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बूढ़े मााँ बाप की कथा
आज हम कह ाँ आ गए है ? भीड़ में से फिर अक
े ले में आ गये !
म ाँ ब प क मतलब समझने से पहले ही हम मतलबी हो गये !!
भ ई बहन को एसे भुले , जैसे भूल भुललय में खो गये !
पड़ोसी और बचपन क
े दोस्तों को क
ु छ भी नहीीं समझ थ !!
बचपन की परवररश को म ाँ ब प क जजम्म समझ थ !
जव नी को तूमने अपन दूसर जन्म म न ललय थ !!
अपने जीवन स थी को हह सब क
ु छ ज न ललय थ !
अब तुम्ह र सींस र तुम्ह रे बच्चे सब क
ु छ तुम्ह र थ !!
तुम्ह रे जीवन स थी क
े स थ हह तुम्ह र जीवन भी टीक थ !
उससे पहले तो तुम्ह र जीवन टूट ि
ू ट पूर नक
क सम न थ !!
उन सब बुड़े म ाँ ब प क
े ललये औल द लसि
क एक सपन थ !
भ ई बहन सम ज क
े ललये भी सब भूली बबसरी य दें थी !!
कयूाँ की यू ही होन थ और जव नी में खोन थ !
पर समझ लेन बह बीत समय भी अच्छ नहीीं थ !
लसि
क तुम्ह री एक र त क सपन थ !!
कयूाँ की अब वह समय भी दूर नहीीं थ तुमसे !
कयूाँ की अब तुम्हें भी वही सब रस्मों को ननभ न होग !!
जैस बोय थ ! बैस ही क टन होग !
यही सींस र क ननयम है !!
वीरेंद्र श्रीव स्तव उि
क ककक
ू 29/01/2022

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  • 2. कयूाँ की अब तुम्हें भी वही सब रस्मों को ननभ न होग !! जैस बोय थ ! बैस ही क टन होग ! यही सींस र क ननयम है !! वीरेंद्र श्रीव स्तव उि क ककक ू 29/01/2022