‘जीवन का लक्ष्य’ समाचार पत्र का प्रकाशन का सफर रोका-प्रिय पाठकों, आप उपरोक्त समाचार का शीर्षक देखकर जरूर हैरान हो गये होंगे। आपका हैरान होना स्वाभाविक है। लेकिन मेरी नीजि जीवन में पिछले दिनों एक बहुत ही बड़ी दुर्घटना घट गई। उसी कारण बेकसूर होते हुए भी मुझे एक महीना जेल में रहकर आना पड़ा और मेरा पांच सितम्बर 2013 को ही ‘तलाक’ हुआ है। हमारे देश की न्याय व्यवस्था से किसी प्रकार की न्याय की मुझे अब उम्मीद ही नहीं है। पहले राजा-महाराजा के युग में न्याय सार्वजनिक किया जाता था। लेकिन अब बंद कमरों में किया जाता हैं। आज न्याय मिलता नहीं है बल्कि बेचा जाता है। अपने अनुभव के आधार पर कह रहा हूं कि आजकल तो एक गरीब आदमी का वकील के मुंशी से लेकर जज सहित उसका स्टाफ तक मजाक उड़ाता है। ऐसे ही कुछ कारणों से मैं आर्थिक, शारीरिक और मानसिक रूप से काफी कमजोर हो गया हूं। समाचार पत्र के लिए विज्ञापन न मिलने के कारण अपना अखबार कागजों पर प्रकाशित नहीं कर पाता हूं और इसके कारण मेरी निष्पक्ष, निडरता व पूरी ईमानदारी से भरी खोजी पत्रकारिता देश और समाजहित के सार्थक कार्यो में कोई सहयोग नहीं कर पाती है और मेरी एक-एक खोजी रिपोटें कागजों में सिमटकर फाइलों में ही दम तोड़ जाती है। इसलिए अब अपना अखबार कुछ समय के लिए प्रकाशित नहीं करूंगा, क्योंकि मैं सच को छुपाने और बेचने के साथ चापलुसी वाली पत्रकारिता नहीं कर सकता हूं। इसका आपको उपरोक्त अखबार के मुख्य पेज पर छपी रिपोट से पता चल गया होगा। और अपने ब्लाॅग www.shakuntalapress.blogspot.in पर ही अपना अखबार आॅनलाईन प्रकाशित करूंगा एवं आप यहां www.slideshare.net/sirfiraas से अखबार की पी.डी.एफ फाईल डाऊनलोड करके पढ़ सकते हैं और अपनी फेसबुक आई डी www.facebook.com/sirfiraa & www.facebook.com/kaimara200 पर लेखन कार्य करूंगा। आप तक अपना अखबार पहुंचाने के लिए ‘जीवन का लक्ष्य’ विकास योजना के तहत