डॉ स्वामी ज्ञान प्रकाश [डॉ. रवि शंकर पाण्डेय-सांसारिक नाम] की संक्षिप्त जीवनी...Dr. Swami Gyan Prakash
प्रियजनों,
सादर अभिनन्दन !
विदित हों कि मेरा जन्म माता सावित्री के परम पवित्र भाव के द्वारा परम पवित्र ब्राह्मण श्री शिव बली पाण्डेय जी (काशी के निकट मीरजापुर में) के घर में रविवार, 10 नवम्बर 1974 को हुआ। मैं, पिता के स्वर्गवाश (15 अगस्त 1991) के बाद ही, मंगलवार 03 सितंबर, 1991 से प्रकृति की प्रयोगशाला में सत्य की खोज में लगा रहा। स्वाधीन अवस्था में रहते हुए, एमएससी-जैव रसायन की उपाधि देवी अहिल्या विश्व विद्यालय इंदौर से 1999 में अर्जित किया। तत्पश्चात मेरे द्वारा लखनऊ के भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान (सी.एस.आई.आर.- आई.आई.टी.आर.) में मस्तिष्क की चोट के विशिष्ट बायोमार्कर की पहचान और सत्यापन की परियोजना में शोध कार्य कर अल्प समय में ही कैडमियम का विशिष्ट बायोमार्कर 'बेंजोडाइजेपाइन' नामक संकेतक को सिद्ध किया गया। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर), नई दिल्ली राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर द्वारा संचालित- ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग (गेट फैलोशिप) की परीक्षा में सफलता प्राप्त कर कशी हिन्दू विश्वविद्यालय से पीएचडी-औषधि जैव रसायन के लिए 2001 पंजीकृत हुआ। शोध के दौरान हृदयाघात से निजाद के लिए औषधि का अविष्कार हुआ। पीएचडी की शोध-ग्रन्थ जमा-कर 'उम्र बढ़ने के आणविक कारण' पर विशेष शोध कार्य क
डॉ स्वामी ज्ञान प्रकाश [डॉ. रवि शंकर पाण्डेय-सांसारिक नाम] की संक्षिप्त जीवनी...Dr. Swami Gyan Prakash
प्रियजनों,
सादर अभिनन्दन !
विदित हों कि मेरा जन्म माता सावित्री के परम पवित्र भाव के द्वारा परम पवित्र ब्राह्मण श्री शिव बली पाण्डेय जी (काशी के निकट मीरजापुर में) के घर में रविवार, 10 नवम्बर 1974 को हुआ। मैं, पिता के स्वर्गवाश (15 अगस्त 1991) के बाद ही, मंगलवार 03 सितंबर, 1991 से प्रकृति की प्रयोगशाला में सत्य की खोज में लगा रहा। स्वाधीन अवस्था में रहते हुए, एमएससी-जैव रसायन की उपाधि देवी अहिल्या विश्व विद्यालय इंदौर से 1999 में अर्जित किया। तत्पश्चात मेरे द्वारा लखनऊ के भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान (सी.एस.आई.आर.- आई.आई.टी.आर.) में मस्तिष्क की चोट के विशिष्ट बायोमार्कर की पहचान और सत्यापन की परियोजना में शोध कार्य कर अल्प समय में ही कैडमियम का विशिष्ट बायोमार्कर 'बेंजोडाइजेपाइन' नामक संकेतक को सिद्ध किया गया। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर), नई दिल्ली राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर द्वारा संचालित- ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग (गेट फैलोशिप) की परीक्षा में सफलता प्राप्त कर कशी हिन्दू विश्वविद्यालय से पीएचडी-औषधि जैव रसायन के लिए 2001 पंजीकृत हुआ। शोध के दौरान हृदयाघात से निजाद के लिए औषधि का अविष्कार हुआ। पीएचडी की शोध-ग्रन्थ जमा-कर 'उम्र बढ़ने के आणविक कारण' पर विशेष शोध कार्य क