4. भूमिका
आधुनिक युग िें व्यक्ति का जीवि अपिे स्वार्थ िक सीमिि होकर रह गया है।
सिाज िें अिैनिकिा , अराजकिा और स्वार्थ से युति भाविाओं का बोलबाला हो
गया है। सिाज िें फै ला हुआ भ्रष्टाचार के कारण भारिीय संस्कृ नि और उसका पववत्र
िर्ा िैनिक स्वरूप धुंधा हो गया है।
भ्रष्टाचार दो शब्दों को मिलकर बिा है -भ्रष्ट + आचार। ‘भ्रष्ट’ का अर्थ होिा है
बुरा और ‘आचार’ का अर्थ है आचरण अर्ाथि् भ्रष्टाचार का शाक्ब्दक अर्थ हुआ वह
आचरण जो ककसी भी प्रकार से अिैनिक और अिुचचि हो।
आज के अर्थ प्रधाि युग के प्रत्येक व्यक्ति धि प्राप्ि करिे के मलए एवं अपिी
आवश्यकिाओं की पूनिथ करिे के मलए ििचाहे िरीके अपिािे हैं। भ्रष्टाचार के कई
रूप है - जैसी ररश्वि , कालाबाज़ारी आदद। जब कोई व्यक्ति न्याय व्यवस्र्ा के िान्य
नियिों के ववरुद्ध जाकर अपिे स्वार्थ की पूनिथ के मलए गलि आचरण करिे लगिा है
िो वह व्यक्ति भ्रष्टाचारी कहलािा है। ररश्वि देिेवाला या ररश्वि लेिेवाला दोिों
भ्रष्टाचारी हैं।
5. ववषय प्रस्िुिीकरण
सिाज िें भ्रष्टाचार संक्रािक रोग जैसा फै ला हुआ है कक
सरकारी किथचारी का हार् सेंकिे पर ही कोई अपिा कायथ पूरा
करे ले पािा है।
सरकारी कायाथलयों िें फै ला हुआ भ्रष्टाचार िर्ा हिारे दैनिक
आवश्यकिाओं की पूनिथ करिेवाली चीज़ों का अभाव जो चोर
बाज़ारी के कारण हुआ है ,ये दोिों हिारे देश िें कदिि
सिस्याओं की जड़ें हैं।
यह बड़े खेद की बाि हो गयी है कक भ्रष्टाचार पर नियंत्रण
करके उसे दूर करिे के बजाय वह उि जगहों िें भी प्रचमलि
होिे लगा है , जहााँ लोग अिमभज्ञ र्े।
6.
7. िहात्िा गांधी लगािार कांग्रेसी िेिाओं को चेिाविी देिे रहिे र्े
कक भ्रष्टाचार से बचे बबिा आि जििा की भलाई िहीं की जा
सकिी। उन्होंिे कहा र्ा -'' िंबत्रयों और जिप्रनिनिचधयों को अपिे
निजी एवं सावथजनिक आचरण के प्रनि सचेि रहिे चादहए। उन्हें
अपिे या अपिे ररश्विदारों या दोस्िों के मलए कोई लाभ हामसल िहीं
करिा चादहए।
आप सरकारी व गैर -सरकारी ववभाग से अपिा कोई भी काि
करवािा चाहिे है , िो बबिा ररश्वि खखलाये काि करवािा संभव िहीं
है। िंत्री से लेकर संिरी िक को अपिी फाइल बढ़वािे के मलए पैसा
का उपहार चढ़ािे ही पड़ेगा।
स्कू ल व कॉलेज भी इस भ्रष्टाचार से अछू िे िहीं है। बस इिके
िरीके दूसरे हैं। गरीब पररवारों के बच्चों के मलए िो मशक्षा सरकारी
स्कू लों व छोटे कॉलेजों िक सीमिि होकर रह गयी है। िािी स्कू लों
िें दाखखल करािा हो िो डोिेशि के िाि पर िोटी रकि िााँगी जािी
है।
8.
9. बैंक जोकक हर देश की अर्थव्यवस्र्ा का आधारस्िंभ है , वे
भी भ्रष्टाचार के इस रोग से पीड़ड़ि है। आप ककसी प्रकार
के लोि के मलए आवेदि करे पर बबिा ककसी परेशािी के
फाइल निकल जाय , यह िो संभव िहीं हो सकिा ।
देश के आंिररक सुरक्षा का भार हिारे पुमलस ववभाग पर
होिा है। परंिु आये ददि यह सिाचार आिे -रहिे है कक
आिुक पुमलस अफ़सर िे ररश्वि लेकर गुिाहगारों को
छोड़ देिे हैं ।
10.
11. सिस्या सुधार
स्कू लों -कॉलेजों िें छात्र -छात्राओं को िैनिकिा की मशक्षा देिा नििांि
आवश्यक है।
िैनिक नियिों का पालि करिा अपिा परि किथव्य सिझिा हर
एक व्यक्ति का ध्येय है।
सरकार के शासि िंत्र िें रहिेवाले उच्च अचधकाररयों को चररत्रवाि
रहिा आवश्यक है।
मशक्षा क्षेत्र िें ,ववचध-व्यवस्र्ा िें ,शासि िंत्र आदद सब क्षेत्रों िें
ईिािदार लोगों को नियुति करिा िर्ा जो व्यक्ति िैनिक नियिों
का पालि िहीं करिे है , उिको उचचि दंड देिा ज़रूरी है।
सबको पररश्रि के फल के रूप िें किािे का ख्याल रखिा आवश्यक
है।
रेड़डयो , दूरदशथि , मसिेिा आदद के िाध्यि से पररश्रि ककये बबिा
धिाजथि करिे के ववरुद्ध प्रचार - प्रसार करिा ज़रूरी है ।
12. निष्कषथ
आजकल भ्रष्टाचार खोखला बि रहा है। हिारे
सिाज िें फि फै ला रहे इस ववकराल िाग को िारिा ज़रूरी है। सबसे
पहले आवश्यक है कक प्रत्येक व्यक्ति के ििोबल को ऊाँ चा उिाया जाय
िाकक वे अपिे को इस भ्रष्टाचार से बाहर निकालिा होगा। यही िहीं मशक्षा
िें कु छ ऐसा अनिवायथ अंश जोड़िा होगा , क्जससे हिारी िई पीढ़ी प्राचीि
संस्कृ नि िर्ा िैनिक प्रनििािों को संस्कार स्वरूप लेकर ववकमसि हो।
न्यानयक व्यवस्र्ा को किोर करिा होगा िर्ा सािान्य जि को आवश्यक
सुववधाएं भी सुलभ करािी होगी। यदद हि इस आधार अपिा सकिे हैं िो
इस क्स्र्नि का एक हद िक सुधार हिें कर सकिे हैं । भ्रष्टाचार को दूर
कर पररश्रि के िहत्व को जािकर राष्र के निवासी राष्रोन्िनि के कायथ िें
अवश्य हार् बंटा सकिे हैं ।