सार कथा:
"आप इंसान हैं यही कारण, कि आपके एक चेतन मन है। फिर भी ये पर्याप्त विकसित नहीं है। आप पर्याप्त रूप से विकसित इंसान होने के लिए, अपने मन को विकसित करने की जरूरत है। यह अपनके मूल धर्म है।"
"आप एक इंसान के रूप में पैदा हुया है; इसलिए, एक पूरी तरह से विकसित इंसान होना अपने जीवन की सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य है। अपने जीवन की उद्देश्य के साथ इस जागतिक प्रणाली को पता करने के लिये, अपने आप को हमेशा जाग्रत-चेतन रखने की कोशिश करें। और अपने आप को पूर्ण विकसित इंसान बनाने के लिए सदा कौशिस जारि रखें।"
"जन्म या इच्छा से एक इंसान के रूप में, आप किसी भी मौजूदा धर्म से संबंधित हो सकता है । एक इंसान होने पर, अपने प्रमुख और मौलिक धर्म है मानव धर्म। सच्चे आत्म-विकास की -इस अभ्यास हि महाधर्म है।"
जिस सिस्टम या पथ को पकड़ कर या धारण करने से एक उसकी/अपनी वास्तविकता में अपने आप को महसूस कर सकते हैं, और पूरी तरह से विकसित इंसान बनने के लिये जीवन के उद्देश्य की दिशा में अग्रसर हो
सकते हैं, एवं एक उत्कृष्ट जीवन प्राप्त करने में सक्षम हो सकते है, वहि महाधर्म है।" -महामानस