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प्रस्तावना
युद्ध क
े नियमों का इनिहास बडा ही प्राचीि है, परंिु
आधुनिक युद्ध क
े नियम का प्रारंभ विशेषिः मध्ययुग में हुआ।
ईसाई धमम िथा मध्य युगीि िीरिा की धारणा िे युद्ध क
े नियम
को अत्यधधक प्रभाविि ककया ।
युद्ध क
े नियम अंिरराष्ट्रीय विधध द्िारा निश्चचि की
हुई िे सीमाएं हैं श्ििक
े भीिर शत्रु क
े विरूद्ध शश्ति का प्रयोग
ककया िा सकिा हैं। युद्ध की विधध में सैनिक िथा व्यश्तियों क
े
साथ युद्ध क
े दौराि व्यिहार क
े भी नियम शाममल हैं। युद्ध क
े
नियम का उद्देचय यह िहीं है कक युद्ध को खेल क
े समाि
नियंत्रत्रि करें िरि् इि नियमों को माििीय कारणों हेिु बिाया
गया है,श्िससे युद्ध क
े दौराि व्यश्तियों को पहुुँचाई िािे िाली
पीड़ा को सीममि ककया िा सक
े ।
स्थल-युद्ध क
े नियम का उद्देचय युद्ध क
े दौराि
व्यश्तियों को पहुुँचिे िाली पीड़ा को सीममि करिा िथा युद्ध को
इस प्रकार नियंत्रत्रि करिा कक उसका क्षेत्र सीममि रहे।
स्थल-युद्ध क
े ननयम का ननमााण
स्थल युद्ध क
े महत्िपूणम नियम हेग-प्रनिज्ञा 1907 (Hague convention
,1907) में पाये िािे हैं। हेग-अमभसमय में युद्धरि देशों की श्स्थनि को
स्पष्ट्ट ककया गया है िथा यह स्पष्ट्ट ककया गया कक कौि से व्यश्ति लड़ाक
ू
या योद्धा सैनिक(Combatants) मािे िाएंगे। इसक
े अिुसार िे सैनिक
िो नियममि रूप से सेिा में होिे हैं या उिका विशेष रेश्िमेंट िंबर आदद
होिा है िैध सैनिक कहलािे हैं । इसक
े अनिररति गोररल्ला फौिें(guerrilla
crops) िथा स्ियंसेिक फौिें(Volunteer crops) भी िैध सैनिक की
कोदट में आ सकिे हैं। यदद उिमें निम्ि ित्ि 4 शाममल हैं-
1. िे ककसी निश्चचि अधधकारी विशेष क
े अधीि हैं।
2. उिका निश्चचि धचन्ह (Emblem) हैं, िैसे ध्िि आदद श्िससे उन्हें
दूर से पहचािा िा सक
े ।
3. िे खुलेआम शस्त्र लेकर चलिे हों।
4. िे युद्ध क
े नियमों िथा प्रथाओं क
े अिुसार युद्ध करिे हों।
हेग-अभिसमय,1907 स्थल-युद्ध क
े नियमों का विकास िथा सदहंिा
करण ककया गया, इसक
े द्िारा युद्ध की उि विधधयों िथा प्रथाओं का
संशोधि ककया गया िो उस समय विद्यमाि थे। 1939 िक सभी
राष्ट्रों िे इि नियमों को स्िीकार मलया िथा यह भी स्िीकार ककया
गया कक यह युद्ध की विधध िथा प्रणाली की घोषणा है इिको न्यूरेम्बगा
चार्ार क
े अनुच्छेद 6(ब) में िर्णमि ककया गया है। इसक
े अनिररति
1949 क
े युद्धबश्न्दयों क
े सम्बंध में जेनेवा-अभिसमय में भी स्थल-
युद्ध क
े महत्िपूणम नियम प्रनिपाददि ककये गए हैं जेनेवा-सन्न्ध क
े
अनुo 4 क
े अंिगमि राष्ट्रीय आंदोलिों की नियममि फौिें को भी िैध
सैनिक की कोदट में शाममल कर मलया गया ।
1907 क
े हेग-अभिसमय में युद्ध बंददयों क
े साथ व्यिहार क
े
नियम प्रनिपाददि ककये गए थे। इसक
े उपरान्ि 1929 जेनेवा-संधध िे
इस विषय में अिेक नियम बिाये गए। परन्िु ििममाि समय में
युद्धबश्न्दयों क
े व्यिहार क
े विषय में 1949 का अभिसमय हैं। जेनेवा-
सम्मेलन में युद्ध बन्न्दयों को संधध क
े अनिररति युद्ध मे घायलों
िथा बीमार सैनिकों क
े विषय में भी एक संधध की गई इसमें प्रािधाि
रखा गया कक युद्धरि देशों का यह किमव्य है कक िे युद्ध में बीमार
िथा घायल लोगों की रक्षा करें िथा उिको उधचि धचककत्सा आदद
सुविधाएं प्रदाि करें।
स्थल-युद्ध में वन्जात साधन
(prohibited mean in land warfare)
युद्ध की पररभाषा क
े अिुसार युद्ध दो या दो से अधधक राष्ट्रों क
े
बीच उिकी सशस्त्र सेिाओं का संघषम है िथा इस संघषम में शश्ति का
प्रयोग क
ु छ सीमाओं क
े भीिर ही ककया िा सकिा है। अंिरराष्ट्रीय
प्रथाओं संधधयों आदद में युद्ध क
े क
ु छ मसद्धांि या ढंगों को िश्िमि
ककया गया है 1907 क
े हेग-प्रनतज्ञा क
े अिुसार िहरीले शस्त्र या ऐसे
िुकीले शस्त्र श्ििसे कक अिािचयक पीड़ा पहुंचाई है का प्रयोग िश्िमि
कर ददया गया है इसी प्रकार विषैली गैसों को भी िश्िमि ककया गया
है। शत्रु द्िारा प्रयोग में लाए िािे िाले िल, भोिि कक सामग्री आदद
का विषैले पदाथों से खराब करिा भी िश्िमि कर ददया गया है।
युद्ध क
े दौराि आरक्षक्षि शहरों को िष्ट्ट िहीं ककया िाएगा,
उस ग्राम ि कस्बे-शहर पर िो सैनिक छािनियों से दूर हैं उि पर
आक्रमण िहीं ककया िा सकिा परंिु यदद विशेष कारण से ऐसे स्थािों
पर आक्रमण सैनिक महत्ि क
े मलए आिचयक हो िो सैनिक
अधधकाररयों का यह किमव्य है कक आक्रमण करिे से पूिम िहाुँ क
े
नििामसयों को चेिाििी दें युद्ध में घायल िथा अस्िस्थ सैनिक की
हत्या करिा निवषद्ध है
8 िूि 1977 को स्िीकार ककए गए 1949 क
े अभिसमय क
े प्रथम
अनिररति प्रोटोकोल क
े अनुच्छेद 35 में क
ु छ मौमलक नियम प्रनिपाददि
ककए गए िो निम्ि हैं
• ककसी सशस्त्र संघषम में संघषम क
े पक्षकारों द्िारा युद्ध क
े ढंग या
साधि का चयि क
े अधधकार असीम िहीं है।
• ऐसी प्रकृ ि क
े शस्त्र, प्रक्षेपास्त्र िथा युद्ध ढंग िथा सामग्री िो
अत्यधधक या अिािचयक कष्ट्ट पहुचाएं निवषद्ध है।
• युद्ध का ऐसा ढंग या साधि श्ििका आशय प्राकृ निक पयामिरण
को काफी अधधक क्षेत्र में फ
ै ले हुए िथा दीघमकालीि िुकसाि
पहुंचािा है निवषद्ध हैं।
12 अप्रैल 1981 को 34 राज्यों िे यूएि में शास्त्रों को
अिुच्छेद 36 क
े अिुसार िए शास्त्रों क
े अध्ययि, विकास, प्राश्ति
में राज्य पक्षकार का उत्तरदानयत्ि है कक िह निधामररि करें की
उिका प्रयोग प्रोटोकाल या अंिरराष्ट्रीय विधध क
े अिुसार हो।
❖ ववश्वासघात(Perfidy)
1949 क
े अमभसमय क
े प्रथम अनिररति
प्रोटोकोल क
े अिुच्छेद 37 क
े अिुसार विचिासघाि द्िारा िीपक्षी की
हत्या करिा, काम आ। चोट पहुंचािा,या उसे पकड़िा निवषद्ध है।
निम्िमलर्खि कृ त्य विचिासघाि क
े दृष्ट्टांि हैं।
• युद्ध विराम क
े झंडे को अंिगमि समझौिा करिे या आत्मसमपमण
करिे का ढोंग करिा।
• घाि या त्रबमारी द्िारा अपादहि या अक्षम होिे का ढोंग करिा।
• ककसी असैनिक या गैर लड़ाक
ू श्स्थनि का ढोंग करिा।
1. संरक्षक्षि श्स्थनि का निशाि, प्रिीक, UN की पोशाक या िटस्थ
पक्षकार का ढोंग करिा।
❖युद्ध-चाल (Ruses of war or stratagem)
युद्ध चाल का बहुधा युद्ध में प्रयोग होिा है। इसका िात्पयम होिा
है कक शत्रु को अपिे कायों द्िारा विरोधी को भुलािे में रखकर अपिा
प्रयोिि मसद्ध कर लेिा है। युद्ध की आधुनिक धारणा यह है कक
युद्ध में ि क
े िल शश्ति िरि् बुद्धध की भी परीक्षा होिी है। इसमलए
युद्ध में युद्ध-चाल िश्िमि िहीं है। हेग-अभिसमय की धारा 24 में
युद्ध-चाल को मान्यिा प्रदाि है। फ
े न्न्वक क
े अिुसार- शत्रु को
भुलािा या भ्रम देिे हेिु युद्ध-चाल को अंिरराष्ट्रीय विधध क
े अंिगमि
िैध साधि क
े रूप में मान्यिा प्राति है। परंिु इसका प्रयोग इस शिम
क
े साथ प्रनिबंधधि है कक इिसे सद्भाि का उल्लंघि िहीं होिा
चादहए।
ओपनहाइम क
े अिुसार- युद्ध-चाल शत्रु को भ्रम में डालिे क
े मलए
प्रयोग की िािी है िथा यह सैनिक दहिों में की िािी है। युद्ध क
े
दौराि बहुधा युद्ध-चाल निणामयक ित्ि मसद्ध होिी हैं।
❖धोखा(Deceit)
अंिरराष्ट्रीय विधध में युद्ध-चाल को मान्यिा प्राति हैं परंिु
धोखा युद्ध-चाल से अलग है धोखा अंिरराष्ट्रीय विधध क
े
विरुद्ध है। उदाहरण क
े मलए, हेग-ननयमों िे ध्िि या सेिाओं
क
े अधधकृ ि धचन्ह की अिाधधकृ ि प्रयोग को िश्िमि कर ददया
है। अिः इस प्रकार का धोखा अंिरराष्ट्रीय विधध का उल्लंघि
होगा इसी प्रकार शाश्न्ि का झंडा िथा रेडक्रास का धचह्ि धोखे
क
े रूप में प्रयोग िहीं ककया िा सकिा।
❖जासूसी(Espionage)
अंिरामष्ट्रीय विधध युद्ध क
े दौराि िासूसी को मान्यिा प्रदाि
करिी है। िथा इसक
े मलए दंड भी देिे में भी अपिी स्िीकृ नि प्रदाि
करिी है। अंिरराष्ट्रीय विधध क
े अिुसार युद्ध क
े उद्देचयों क
े मलए
शत्रु-देश अपिे िासूसों द्िारा सूचिा प्राति करिे का अधधकार रखिा
है, परंिु राज्यों क
े सामान्य व्यिहार से िथा अंिरराष्ट्रीय विधध की
नियमों से यह स्पष्ट्ट होिा है की िासूसों क
े पकड़े िािे पर उन्हें
संबंधधि राष्ट्र द्िारा दंड भी ददया िा सकिा है।
1949 क
े जेनेवा-अभिसमय की प्रथम प्रोटोकोल क
े अिुच्छेद क
े
अिुसार िेिेिा विशेषज्ञों का प्रथम प्रोटोकोल क
े अन्य प्रािधािों क
े
बाििूद संघषम की पक्षकार की सशस्त्र सेिाओं का कोई सदस्य यदद
िासूसी करिा हुआ विपक्षी पक्षकार क
े हाथ आ िािा है िो उसे
युद्ध बंदी की हैमसयि या अधधकार प्राति िहीं होगा िथा िह िासूस
मािा िाएगा।
❖गुररल्ला(Guerrillas)
युद्ध की आधुनिक िकिीकों िथा हाल में होिे िाले विकास
को ध्याि में रखिे हुए 1977 में जेनेवा- अभिसमयों , 1949
(श्िन्हें रेडक्रास अमभसमय कहे िािे है।) में अिेक संशोधि
ककये गयें हैं। संशोधधि अमभसमयों क
े अंिगमि गुररल्लाओं को
भी युद्ध-बंददयों की प्राश्स्थनि िथा उिक
े अधधकार प्राति ककए
गए हैं। इि अमभसमयों को बहुि बड़ी संख्या में राज्यों िे
अिुसमथमि प्रदाि ककया है इसक
े िहि क
ु छ हद िक गुररल्ला
िथा िायुयाि अपहरणकिामओं को िैधिा प्राति हो गई है।
इसमलए क
ु छ राष्ट्रों िे इिका विरोध ककया है उिक
े अिुसार
इससे आिंकिादी कृ त्यों या कायमिादहयों को प्रोत्साहि ममलेगा।
युद्ध-बन्न्दयों क
े साथ व्यवहार से संबंधधत जेनेवा-
अभिसमय,1949 क
े प्रावधान
युद्धबंददयों क
े साथ व्यिहार क
े विषय में सिमप्रथम हेग-प्रनतज्ञा,
1907 में प्रािधाि रखा गया था। इसक
े उपरांि 1929 क
े जेनेवा-
अभिसमय में युद्धबश्न्दयों क
े व्यिहार क
े विषय में विस्िृि उल्लेख
ककया गया है। ििममाि समय में 1949 क
े जेवना-अभिसमय िे
उपयुति दोिों संधधयों का स्थाि ग्रहण कर मलया है। 1949 जेनेवा-
अभिसमय में युद्धबंददयों क
े साथ व्यिहार क
े विषय में अिेक
प्रािधाि है। यह अभीसमय उि सभी घोवषि युद्ध िथा सशस्त्र संघषम
में लागू होगा िो दो या दो से अधधक अमभसमय क
े सदस्य-राज्यों
क
े बीच होगा। इसक
े 190 से अधधक पक्षकार हैं।
युद्धबंददयों क
े व्यिहार क
े संबंध में महत्िपूणम नियम निम्ि हैं।
1. युद्धबंददयों क
े साथ माििीय व्यिहार ककया िािा चादहए।
2. युद्धबंददयों की हत्या करिा या कोई ऐसा कायम श्िससे उिक
े स्िास््य
पर बुरा प्रभाि पड़े िश्िमि है।
3. ककसी युद्धबंदी को धचककत्सा, विज्ञाि या ककसी अन्य प्रकार क
े
प्रयोग में िब िक शाममल िहीं ककया िा सकिा िब िक कक िह
युद्धबंदी क
े नििी दहि में ि हो।
4. युद्धबंददयों को सदैि स्थािीय िििा क
े दहंसक कायों
अमभत्रासयुति(Intermediation) कृ त्यों, अिादर िथा उत्सुकिा से
बचिा चादहए।
5. युद्धबंददयों क
े विरुद्ध बलपूिमक प्रयोग प्रनिकार(Reprisal) िश्िमि
है।
6. सभी पररश्स्थनियों में युद्धबंददयों को अपिे पद क
े साथ आदर का
अधधकार है।
7. युद्धबंददयों को रखिे िाले देश का यह उत्तरदानयत्ि है कक िे उन्हें
निशुल्क भोिि, धचककत्सा आदद की सुविधाएं प्रदाि करें।
8. युद्धबंददयों क
े साथ समाििा का व्यिहार ककया िािा चादहए।
उिक
े साथ राष्ट्र ,धमम क
े आधार पर भेदभाि िहीं ककया िा सकिा।
9. युद्धबंददयों को कोई शारीररक यंत्रण(Torture) िहीं दी िा सकिी।
उिसे सूचिा प्राति करिे क
े मलए उि पर कोई अिुधचि दबाि िहीं
डाला िा सकिा।
10. युद्धबंददयों की िे िस्िुएुँ श्ििसे से उिक
े राष्ट्र, धमम का पिा
लगिा है िहीं ली िा सकिी।
11. श्िििा शीघ्र हो सक
े , युद्धबश्न्दयों को लड़ाई क
े क्षेत्र िथा
खिरे से दूर ले िािा चादहए।
12. युद्धबश्न्दयों क
े पास सदैि उिकी पहचाि पत्र होिी चादहए।
श्िि युद्धबंददयों क
े पास पहचाि पत्र ि हो उन्हें िह देश िहाुँ िे
युद्धबंदी है, ऐसे पहचाि पत्र प्रदाि करेगा।
उपयुति नियम युद्धबंददयों क
े दहि में बिाए गए हैं, श्ििसे उिक
े
साथ बुरा व्यिहार ि ककया िाए। युद्धबंददयों का यह किमव्य है कक
िब भी उिसे पूछिाछ की िाए िो िे अपिा िाम, पद, िन्मनिधथ,
अपिा रेश्िमेंट बिाएं। यदद िे इस प्रकार की सूचिा िहीं देिे िो उन्हें
उिक
े पद क
े अिुसार सुविधाएं प्रदाि िहीं की िा सकिी।
मृतक तथा घायल व्यन्ततयों क
े साथ व्यवहार संबंधधत
जेनेवा अभिसमय,1949 (Geneva Convention,1949)
मृिक िथा घायल व्यश्तियों क
े व्यिहार क
े संदभम में सिमप्रथम क
ु छ नियम
जेनेवा- सम्मेलन 1864 में बिाए गए थे। 1907 क
े हेग सम्मेलन द्िारा
कफर से विचार ककया गया। प्रथम विचि युद्ध क
े में मृिक िथा घायल
व्यश्तियों की समस्याएं और भी िदटल हो गई। अिः 1929 में जेनेवा
सम्मेलन हुआ, श्िसमें युद्ध में मृिक िथा घायल व्यश्तियों क
े विषय में
अिेक नियम बिाए गए। द्वििीय विचि युद्ध में इि नियमों का खुलेआम
उल्लंघि हुआ और इस विषय में और भी उदार नियम बिािे क
े मलए
1949 में जेनेवा-सम्मेलन बुलाया गया। श्ििेिा सम्मेलि में इस
अमभसमय पर अिेक राष्ट्रों िे हस्िाक्षर ककए। िथा बाद में उसे अिुसमथमि
प्रदाि ककया।
1949 क
े न्जनेवा समय में ननम्नभलखखत महत्वपूणा ननयम बनाए गए।
➢ युद्ध में घायल िथा बीमार सैनिकों क
े ऊपर आक्रमण िहीं ककया
िा सकिा। युद्ध में घायल िथा बीमार व्यश्तियों को त्रबिा ककसी
भेदभाि क
े देखभाल की िािी चादहए।
➢ युद्ध में घायल िथा बीमार सैनिकों की धचककत्सा क
े मलए चल-
धचककत्सालय को संरक्षण प्रदाि ककया गया है अथामि इिक
े विरुद्ध
आक्रमण िहीं ककया िाएगा।
➢ धचककत्सालय िथा रोधगयों की सेिा करिे िाले डॉतटरों को संरक्षण
प्रदाि ककया िािा चादहए िथा उन्हें उधचि सम्माि ममलिा चादहए।
➢ मृिक क
े शरीर का अपमाि करिा या उन्हें विकृ ि करिा अिैध
घोवषि कर ददया गया। ऐसा करिा अमभसमय का उल्लंघि मािा
िाएगा।
➢ िह धचककत्सक,िहाि िथा िाहि िो घायल िथा बीमार सैनिकों
को हटािे क
े प्रयोग में आिे हैं, संरक्षक्षि समझिे हैं। िथा उन्हें
आक्रमण कर िष्ट्ट िहीं ककया िा सकिा।
➢ युद्ध में बीमार िथा घायल व्यश्तियों क
े प्रनि दहंसात्मक कायम
करिा िंधचि कर ददया गया है।
➢ प्रत्येक युद्ध-संघषम क
े बाद मृि व्यश्तियों की खोि करक
े उिकी
अंत्येश्ष्ट्ट कक्रया सम्मािपूिमक की िािी चादहए।
➢ युद्धरि राष्ट्रों को मृि शरीरों को ले िािे की अिुमनि प्रदाि की
िािी चादहए।
युद्ध क
े समय असैननक नागररको की सुरक्षा-संबंधधत
जेनेवा-अभिसमय 1949
इस अमभसमय को लगभग सभी देशों िे स्िीकार ककया है। इसमें
निम्ि प्रािधाि है।-
A.युद्धक्षेत्र में विदेशी शत्रुओं क
े साथ व्यिहार।
B. बीमार िथा घायलों की सुरक्षा। िथा िागररको क
े मलए सुरक्षक्षि क्षेत्र
की स्थापिा।
C. युद्धरि िथा युद्धरि आधधपत्य िाले क्षेत्रों में ििरबंद लोगों क
े
साथ व्यिहार।
D. युद्धरि अधधपत्य िाले क्षेत्रों में िागररक िििा क
े साथ व्यिहार।
युद्ध क
े समय नागररको की सुरक्षा संबंधधत जेनेवा अभिसमय
1949, क
े मुख्य प्रावधान ननम्न है।
➢ िह विदेशी शत्रु िो युद्ध क
े पूिम या युद्ध क
े दौराि युद्धरि
देश से िािा चाहिे हैं िह ऐसा करिे क
े अधधकारी होंगे, बशिे
की उिका िािा युद्धरि देश क
े दहिों क
े विरुद्ध िहीं हो।
➢ राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्याि में रखिे हुए विदेशी-शत्रुओं क
े साथ
सामन्यिः िही व्यिहार होिा चादहए िो उिक
े साथ शांनि क
े
समय में ककया िािा था।
➢ विदेशी शत्रुओं को िभी ििरबंद ककया िा सकिा है िब ऐसा
करिा ििरबंद करिे िाली शश्ति क
े मलए पूरी िरह आिचयक
हो।
➢ अभिसमय क
े अनुच्छेद 44 क
े अिुसार ििरबंद करिे िाली
शश्ति, शरणाधथमयों श्िन्हें ककसी सरकार का संरक्षण प्राति िहीं है
क
े िल राष्ट्रीयिा क
े आधार पर ककसी को शत्रु िहीं मािेगी।
➢ 18 िषम से िीचे की आयु क
े व्यश्तियों कायम िहीं मलया िा
सकिा।
➢ युद्ध की प्रथाओं िथा विधधयों क
े अपिाद को छोड़कर कोई भी
व्यश्ति अधधपत्य से पूिम क
े कृ त्यों क
े मलए धगरफ्िार या दंडडि
िहीं ककया िा सकिा है।
➢ अमभसमय क
े अन्िगमि अधधपत्य स्थावपि करिे िाली शश्ति का
यह किमव्य है कक िह स्थािीय िििा को खाद्य िथा उपयुति
दिाइयों आदद का प्रबंध करिा रहे।
➢ िागररक िििा िथा व्यश्तिगि िागररक आक्रमण का लक्ष्य
िहीं बिाए िाएंगे। ऐसा कृ त्य का उद्देचय िागररक िििा को
भयभीि करिा है निवषद्ध है।
➢ प्रोटोकोल द्िारा प्रदाि की गई सुविधाएुँ िागररकों को िब िक
ममलिी रहेंगी िब िक कक िे संघषम में प्रत्यक्ष भाग िहीं लेिे हैं।
➢ त्रबिा सोचे समझे या उद्देचय क
े आक्रमण निवषद्ध है।
➢ युद्ध की ढंग क
े रूप में िागररकों को भूखा मारिे निवषद्ध है
सैनिक-कारमिाइयों क
े संचालि में लगािार यह सािधािी बरिी
िाएगी कक िागररक िििा, व्यश्तिगि, िागररक िथा
िागररक लक्ष्य बचे रहेंगे।
आणववक-शास्रों का प्रयोग तथा अंतरराष्ट्रीय मानवीय युद्ध
क
े ननयम तथा भसद्धांत
महासभा की प्राथमिा पर अपिा सलाहकारी मि देिे हुए
न्याय क
े अंतरराष्ट्रीय न्यायालय िे 8 जुलाई 1996 क
े निणमय द्िारा
यह मि प्रकट ककया कक आणविक शस्त्र का ककसी राज्य द्िारा
सशस्त्र युद्ध में प्रयोग अंिरराष्ट्रीय माििीय युद्ध क
े मसद्धांि िथा
नियमों से असंगि होगा। दूसरे शब्दों में, आश्विक शस्त्र का प्रयोग
से उपयुति िर्णमि माििीय युद्ध क
े मसद्धांिों िथा नियमों का
उल्लंघि होगा।
काभमाकों क
े ववरूद्ध िूभम सुरंगें ननविद्ध सन्न्ध 1997
कामममकों क
े विरुद्ध भूमम सुरंगों निषेध संधध पर
3 ददसंबर 1997 को 125 देशों िे ओटािा(किाडा) में हस्िाक्षर ककए।
यह एक महाि उपलश्ब्ध है तयोंकक प्रत्येक िषम, पूणम विचि में हिारों
व्यश्ति भूमम सुरंगों में मरिे या घायल होिे हैं। प्रनििषम लगभग
200 मममलयि डॉलर इि भूमम सुरंगों को हटािे में व्यय होिा है।
अिुमाि लगाया गया है कक पूणम विचि में 60 देशों में भूमम में दबी
100 मममलयि भूमम सुरंगें है। िास्िि में यह एक बड़ी माििीय
समस्या है, तयोंकक िहाुँ कहीं युद्ध या सशस्त्र संघषम होिा है।
अधधकिर व्यश्ति िो मरिे है िह भूमम सुरंगों क
े मशकार होिे हैं।
इस संधध पर 125 से अधधक देशों िे हस्िाक्षर ककया। श्िि देशों
िे हस्िाक्षर िहीं ककया उसमें अमेररका, रूस, चीि, भारि,पाककस्िाि,
इिराइल, ममस्र आदद प्रमुख देश है। भारि िे अपिी सुरक्षा की दृश्ष्ट्ट
से संधध पर हस्िाक्षर िहीं ककया। इसक
े अनिररति यह भी कारण
था कक चीि िथा पाककस्िाि भी इस संधध पर हस्िाक्षर िहीं ककए
थे।
संधध क
े उद्देचय इििे ऊ
ं चे, माििीय िथा प्रशंसिीय है कक संभि है
कक निकट भविष्ट्य में विचि ििमि िथा घरेलू दबाि उति राज्यों
को संधध पर हस्िाक्षर करिे पर वििश करें।
इस संधध का आह्िाि एक ऐसी ऐनिहामसक संधध क
े रूप में
ककया िािा है िो विचि में दुबमल िथा सुभेद्य की वििय है।
संयुति राष्ट्र महासधचि कोफी अन्नान िे संधध का आह्िाि
करिे हुए कहा है कक सश्न्ध िे विचि क
े ममम को प्रदमशमि िथा
विचि को िागृि ककया िथा अंिरराष्ट्रीय समुदाय को िीविि,
िथा विद्यमाि िास्िविकिा प्रदाि की।
ननष्ट्किा
प्राचीि काल से आधुनिक युग िक िो भी युद्ध की प्रथाएं
है उन्हीं को युद्ध क
े नियम बिा ददये गए हैं चाहे िह हेग-प्रनतज्ञा
(1899,1907) हो या जेनेवा-अभिसमय(1925,1949&1977) आदद ननयम
को स्थल-युद्ध क
े क
े रूप में स्िीकायम कर मलए गए िथा समय -समय
पर इि मसद्धान्िों में पररििमि भी ककया िािा रहा है, कफर भी ििममाि
समय में राष्ट्र-राज्यों द्िारा इि नियमों का उलंघि ककया िािा है एिं
उिक
े द्िारा ककसी राष्ट्र पर आक्रमण को सामाररक कायमिाही क
े रूप में
घोवषि ककया िािा है श्िससे युद्ध क
े नियम लागू ि हों िथा िटस्थिा
क
े मसद्धांि का पालि ि हो सक
े ।
संदिा
• मािि अधधकार एिं अंिरामष्ट्रीय विधध – डॉ० एस० क
े ०
कपूर
• चाल्सम िी.फ
े श्न्िक - इंटरिेशिल लॉ पृ 610-613
• एल. ओपेिहाइम- इंटरिेशिल लॉ V2 साििाुँ संस्करण
• लीगल क
ं रोल्स ऑफ इंटरिेशिल कश्न्फ्लतटस।

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Law of land warfare .PDF

  • 1. प्रस्तावना युद्ध क े नियमों का इनिहास बडा ही प्राचीि है, परंिु आधुनिक युद्ध क े नियम का प्रारंभ विशेषिः मध्ययुग में हुआ। ईसाई धमम िथा मध्य युगीि िीरिा की धारणा िे युद्ध क े नियम को अत्यधधक प्रभाविि ककया । युद्ध क े नियम अंिरराष्ट्रीय विधध द्िारा निश्चचि की हुई िे सीमाएं हैं श्ििक े भीिर शत्रु क े विरूद्ध शश्ति का प्रयोग ककया िा सकिा हैं। युद्ध की विधध में सैनिक िथा व्यश्तियों क े साथ युद्ध क े दौराि व्यिहार क े भी नियम शाममल हैं। युद्ध क े नियम का उद्देचय यह िहीं है कक युद्ध को खेल क े समाि नियंत्रत्रि करें िरि् इि नियमों को माििीय कारणों हेिु बिाया गया है,श्िससे युद्ध क े दौराि व्यश्तियों को पहुुँचाई िािे िाली पीड़ा को सीममि ककया िा सक े । स्थल-युद्ध क े नियम का उद्देचय युद्ध क े दौराि व्यश्तियों को पहुुँचिे िाली पीड़ा को सीममि करिा िथा युद्ध को इस प्रकार नियंत्रत्रि करिा कक उसका क्षेत्र सीममि रहे।
  • 2. स्थल-युद्ध क े ननयम का ननमााण स्थल युद्ध क े महत्िपूणम नियम हेग-प्रनिज्ञा 1907 (Hague convention ,1907) में पाये िािे हैं। हेग-अमभसमय में युद्धरि देशों की श्स्थनि को स्पष्ट्ट ककया गया है िथा यह स्पष्ट्ट ककया गया कक कौि से व्यश्ति लड़ाक ू या योद्धा सैनिक(Combatants) मािे िाएंगे। इसक े अिुसार िे सैनिक िो नियममि रूप से सेिा में होिे हैं या उिका विशेष रेश्िमेंट िंबर आदद होिा है िैध सैनिक कहलािे हैं । इसक े अनिररति गोररल्ला फौिें(guerrilla crops) िथा स्ियंसेिक फौिें(Volunteer crops) भी िैध सैनिक की कोदट में आ सकिे हैं। यदद उिमें निम्ि ित्ि 4 शाममल हैं- 1. िे ककसी निश्चचि अधधकारी विशेष क े अधीि हैं। 2. उिका निश्चचि धचन्ह (Emblem) हैं, िैसे ध्िि आदद श्िससे उन्हें दूर से पहचािा िा सक े । 3. िे खुलेआम शस्त्र लेकर चलिे हों। 4. िे युद्ध क े नियमों िथा प्रथाओं क े अिुसार युद्ध करिे हों। हेग-अभिसमय,1907 स्थल-युद्ध क े नियमों का विकास िथा सदहंिा करण ककया गया, इसक े द्िारा युद्ध की उि विधधयों िथा प्रथाओं का संशोधि ककया गया िो उस समय विद्यमाि थे। 1939 िक सभी राष्ट्रों िे इि नियमों को स्िीकार मलया िथा यह भी स्िीकार ककया गया कक यह युद्ध की विधध िथा प्रणाली की घोषणा है इिको न्यूरेम्बगा चार्ार क े अनुच्छेद 6(ब) में िर्णमि ककया गया है। इसक े अनिररति 1949 क े युद्धबश्न्दयों क े सम्बंध में जेनेवा-अभिसमय में भी स्थल-
  • 3. युद्ध क े महत्िपूणम नियम प्रनिपाददि ककये गए हैं जेनेवा-सन्न्ध क े अनुo 4 क े अंिगमि राष्ट्रीय आंदोलिों की नियममि फौिें को भी िैध सैनिक की कोदट में शाममल कर मलया गया । 1907 क े हेग-अभिसमय में युद्ध बंददयों क े साथ व्यिहार क े नियम प्रनिपाददि ककये गए थे। इसक े उपरान्ि 1929 जेनेवा-संधध िे इस विषय में अिेक नियम बिाये गए। परन्िु ििममाि समय में युद्धबश्न्दयों क े व्यिहार क े विषय में 1949 का अभिसमय हैं। जेनेवा- सम्मेलन में युद्ध बन्न्दयों को संधध क े अनिररति युद्ध मे घायलों िथा बीमार सैनिकों क े विषय में भी एक संधध की गई इसमें प्रािधाि रखा गया कक युद्धरि देशों का यह किमव्य है कक िे युद्ध में बीमार िथा घायल लोगों की रक्षा करें िथा उिको उधचि धचककत्सा आदद सुविधाएं प्रदाि करें।
  • 4. स्थल-युद्ध में वन्जात साधन (prohibited mean in land warfare) युद्ध की पररभाषा क े अिुसार युद्ध दो या दो से अधधक राष्ट्रों क े बीच उिकी सशस्त्र सेिाओं का संघषम है िथा इस संघषम में शश्ति का प्रयोग क ु छ सीमाओं क े भीिर ही ककया िा सकिा है। अंिरराष्ट्रीय प्रथाओं संधधयों आदद में युद्ध क े क ु छ मसद्धांि या ढंगों को िश्िमि ककया गया है 1907 क े हेग-प्रनतज्ञा क े अिुसार िहरीले शस्त्र या ऐसे िुकीले शस्त्र श्ििसे कक अिािचयक पीड़ा पहुंचाई है का प्रयोग िश्िमि कर ददया गया है इसी प्रकार विषैली गैसों को भी िश्िमि ककया गया है। शत्रु द्िारा प्रयोग में लाए िािे िाले िल, भोिि कक सामग्री आदद का विषैले पदाथों से खराब करिा भी िश्िमि कर ददया गया है। युद्ध क े दौराि आरक्षक्षि शहरों को िष्ट्ट िहीं ककया िाएगा, उस ग्राम ि कस्बे-शहर पर िो सैनिक छािनियों से दूर हैं उि पर आक्रमण िहीं ककया िा सकिा परंिु यदद विशेष कारण से ऐसे स्थािों पर आक्रमण सैनिक महत्ि क े मलए आिचयक हो िो सैनिक अधधकाररयों का यह किमव्य है कक आक्रमण करिे से पूिम िहाुँ क े नििामसयों को चेिाििी दें युद्ध में घायल िथा अस्िस्थ सैनिक की हत्या करिा निवषद्ध है
  • 5. 8 िूि 1977 को स्िीकार ककए गए 1949 क े अभिसमय क े प्रथम अनिररति प्रोटोकोल क े अनुच्छेद 35 में क ु छ मौमलक नियम प्रनिपाददि ककए गए िो निम्ि हैं • ककसी सशस्त्र संघषम में संघषम क े पक्षकारों द्िारा युद्ध क े ढंग या साधि का चयि क े अधधकार असीम िहीं है। • ऐसी प्रकृ ि क े शस्त्र, प्रक्षेपास्त्र िथा युद्ध ढंग िथा सामग्री िो अत्यधधक या अिािचयक कष्ट्ट पहुचाएं निवषद्ध है। • युद्ध का ऐसा ढंग या साधि श्ििका आशय प्राकृ निक पयामिरण को काफी अधधक क्षेत्र में फ ै ले हुए िथा दीघमकालीि िुकसाि पहुंचािा है निवषद्ध हैं। 12 अप्रैल 1981 को 34 राज्यों िे यूएि में शास्त्रों को अिुच्छेद 36 क े अिुसार िए शास्त्रों क े अध्ययि, विकास, प्राश्ति में राज्य पक्षकार का उत्तरदानयत्ि है कक िह निधामररि करें की उिका प्रयोग प्रोटोकाल या अंिरराष्ट्रीय विधध क े अिुसार हो। ❖ ववश्वासघात(Perfidy) 1949 क े अमभसमय क े प्रथम अनिररति प्रोटोकोल क े अिुच्छेद 37 क े अिुसार विचिासघाि द्िारा िीपक्षी की हत्या करिा, काम आ। चोट पहुंचािा,या उसे पकड़िा निवषद्ध है। निम्िमलर्खि कृ त्य विचिासघाि क े दृष्ट्टांि हैं।
  • 6. • युद्ध विराम क े झंडे को अंिगमि समझौिा करिे या आत्मसमपमण करिे का ढोंग करिा। • घाि या त्रबमारी द्िारा अपादहि या अक्षम होिे का ढोंग करिा। • ककसी असैनिक या गैर लड़ाक ू श्स्थनि का ढोंग करिा। 1. संरक्षक्षि श्स्थनि का निशाि, प्रिीक, UN की पोशाक या िटस्थ पक्षकार का ढोंग करिा। ❖युद्ध-चाल (Ruses of war or stratagem) युद्ध चाल का बहुधा युद्ध में प्रयोग होिा है। इसका िात्पयम होिा है कक शत्रु को अपिे कायों द्िारा विरोधी को भुलािे में रखकर अपिा प्रयोिि मसद्ध कर लेिा है। युद्ध की आधुनिक धारणा यह है कक युद्ध में ि क े िल शश्ति िरि् बुद्धध की भी परीक्षा होिी है। इसमलए युद्ध में युद्ध-चाल िश्िमि िहीं है। हेग-अभिसमय की धारा 24 में युद्ध-चाल को मान्यिा प्रदाि है। फ े न्न्वक क े अिुसार- शत्रु को भुलािा या भ्रम देिे हेिु युद्ध-चाल को अंिरराष्ट्रीय विधध क े अंिगमि िैध साधि क े रूप में मान्यिा प्राति है। परंिु इसका प्रयोग इस शिम क े साथ प्रनिबंधधि है कक इिसे सद्भाि का उल्लंघि िहीं होिा चादहए। ओपनहाइम क े अिुसार- युद्ध-चाल शत्रु को भ्रम में डालिे क े मलए प्रयोग की िािी है िथा यह सैनिक दहिों में की िािी है। युद्ध क े दौराि बहुधा युद्ध-चाल निणामयक ित्ि मसद्ध होिी हैं।
  • 7. ❖धोखा(Deceit) अंिरराष्ट्रीय विधध में युद्ध-चाल को मान्यिा प्राति हैं परंिु धोखा युद्ध-चाल से अलग है धोखा अंिरराष्ट्रीय विधध क े विरुद्ध है। उदाहरण क े मलए, हेग-ननयमों िे ध्िि या सेिाओं क े अधधकृ ि धचन्ह की अिाधधकृ ि प्रयोग को िश्िमि कर ददया है। अिः इस प्रकार का धोखा अंिरराष्ट्रीय विधध का उल्लंघि होगा इसी प्रकार शाश्न्ि का झंडा िथा रेडक्रास का धचह्ि धोखे क े रूप में प्रयोग िहीं ककया िा सकिा। ❖जासूसी(Espionage) अंिरामष्ट्रीय विधध युद्ध क े दौराि िासूसी को मान्यिा प्रदाि करिी है। िथा इसक े मलए दंड भी देिे में भी अपिी स्िीकृ नि प्रदाि करिी है। अंिरराष्ट्रीय विधध क े अिुसार युद्ध क े उद्देचयों क े मलए शत्रु-देश अपिे िासूसों द्िारा सूचिा प्राति करिे का अधधकार रखिा है, परंिु राज्यों क े सामान्य व्यिहार से िथा अंिरराष्ट्रीय विधध की नियमों से यह स्पष्ट्ट होिा है की िासूसों क े पकड़े िािे पर उन्हें संबंधधि राष्ट्र द्िारा दंड भी ददया िा सकिा है। 1949 क े जेनेवा-अभिसमय की प्रथम प्रोटोकोल क े अिुच्छेद क े अिुसार िेिेिा विशेषज्ञों का प्रथम प्रोटोकोल क े अन्य प्रािधािों क े बाििूद संघषम की पक्षकार की सशस्त्र सेिाओं का कोई सदस्य यदद िासूसी करिा हुआ विपक्षी पक्षकार क े हाथ आ िािा है िो उसे युद्ध बंदी की हैमसयि या अधधकार प्राति िहीं होगा िथा िह िासूस मािा िाएगा।
  • 8. ❖गुररल्ला(Guerrillas) युद्ध की आधुनिक िकिीकों िथा हाल में होिे िाले विकास को ध्याि में रखिे हुए 1977 में जेनेवा- अभिसमयों , 1949 (श्िन्हें रेडक्रास अमभसमय कहे िािे है।) में अिेक संशोधि ककये गयें हैं। संशोधधि अमभसमयों क े अंिगमि गुररल्लाओं को भी युद्ध-बंददयों की प्राश्स्थनि िथा उिक े अधधकार प्राति ककए गए हैं। इि अमभसमयों को बहुि बड़ी संख्या में राज्यों िे अिुसमथमि प्रदाि ककया है इसक े िहि क ु छ हद िक गुररल्ला िथा िायुयाि अपहरणकिामओं को िैधिा प्राति हो गई है। इसमलए क ु छ राष्ट्रों िे इिका विरोध ककया है उिक े अिुसार इससे आिंकिादी कृ त्यों या कायमिादहयों को प्रोत्साहि ममलेगा। युद्ध-बन्न्दयों क े साथ व्यवहार से संबंधधत जेनेवा- अभिसमय,1949 क े प्रावधान युद्धबंददयों क े साथ व्यिहार क े विषय में सिमप्रथम हेग-प्रनतज्ञा, 1907 में प्रािधाि रखा गया था। इसक े उपरांि 1929 क े जेनेवा- अभिसमय में युद्धबश्न्दयों क े व्यिहार क े विषय में विस्िृि उल्लेख ककया गया है। ििममाि समय में 1949 क े जेवना-अभिसमय िे उपयुति दोिों संधधयों का स्थाि ग्रहण कर मलया है। 1949 जेनेवा- अभिसमय में युद्धबंददयों क े साथ व्यिहार क े विषय में अिेक
  • 9. प्रािधाि है। यह अभीसमय उि सभी घोवषि युद्ध िथा सशस्त्र संघषम में लागू होगा िो दो या दो से अधधक अमभसमय क े सदस्य-राज्यों क े बीच होगा। इसक े 190 से अधधक पक्षकार हैं। युद्धबंददयों क े व्यिहार क े संबंध में महत्िपूणम नियम निम्ि हैं। 1. युद्धबंददयों क े साथ माििीय व्यिहार ककया िािा चादहए। 2. युद्धबंददयों की हत्या करिा या कोई ऐसा कायम श्िससे उिक े स्िास््य पर बुरा प्रभाि पड़े िश्िमि है। 3. ककसी युद्धबंदी को धचककत्सा, विज्ञाि या ककसी अन्य प्रकार क े प्रयोग में िब िक शाममल िहीं ककया िा सकिा िब िक कक िह युद्धबंदी क े नििी दहि में ि हो। 4. युद्धबंददयों को सदैि स्थािीय िििा क े दहंसक कायों अमभत्रासयुति(Intermediation) कृ त्यों, अिादर िथा उत्सुकिा से बचिा चादहए। 5. युद्धबंददयों क े विरुद्ध बलपूिमक प्रयोग प्रनिकार(Reprisal) िश्िमि है। 6. सभी पररश्स्थनियों में युद्धबंददयों को अपिे पद क े साथ आदर का अधधकार है। 7. युद्धबंददयों को रखिे िाले देश का यह उत्तरदानयत्ि है कक िे उन्हें निशुल्क भोिि, धचककत्सा आदद की सुविधाएं प्रदाि करें। 8. युद्धबंददयों क े साथ समाििा का व्यिहार ककया िािा चादहए। उिक े साथ राष्ट्र ,धमम क े आधार पर भेदभाि िहीं ककया िा सकिा।
  • 10. 9. युद्धबंददयों को कोई शारीररक यंत्रण(Torture) िहीं दी िा सकिी। उिसे सूचिा प्राति करिे क े मलए उि पर कोई अिुधचि दबाि िहीं डाला िा सकिा। 10. युद्धबंददयों की िे िस्िुएुँ श्ििसे से उिक े राष्ट्र, धमम का पिा लगिा है िहीं ली िा सकिी। 11. श्िििा शीघ्र हो सक े , युद्धबश्न्दयों को लड़ाई क े क्षेत्र िथा खिरे से दूर ले िािा चादहए। 12. युद्धबश्न्दयों क े पास सदैि उिकी पहचाि पत्र होिी चादहए। श्िि युद्धबंददयों क े पास पहचाि पत्र ि हो उन्हें िह देश िहाुँ िे युद्धबंदी है, ऐसे पहचाि पत्र प्रदाि करेगा। उपयुति नियम युद्धबंददयों क े दहि में बिाए गए हैं, श्ििसे उिक े साथ बुरा व्यिहार ि ककया िाए। युद्धबंददयों का यह किमव्य है कक िब भी उिसे पूछिाछ की िाए िो िे अपिा िाम, पद, िन्मनिधथ, अपिा रेश्िमेंट बिाएं। यदद िे इस प्रकार की सूचिा िहीं देिे िो उन्हें उिक े पद क े अिुसार सुविधाएं प्रदाि िहीं की िा सकिी।
  • 11. मृतक तथा घायल व्यन्ततयों क े साथ व्यवहार संबंधधत जेनेवा अभिसमय,1949 (Geneva Convention,1949) मृिक िथा घायल व्यश्तियों क े व्यिहार क े संदभम में सिमप्रथम क ु छ नियम जेनेवा- सम्मेलन 1864 में बिाए गए थे। 1907 क े हेग सम्मेलन द्िारा कफर से विचार ककया गया। प्रथम विचि युद्ध क े में मृिक िथा घायल व्यश्तियों की समस्याएं और भी िदटल हो गई। अिः 1929 में जेनेवा सम्मेलन हुआ, श्िसमें युद्ध में मृिक िथा घायल व्यश्तियों क े विषय में अिेक नियम बिाए गए। द्वििीय विचि युद्ध में इि नियमों का खुलेआम उल्लंघि हुआ और इस विषय में और भी उदार नियम बिािे क े मलए 1949 में जेनेवा-सम्मेलन बुलाया गया। श्ििेिा सम्मेलि में इस अमभसमय पर अिेक राष्ट्रों िे हस्िाक्षर ककए। िथा बाद में उसे अिुसमथमि प्रदाि ककया। 1949 क े न्जनेवा समय में ननम्नभलखखत महत्वपूणा ननयम बनाए गए। ➢ युद्ध में घायल िथा बीमार सैनिकों क े ऊपर आक्रमण िहीं ककया िा सकिा। युद्ध में घायल िथा बीमार व्यश्तियों को त्रबिा ककसी भेदभाि क े देखभाल की िािी चादहए। ➢ युद्ध में घायल िथा बीमार सैनिकों की धचककत्सा क े मलए चल- धचककत्सालय को संरक्षण प्रदाि ककया गया है अथामि इिक े विरुद्ध आक्रमण िहीं ककया िाएगा। ➢ धचककत्सालय िथा रोधगयों की सेिा करिे िाले डॉतटरों को संरक्षण प्रदाि ककया िािा चादहए िथा उन्हें उधचि सम्माि ममलिा चादहए।
  • 12. ➢ मृिक क े शरीर का अपमाि करिा या उन्हें विकृ ि करिा अिैध घोवषि कर ददया गया। ऐसा करिा अमभसमय का उल्लंघि मािा िाएगा। ➢ िह धचककत्सक,िहाि िथा िाहि िो घायल िथा बीमार सैनिकों को हटािे क े प्रयोग में आिे हैं, संरक्षक्षि समझिे हैं। िथा उन्हें आक्रमण कर िष्ट्ट िहीं ककया िा सकिा। ➢ युद्ध में बीमार िथा घायल व्यश्तियों क े प्रनि दहंसात्मक कायम करिा िंधचि कर ददया गया है। ➢ प्रत्येक युद्ध-संघषम क े बाद मृि व्यश्तियों की खोि करक े उिकी अंत्येश्ष्ट्ट कक्रया सम्मािपूिमक की िािी चादहए। ➢ युद्धरि राष्ट्रों को मृि शरीरों को ले िािे की अिुमनि प्रदाि की िािी चादहए।
  • 13. युद्ध क े समय असैननक नागररको की सुरक्षा-संबंधधत जेनेवा-अभिसमय 1949 इस अमभसमय को लगभग सभी देशों िे स्िीकार ककया है। इसमें निम्ि प्रािधाि है।- A.युद्धक्षेत्र में विदेशी शत्रुओं क े साथ व्यिहार। B. बीमार िथा घायलों की सुरक्षा। िथा िागररको क े मलए सुरक्षक्षि क्षेत्र की स्थापिा। C. युद्धरि िथा युद्धरि आधधपत्य िाले क्षेत्रों में ििरबंद लोगों क े साथ व्यिहार। D. युद्धरि अधधपत्य िाले क्षेत्रों में िागररक िििा क े साथ व्यिहार। युद्ध क े समय नागररको की सुरक्षा संबंधधत जेनेवा अभिसमय 1949, क े मुख्य प्रावधान ननम्न है। ➢ िह विदेशी शत्रु िो युद्ध क े पूिम या युद्ध क े दौराि युद्धरि देश से िािा चाहिे हैं िह ऐसा करिे क े अधधकारी होंगे, बशिे की उिका िािा युद्धरि देश क े दहिों क े विरुद्ध िहीं हो। ➢ राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्याि में रखिे हुए विदेशी-शत्रुओं क े साथ सामन्यिः िही व्यिहार होिा चादहए िो उिक े साथ शांनि क े समय में ककया िािा था। ➢ विदेशी शत्रुओं को िभी ििरबंद ककया िा सकिा है िब ऐसा करिा ििरबंद करिे िाली शश्ति क े मलए पूरी िरह आिचयक हो।
  • 14. ➢ अभिसमय क े अनुच्छेद 44 क े अिुसार ििरबंद करिे िाली शश्ति, शरणाधथमयों श्िन्हें ककसी सरकार का संरक्षण प्राति िहीं है क े िल राष्ट्रीयिा क े आधार पर ककसी को शत्रु िहीं मािेगी। ➢ 18 िषम से िीचे की आयु क े व्यश्तियों कायम िहीं मलया िा सकिा। ➢ युद्ध की प्रथाओं िथा विधधयों क े अपिाद को छोड़कर कोई भी व्यश्ति अधधपत्य से पूिम क े कृ त्यों क े मलए धगरफ्िार या दंडडि िहीं ककया िा सकिा है। ➢ अमभसमय क े अन्िगमि अधधपत्य स्थावपि करिे िाली शश्ति का यह किमव्य है कक िह स्थािीय िििा को खाद्य िथा उपयुति दिाइयों आदद का प्रबंध करिा रहे। ➢ िागररक िििा िथा व्यश्तिगि िागररक आक्रमण का लक्ष्य िहीं बिाए िाएंगे। ऐसा कृ त्य का उद्देचय िागररक िििा को भयभीि करिा है निवषद्ध है। ➢ प्रोटोकोल द्िारा प्रदाि की गई सुविधाएुँ िागररकों को िब िक ममलिी रहेंगी िब िक कक िे संघषम में प्रत्यक्ष भाग िहीं लेिे हैं। ➢ त्रबिा सोचे समझे या उद्देचय क े आक्रमण निवषद्ध है। ➢ युद्ध की ढंग क े रूप में िागररकों को भूखा मारिे निवषद्ध है सैनिक-कारमिाइयों क े संचालि में लगािार यह सािधािी बरिी िाएगी कक िागररक िििा, व्यश्तिगि, िागररक िथा िागररक लक्ष्य बचे रहेंगे।
  • 15. आणववक-शास्रों का प्रयोग तथा अंतरराष्ट्रीय मानवीय युद्ध क े ननयम तथा भसद्धांत महासभा की प्राथमिा पर अपिा सलाहकारी मि देिे हुए न्याय क े अंतरराष्ट्रीय न्यायालय िे 8 जुलाई 1996 क े निणमय द्िारा यह मि प्रकट ककया कक आणविक शस्त्र का ककसी राज्य द्िारा सशस्त्र युद्ध में प्रयोग अंिरराष्ट्रीय माििीय युद्ध क े मसद्धांि िथा नियमों से असंगि होगा। दूसरे शब्दों में, आश्विक शस्त्र का प्रयोग से उपयुति िर्णमि माििीय युद्ध क े मसद्धांिों िथा नियमों का उल्लंघि होगा। काभमाकों क े ववरूद्ध िूभम सुरंगें ननविद्ध सन्न्ध 1997 कामममकों क े विरुद्ध भूमम सुरंगों निषेध संधध पर 3 ददसंबर 1997 को 125 देशों िे ओटािा(किाडा) में हस्िाक्षर ककए। यह एक महाि उपलश्ब्ध है तयोंकक प्रत्येक िषम, पूणम विचि में हिारों व्यश्ति भूमम सुरंगों में मरिे या घायल होिे हैं। प्रनििषम लगभग 200 मममलयि डॉलर इि भूमम सुरंगों को हटािे में व्यय होिा है। अिुमाि लगाया गया है कक पूणम विचि में 60 देशों में भूमम में दबी 100 मममलयि भूमम सुरंगें है। िास्िि में यह एक बड़ी माििीय
  • 16. समस्या है, तयोंकक िहाुँ कहीं युद्ध या सशस्त्र संघषम होिा है। अधधकिर व्यश्ति िो मरिे है िह भूमम सुरंगों क े मशकार होिे हैं। इस संधध पर 125 से अधधक देशों िे हस्िाक्षर ककया। श्िि देशों िे हस्िाक्षर िहीं ककया उसमें अमेररका, रूस, चीि, भारि,पाककस्िाि, इिराइल, ममस्र आदद प्रमुख देश है। भारि िे अपिी सुरक्षा की दृश्ष्ट्ट से संधध पर हस्िाक्षर िहीं ककया। इसक े अनिररति यह भी कारण था कक चीि िथा पाककस्िाि भी इस संधध पर हस्िाक्षर िहीं ककए थे। संधध क े उद्देचय इििे ऊ ं चे, माििीय िथा प्रशंसिीय है कक संभि है कक निकट भविष्ट्य में विचि ििमि िथा घरेलू दबाि उति राज्यों को संधध पर हस्िाक्षर करिे पर वििश करें। इस संधध का आह्िाि एक ऐसी ऐनिहामसक संधध क े रूप में ककया िािा है िो विचि में दुबमल िथा सुभेद्य की वििय है। संयुति राष्ट्र महासधचि कोफी अन्नान िे संधध का आह्िाि करिे हुए कहा है कक सश्न्ध िे विचि क े ममम को प्रदमशमि िथा विचि को िागृि ककया िथा अंिरराष्ट्रीय समुदाय को िीविि, िथा विद्यमाि िास्िविकिा प्रदाि की।
  • 17. ननष्ट्किा प्राचीि काल से आधुनिक युग िक िो भी युद्ध की प्रथाएं है उन्हीं को युद्ध क े नियम बिा ददये गए हैं चाहे िह हेग-प्रनतज्ञा (1899,1907) हो या जेनेवा-अभिसमय(1925,1949&1977) आदद ननयम को स्थल-युद्ध क े क े रूप में स्िीकायम कर मलए गए िथा समय -समय पर इि मसद्धान्िों में पररििमि भी ककया िािा रहा है, कफर भी ििममाि समय में राष्ट्र-राज्यों द्िारा इि नियमों का उलंघि ककया िािा है एिं उिक े द्िारा ककसी राष्ट्र पर आक्रमण को सामाररक कायमिाही क े रूप में घोवषि ककया िािा है श्िससे युद्ध क े नियम लागू ि हों िथा िटस्थिा क े मसद्धांि का पालि ि हो सक े । संदिा • मािि अधधकार एिं अंिरामष्ट्रीय विधध – डॉ० एस० क े ० कपूर • चाल्सम िी.फ े श्न्िक - इंटरिेशिल लॉ पृ 610-613 • एल. ओपेिहाइम- इंटरिेशिल लॉ V2 साििाुँ संस्करण • लीगल क ं रोल्स ऑफ इंटरिेशिल कश्न्फ्लतटस।