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भारत
भाषा नीतत,
एक नई सोच
संक्रान्त सानु
कार्ल क्र्ेमन्स
भाग १: अंग्रेज़ी-माध्यम शिक्षा के शिषय में कु छ
भ्राशतियााँ
आर्थलक और सांस्कृ र्तक तुर्ना
भ्राशति– “आधुशिक जगि” अंग्रेज़ी-माध्यम है । सत्य –
िास्िि में शिश्व बहुभाष़ीय है ।
• र्िश्व की ९१.५% जनता अंग्रेज़ी नहीं जानती – िह न उनकी मातृभाषा है और न ही
उन्होंने सीखने की आिश्यकता समझी है ।
क्या सबसे अम़ीर देिों में अंग्रेज़ी बोल़ी जाि़ी है?
• प्रर्तव्यर्ि सकर् घरेर्ु उत्पाद (GDP per capita) के आधार पर, २० सबसे अमीर
देशों में र्ोक भाषाओंमें अर्भयार्न्िकी (engineering) और व्यािसार्यक र्शक्षा उपर्ब्ध
है ।
• इन २० देशों में से के िर् ४ देश अंग्रेज़ी-माध्यम हैं ।
दूसरी ओर...
• सबसे ग़रीब २० देशों में से १८ देशों में र्ोक भाषा में उच्च और व्यािसार्यक र्शक्षा नहीं
है ।
• इन २० र्नधलनतम देशों में से ६ ही उच्च र्शक्षा के र्र्ए अंग्रेजी का उपयोग करते है (१२
अन्य, दूसरी र्िदेशी भाषाओं, जैसे स्पेर्नश, पुतलगार्ी का उपयोग करते हैं) जबर्क सबसे
अमीर २० देशों में से माि ४ ऐसे हैं।
भाषा “आधुशिक” कै से बिि़ी है ?
•इसराईर् का यहूदी-माध्यम टेकर्नयोन र्िश्वर्िद्यार्य कर्िन पररर्स्थर्तयों
में तकनीकी अर्िष्कारों के क्षेि में प्रथम स्थान पर है।
•५० िषल पूिल पुनजीर्ित र्कए जाने से पहर्े, २००० िषोंसे यहूदी भाषा
मृतप्राय थी।
•संगणक र्िज्ञान (computer science) में टेकर्नयोन र्िश्वर्िद्यार्य दुर्नया
भर में १८िें स्थान पर है ।
दूसरी ओर...
•भारत के अंग्रेजी-माध्यम आई.आई.टी. दुर्नया भर के सिलश्रेष्ठ १००
र्िश्वर्िद्यार्यों में भी र्गने नहीं जाते ।
राजनैतिक इच्छाशक्ति और
नीति
बहुराष्ट्ऱीय कम्पशियााँ (MNCs) पहले से ह़ी कई
भाषाओाँमें कायय सञ्चालि कर रह़ी हैं।
•वास्तव में तवश्व बहुभाषी है (नीचे पाइ-चार्ट देखें)।
•सारे संगतित उद्योग वतटमान में 'अंतरराष्ट्रीयकरण‘ (internationalization), और
वैतश्वक बाज़ार में 'स्थानीयकरण‘ (localization) के तिए अपनी व्यापाररक रणनीतत
ढाि रहे हैं ।
•संगतणकी (computing) पहिे से ही तवतभन्न मानवीय भाषाओंमें सॉफ्र्वेर उत्पादन
(software development) और बहुभाषी उपयोगकताट साधन (multilingual user
interface) की ओर बढ़ रही है ।
•भतवष्ट्य बहुभाषीय है।
स्रोत: माइक्रोसॉफ्ट
कौरपोरेशन
क्या व्यापाररक सफलिा और अंग्रेज़ी पर आधाररि है?
•एर्शया की १००० शीषल बहुराष्रीय कं पर्नयों में से, ७९२
जापान, कोररया एिं ताइिान से हैं ।
•इन उद्योगों की आन्तररक कायल-व्यिस्था उनकी अपनी
भाषाओंमें होती है ।
•इन कं पर्नयों के शीषल प्रबंधन अर्धकाररयों ने, प्रायः अपनी ही
भाषा में शैक्षर्णक उपार्ध प्राप्त की हैं ।
उनके अर्धकांश कमलचाररयों ने अर्भयार्न्िकी
(engineering) की र्िद्या भी अपनी ही
मातृभाषाओं, जैसे जापानी, चीनी और कोररयन,
में प्राप्त की है ।
दुशिया के कु छ गैर-अंग्रेज़ी माध्यम व्यिसाशयकी (MBA)
शिश्वशिद्यालय
विद्यालय स्थान श्रेणी भाषा
व्सिंगहुआ
चीन चीन में #२, एर्शया में
#१५
पूणलकार्र्क व्यापार प्रबंधन (चीनी)
अंशकार्र्क व्यापार प्रबंधन (चीनी)
अन्तररार्ष्रय व्यापार प्रबंधन (अंग्रेजी)
िासेदा
जापान जापान में #२ , एर्शया में
#३३
जापानी तथा अंग्रेजी। यह संस्था सूचना प्रौद्योर्गकी
(IT) के उपयोग, और र्िभाषािाद (bilingualism)
से जुड़ निीर्नकरणों में सबसे आगे भी है ।
सोल राष्ट्रीय कोररया कोररया में #१ कोररयाई और थोड़ी अंग्रेजी ।
दोंग्गुक
कोररया बौद्ध र्िश्वर्िद्यार्य कोररयाई। सैमसंग (Samsung) के प्रमुख
अर्धकारी ने यहीं से कोररयन-माध्यम प्रणार्ी में
र्शक्षा प्राप्त की।
कोमास (COMAS) इसराईर् इसराईर् का सबसे बड़ा
व्यिसार्यकी र्शक्षाक्रम
यहूदी (हहब्रू)
भाग २: भारि में एक िए दृशिको की
अत्यािश्यकिा
व्यिवस्थत बनाम व्यिस्थारवहत भाषा विकास
भारि में घटि़ी भाषा प्रि़ी िा – देिज और
अंग्रेज़ी, दोिों में
•अंग्रेज़ी प्रिीणता की अंतरराष्रीय क्रमसूची (ग़ैर-अंग्रेज़ देश) में भारत हार्
ही में १४िें से २१िें स्थान पर र्ुढ़क गया है ।
•र्िर भी, अंग्रेज़ी-माध्यम पािशार्ाओंके र्र्ए भारत में होड़ बढ़ती जा
रही है – ये भी तब जबर्क घर में अंग्रेज़ी नहीं बोर्ी जाती ।
•अंग्रेज़ी-माध्यम की होड़ में भाषाई रूप से र्िकर्ांग स्नातकों का र्नमालण
हो रहा है
•न तो िे अपनी मातृ भाषाओंमें, और न ही अंग्रेज़ी में सहज, प्रिाहमय रूप से
स्ियं अर्भव्यि कर पाते हैं ।
अंग्रेज़ी-माध्यम को सरकाऱी प्राथमिशमकिा
•र्ोग अंग्रेज़ी-माध्यम में अध्ययन करने के ‘इच्छुक’ नहीं है, परन्तु करते हैं क्यूंकी –
•बड़े पैमाने पर सरकार िारा संचार्र्त उच्चर्शक्षा संस्थान अंग्रेज़ी को प्राथर्मकता
देते हैं।
•अर्भयार्न्िकी, र्चर्कत्सा और व्यापार प्रबंधन जैसे आर्थलक महत्ि िार्े पाि्यक्रम
के िर् अंग्रेज़ी में ही उपर्ब्ध हैं ।
•अर्धकांश सरकारी िेबस्थर् (websites), उच्चर्शक्षा संस्थानों के िेबस्थर् और
संसाधन अंग्रेज़ी में ही उपर्ब्ध हैं ।
•कु ख्यात ‘मकौर्े की र्शक्षा प्रणार्ी’ (Macaulay minute) की नीर्तयााँ अभी तक चर्
रही हैं ।
•भारत में यह भ्रार्न्त है र्क सारी दुर्नया अंग्रेज़ी से चर्ती है, जबकी यह सच नहीं है।
हस्िक्षेप की गंभ़ीर आिश्यकिा – के िल ‘परंपरा’
िहीं, अथमियव्यिस्थमिा भ़ी!
• भारतीय समाज में अंग्रेज़ी एक बाधा है - उच्च-र्शक्षा और तकनीकी र्शक्षा के िर् अंग्रेज़ी-माध्यम
में उपर्ब्ध है।
• इसी कारण भारतीय बड़ी तादाद में िैर्श्वक अथलव्यिस्था (जो की अंग्रेजी आधाररत नहीं है --
जैसा की जापान, कोररया, ताइिान के उदाहरणों से स्पष्ट है) में सर्ममर्र्त नहीं हो पा रहे हैं।
• भारतीय भाषाओं का प्रयोग हमारी संस्कृ र्त को पूंजी बनाकर उसकी आन्तररक और र्िदेशीय
सौमयशर्ि में िृर्द्ध र्ाएगा।
• इससे समाजशास्त्र में अर्धक प्रासंर्गक अध्ययन का जन्म होगा।
• यह एक भर्िष्योन्मुखी क़दम है र्जसे भारतीय भाषाओंकी िैज्ञार्नक प्रकृ र्त और संस्कृ त के गुणों
का पूरा र्ाभ र्मर्ेगा।
• ‘परमपरा का संरक्षण’ - के िर् इसी आधार पर भाषा नीर्त का र्नमालण भर्िष्योन्मुखी नहीं है,
इससे भारतीय भाषाओंका अंत हो जाएगा।
भाषा का बल - १
•भाषा संस्कृ र्त की िाहक है और उसे प्रचाररत करती है।
•र्िश्व की सभी सभ्यताएाँ अपनी भाषाओंपर बर् देती हैं ।
•चीन र्िदेशी छािों को मन्दाररन भाषा र्सखने के र्र्ए र्िशार् छाििृर्ि
कायलक्रम चर्ाता है ।
•फ़्ांस अर्र्यांस फ़्ांसे के िारा फ्ांर्ससी के प्रचार-प्रसार में र्निेश करता है
।
•सऊदी अरब अपने प्रभाि से मध्यपूिीय अध्ययन (Middle East
Studies) और अरबी भाषा र्शक्षाक्रम में भारी पूंजीर्निेश कर रहा है ।
भाषा का बल - २
•अमेररका और इंगर्ैंड अंग्रेज़ीकरण के र्िस्तार में जुट।
•अन्तररार्ष्रय पुरस्कारों के िारा र्िदेशों में अंग्रेज़ी सोच िार्े सार्हत्यकारों का प्रभाि
बढ़ाना ।
•अरुन्धर्त राय को बुकर और पंकज र्मश्र को १,५०,००० डॉर्र का येर् पुरस्कार
प्रदान र्कय गया ।
•फ़ोडल संस्था (फ़ोडल िॉन्डेशन) के पैसों से अनुसन्धान र्क भारत में अंग्रेज़ी जानने से
आय अर्धक होती है।
•र्क्ष्य है भारत और उसके बुर्द्धजीर्ियों को अंग्रेजी सोच और संस्कृ र्त में ही बांधे
रखना रखना है ।
•र्ेर्कन भारत हि योग, आध्यार्त्मक (‘न्यू ऐज’) धाराओंऔर भारतीय र्फ़ल्म उद्योग
की र्िश्व र्ोकर्प्रयता का भारत र्ाभ नहीं उिा रहा है ।
अंग्रेज़ीिाद भारि की संग क-साक्षरिा में
बाधक है
•चीन में संगणक का उपयोग चीनी भाषा में र्सखाया जाता है ।
•भारत में संगणक-साक्षर होने के र्र्ए आपको पहर्े अंग्रेज़ी-साक्षर होना अर्निायल है
।
•भारत के अंग्रेज़ी मोह ने तकनीकी र्िद्या और साक्षरता को िै र्ाने में अनािश्यक
बाधाएं खड़ी कर दी है ।
चीन भारत
साक्षरता 95% 74%
अंग्रेज़ी साक्षरता 0.73% 20% (5% प्रिीण)
अन्तजालर् (Internet) उपयोगकताल 40% 11%
भारि के संस्थमिािों में अंग्रेज़ीिाद
•यू.पी.एस.सी. परीक्षा
• अंग्रेज़ी भाषा प्रबोधन भाग अर्निायल ।
• यू.पी.एस.सी. परीक्षा को के िर् अंग्रेज़ी में र्दए जाने का प्रस्ताि २०१३ में सािलजर्नक र्िरोध के
बाद र्नरस्त कर र्दया गया।
•सशस्त्र सेनाएिं
• भाषाई ‘रंगभेद’ - र्नचर्े िगल के सैर्नक भारतीय भाषाएाँ बोर्ते हैं, जबर्क अर्धकारी िगल अंग्रेजी
बोर्ते हैं।
•न्याय व्यिस्था
• उच्च न्यायार्यों में अंग्रेजी चर्ती है, जबर्क र्नचर्े न्यायार्यों में प्राकृ त/देशज भाषाओंमें कायल
होता है।
• उच्चतम न्यायार्य के िर् अंग्रेजी में कायल करता है, न्याय व्यिस्था देश की संस्कृ र्त से कटी हुई है
।
•के न्र सरकार की र्िर्धयााँ और नीर्तयााँ अर्धकतर अंग्रेज़ी में र्र्खी जाती हैं ।
िियमाि प्र ाल़ी के परर ाम-१
•उच्च अध्ययन के वलए नई भाषा में वशक्षा पर होने िाला व्यय
•क्या जापान या चीन में बच्चों को इस का सामना करना पड़ता है ?
•भारी पैमाने पर मानि सिंसाधनों का अल्प विकास |
•अंग्रेज़ीिाद भारत की संगणक-साक्षरता में बाधा है |
•भारत र्नधलन है और जनता का आत्मर्िश्वास क्षीण ।
िियमाि प्र ाल़ी के परर ाम-२
•भारत में घटती भाषा प्रिीणता – ना मातृभाषा आती है ना अिंग्रेज़ी
•र्िश्व पूछता है – ‘ई ंर्लर्श या र्हंर्लर्श? भारत क्या चुनेगा ?’
•सुव्यिर्स्थत बनाम अव्यिर्स्थत भाषा नीर्त ।
•भाषा के माध्यम से उपवनिेशिाद/पराधीनता जारी है ।
•भारत अपनी सािंकृ वतक क्षमता ि बल के प्रचार-प्रसार में असमथथ है।
•अंतरालष्रीय आर्थलक एिं सांस्कृ र्तक क्षेि में कु र्ी माि है ।
भाग ३: ि़ीशिगि सुझाि
प्राकृ त-सिंस्कृ त व्यिस्था की पुनःस्थापना और सिंशोधन
िए भाषा ि़ीशि के लक्ष्य - १
•भाषाई भेदभाि को र्मटाकर भारतीय भाषाओं(प्राकृ त) में व्यािसार्यक
और व्यापाररक र्शक्षा को उपर्ब्ध कर अथलव्यिस्था को बढ़ािा देना ।
•प्राकृ त-माध्यम र्िद्यार्यों में अंग्रेज़ी को र्ितीय भाषा के रूप में बढ़ािा
देना – और उच्च-र्शक्षा में अंग्रेज़ीिाद को र्मटाना ।
•सभी प्रशासर्नक सेिाओंऔर न्यायपार्र्का में प्राकृ त-माध्यम
अभ्यर्थलयों के र्र्ए सामान अिसर प्रदान करना ।
•राष्रीय स्तर पर साझे प्रयासों से प्राकृ त भाषाओंको र्िश्व में
प्रर्तस्पधालत्मक बनाना ।
िए भाषा ि़ीशि के लक्ष्य - २
•राष्रीय स्तर पर संस्कृ त आधाररत तकनीकी शब्दािर्ी के
माध्यम से भारतीय प्राकृ तों को पोर्षत करना, और समान
सभ्यताओंके साथ ररश्तों को सशि करना, र्जस से पारमपररक
ज्ञान का पूरा र्ाभ उिाया जा सके ।
•संस्कृ त की नींि पर भारतीय भाषाओंके बीच आदान-प्रदान के
अनुकू र् माहौर् बनाना ।
िए भाषा ि़ीशि के लक्ष्य - ३
•अनेक भारतीय भाषाओंको सीखने में आनेिार्ी बाधाओं(जैसे र्िर्भन्न
र्र्र्पयााँ) को हटाना और इस तरह उनके पढ़ने और सीखने िार्ों की
संख्या में िृर्द्ध र्ाना, और सभी प्राकृ तों में सह-संचार्न/आपसी
तार्मेर् स्थार्पत करना ।
•सामाजशास्त्र और राजनीर्त शास्त्र के अध्ययन और अनुसंधान की
क्षमता प्राकृ त भाषाओंमें उपर्ब्ध करना, र्जससे देश-र्िदेश के बारे में
हमारी समझ और बढ़ें – और िो भी हमारे ही दृर्ष्टकोण से, पाश्चात्य
र्ििानों की दृर्ष्ट से नहीं ।
यूरोप़ीय संघ की भाषा ि़ीशि का उदाहर प्रयोग में
लाए - १
•१.२५ अरब बनाम ७५ करोड़ की जनसंख्या के साथ, भारत की
जनसंख्या यूरोप से अर्धक है ।
•भारतीय भाषाएाँ बोर्ने िार्ों की संख्या यूरोपीयों से अर्धक है ।
•यूरोपीय संघ २४ आर्धकाररक भाषाओंको मान्यता देता है – जन
सूचनाएं और न्याय र्िधान सभी भाषाओंमें जारी र्कए जाते हैं ।
यूरोप़ीय संघ की भाषा ि़ीशि का उदाहर प्रयोग में
लाए - २
•सभी २४ भाषाओंमें यूरोपीय संसद और न्याय व्यिस्था चर्ती है ।
•आंतररक रूप से यूरोपीय संघ में जमलन, फ़्ांसीसी और अंग्रेज़ी में कायल
संचार्न होता है; जन सूचनाएं सभी २४ भाषाओंमें ।
•हर देश में स्िभाषा में अर्भयार्न्िकी, र्चर्कत्सा, न्याय, व्यापार की र्शक्षा
उपर्ब्ध है । अर्धकतर यूरोपीय भाषाएाँ र्ैर्टन शब्दाकोष पर आधाररत
(जैसे भारतीय भाषाएं संस्कृ त पर) हैं । तकनीकी शब्दािर्ी र्ैर्टन में ही है।
भारि़ीय संघ - १
•संस्कृ त तकनीकी शब्दािर्ी के साथ प्राकृ त भाषाओंमें संपूणल
अर्भयार्न्िकी, र्चर्कत्सा, न्याय, व्यिसार्यक र्शक्षा के र्र्ए
प्रत्येक राज्य में व्यिस्था ।
•कें रीय र्िधानों, अर्धर्नयमों को सभी भारतीय भाषाओंमें जारी
र्कया जाना चार्हए और इसके र्र्ए संस्कृ त आधाररत शब्दािर्ी
का उपयोग होना चार्हए तार्क राष्र भाषा के रूप में संस्कृ त की
आगे बढ़े ।
भारि़ीय संघ - २
•भाषा अनुिाद सेिाएं सभी न्यायार्यों ि सिोच्च न्यायार्य में उपर्ब्ध
होनी चार्हए तार्क िाद-र्ििाद र्कसी भी सरकारी भाषा में र्कया जा सके
।
•साझी संस्कृ त शब्दािर्ी का उद्देश्य कें र सरकार की भाषा को संस्कृ त
की और र्े जाना हो; अंतररम रूप से र्हंदी का उपयोग हो ।
•एक र्र्र्प और तकनीकी शब्दािर्ी से सभी भारतीय भाषओंमें समन्िय
एिं आदान-प्रदान बढेगा
हर बच्चे की अपि़ी मािृभाषा
प्राकृ त भाषाओिं के वलए एक सिंपूणथ तिंत्र का समथथन
संस्कृ ि आधाररि िकि़ीकी िब्दािल़ी-१
•संस्कृ त िैज्ञार्नक भाषा है । नए शब्द उत्पन्न करने के र्र्ए श्रेष्ठ है।
तकनीकी र्ैर्टन शब्दों के साथ संस्कृ त का संबंध है ।
•संस्कृ त भाषाओंके लिए एक भाषा है – बहुभाषी मानिीय सभ्यता को
समभार्ने और पोर्षत करने का एक सुरढ़ आधार देती है ।
•सभी भारतीय भाषाएाँ संस्कृ त शब्दों से भरपूर हैं।
संस्कृ ि आधाररि िकि़ीकी िब्दािल़ी-२
•संस्कृ त संगर्णकी र्िज्ञान के अंतगलत, अथलगत संजार् (semantic
networks) में अथल को अर्भव्यि की भाषा के रूप में उपयोग हो रही है
।
•सभी क्षेिीय भाषाओंमें र्िज्ञान और मानर्िकी (humanities) के र्र्ए
तकनीकी शब्दािर्ी के मानकीकरण के योलय है ।
•संस्कृ त और सभी प्राकृ त भाषाएाँ परस्पर एक दूसरे का संिधलन एिं भाषा
तंि का र्नमालण करती हैं ।
भारि़ीय भाषाओंमें व्यािसाशयक शिक्षा
•भारतीय भाषाओिंमें अवभयावन्त्रकी, वचवक्सा, प्रबिंधन
•आई.आई.एम., आई.आई.टी., अर्भयार्न्िकी र्िश्वर्िद्यार्यों, र्चर्कत्सा-संबंधी
र्िश्वर्िद्यार्यों में ।
•एक ही पररसर में समानांतर स्थानीय भाषाओंमें र्शक्षा।
•सभी परीक्षाओिं– सी.ए.टी, जे.ई.ई., यू.पी.एस.सी., सैन्य सेिाओिं,
न्यायालयों - में समान अवधकार ।
•सिंस्कृ त आधाररत अिंतरराष्ट्रीय तकनीकी शब्दािली ।
•शब्दािर्ी और अनुिाद संस्थान की स्थापना ।
•ऐर्तहार्सक रूप से भारतीय संस्कृ र्त आधाररत देशों से संबंध पुनजीर्ित
करना।
•मर्ेर्शया, थाईर्ैंड, नेपार्, श्रीर्ंका, बंगर्ादेश इत्यार्द से र्ििानों को आमंर्ित
करें ।
शिक्षा प्र ाल़ी में भाषा – (१)
•प्राथवमक स्तर पर विभाषीय नीवत –
•स्थानीय प्राकृ त अर्निायल, अंग्रेज़ी या संस्कृ त र्ितीय भाषा ।
• (देशज) प्राकृ त माध्यम में संगणक साक्षरता ।
•माध्यवमक स्तर पर वत्रभाषीय प्रिीणता –
•एक प्राकृ त में पूरी तरह से कायलकु शर् होना अर्निायल ।
•मूर्भूत संस्कृ त समभाषण और व्याकरण ।
•कायालत्मक अंग्रेज़ी – जहााँ सार्हत्य की अपेक्षा समझने, पढ़ने और र्र्खने पर अर्धक
ज़ोर हो ।
•सभी भारतीय भाषाओंकी सामान्य संरचना का ज्ञान, और अन्य भारतीय भाषा
सीखने को बढ़ािा देना ।
•माध्यवमक स्तर पर समाजशास्त्र का अध्ययन -
•संस्कृ त शब्दािर्ी के प्रयोग को प्राथर्मकता ।
शिक्षा प्र ाल़ी में भाषा – (२)
•सभी र्िषयों में उच्च र्शक्षा प्राकृ त में उपर्ब्ध करायी जाए ।
•सभी र्डप्र्ोमा, स्नातक और स्नातकोिर उपार्ध के र्र्ए एक
प्राकृ त में र्िषय-विशेष दक्षता का प्रदशलन करना आिश्यक ।
•संस्कृ त को तकनीकी, व्यािसार्यक र्शक्षा में िैकर्ल्पक र्िषय बनाए ।
शिक्षा प्र ाल़ी में भाषा – (२)
•अर्भयार्न्िकी और र्चर्कत्सा में अंग्रेजी / र्ैर्टन तकनीकी शब्दों के उपयोग
के साथ संस्कृ त समानाथलक शब्द कोष्ठक में र्र्खे जायें ।
•मानर्िकी र्िषय जैसे र्िर्ध, समाजशास्त्र, राजनीर्त र्िज्ञान, पिकाररता,
इर्तहास, इत्यार्द संबंर्धत सभी र्िषयों के र्र्ए संस्कृ त अर्निायल हो ।
• मानर्िकी र्िषयों में संस्कृ त / प्राकृ त शब्दािर्ी के उपयोग को प्राथर्मकता ।
•एकीकृ त प्राकृ त अंग्रेज़ी पाि्यपुस्तकें - अंग्रेज़ी शब्दों के साथ संस्कृ त
समानाथलक शब्द कोष्ठक में छापें, और प्राकृ त पुस्तकों में अंग्रेज़ी शब्द
कोष्ठक में छापें ।
शलशप का एकीकर
•र्र्र्पयााँ प्रौद्योर्गकी और राजनैर्तक उपयोग के आधार पर र्िकर्सत हुई हैं ।
•अर्धकांश भारतीय भाषाएाँ समान अंतर्नलर्हत 'िणल-मार्ा' पर आधाररत हैं ।
यूरोपीय भाषाओंकी तरह, िे आसानी से एक र्र्र्प में र्र्खी जा सकती हैं ।
•एक ही र्र्र्प होने से-
• दूसरे भारतीय भाषाओंको सीखने में आसानी होगी ।
• पारस्पररक भाषा समप्रेषण एिं संचार्न को बढ़ािा र्मर्ेगा ।
• राष्रीय एकता पहर्े से अर्धक सुरढ़ होगी ।
•समानर्र्र्प के र्र्ए कु छ र्िकल्प –
• देिनागरी++ : अथालत् र्िस्ताररत देिनागरी
• एक पुरानी, पूिलज भारतीय र्र्र्प जैसे र्क ब्राहमी जो अब चर्न में नहीं है ।
• नए तकनीकी उपकरणों के अनुकू र् एक नई र्र्र्प का आर्िष्कार ।
सरकाऱी प्रकािि और संचार
•के न्र सरकार के िेबस्थल, प्रकाशन और सिंचार –
•प्राकृ त और संस्कृ त में होना अर्निायल, अंग्रेजी िैकर्ल्पक ।
•उदाहरणाथल कनाडा के सरकारी िेबस्थर्ों को र्िर्ध के अनुसार फ़्ांसीसी में
होना आिश्यक है।
•राष्ट्रीय भाषा - एक साझी संस्कृ त तकनीकी शब्दािर्ी ि र्र्र्प से शुरू
कर संस्कृ त को अर्खर् भारतीय संपकल -भाषा के रूप में उभारने की और
प्रयास हो ।
•राज्य स्तरीय िेबस्थल, प्रकाशन और सिंचार –
•राज्य की ही प्राकृ त भाषा में हो । एकीकृ त-र्र्र्प संस्करण होना आिश्यक ।
•र्िर्ध और न्याय प्रणार्ी की भाषा - (अस्पष्टता की र्स्थर्त में प्राकृ त ग्रंथों को
प्राथर्मकता दी जाएगी) ।
व्यिसाशयक क्षेत्र में अिुपालि
•उत्पाद के नामपि (product labels) - भारतीय भाषा में अर्निायल ।
•दिाएाँ, र्िल्में, खाद्य पदाथल ।
•सेिा क्षेि (बैंक, बीमा, अस्पतार् आर्द) की भाषा - प्राकृ त में प्रस्तुत की
जानी चार्हए ।
•िार्णर्ज्यक अनुबन्ध और हस्ताक्षर की भाषा - प्राकृ त में हो |
•कमलचारी संबंध (labour relations) और व्यापार (राज्य के साथ सौदा
करने के इच्छुक व्यिसायों को प्राकृ तीकरण कायलक्रमों के र्र्ए आिेदन
करना होगा) ।
क्षेत्ऱीय बोशलयों का आदर
•राज्यों अपने प्रान्त में र्िद्यमान अन्य भाषाओंऔर बोर्र्यों को मान्य
करें
•कोंकणी, मारिाड़ी, भोजपुरी, अिधी, मागधी इत्यार्द ।
•राज्य के भाषा पाि्यक्रम में –
•प्राथर्मक पािशार्ा तक स्थानीय बोर्ी में संचार की अनुमर्त दें ।
•छाि को यह अनुभि हो की उनकी अपनी बोर्ी मान्य और र्िद्यार्य
में सममार्नत है, और िह देहाती या गिााँर न कहर्ाए ।
•छािों को स्थानीय बोर्र्यों में गिल का अनुभि हो, और र्कसी भी राज्य
या राष्र स्तरीय भाषा के सामने िह देहाती या गिााँर ना समझा जाए ।
‘भारि़ीय अंग्रेज़ी’ को अपिािा
•भारतीय भाषाओंका रोमन र्र्प्यांतरण के र्र्य मार्नकीकरण ।
•र्नरुर्ि-समीक्षक (spell checkers), अन्य उपकरण ।
•‘भारतीय अंग्रेजी’ नामक एक तन्िांश (software) िगल होना चार्हए ।
•भारतीय शब्दों के र्ेखन का मार्नकीकरण और भारतीय शब्दािर्ी को
शार्मर् र्कया जाए ।
•भारतीय अंग्रेज़ी में सामार्जक और राजनीर्तक अिधारणाओंके र्र्ए
संस्कृ त शब्दों का प्रयोग करें । उदाहरणतः ‘धमल’ और ‘religion’ का
अन्तर ।
यह सब तकया जा सकता है ।
क्या यह करिे के शलए हमाऱी राजिैशिक
इच्छािशि है?
हमें यह साथ तमिकर करना होगा।
आप भी हाथ बढाइये।
इस नीतत का प्रचार कीतजये।
DRAFT - V1 - 06.17.2014
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  • 1. भारत भाषा नीतत, एक नई सोच संक्रान्त सानु कार्ल क्र्ेमन्स
  • 2. भाग १: अंग्रेज़ी-माध्यम शिक्षा के शिषय में कु छ भ्राशतियााँ आर्थलक और सांस्कृ र्तक तुर्ना
  • 3. भ्राशति– “आधुशिक जगि” अंग्रेज़ी-माध्यम है । सत्य – िास्िि में शिश्व बहुभाष़ीय है । • र्िश्व की ९१.५% जनता अंग्रेज़ी नहीं जानती – िह न उनकी मातृभाषा है और न ही उन्होंने सीखने की आिश्यकता समझी है ।
  • 4. क्या सबसे अम़ीर देिों में अंग्रेज़ी बोल़ी जाि़ी है? • प्रर्तव्यर्ि सकर् घरेर्ु उत्पाद (GDP per capita) के आधार पर, २० सबसे अमीर देशों में र्ोक भाषाओंमें अर्भयार्न्िकी (engineering) और व्यािसार्यक र्शक्षा उपर्ब्ध है । • इन २० देशों में से के िर् ४ देश अंग्रेज़ी-माध्यम हैं । दूसरी ओर... • सबसे ग़रीब २० देशों में से १८ देशों में र्ोक भाषा में उच्च और व्यािसार्यक र्शक्षा नहीं है । • इन २० र्नधलनतम देशों में से ६ ही उच्च र्शक्षा के र्र्ए अंग्रेजी का उपयोग करते है (१२ अन्य, दूसरी र्िदेशी भाषाओं, जैसे स्पेर्नश, पुतलगार्ी का उपयोग करते हैं) जबर्क सबसे अमीर २० देशों में से माि ४ ऐसे हैं।
  • 5. भाषा “आधुशिक” कै से बिि़ी है ? •इसराईर् का यहूदी-माध्यम टेकर्नयोन र्िश्वर्िद्यार्य कर्िन पररर्स्थर्तयों में तकनीकी अर्िष्कारों के क्षेि में प्रथम स्थान पर है। •५० िषल पूिल पुनजीर्ित र्कए जाने से पहर्े, २००० िषोंसे यहूदी भाषा मृतप्राय थी। •संगणक र्िज्ञान (computer science) में टेकर्नयोन र्िश्वर्िद्यार्य दुर्नया भर में १८िें स्थान पर है । दूसरी ओर... •भारत के अंग्रेजी-माध्यम आई.आई.टी. दुर्नया भर के सिलश्रेष्ठ १०० र्िश्वर्िद्यार्यों में भी र्गने नहीं जाते । राजनैतिक इच्छाशक्ति और नीति
  • 6. बहुराष्ट्ऱीय कम्पशियााँ (MNCs) पहले से ह़ी कई भाषाओाँमें कायय सञ्चालि कर रह़ी हैं। •वास्तव में तवश्व बहुभाषी है (नीचे पाइ-चार्ट देखें)। •सारे संगतित उद्योग वतटमान में 'अंतरराष्ट्रीयकरण‘ (internationalization), और वैतश्वक बाज़ार में 'स्थानीयकरण‘ (localization) के तिए अपनी व्यापाररक रणनीतत ढाि रहे हैं । •संगतणकी (computing) पहिे से ही तवतभन्न मानवीय भाषाओंमें सॉफ्र्वेर उत्पादन (software development) और बहुभाषी उपयोगकताट साधन (multilingual user interface) की ओर बढ़ रही है । •भतवष्ट्य बहुभाषीय है। स्रोत: माइक्रोसॉफ्ट कौरपोरेशन
  • 7. क्या व्यापाररक सफलिा और अंग्रेज़ी पर आधाररि है? •एर्शया की १००० शीषल बहुराष्रीय कं पर्नयों में से, ७९२ जापान, कोररया एिं ताइिान से हैं । •इन उद्योगों की आन्तररक कायल-व्यिस्था उनकी अपनी भाषाओंमें होती है । •इन कं पर्नयों के शीषल प्रबंधन अर्धकाररयों ने, प्रायः अपनी ही भाषा में शैक्षर्णक उपार्ध प्राप्त की हैं । उनके अर्धकांश कमलचाररयों ने अर्भयार्न्िकी (engineering) की र्िद्या भी अपनी ही मातृभाषाओं, जैसे जापानी, चीनी और कोररयन, में प्राप्त की है ।
  • 8. दुशिया के कु छ गैर-अंग्रेज़ी माध्यम व्यिसाशयकी (MBA) शिश्वशिद्यालय विद्यालय स्थान श्रेणी भाषा व्सिंगहुआ चीन चीन में #२, एर्शया में #१५ पूणलकार्र्क व्यापार प्रबंधन (चीनी) अंशकार्र्क व्यापार प्रबंधन (चीनी) अन्तररार्ष्रय व्यापार प्रबंधन (अंग्रेजी) िासेदा जापान जापान में #२ , एर्शया में #३३ जापानी तथा अंग्रेजी। यह संस्था सूचना प्रौद्योर्गकी (IT) के उपयोग, और र्िभाषािाद (bilingualism) से जुड़ निीर्नकरणों में सबसे आगे भी है । सोल राष्ट्रीय कोररया कोररया में #१ कोररयाई और थोड़ी अंग्रेजी । दोंग्गुक कोररया बौद्ध र्िश्वर्िद्यार्य कोररयाई। सैमसंग (Samsung) के प्रमुख अर्धकारी ने यहीं से कोररयन-माध्यम प्रणार्ी में र्शक्षा प्राप्त की। कोमास (COMAS) इसराईर् इसराईर् का सबसे बड़ा व्यिसार्यकी र्शक्षाक्रम यहूदी (हहब्रू)
  • 9. भाग २: भारि में एक िए दृशिको की अत्यािश्यकिा व्यिवस्थत बनाम व्यिस्थारवहत भाषा विकास
  • 10. भारि में घटि़ी भाषा प्रि़ी िा – देिज और अंग्रेज़ी, दोिों में •अंग्रेज़ी प्रिीणता की अंतरराष्रीय क्रमसूची (ग़ैर-अंग्रेज़ देश) में भारत हार् ही में १४िें से २१िें स्थान पर र्ुढ़क गया है । •र्िर भी, अंग्रेज़ी-माध्यम पािशार्ाओंके र्र्ए भारत में होड़ बढ़ती जा रही है – ये भी तब जबर्क घर में अंग्रेज़ी नहीं बोर्ी जाती । •अंग्रेज़ी-माध्यम की होड़ में भाषाई रूप से र्िकर्ांग स्नातकों का र्नमालण हो रहा है •न तो िे अपनी मातृ भाषाओंमें, और न ही अंग्रेज़ी में सहज, प्रिाहमय रूप से स्ियं अर्भव्यि कर पाते हैं ।
  • 11. अंग्रेज़ी-माध्यम को सरकाऱी प्राथमिशमकिा •र्ोग अंग्रेज़ी-माध्यम में अध्ययन करने के ‘इच्छुक’ नहीं है, परन्तु करते हैं क्यूंकी – •बड़े पैमाने पर सरकार िारा संचार्र्त उच्चर्शक्षा संस्थान अंग्रेज़ी को प्राथर्मकता देते हैं। •अर्भयार्न्िकी, र्चर्कत्सा और व्यापार प्रबंधन जैसे आर्थलक महत्ि िार्े पाि्यक्रम के िर् अंग्रेज़ी में ही उपर्ब्ध हैं । •अर्धकांश सरकारी िेबस्थर् (websites), उच्चर्शक्षा संस्थानों के िेबस्थर् और संसाधन अंग्रेज़ी में ही उपर्ब्ध हैं । •कु ख्यात ‘मकौर्े की र्शक्षा प्रणार्ी’ (Macaulay minute) की नीर्तयााँ अभी तक चर् रही हैं । •भारत में यह भ्रार्न्त है र्क सारी दुर्नया अंग्रेज़ी से चर्ती है, जबकी यह सच नहीं है।
  • 12. हस्िक्षेप की गंभ़ीर आिश्यकिा – के िल ‘परंपरा’ िहीं, अथमियव्यिस्थमिा भ़ी! • भारतीय समाज में अंग्रेज़ी एक बाधा है - उच्च-र्शक्षा और तकनीकी र्शक्षा के िर् अंग्रेज़ी-माध्यम में उपर्ब्ध है। • इसी कारण भारतीय बड़ी तादाद में िैर्श्वक अथलव्यिस्था (जो की अंग्रेजी आधाररत नहीं है -- जैसा की जापान, कोररया, ताइिान के उदाहरणों से स्पष्ट है) में सर्ममर्र्त नहीं हो पा रहे हैं। • भारतीय भाषाओं का प्रयोग हमारी संस्कृ र्त को पूंजी बनाकर उसकी आन्तररक और र्िदेशीय सौमयशर्ि में िृर्द्ध र्ाएगा। • इससे समाजशास्त्र में अर्धक प्रासंर्गक अध्ययन का जन्म होगा। • यह एक भर्िष्योन्मुखी क़दम है र्जसे भारतीय भाषाओंकी िैज्ञार्नक प्रकृ र्त और संस्कृ त के गुणों का पूरा र्ाभ र्मर्ेगा। • ‘परमपरा का संरक्षण’ - के िर् इसी आधार पर भाषा नीर्त का र्नमालण भर्िष्योन्मुखी नहीं है, इससे भारतीय भाषाओंका अंत हो जाएगा।
  • 13. भाषा का बल - १ •भाषा संस्कृ र्त की िाहक है और उसे प्रचाररत करती है। •र्िश्व की सभी सभ्यताएाँ अपनी भाषाओंपर बर् देती हैं । •चीन र्िदेशी छािों को मन्दाररन भाषा र्सखने के र्र्ए र्िशार् छाििृर्ि कायलक्रम चर्ाता है । •फ़्ांस अर्र्यांस फ़्ांसे के िारा फ्ांर्ससी के प्रचार-प्रसार में र्निेश करता है । •सऊदी अरब अपने प्रभाि से मध्यपूिीय अध्ययन (Middle East Studies) और अरबी भाषा र्शक्षाक्रम में भारी पूंजीर्निेश कर रहा है ।
  • 14. भाषा का बल - २ •अमेररका और इंगर्ैंड अंग्रेज़ीकरण के र्िस्तार में जुट। •अन्तररार्ष्रय पुरस्कारों के िारा र्िदेशों में अंग्रेज़ी सोच िार्े सार्हत्यकारों का प्रभाि बढ़ाना । •अरुन्धर्त राय को बुकर और पंकज र्मश्र को १,५०,००० डॉर्र का येर् पुरस्कार प्रदान र्कय गया । •फ़ोडल संस्था (फ़ोडल िॉन्डेशन) के पैसों से अनुसन्धान र्क भारत में अंग्रेज़ी जानने से आय अर्धक होती है। •र्क्ष्य है भारत और उसके बुर्द्धजीर्ियों को अंग्रेजी सोच और संस्कृ र्त में ही बांधे रखना रखना है । •र्ेर्कन भारत हि योग, आध्यार्त्मक (‘न्यू ऐज’) धाराओंऔर भारतीय र्फ़ल्म उद्योग की र्िश्व र्ोकर्प्रयता का भारत र्ाभ नहीं उिा रहा है ।
  • 15. अंग्रेज़ीिाद भारि की संग क-साक्षरिा में बाधक है •चीन में संगणक का उपयोग चीनी भाषा में र्सखाया जाता है । •भारत में संगणक-साक्षर होने के र्र्ए आपको पहर्े अंग्रेज़ी-साक्षर होना अर्निायल है । •भारत के अंग्रेज़ी मोह ने तकनीकी र्िद्या और साक्षरता को िै र्ाने में अनािश्यक बाधाएं खड़ी कर दी है । चीन भारत साक्षरता 95% 74% अंग्रेज़ी साक्षरता 0.73% 20% (5% प्रिीण) अन्तजालर् (Internet) उपयोगकताल 40% 11%
  • 16. भारि के संस्थमिािों में अंग्रेज़ीिाद •यू.पी.एस.सी. परीक्षा • अंग्रेज़ी भाषा प्रबोधन भाग अर्निायल । • यू.पी.एस.सी. परीक्षा को के िर् अंग्रेज़ी में र्दए जाने का प्रस्ताि २०१३ में सािलजर्नक र्िरोध के बाद र्नरस्त कर र्दया गया। •सशस्त्र सेनाएिं • भाषाई ‘रंगभेद’ - र्नचर्े िगल के सैर्नक भारतीय भाषाएाँ बोर्ते हैं, जबर्क अर्धकारी िगल अंग्रेजी बोर्ते हैं। •न्याय व्यिस्था • उच्च न्यायार्यों में अंग्रेजी चर्ती है, जबर्क र्नचर्े न्यायार्यों में प्राकृ त/देशज भाषाओंमें कायल होता है। • उच्चतम न्यायार्य के िर् अंग्रेजी में कायल करता है, न्याय व्यिस्था देश की संस्कृ र्त से कटी हुई है । •के न्र सरकार की र्िर्धयााँ और नीर्तयााँ अर्धकतर अंग्रेज़ी में र्र्खी जाती हैं ।
  • 17. िियमाि प्र ाल़ी के परर ाम-१ •उच्च अध्ययन के वलए नई भाषा में वशक्षा पर होने िाला व्यय •क्या जापान या चीन में बच्चों को इस का सामना करना पड़ता है ? •भारी पैमाने पर मानि सिंसाधनों का अल्प विकास | •अंग्रेज़ीिाद भारत की संगणक-साक्षरता में बाधा है | •भारत र्नधलन है और जनता का आत्मर्िश्वास क्षीण ।
  • 18. िियमाि प्र ाल़ी के परर ाम-२ •भारत में घटती भाषा प्रिीणता – ना मातृभाषा आती है ना अिंग्रेज़ी •र्िश्व पूछता है – ‘ई ंर्लर्श या र्हंर्लर्श? भारत क्या चुनेगा ?’ •सुव्यिर्स्थत बनाम अव्यिर्स्थत भाषा नीर्त । •भाषा के माध्यम से उपवनिेशिाद/पराधीनता जारी है । •भारत अपनी सािंकृ वतक क्षमता ि बल के प्रचार-प्रसार में असमथथ है। •अंतरालष्रीय आर्थलक एिं सांस्कृ र्तक क्षेि में कु र्ी माि है ।
  • 19. भाग ३: ि़ीशिगि सुझाि प्राकृ त-सिंस्कृ त व्यिस्था की पुनःस्थापना और सिंशोधन
  • 20. िए भाषा ि़ीशि के लक्ष्य - १ •भाषाई भेदभाि को र्मटाकर भारतीय भाषाओं(प्राकृ त) में व्यािसार्यक और व्यापाररक र्शक्षा को उपर्ब्ध कर अथलव्यिस्था को बढ़ािा देना । •प्राकृ त-माध्यम र्िद्यार्यों में अंग्रेज़ी को र्ितीय भाषा के रूप में बढ़ािा देना – और उच्च-र्शक्षा में अंग्रेज़ीिाद को र्मटाना । •सभी प्रशासर्नक सेिाओंऔर न्यायपार्र्का में प्राकृ त-माध्यम अभ्यर्थलयों के र्र्ए सामान अिसर प्रदान करना । •राष्रीय स्तर पर साझे प्रयासों से प्राकृ त भाषाओंको र्िश्व में प्रर्तस्पधालत्मक बनाना ।
  • 21. िए भाषा ि़ीशि के लक्ष्य - २ •राष्रीय स्तर पर संस्कृ त आधाररत तकनीकी शब्दािर्ी के माध्यम से भारतीय प्राकृ तों को पोर्षत करना, और समान सभ्यताओंके साथ ररश्तों को सशि करना, र्जस से पारमपररक ज्ञान का पूरा र्ाभ उिाया जा सके । •संस्कृ त की नींि पर भारतीय भाषाओंके बीच आदान-प्रदान के अनुकू र् माहौर् बनाना ।
  • 22. िए भाषा ि़ीशि के लक्ष्य - ३ •अनेक भारतीय भाषाओंको सीखने में आनेिार्ी बाधाओं(जैसे र्िर्भन्न र्र्र्पयााँ) को हटाना और इस तरह उनके पढ़ने और सीखने िार्ों की संख्या में िृर्द्ध र्ाना, और सभी प्राकृ तों में सह-संचार्न/आपसी तार्मेर् स्थार्पत करना । •सामाजशास्त्र और राजनीर्त शास्त्र के अध्ययन और अनुसंधान की क्षमता प्राकृ त भाषाओंमें उपर्ब्ध करना, र्जससे देश-र्िदेश के बारे में हमारी समझ और बढ़ें – और िो भी हमारे ही दृर्ष्टकोण से, पाश्चात्य र्ििानों की दृर्ष्ट से नहीं ।
  • 23. यूरोप़ीय संघ की भाषा ि़ीशि का उदाहर प्रयोग में लाए - १ •१.२५ अरब बनाम ७५ करोड़ की जनसंख्या के साथ, भारत की जनसंख्या यूरोप से अर्धक है । •भारतीय भाषाएाँ बोर्ने िार्ों की संख्या यूरोपीयों से अर्धक है । •यूरोपीय संघ २४ आर्धकाररक भाषाओंको मान्यता देता है – जन सूचनाएं और न्याय र्िधान सभी भाषाओंमें जारी र्कए जाते हैं ।
  • 24. यूरोप़ीय संघ की भाषा ि़ीशि का उदाहर प्रयोग में लाए - २ •सभी २४ भाषाओंमें यूरोपीय संसद और न्याय व्यिस्था चर्ती है । •आंतररक रूप से यूरोपीय संघ में जमलन, फ़्ांसीसी और अंग्रेज़ी में कायल संचार्न होता है; जन सूचनाएं सभी २४ भाषाओंमें । •हर देश में स्िभाषा में अर्भयार्न्िकी, र्चर्कत्सा, न्याय, व्यापार की र्शक्षा उपर्ब्ध है । अर्धकतर यूरोपीय भाषाएाँ र्ैर्टन शब्दाकोष पर आधाररत (जैसे भारतीय भाषाएं संस्कृ त पर) हैं । तकनीकी शब्दािर्ी र्ैर्टन में ही है।
  • 25. भारि़ीय संघ - १ •संस्कृ त तकनीकी शब्दािर्ी के साथ प्राकृ त भाषाओंमें संपूणल अर्भयार्न्िकी, र्चर्कत्सा, न्याय, व्यिसार्यक र्शक्षा के र्र्ए प्रत्येक राज्य में व्यिस्था । •कें रीय र्िधानों, अर्धर्नयमों को सभी भारतीय भाषाओंमें जारी र्कया जाना चार्हए और इसके र्र्ए संस्कृ त आधाररत शब्दािर्ी का उपयोग होना चार्हए तार्क राष्र भाषा के रूप में संस्कृ त की आगे बढ़े ।
  • 26. भारि़ीय संघ - २ •भाषा अनुिाद सेिाएं सभी न्यायार्यों ि सिोच्च न्यायार्य में उपर्ब्ध होनी चार्हए तार्क िाद-र्ििाद र्कसी भी सरकारी भाषा में र्कया जा सके । •साझी संस्कृ त शब्दािर्ी का उद्देश्य कें र सरकार की भाषा को संस्कृ त की और र्े जाना हो; अंतररम रूप से र्हंदी का उपयोग हो । •एक र्र्र्प और तकनीकी शब्दािर्ी से सभी भारतीय भाषओंमें समन्िय एिं आदान-प्रदान बढेगा
  • 27. हर बच्चे की अपि़ी मािृभाषा प्राकृ त भाषाओिं के वलए एक सिंपूणथ तिंत्र का समथथन
  • 28. संस्कृ ि आधाररि िकि़ीकी िब्दािल़ी-१ •संस्कृ त िैज्ञार्नक भाषा है । नए शब्द उत्पन्न करने के र्र्ए श्रेष्ठ है। तकनीकी र्ैर्टन शब्दों के साथ संस्कृ त का संबंध है । •संस्कृ त भाषाओंके लिए एक भाषा है – बहुभाषी मानिीय सभ्यता को समभार्ने और पोर्षत करने का एक सुरढ़ आधार देती है । •सभी भारतीय भाषाएाँ संस्कृ त शब्दों से भरपूर हैं।
  • 29. संस्कृ ि आधाररि िकि़ीकी िब्दािल़ी-२ •संस्कृ त संगर्णकी र्िज्ञान के अंतगलत, अथलगत संजार् (semantic networks) में अथल को अर्भव्यि की भाषा के रूप में उपयोग हो रही है । •सभी क्षेिीय भाषाओंमें र्िज्ञान और मानर्िकी (humanities) के र्र्ए तकनीकी शब्दािर्ी के मानकीकरण के योलय है । •संस्कृ त और सभी प्राकृ त भाषाएाँ परस्पर एक दूसरे का संिधलन एिं भाषा तंि का र्नमालण करती हैं ।
  • 30. भारि़ीय भाषाओंमें व्यािसाशयक शिक्षा •भारतीय भाषाओिंमें अवभयावन्त्रकी, वचवक्सा, प्रबिंधन •आई.आई.एम., आई.आई.टी., अर्भयार्न्िकी र्िश्वर्िद्यार्यों, र्चर्कत्सा-संबंधी र्िश्वर्िद्यार्यों में । •एक ही पररसर में समानांतर स्थानीय भाषाओंमें र्शक्षा। •सभी परीक्षाओिं– सी.ए.टी, जे.ई.ई., यू.पी.एस.सी., सैन्य सेिाओिं, न्यायालयों - में समान अवधकार । •सिंस्कृ त आधाररत अिंतरराष्ट्रीय तकनीकी शब्दािली । •शब्दािर्ी और अनुिाद संस्थान की स्थापना । •ऐर्तहार्सक रूप से भारतीय संस्कृ र्त आधाररत देशों से संबंध पुनजीर्ित करना। •मर्ेर्शया, थाईर्ैंड, नेपार्, श्रीर्ंका, बंगर्ादेश इत्यार्द से र्ििानों को आमंर्ित करें ।
  • 31. शिक्षा प्र ाल़ी में भाषा – (१) •प्राथवमक स्तर पर विभाषीय नीवत – •स्थानीय प्राकृ त अर्निायल, अंग्रेज़ी या संस्कृ त र्ितीय भाषा । • (देशज) प्राकृ त माध्यम में संगणक साक्षरता । •माध्यवमक स्तर पर वत्रभाषीय प्रिीणता – •एक प्राकृ त में पूरी तरह से कायलकु शर् होना अर्निायल । •मूर्भूत संस्कृ त समभाषण और व्याकरण । •कायालत्मक अंग्रेज़ी – जहााँ सार्हत्य की अपेक्षा समझने, पढ़ने और र्र्खने पर अर्धक ज़ोर हो । •सभी भारतीय भाषाओंकी सामान्य संरचना का ज्ञान, और अन्य भारतीय भाषा सीखने को बढ़ािा देना । •माध्यवमक स्तर पर समाजशास्त्र का अध्ययन - •संस्कृ त शब्दािर्ी के प्रयोग को प्राथर्मकता ।
  • 32. शिक्षा प्र ाल़ी में भाषा – (२) •सभी र्िषयों में उच्च र्शक्षा प्राकृ त में उपर्ब्ध करायी जाए । •सभी र्डप्र्ोमा, स्नातक और स्नातकोिर उपार्ध के र्र्ए एक प्राकृ त में र्िषय-विशेष दक्षता का प्रदशलन करना आिश्यक । •संस्कृ त को तकनीकी, व्यािसार्यक र्शक्षा में िैकर्ल्पक र्िषय बनाए ।
  • 33. शिक्षा प्र ाल़ी में भाषा – (२) •अर्भयार्न्िकी और र्चर्कत्सा में अंग्रेजी / र्ैर्टन तकनीकी शब्दों के उपयोग के साथ संस्कृ त समानाथलक शब्द कोष्ठक में र्र्खे जायें । •मानर्िकी र्िषय जैसे र्िर्ध, समाजशास्त्र, राजनीर्त र्िज्ञान, पिकाररता, इर्तहास, इत्यार्द संबंर्धत सभी र्िषयों के र्र्ए संस्कृ त अर्निायल हो । • मानर्िकी र्िषयों में संस्कृ त / प्राकृ त शब्दािर्ी के उपयोग को प्राथर्मकता । •एकीकृ त प्राकृ त अंग्रेज़ी पाि्यपुस्तकें - अंग्रेज़ी शब्दों के साथ संस्कृ त समानाथलक शब्द कोष्ठक में छापें, और प्राकृ त पुस्तकों में अंग्रेज़ी शब्द कोष्ठक में छापें ।
  • 34. शलशप का एकीकर •र्र्र्पयााँ प्रौद्योर्गकी और राजनैर्तक उपयोग के आधार पर र्िकर्सत हुई हैं । •अर्धकांश भारतीय भाषाएाँ समान अंतर्नलर्हत 'िणल-मार्ा' पर आधाररत हैं । यूरोपीय भाषाओंकी तरह, िे आसानी से एक र्र्र्प में र्र्खी जा सकती हैं । •एक ही र्र्र्प होने से- • दूसरे भारतीय भाषाओंको सीखने में आसानी होगी । • पारस्पररक भाषा समप्रेषण एिं संचार्न को बढ़ािा र्मर्ेगा । • राष्रीय एकता पहर्े से अर्धक सुरढ़ होगी । •समानर्र्र्प के र्र्ए कु छ र्िकल्प – • देिनागरी++ : अथालत् र्िस्ताररत देिनागरी • एक पुरानी, पूिलज भारतीय र्र्र्प जैसे र्क ब्राहमी जो अब चर्न में नहीं है । • नए तकनीकी उपकरणों के अनुकू र् एक नई र्र्र्प का आर्िष्कार ।
  • 35. सरकाऱी प्रकािि और संचार •के न्र सरकार के िेबस्थल, प्रकाशन और सिंचार – •प्राकृ त और संस्कृ त में होना अर्निायल, अंग्रेजी िैकर्ल्पक । •उदाहरणाथल कनाडा के सरकारी िेबस्थर्ों को र्िर्ध के अनुसार फ़्ांसीसी में होना आिश्यक है। •राष्ट्रीय भाषा - एक साझी संस्कृ त तकनीकी शब्दािर्ी ि र्र्र्प से शुरू कर संस्कृ त को अर्खर् भारतीय संपकल -भाषा के रूप में उभारने की और प्रयास हो । •राज्य स्तरीय िेबस्थल, प्रकाशन और सिंचार – •राज्य की ही प्राकृ त भाषा में हो । एकीकृ त-र्र्र्प संस्करण होना आिश्यक । •र्िर्ध और न्याय प्रणार्ी की भाषा - (अस्पष्टता की र्स्थर्त में प्राकृ त ग्रंथों को प्राथर्मकता दी जाएगी) ।
  • 36. व्यिसाशयक क्षेत्र में अिुपालि •उत्पाद के नामपि (product labels) - भारतीय भाषा में अर्निायल । •दिाएाँ, र्िल्में, खाद्य पदाथल । •सेिा क्षेि (बैंक, बीमा, अस्पतार् आर्द) की भाषा - प्राकृ त में प्रस्तुत की जानी चार्हए । •िार्णर्ज्यक अनुबन्ध और हस्ताक्षर की भाषा - प्राकृ त में हो | •कमलचारी संबंध (labour relations) और व्यापार (राज्य के साथ सौदा करने के इच्छुक व्यिसायों को प्राकृ तीकरण कायलक्रमों के र्र्ए आिेदन करना होगा) ।
  • 37. क्षेत्ऱीय बोशलयों का आदर •राज्यों अपने प्रान्त में र्िद्यमान अन्य भाषाओंऔर बोर्र्यों को मान्य करें •कोंकणी, मारिाड़ी, भोजपुरी, अिधी, मागधी इत्यार्द । •राज्य के भाषा पाि्यक्रम में – •प्राथर्मक पािशार्ा तक स्थानीय बोर्ी में संचार की अनुमर्त दें । •छाि को यह अनुभि हो की उनकी अपनी बोर्ी मान्य और र्िद्यार्य में सममार्नत है, और िह देहाती या गिााँर न कहर्ाए । •छािों को स्थानीय बोर्र्यों में गिल का अनुभि हो, और र्कसी भी राज्य या राष्र स्तरीय भाषा के सामने िह देहाती या गिााँर ना समझा जाए ।
  • 38. ‘भारि़ीय अंग्रेज़ी’ को अपिािा •भारतीय भाषाओंका रोमन र्र्प्यांतरण के र्र्य मार्नकीकरण । •र्नरुर्ि-समीक्षक (spell checkers), अन्य उपकरण । •‘भारतीय अंग्रेजी’ नामक एक तन्िांश (software) िगल होना चार्हए । •भारतीय शब्दों के र्ेखन का मार्नकीकरण और भारतीय शब्दािर्ी को शार्मर् र्कया जाए । •भारतीय अंग्रेज़ी में सामार्जक और राजनीर्तक अिधारणाओंके र्र्ए संस्कृ त शब्दों का प्रयोग करें । उदाहरणतः ‘धमल’ और ‘religion’ का अन्तर ।
  • 39. यह सब तकया जा सकता है । क्या यह करिे के शलए हमाऱी राजिैशिक इच्छािशि है? हमें यह साथ तमिकर करना होगा। आप भी हाथ बढाइये। इस नीतत का प्रचार कीतजये। DRAFT - V1 - 06.17.2014