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मानव धर्म हि महाधर्म MahaDharma (in Hindi)

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मानव धर्म हि महाधर्म MahaDharma (in Hindi)

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सार कथा:
"आप इंसान हैं यही कारण, कि आपके एक चेतन मन है। फिर भी ये पर्याप्त विकसित नहीं है। आप पर्याप्त रूप से विकसित इंसान होने के लिए, अपने मन को विकसित करने की जरूरत है। यह अपनके मूल धर्म है।"

"आप एक इंसान के रूप में पैदा हुया है; इसलिए, एक पूरी तरह से विकसित इंसान होना अपने जीवन की सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य है। अपने जीवन की उद्देश्य के साथ इस जागतिक प्रणाली को पता करने के लिये, अपने आप को हमेशा जाग्रत-चेतन रखने की कोशिश करें। और अपने आप को पूर्ण विकसित इंसान बनाने के लिए सदा कौशिस जारि रखें।"

"जन्म या इच्छा से एक इंसान के रूप में, आप किसी भी मौजूदा धर्म से संबंधित हो सकता है । एक इंसान होने पर, अपने प्रमुख और मौलिक धर्म है मानव धर्म। सच्चे आत्म-विकास की -इस अभ्यास हि महाधर्म है।"

जिस सिस्टम या पथ को पकड़ कर या धारण करने से एक उसकी/अपनी वास्तविकता में अपने आप को महसूस कर सकते हैं, और पूरी तरह से विकसित इंसान बनने के लिये जीवन के उद्देश्य की दिशा में अग्रसर हो
सकते हैं, एवं एक उत्कृष्ट जीवन प्राप्त करने में सक्षम हो सकते है, वहि महाधर्म है।" -महामानस

सार कथा:
"आप इंसान हैं यही कारण, कि आपके एक चेतन मन है। फिर भी ये पर्याप्त विकसित नहीं है। आप पर्याप्त रूप से विकसित इंसान होने के लिए, अपने मन को विकसित करने की जरूरत है। यह अपनके मूल धर्म है।"

"आप एक इंसान के रूप में पैदा हुया है; इसलिए, एक पूरी तरह से विकसित इंसान होना अपने जीवन की सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य है। अपने जीवन की उद्देश्य के साथ इस जागतिक प्रणाली को पता करने के लिये, अपने आप को हमेशा जाग्रत-चेतन रखने की कोशिश करें। और अपने आप को पूर्ण विकसित इंसान बनाने के लिए सदा कौशिस जारि रखें।"

"जन्म या इच्छा से एक इंसान के रूप में, आप किसी भी मौजूदा धर्म से संबंधित हो सकता है । एक इंसान होने पर, अपने प्रमुख और मौलिक धर्म है मानव धर्म। सच्चे आत्म-विकास की -इस अभ्यास हि महाधर्म है।"

जिस सिस्टम या पथ को पकड़ कर या धारण करने से एक उसकी/अपनी वास्तविकता में अपने आप को महसूस कर सकते हैं, और पूरी तरह से विकसित इंसान बनने के लिये जीवन के उद्देश्य की दिशा में अग्रसर हो
सकते हैं, एवं एक उत्कृष्ट जीवन प्राप्त करने में सक्षम हो सकते है, वहि महाधर्म है।" -महामानस

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मानव धर्म हि महाधर्म MahaDharma (in Hindi)

  1. 1. महाधमम: खुले मन के व्यक्तियों – स्विंत्र-ववचारक के ललये आधुननक युग के उपयोगी धमम ।
  2. 2. युक्ति सम्मि आध्याक्ममकिा के आधार पर आत्म-ववकाश एवं मानव ववकाश आधाररि धमम आधुनिक समय के वैप्लववक आंदोलि– मािव ववकास के ललए
  3. 3. मैं जो भी हूँ, असल में मैं एक मानव हूँ, और मानव ववकास मेरा मल धमम है।
  4. 4. सहह आत्म-ववकास और मानव ववकास के ललए स्विंत्र-ववचारक गण के मौललक धमम। एक चचर वांनिि सुंदर दुननया बनाना –– स्विंत्र-ववचारक के संयुति प्रयास से ही संभव है।
  5. 5. महाधमम (MahaDharma) को दुननया भर में व्यापक स्थावपि करने के ललए प्रयासी स्विंत्र-ववचारकगण स्वागि हैं।
  6. 6. महाधमम (MahaDharm) हमारे मौललक धमम –मानव धमम है! । महाधमम (MahaDharma) को अपनाने के ललए, यह एक के मौजदा धमम का पररत्याग करना आवश्यक नहीं है। अपने जीवन का काफी आनंद अपनाने के ललये महाधमम (MahaDharma) अभ्यास कक क्जये, इससे शरीर और मन की सुदृढ़िा– शांनि के साथ सावमभौलमक ववकास लमलिा है।
  7. 7. चेिना कक कलम और मुति-ववचारक कक कलम ही, इस संकटपणम समय का कारण है। के वल स्विंत्र-ववचारकगण बेहिर दुननया बना सकिे हैं!
  8. 8. स्विंत्र-ववचारक ककसी भी राजनीनिक पाटी के अंधे समथमकों नहीं होिे हैं। वे ककसी भी धमम या धालममक लसदधांि पर अंधा ववश्वास नहीं रखिे है।
  9. 9. अचधक से अचधक स्विंत्र-ववचारक और जागरूक लोग बनाने के ललए हमे ‘महामनन’ (MahaManan) आत्म ववकास लशक्षा प्रणाली की जरूरि है। जोकी महाधमम (MahaDharma) के व्यावहाररक पहल है।
  10. 10. आपका स्वागि है! जो लोग सकिय सदस्य होना चाहिे हैं, और महा-धालममक नेिाओं होने के ललए इच्िा प्रकाश करिे है।
  11. 11. महाधमम अपनाने के ललए और इस धमम का अभ्यास करने के ललए, यह एक के मौजदा धमम का पररत्याग करना अननवायम नहीं है। मौजदा धमम मे रहकर लभ महाधमम अपना सकिे है एवं अभ्यास कर सकिे है।
  12. 12. "हम एक शैक्षक्षक दौरे (educational tour) पर यहां आए हैं। धीरे-धीरे उच्च से उच्च चेिना लाभ करना ही मानव जीवन के ननहहि उददेश्य है। यहां हम धीरे-धीरे ज्ञान अलभग्ञिा से समृदध हो कर क्जिना हह चेिना समृदध हो सके गें, उिना हह हम लाभाक्ववि होगें। आध्याक्त्मक दृक्टटकोण से, जब हम यहाूँ से दर चले जायेगें,उस समय हमारे साथ चेिना को अनिररति और कु ि नहीं जायेगा" -महामानस
  13. 13. मानव धमम हह महाधमम सबसे पहले हम 'महाधमम' तया है कक समझिा होगा। हकीकि में,'महाधमम' ककसी भी धमम के साथ िुलिीय िह ं है। बबश्वास और ईश्वर इसके मुख्य आधार िह ं है। 'महाधमम' ककसी भी धमम के साथ खिलाफ या पक्ष मे िह ं है। 'महाधमम' विममाि धमों से पूर िरह से अलग है।
  14. 14. इसके बारे में कह रह लायक है -- 'िुम एक इंसाि के रूप में पैदा हूया है, इसललए पूर िरह से ववकलसि इंसाि बििा, िूमहारे अपिे जीवि की सबसे महमवपूर्म उद्देश्य है। ये ह है 'महाधमम'।'
  15. 15. सहह आमम-ववकास कायमक्रम('महामिि' 'महाधमम' के व्यावहाररक पहलुओं) के मागम का अिुसरर् कर उचिि मािव-ववकास हमार प्राथलमक धमम है। ये एक िया धमम िह ं है-ये हमारे सिािि धमम हैं। यह लंबे समय िक हमार अज्ञाििा के ललए निपा हुआ था। हम हमारे जीवि का मूल उद्देश्य --पूर िरह से ववकलसि इंसाि बििे का उद्देश्य भूल कर, एक मोहावस्था में रह रहे हैं। जो योग महा भक्ति के साथ ('महा आमम - ववकास-योग' या 'महामिि') अभ्यास करिे से,हम पूर िरह से ववकलसि इंसाि बि सकिे है वह 'महाधमम' है। 'महाधमम' मिुष्य द्वारा बिाई गई और मािव ववकास के ललए बिाया गया है।
  16. 16. आप अपने क्षेत्र में या दुननया भर में इन कायमिमों का आयोजन कर सकिे है। प्रत्येक नेिा को 'महाधमम' -मानव ववकास कायमिम के ललए समवपमि होना चाहहए।
  17. 17. व्यक्ति के ववकास के माध्यम से ही एक देश िथा मानव जानि के ववकास संभव है। उस प्रयोजन के ललए , महाधमम और महामनन कायमिम दुननया भर में शुरू ककया गया है । हम आप अपने सभी की मदद करने के हाथों का ववस्िार और सकिय रूप से शालमल होने के ललए आमंत्रत्रि करिे हैं इसे सफल बनाने के ललए।
  18. 18. महाधमम एक जन चेिना कायमिम -- हमारे जीवन के मल उददेश्य के बारे में जागरूक मनुटय बनाने के ललए। महाधमम ककसी भी ववश्वास पर ननभमर नहीं है। यह कारण - ववज्ञान और आध्याक्त्मक ववज्ञान पर आधाररि है। ये एक आधुननक समय के महान धालममक िांनि है।
  19. 19. अपना बुननयादी चाहि- शरीर और मन की सुदृढ़िा, शांनि और समृदचध प्राप्ि करने के ललए, 'महाधमम' मानव- ववकास का धमम (मानव धमम) की उत्कृ टट प्राकृ निक समारोह के -इस सही िरीके अपनाइये। मैं जो भी हूँ, असल में मैं एक मानव हूँ, और मानव ववकास मेरा मल धमम है।
  20. 20. मानव धमम हह महाधमम
  21. 21. अब इस संकटपणम समय में, के वल सच एवं यक्ति सम्मि - आध्याक्त्मक िांनिकारी आंदोलन हमें बचा सकिा है। एक सच एवं यक्तिसम्मि- आध्याक्त्मक उच्च प्रवाह - ज्वार परदे के पीिे से बढ़ रहा है। बस हम अपने खुद के हहि के ललए िुरंि इसका स्वागि करना है। स्वल्प चेिना - अज्ञानिा और बीमारी सब कटट और समस्याओं का मुख्य कारण होिे हैं। ववज्ञान -टेकनोलक्ज - राजनीनि और व्यापक रूप से प्रचललि धमों इसे हल करने में सक्षम नहीं हैं । यह एकमात्र (सच एवं यक्ति सम्मि आध्याक्त्मक आत्म-ववकास की ववचध के साथ) सच एवं यक्तिसम्मि अध्यात्मवाद से हल ककया जा सकिा है।
  22. 22. एक उत्कृ टट -एक बेहिर दुननया बनाने के ललए, अपने आप को परा -ववकलसि करने के ललए, हमारे जीवन धवय बनाने के ललए, - मनुटय की सच्ची और सावमभौलमक ववकास के ललए हमरा पास एक अत्यावश्यक लशक्षा की अिुलनीय प्रणाली है, -व है महाधमम। ये धमम- आत्म ज्ञान, आत्म-साक्षात्कार के ललए उत्सुक, और - यक्तिसम्मि और सच आध्याक्त्मकिा के प्रेलमयों, स्विंत्र-ववचारक, सच और सावमभौलमक आत्म ववकास के इच्िु क सच्चाई के शौकीन लोगों, जो ववज्ञान और आध्याक्त्मक प्रनि जागरूक व्यक्तियों के ललए है। 'महाधर्' बेहिर जीवन के ललए एक आदशम पथ है।
  23. 23. सार कथा: "आप इंसान हैं यही कारण, कक आपके एक चेिन मन है। कफर भी ये पयामप्ि ववकलसि नहीं है। आप पयामप्ि रूप से ववकलसि इंसान होने के ललए, अपने मन को ववकलसि करने की जरूरि है। यह अपनके मल धमम है।"
  24. 24. "आप एक इंसान के रूप में पैदा हुया है; इसललए, एक परी िरह से ववकलसि इंसान होना अपने जीवन की सबसे महत्वपणम उददेश्य है। अपने जीवन की उददेश्य के साथ इस जागनिक प्रणाली को पिा करने के ललये, अपने आप को हमेशा जाग्रि-चेिन रखने की कोलशश करें। और अपने आप को पणम ववकलसि इंसान बनाने के ललए सदा कौलशस जारर रखें।"
  25. 25. "जवम या इच्िा से एक इंसान के रूप में, आप ककसी भी मौजदा धमम से संबंचधि हो सकिा है । एक इंसान होने पर, अपने प्रमुख और मौललक धमम है मानव धमम। सच्चे आत्म-ववकास की -इस अभ्यास हह महाधमम है।"
  26. 26. क्जस लसस्टम या पथ को पकड़ कर या धारण करने से एक उसकी/अपनी वास्िववकिा में अपने आप को महसस कर सकिे हैं, और परी िरह से ववकलसि इंसान बनने के ललये जीवन के उददेश्य की हदशा में अग्रसर हो सकिे हैं, एवं एक उत्कृ टट जीवन प्राप्ि करने में सक्षम हो सकिे है, वहह महाधमम है।" -महामानस
  27. 27. सारे वववरण के ललए इस वेबसाइट पर जाएूँ www.mahadharma.wix.com/movement www.mahadharma.wix.com/bengali www.mahadharma.wix.com/hindi अवय वेबसाइटों के ललए गगल सचम= MahaDharma, MahaManan, MahaVad

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