगा। और तफर िब हमारी आत्मा और शरीर क े मंथन से जो तनकलेगा, वह हमें मार डालेगा। िुम बूढ़ी हो जाओगी। जीवन क्रीडा नन्ीं-सी स्तनजडी ररस्टवाच की िरह रूक जायेगी। हमें हर स्थथति में नष्ट होना ही है, तफर हम नाश से पीछे क्ों हटें? ररक्शावाला आगे देखिा नहीं है। परेशान रमणी ररक्शेवाले को पीछे से ठोकर मारिी है। ररक्शावाला तगर पडिा है।
  • 12. वह डर को उखाड फ ें कना चाहिा है, पर उखाड नहीं पािा। वह कहिा है संसार में भय क े नाश करन का मिलब है, संसार का नाश करना। ... िुम जानिी हो, भय छोड देने से क्ा होगा? िब मैं क ु छ तमटा नहीं सकिा, नाश नहीं कर सकिा। मुझे बरबस सृजन करना होगा। और तफर िब हमारी आत्मा और शरीर क े मंथन से जो तनकलेगा, वह हमें मार डालेगा। िुम बूढ़ी हो जाओगी। जीवन क्रीडा नन्ीं-सी स्तनजडी ररस्टवाच की िरह रूक जायेगी। हमें हर स्थथति में नष्ट होना ही है, तफर हम नाश से पीछे क्ों हटें? ररक्शावाला आगे देखिा नहीं है। परेशान रमणी ररक्शेवाले को पीछे से ठोकर मारिी है। ररक्शावाला तगर पडिा है।
  • 13. उसका एक पैर बेकार हो जािा है। थका अफसर परेशान रमणी और उसक े पति से कहिा है 'िुम ररक्शेवाले का नाश करना चाहिे थे। मैं सीटी बजाऊ ाँ गा। मैं अपनी िाकि सीटी बजाने में खचव कर दूाँगा। सीटी बजाना, यहााँ नाश करने का तवरोि करना है, व्यवथथा का साथ देना है। तजस प्रकार पुतलस वाले सीटी बजािे हैं। परेशान रमणी उसे सीटी बजाने से रोकिी है। उसे अपने पि में करना चाहिी है। पर थका अफसर तवरोि करने पर भी डटा रहिा है। वह कहिा है "आप जानिी हैं तक एक कानून है, तजसमें उन लोगों को सजा तमलिी है, जो जानवरों क े साथ, खासकर सवाररयों में जुिनेवाले जानवरों क े साथ बेरहमी करिे हैं।
  • 14. जब थका अफसर उसक े पि में नहीं आिा, िो वह अपना िेवर बदलिी है, और ररक्शेवाले का पि लेिी हुई गुस्से में कहिी है 'िुम क्ा इस आदमी को जानवर बना दोगे? यह ररक्शावाला कोई बैल है या घोडा? मसरूफ पति भी पत्नी का पि लेिा हुआ जोशीली आवाज में कहिा है "मैं इसक े स्खलाफ लड ूंगा। मैं आंदोलन करू ाँ गा। मैं आलमगीर लडाइयााँ लड ूंगा। ... यह आदमी है, जानवर नहीं है। दोनों तमलकर थक े अफसर को ही अतभयुि बना देिे हैं। ररक्शावाला भी यही समझिा है तक थक े अफसर ने ही ठोकर मारी है। ररक्शावाला थक े अफसर को मार डालिा है। परेशान रमणी अवसरवातदयों की िरह अपने फरेब में सफल होिी है।
  • 15. पागल आया अचानक मसरूफ पति को देखिी है और जोश में कहिी है 'अहा, तमल गया बाबा, जान बाबा, मशालची बाबा तमल गया। पागल आया और मसरूफ पति, दोनों सुबकने लगिे हैं। इसक े बाद पागल आया उन्ीं दोनों का पि लेिी हुई कहिी है "ररक्शेवाले ने क ै सा नाश तकया। मेरी ख्वातहश है तक हम उसक े स्टेचू बनाएाँ । उसक े जाली आटोग्राफ बेचने क े तलये क ं पतनयों खडी करें।
  • 16. पागल आया, मसरूफ पति से कहिी है लेतकन मशालची बाबा िुम घर से तकिनी दू र तनकल आये हो, ओह िुम्हारा सूटर कीडों ने खत्म कर तदया है। इस पर एक स्वर उभरिा है - 'हमारी सबसे िाजी ईजाद, कांच क े सूटर। इनको तसफ व िााँबे क े कीडे खा सकिे हैं। ... हमारी इससे भी िाजी ईजाद िााँबे क े कीडे। यह बुलाने से बोलिे और हाँसाने से हाँसिे हैं।' इस प्रकार आिुतनक प्रगति, अपने ही बनाये को नष्ट करने क े रास्ते खोजिी है। नष्ट करिी है और तफर बनािी है।
  • 17. नाश और तनमावण की प्रतक्रया चलिी रहिी है।अब ऑडीटोररयम में रोशनी हो जािी है और अनाउंसर कहिी है 'तजंदगी और नाटक का प्राबलम एक ही है, यानी लम्हे को मुकस्िल कर देना। तवरोि और तविोह को एक स्वर करना और उसमें एक क ें िीय महत्व यानी सेंटरल तसगनीफक ें स हातसल करक े उसका दशवकों पर एक फीका असर उपजाना, तक वह उनकी बुस्द्ध, तवचार और नजर को उकसाए।
  • 18. इसक े बाद ररक्शावाला पैरों में घुाँघरू बााँिकर, जोकरों की िरह भद्दी लय में गाना गािा है, और उछलिा- क ू दिा और नाचिा है। ररक्शेवाले का गीि, उसकी अपनी वेदना व्यि करिा है। ररक्शेवाले की पत्नी बोलिी नहीं, क ुं डा नहींखोलिी, जबतक बरसाि उमड रही है। ररक्शेवाले की उल-जलूल हरकिें देखकर अनाउंसर लाल तसंदू र होकर लोटपोट हो जािी है, और नाटक समाप्त हो जािा है।