2nd qualifying story of the week (Law of Supply) - Mr. Navneet Agarwal, Utkrishtha. Please click right bottom corner - view fullscreen button to view story.
1. "बड़ी सोच का बड़ा जाद"
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Date : 10th June, 2012
स क तीसरे स ताह म भानु जी ने Law of Supply क बारे म
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बताया। उ ह ने बताया क अं तम सच तक कवल Quantum Physics
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अथवा Spiritual Science क मा यम से ह पहुंचा जा सकता है ।
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Quantum Physics मनु य क सोच क सीमा क अ दर क बात करता
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है जब क Spiritual Science इसक बाहर क ।
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सभी Scientists BIG BANG THEORY का समथन करते ह।
आज से लगभग १४ अरब साल पहले Universe का नमाण आर भ
हुआ था। BIG BANG क कवल 1 sec क प चात ्
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तापमान 1000 million degrees गर गया था िजसक फल व प ४ forces - electromagnetic force,
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strong nuclear force, weak nuclear force तथा gravitation force पैदा हुए। यह भी बताया गया क
vacuum म असी मत उजा होती है । 1 X 10-23 in3 क space म इतनी उजा होती है क उससे 10 अरब
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universe पैदा हो सकते ह।
उ ह ने बताया क मा ड म असी मत supply छपी हुयी है । आव यकता है तो कवल need को create
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करने क । अगर हम अपनी need को एक idea बनाकर उसक image sub - conscious mind म बनाएं तथा
लगातार उसपर व वास कर तो हम वां छत Supply अव य ा त होगी। उ ह ने कहा क हमेशा अंत को यान
म रखकर शु आत करनी चा हए। नाकामयाबी का कारण अ ानता एवं उससे होने वाल चंता एवं डर है । य क
Contaminated Faith is Fear and key to success is Understanding। Thought Energy से हमारा
Mind charge होता है । इसी लए Desire without expectation अथवा expectation without desire बेमानी
है , नरथक है । सि ट उसी को supply करे गी जो इसक लए सबसे यादा उपयु त होगा।
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मेरे साथ घ टत एक घटना का िज म करना चाहूँगा। मेरे पापा तथा उनक बाद मेर म मी Military
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Engineering Services म कायरत थे। इस कारण मने अपने जीवन क लगभग पहले 40 साल सरकार मकान
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म बताये। म मी क retirement क बाद हम सरकार मकान खाल कर कराये क मकान म जाना पड़ा। सब
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कछ खासा बदल गया था। बड़े बंगले क थान पर दो कमरे क मकान म रहना क ट द था। ले कन हमने अपनी
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need को संक चत कर समझौता कर लया। कर ब दो साल बाद मकान मा लक ने हम एक माह म मकान खाल
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करने का नो टस दया। हम फर मकान ढूँढने नकल पड़े। पर तु हमार आव यकता क अनु प मकान मल नह ं
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रहा था अथवा कराया हमार पहुँच से बाहर था। अचानक याल आया क हमने लगभग 10 साल पहले एक
लाट लेकर डाला हुआ था। उसे दे खने गए तो पाया क उस लाट क चार तरफ दर दर तक कवल दो मकान
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बने थे। बाक कवल खुला मैदान था। सड़क नह ं थी, पानी नह ं था, सीवर नह ं था अथात सार प रि थ तयां
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तकल थी। इस सबक बावजद मने सोचा क मकान बनाया जाए। Architect से बात कर अपनी आव यकता क
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अनुसार न शा बनाकर जब आगणन बनाया तो जैसे होश ह उड़ गए। आगणन 15 - 16 लाख का था जब क मेरे
बचत खाते म 15 - 16 हज़ार भी नह ं थे। हमने हार नह ं मानी और यह नणय लया क मकान तो बनना है
और मेरे दे व गणेश जी हमारे साथ ह। मकान को बनने म, बगैर कसी व न क, एक साल का समय लगना था।
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हमने अपने मकान मा लक से एक साल का समय माँगा जो हम मल गया। बक ने मेर ोफाइल दे खकर मह न
म वीकृत होने वाले लोन को मा दो घंटे म वीकृत कर दया, वह भी बना कमीशन क। भ व य न ध खाते
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से भी लोन कवल एक स ताह म वीकृत हो गया। इस कार बना कसी यवधान क, बना एक दन भी काम
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बंद हुए हमारा मकान पूरा हुआ और मकान मा लक को दए गए समय से दो दन पूव ह हम कराये क मकान
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को खाल कर अपने खद क मकान म रहने क लए आ गए ।
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भानु जी क इस स क बाद यह आभास हुआ क अनजाने म ह सह पर तु हमने अपने और universe क
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बीच एक मज़बत र ता कायम कया था िजसम नकारा मकता का कोई थान नह ं था। Universe ने हम पा
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पाया तथा अपनी Supply क वारा हमार need को पूरा कर हम पुर कृत कया।
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- Navneet Agarwal (उ कृ ट)