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1. कम्पयटर से पररचय
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कम्पयटर से पररचय
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सम्पर्ण विश्ि मे शायद ही कोई इंसान बचा होगा जो इस शब्द से अभी तक अनजान होगा.
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कम््यटर एक इलैक्ट्रोननक डििाइस है । जो इनपट क माध्यम से आंकिो को ग्रहर् करता है उन्हे प्रोसेस करता है एिं
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सचनाओ को ननर्ाणररत स्थान पर स्टोर करता है ! कम्पयटर एक क्रमादे श्य मशीन है । कम्पयटर की ननम्नललखित
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विशेषताएँ है ।
1)कम्पयटर विलशष्ठ ननदे शो को सपररभावषत ढं ग से प्रनतिाधर्त करता है ।
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2)यह पहले संधचत ननदे शो को क्रक्रयान्न्ित करता है ।
ितणमान क कम्पयटर इलेक्ट्राननक और डिन्जटल है । इनमे मख्य रूप से तार रांन्जस्टर एिं सक्रकट का उपयोग क्रकया
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जाता है । न्जसे हािणिेयर कहा जाता है । ननदे श एिं िेटा को साफ्टिेयर कहा जाता है । कम््यटर अपने काम-काज,
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प्रयोजन या उद्दे श्य तथा रूप-आकार क आर्ार पर विलभन्न प्रकार क होते हैं। िस्ततः इनका सीर्े-सीर्े अथाणत
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प्रत्यक्षतः (Direct) िगीकरर् करना कठठन है , इसललए इन्हें हम ननम्नललखित तीन आर्ारों पर िगीकृत करते हैं :
1. अनप्रयोग (Application )
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2. उद्दे श्य (Purpose )
3. आकार (Size)
1. अनप्रयोग क आर्ार पर कम््यटरों क प्रकार
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.यद्यवप कम््यटर क अनेक अनप्रयोग हैं न्जनमे से तीन अनप्रयोगों क आर्ार पर कम््यटरों क तीन प्रकार होते हैं :
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(a) एनालॉग कम््यटर
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(b ) डिन्जटल कम््यटर
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(c) हाईब्रिि कम््यटर
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2. उद्दे श्य क आर्ार पर कम््यटरों क प्रकार
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कम््यटर को दो उद्दे श्यों क ललए हम स्थावपत कर सकते हैं- सामान्य और विलशष्ट , इस प्रकार कम््यटर उद्दे श्य क
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आर्ार पर ननम्न दो प्रकार क होते हैं :
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(a ) सामान्य-उद्दे शीय कम््यटर
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(b ) विलशष्ट -उद्दे शीय कम््यटर
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3. आकार क आर्ार पर कम््यटरों क प्रकार
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आकार क आर्ार पर हम कम््यटरों को ननम्न श्रेखर्याँ प्रदान कर सकते हैं –
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1. माइक्रो कम््यटर
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2. िकस्टे शन
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3. लमनी कम््यटर
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4. मेनफ्रम कम््यटर
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5. सपर कम््यटर
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3. पससनल कम््यटर
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पसणनल कम््यटर
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पसणनल कम््यटर माइक्रो कम््यटर समानाथणक से जाने िाले िैसे कम््यटर प्रर्ाली है जो विशेष रूप से व्यन्क्ट्तगत
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अथिा छोटे समह क द्िारा प्रयोग मे लाए जाते हैं। इन कम््यटरों को बनाने में माइक्रोप्रोसेसर मख्य रूप से सहायक
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होते है । पसणनल कम््यटर ननमाणर् विशेष क्षेत्र तथा कायण को ध्यान में रिकर क्रकया जाता है । उदाहरर्ाथण- घरे लू
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कम््यटर तथा कायाणलय में प्रयोगक्रकये जाने िाले कम््यटर। बजारमें, छोटे स्तर की कम्पननयों अपने कायाणलयों क
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कायण क ललए पसणनल कम््यटर को प्राथलमकता दे ते हैं।
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पसणनल कम््यटर क मख्य कायो में क्रीडा-िेलना, इन्टरनेट का प्रयोग , शब्द-प्रक्रक्रया इत्याठद शालमल हैं। पसणनल
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कम््यटर क कछ व्यिसानयक कायण ननम्नललखित हैंे ु
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1. कम््यटर सहायक रूपरे िा तथा ननमाणर्
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2. इन्िेन्री तथा प्रोिक्ट्शन कन्रोल
3. स्प्रेिशीट कायण
4. अकाउन्न्टं ग
5. सॉफ्टिेयर ननमाणर्
6. िेबसाइट डिजाइननंग तथा ननमाणर्
7. सांन्ख्यकी गर्ना

पसणनल कम््यटर का मख्य भाग
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माइक्रोप्रोसेसर िह चीप होती जीस पर करोल यननट और ए. एल. य. एक पररपथ होता है । माइक्रोप्रोसेसर धचप तथा
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अन्य डििाइस एक इकाई में लगे रहते है , न्जसे लसस्टम यननट कहते है । पी,सी. में एक लसस्टम यननट, एक मननटर
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या स्क्रीन एक की बोिण एक माउस और अन्य आिश्यक डििाइसेज, जैसे वप्रंटर, मॉिेम, स्पीकर, स्कनर, ्लॉटर ,
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ग्राक्रिक टे बलेट , लाइच पेन आठद होते हैं।

पसणनल कम््यटर का मल लसद्र्ान्त
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पी.सी एक प्रर्ाली है न्जसमें िाटा और ननदे शों को इनपट डििाइस क माध्यम से स्िीकार क्रकया जाता है । इस इनपट
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क्रकये गये िाटा ि ननदे शों को आगे लसस्टम यननट में पहुँचाया जाता है , जहाँ ननदे शों क अनसार सी. पी. य. िाटा पर
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क्रक्रया या प्रोसेलसंग का कायण करता है और पररचय को आउटपट यननट मॉनीटर या स्क्रीन पर भेज दे ता है । यह प्रा्त
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पररर्ाम आउटपट कहलाता है । पी. सी में इनपट यननट में प्रायः की-बोिण और माउस काम आते है जबक्रक आउटपट
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यननट क रूप में मॉननटर और वप्रटर काम आते हैं।
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कम््यटर यथाथण मे एक आश्चयणजनक मशीन है । कम््यटर को विलभन्न पीढी मे िगीकृत क्रकया गया है । समय
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अिधर् क अनसार कम््यटर का िगीकरर् नीचे ठदया गया है ।
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प्रथम पीढी क कम््यटर ( 1945 से 1956)
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द्वितीय पीढी क कम््यटर (1956 से 1963)
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ततीय पीढी क कम््यटर (1964 से 1971)
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चतथण पीढी क कम््यटर(1971 से ितणमान)
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पंचम पीढी क कम््यटर (ितणमान से ितणमान क उपरांत)
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प्रथम पीढी क कम््यटर ( 1945 से 1956)
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सन ् 1946 मे पेननसलिेननया विश्िविर्ालय क दो ईंन्जननयर न्जनका नाम प्रोिसर इक्रटण और जॉन था। उन्होने प्रथम
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डिन्जटल कम््यटर का ननमाणर् क्रकया। न्जसमे उन्होने िैक्ट्यम ट्यब का उपयोग क्रकया था। उन्होने अपने नए िोज
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का नाम इननक(ENIAC) रिा था। इस कम््यटर मे लगभग 18,000 िैक्ट्यम ट्यब , 70,000 रन्जस्टर और लगभग
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पांच लमललयन जोड थे । यह कम््यटर एक बहुत भारी मशीन क समान था । न्जसे चलाने क ललए लगभग 160 क्रकलो
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िाट विद्यत उजाण की आिशयकता होती थी।
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द्वितीय पीढी क कम््यटर ( 1956 से 1963 )
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सन ् 1948 मे रांन्जस्टर की िोज ने कम््यटर क विकास मे महत्िपर्ण भलमका अदा की । अब िैक्ट्यम ट्यब का स्थान
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रांन्जस्टर ने ले ललया न्जसका उपयोग रे डियो ,टे ललविजन , कम््यटर आठद बनाने मे क्रकया जाने लगा । न्जसका
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पररर्ाम यह हुआ क्रक मशीनो का आकार छोटा हो गया । कम््यटर क ननमाणर् मे रांन्जस्टर क उपयोग से कम््यटर
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अधर्क उजाण दक्ष ,तीव्र एिं अधर्क विश्िसननय हो गया । इस पीढी क कम््यटर महं गे थे । द्वितीय पीढी क कम््यटर
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मे मशीन लेंग्िेज़ को एसेम्बली लेंग्िेज़ क द्िारा प्रनतस्थावपत कर ठदया गया । एसेम्बली लेंग्िेज़ मे कठठन बायनरी
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कोि की जगह संक्षक्ष्त प्रोग्रालमंग कोि ललिे जाते थे ।
तनतय पीढी क कम््यटर (1964 से 1975)
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यद्यवप िैक्ट्यम ट्यब का स्थान रांन्जस्टर ने ले ललया था परं तु इसक उपयोग से बहुत अधर्क मात्रा मे ऊजाण उत्पन्न
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होती थी जो क्रक कम््यटर क आंतररक अंगो क ललए हाननकारक थी । सन ् 1958 मे जैक क्रकलबे ने IC(integrated
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cercuit ) का ननमाणर् क्रकया । न्जससे क्रक िैज्ञाननको ने कम््यटर क अधर्क से अधर्क घटको को एक एकल धचप पर
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समाठहत क्रकया गया , न्जसे सेमीकिकटर कहा गया, पर समाठहत कर ठदया । न्जसका पररर्म यह हुआ क्रक कम््यटर
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अधर्क तेज एिं छोटा हो गया ।
चतथण पीढी क कम््यटर
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सन ् 1971 मे बहुत अधर्क मात्रा मे सक्रकट को एक एकल धचप पर समाठहत क्रकया गया । LSI (large scale integrated
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circuit ) VLSI(very large scale integratd circuit ) ULSI(ultra large scale integrated circuit ) मे बहुत अधर्क
मात्रा मे सक्रकट को एक एकल धचप पर समाठहत क्रकया गया । सन ् 1975 मे प्रथम माइक्रो कम््यटर Altair 8000
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प्रस्तत क्रकया गया ।
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सन ् 1981 मे IBM ने पसणनल कम््यटर प्रस्तत क्रकया न्जसका उपयोग घर, कायाणलय एिं विघालय मे होता है । चतथण
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पीढी क कम््यटर मे लेपटॉप का ननमाणर् क्रकया गया । जो क्रक आकार मे ब्रििकस क समान था । plamtop का
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ननमाणर् क्रकया गया न्जसे जेब मे रिा जा सकता था
पंचम पीढी क कम््यटर (ितणमान से ितणमान क बाद)
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पंचम पीढी क कम््यटर को पररभावषत करना कछ कठठन होगा । इस पीढी क कम््यटर लेिक सी क्ट्लाक क द्िारा
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ललिे उपन्यास अ स्पेस ओडिसी मे िखर्णत HAL 9000 क समान ही है । ये ररयल लाइि कम््यटर होंगे न्जसमे
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आठटण क्रिशल इंटेललजेंस होगा । आर्ुननक टे क्ट्नॉलाजी एिं विज्ञान का उपयोग करक इसका ननमाणर् क्रकया जाएगा
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न्जसमे एक एकल सी. पी. यू . की जगह समानान्तर प्रोसेलसंग होगी । तथा इसमे सेमीकिकटर टे क्ट्नॉलाजी का
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उपयोग क्रकया जाएगा न्जसमे ब्रबना क्रकसी प्रनतरोर् क विद्यत का बहाि होगा न्जससे सचना क बहाि की गनत बढे गी
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5. कम््यटर अपना काम कसे करता है ?
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Jan 26, 2011
कम््यटर अपना काम कसे करता है ?
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1.इनपट क सार्न जैसे की-बोिण, माउस, स्कनर आठद क द्िारा हम अपने ननदे श,प्रोग्राम तथा इनपट
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िाटा प्रोसेसर को भेजते हैं ।
2.प्रोसेसर हमारे ननदे श तथा प्रोग्राम का पालन करक कायण सम्पन्न करता है ।
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3.भविष्य क प्रयोग क ललए सचनाओं को संग्रह क माध्यमों जैसे हािण डिस्क, फ्लापी डिस्क आठद पर
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एकत्र क्रकया जा सकता है ।
4.प्रोग्राम का पालन हो जाने पर आउटपट को स्क्रीन, वप्रंटर आठद सार्नों पर भेज ठदया जाता है ।
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सेन्रल प्रोसेलसंग यननट – सेन्रल प्रोसेलसंग यननट को ठहन्दी में कन्रीय विश्लेषक इकाई भी कहा जाता है
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। इसक नाम से ही स्पष्ट है , यह कम््यटर का िह भाग है , जहां पर कम््यटर प्रा्त सचनाओं का
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विश्लेषर् करता है । सेन्रल प्रोसेलसंग यननट (सी.पी.य.) को पनः तीन भागों में बांटा जा सकता है
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1. कन्रोल यननट
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2. ए.एल.य.
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3. स्मनत
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कन्रोल यननट
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कन्रोल यननट का कायण कम््यटर की इनपट एिं आउटपट यन्क्ट्तयों को ननयन्त्रर् में रिना है । कन्रोल
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यननट क मख्य कायण है –
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1. सिणप्रथम इनपट यन्क्ट्तयों की सहायता से सचना/िेटा को कन्रोलर तक लाना ।
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2. कन्रोलर द्िारा सचना/िेटा को स्मनत में उधचत स्थान प्रदान करना ।
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3. स्मनत से सचना/िेटा को पनः कन्रोलर में लाना एिं इन्हें ए.एल.य. में भेजना ।
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4. ए.एल.य.से प्रा्त पररर्ामों को आउटपट यन्क्ट्तयों पर भेजना एिं स्मनत में उधचत स्थान प्रदान करना
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ए.एल.य.
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कम््यटर की िह इकाई जहां सभी प्रकार की गर्नाएं की जा सकती है , अथणमठटक एण्ि लॉन्जकल यननट
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कहलाती है ।

स्मनत
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क्रकसी भी ननदे श, सचना अथिा पररर्ाम को संधचत करक रिना ही स्मनत कहलाता है । कम््यटर क
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सी.पी.य. में होने िाली समस्त क्रक्रयायें सिणप्रथम स्मनत में जाती है । तकनीकी रूप में मेमोरी कम््यटर
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का कायणकारी संग्रह है । मेमोरी कम््यटर का अत्यधर्क महत्िपर्ण भाग है जहां िाटा, सचना और प्रोग्राम
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प्रक्रक्रया क दौरान न्स्थत रहते हैं और आिश्यकता पडने पर तत्काल उपलब्र् होते हैं ।
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इनपट यन्क्ट्त
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आमतौर पर की-बोिण एिं माउस है । इनपट यन्क्ट्त एक नली क समान है न्जसक द्िारा आँकिे एिं
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ननदे श कम््यटर में प्रिेश करते है ।
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आउटपट यन्क्ट्त
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मख्य रूप से स्क्रीन एिं वप्रंटर इसका उदाहरर् है । इसक अलािा िे सभी यन्क्ट्त जो आपको बताए की
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कम््यटर ने क्ट्या संपाठदत क्रकया है आउटपट यन्क्ट्त कहलाती है ।
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संधचत यन्क्ट्त
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यह कम््यटर मे स्थायी तौर पर बहुत अधर्क मात्रा मे आंकिो को संधचत करने की अनमती प्रदान करता
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है । उदाहरर् डिस्क ड्राइि, टे प ड्राइि ।

6. कम््यटर की विशेषताएँ
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Jan 26, 2011
कम््यटर की विशेषताएँ
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प्रत्येक कम््यटर की कछ सामान्य विशेषताएँ होती है । कम््यटर किल जोि करने िाली मशीन नही है यह कई
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जठटल कायण करने मे सक्षम है ।कम््यटर की ननम्न ननशेषताएँ है ।
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ििण-लेन्थ
डिन्जटल कम््यटर किल बायनरी डिन्जट पर चलता है । यह किल 0 एिं 1 की भाषा समझता है । आठ ब्रबट क समह
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को बाइट कहा जाता है । ब्रबट की संख्या न्जन्हे कम््यटर एक समय मे क्रक्रयान्न्ित करता है ििण लेंन्थ कहा जाता है ।
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सामान्यतया उपयोग मे आने िाले ििण लेन्थ 8,16,32,64 आठद है । ििण लेन्थ क द्िारा कम््यटर की शन्क्ट्त मापी
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जाती है ।
तीव्रता
कम््यटर बहुत तेज गनत से गर्नाएँ करता है माइक्रो कम््यटर लमललयन गर्ना प्रनत सेकि क्रक्रयांवित करता है ।
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संधचत यन्क्ट्त
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कम््यटर की अपनी मख्य तथा सहायक मेमोरी होती है । जो क्रक कम््यटर को आंकिो को संधचत करने मे सहायता
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करती है । कम््यटर क द्िारा सचनाओ को कछ ही सेकि मे प्रा्त क्रकया जा सकता है । इस प्रकार आकिो को संधचत
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करना एिं ब्रबना क्रकसी त्रठट क सचनाओ को प्रदान करना कम््यटर की महत्िपर्ण विशेषता है
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शद्र्ता
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कम््यटर बहुत ही शद्र् मशीन है । यह जठटल से जठटल गर्नाएँ ब्रबना क्रकसी त्रठट क करता है ।
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िैविघ्यपर्ण
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कम््यटर एक िैविघ्यपर्ण मशीन है यह सामान्य गर्नाओ से लेकर जठटल से जठटल गर्नाएँ करने मे सक्षम है ।
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लमसाइल एिं उपग्रहो का संचालन इन्ही क द्िारा क्रकया जाता है । दसरे शब्दो मे हम कह सकते है क्रक कम््यटर
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लगभग सभी कायो को कर सकता है एक कम््यटर दसरे कम््यटर से सचना का आदान प्रदान कर सकता है ।
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कम््यटर की आपस मे िाताणलाप करने की क्षमता ने आज ईंटरनेट को जन्म ठदया है ।जो क्रक विश्ि का सबसे बिा
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नेटिक है ।
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स्िचलन
कम््यटर एक समय मे एक से अधर्क कायण करने मे सक्षम है ।
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पररश्रमशीलता
पररश्रमशीलता का अथण है क्रक ब्रबना क्रकसी रूकािट क कायण करना । मानि जीिन थकान ,कमजोरी,सकन्रर् का
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आभाि आठद से वपडित रङता है ।मनष्य मे भािनाए ङोती है िे कभी िुश कभी दिी होते है । इसललए िे एक जैसा
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काम नही कर पाते है । परं तु कम््यटर क साथ ऐसा नही है िह हर कायण हर बार बहुत ही शद्र्ता एिं यथाथणता से
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करता है .

7. कम््यटर की मल इकाईयॉ ं
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Jan 26, 2011
मल इकाईयॉ ं
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क्यटर की मल इकाइयों का मतलब क्यटर की उन बातों से है न्जनसे क्यटर की गर्नाओं का काम प्रारं भ होता है .
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ब्रबट
ब्रबट अथाणत Binary digT, कम््यटर की स्मनत की सबसे छोटी इकाई है । यह स्मनत में एक बायनरी अंक 0 अथिा 1
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को संधचत क्रकया जाना प्रदलशणत करता है । यह बाइनरी डिन्जट का छोटा रूप है . यहाँ एक सिाल उठता हैं की ब्रबट ०
और १ ही क्ट्यू होता है ३-४ क्ट्यू नहीं ? तो इसका जिाब दो तरह से आता हैं,

- चकी गखर्तीय गर्ना क ललये विज्ञाननयों को ऐसा अंक चाहीये था जो क्रकसी भी तरह क गर्ना को आगे बढाने या
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घटाने पर गखर्तीय उतर पर असर न िाले तो किल ० एक मात्र एसी संख्या हैं न्जसे क्रकसी भी अंक क साथ जोडने या
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घटाने पर कोई िक नहीं पडता और १ एक मात्र ऐसी संख्या हैं न्जसे क्रकसी अंक क साथ गर्ा या भाग दे ने पर कोई
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िक नहीं पडता.
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-दसरी तरि इलेक्ट्रॉननकस में हम जानते हैं की ० और १ क्रमशः ऑन और ऑि को ठदिलाता हैं. क्यटर भी
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इलेक्ट्रॉनन लसग्नल को ही पहचानता हैं इस कारर् ० और १ का उपयोग क्रकया जाता हैं.

बाइट
यह कम््यटर की स्मनत (memory) की मानक इकाई है । कम््यटर की स्मनत में की-बोिण से दबाया गया प्रत्येक
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अक्षर, अंक अथिा विशेष धचह्न ASCII Code में संधचत होते हैं । प्रत्येक ASCII Code 8 byte का होता है । इस प्रकार
क्रकसी भी अक्षर को स्मनत में संधचत करने क ललए 8 ब्रबट लमलकर 1 बाइट बनती है ।
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करे क्ट्टर
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संख्यांको क अलािा िह संकत है जो भाषा और अथण बताने क काम आते है । उदाहरर् क ललए हम दे िे
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abcdefghijklmnopqrstuvwxyzABCDEFGHIJKLMNOPQRSTUVWXYZ012345
6789!@#$%^&*()_–=+|`,./;‘[]{}:”<>?
कम््यटर लसस्टम सामान्यतः करे क्ट्टर को संधचत करने क ललए ASCII कोि का उपयोग करते हैं । प्रत्येक करे क्ट्टर 8
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ब्रबटस का उपयोग करक संधचत होता है ।
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8. आस्की (ASCII) कोि क्ट्या होता है
Jan 27, 2011
American Standard Code For Information Interchange

आज हम क्यटर पर आसनी जो कछ भी ललिते हैं िो आस्की में ही ललिा होता है . प्रत्येक क्यटर प्रयोगकताण अंकों,
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अक्षरों तथा संकतों क ललए बाइनरी लसस्टम पर आर्ाररत कोि का ननमाणर् करक क्यटर को पररचाललत कर सकता
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है ! लेक्रकन उसक कोि किल उसी क द्िारा प्रोग्रामों और आदे शों क ललए लागू होंगे! इससे क्यटर क प्रयोगकताण
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परस्पर सचनाओं का आदान प्रदान तब तक नहीं कर सकते जब तक क्रक िे एक -दसरे द्िारा इस्तेमाल क्रकये हुए कोि
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संकतों से पररधचत न हों! सचनाओं क आदान प्रदान की सविर्ा क ललए अमेररका मे एक मानक कोि तैयार क्रकया
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गया है न्जसे अब पर विश्ि मे मान्यता प्रा्त है ! इसे आस्की (ASCII) क नाम से जाना जाता है ! इसमे प्रत्येक अंक,
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अक्षरों िा संकत को 8 बीटो से दशाणया गया है ! इन 8स्थानों पर किल 0 और 1 की संख्या ही ललिी गयी है !
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10. विलभन्न अंक प्रर्ाली
Jan 27, 2011
विलभन्न अंक प्रर्ाली
द्वि-अंकीय प्रर्ाली
यह क्यटर की सबसे महत्िपर्ण प्रर्ाली हैं न्जसक द्िारा ही हम क्यटर से बात करते है . इस प्रर्ाली क अन्तगणत
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आंकडों को मख्य रूप से किल दो अंकों क संयोजन द्िारा दशाणया जाता है । ये दो अंक उपरोक्ट्त ‘0’ तथा ‘1’ होते हैं
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परन्तु इस प्रर्ाली को द्वि-अंकीय या द्वि-आर्ारी पद्र्नत का नाम इसललये ठदया गया है क्ट्योंक्रक इसमें विलभन्न
आंकडों क कट संकत उस दी गई संख्या को दो से लगातार
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े
विभाजन क पश्चात प्रा्त पररर्ामों एिं शेषिल क आर्ार पर क्रकया जाता है एिं इस कट संकत से पनः दशमलि
े
े
े
ु
ू
अंक प्रा्त करने पर इस कट संकत क अंकों को उसक स्थानीय मल्य क बराबर 2 की घात ननकालकर गर्ा करते हैं
े
े
े
े
ू
ु
ू
एिं इनका योग िल ननकाल कर ज्ञात क्रकया जाता है । इस प्रर्ाली में बने हुए एक शब्द में प्रत्येक अक्षर को एक ब्रबट
कहा जाता है ।

011001 यह एक 6 ब्रबट की संख्या है ।
11010010 यह एक 8 ब्रबट की संख्या है ।

ऑक्ट्टल (8 क आर्ार िाली) प्रर्ाली
े
इस प्रर्ाली में उपयोग क्रकये जाने िाले विलभन्न अंकों का आर्ार 8 होता है इन्ही कारर्ों से इस प्रर्ाली को ओक्ट्टल
प्रर्ाली क नाम से जाना जाता है । दसरे शब्दों में इस प्रर्ाली में किल 8 धचन्ह या अंक ही उपयोग क्रकये जाते हैं –
े
े
ू
0,1,2,3,4,5,6,7 (इसमें दशमलि प्रर्ाली की भांनत 8 एिं 9 क अंकों का प्रयोग नहीं क्रकया जाता) यहाँ सबसे बडा अंक
े
7 होता है (जो क्रक आर्ार से एक कम है ) एिं एक ऑक्ट्टल संख्या में प्रत्येक न्स्थनत 8 क आर्ार पर एक घात को
े
प्रदलशणत करती हैं । यह घात ऑक्ट्टल संख्या की न्स्थनत क अनसार होती है । चँ ूक्रक इस प्रर्ाली में कल “0” से लेकर
े
ु
ु
“7” तक की संख्याओं को अथाणत 8 अंकों को प्रदलशणत करना होता है ।कम््यटर को प्रवषत करते समय इस ऑक्ट्टल
ू
प्रर्ाली क शब्दों को बाइनरी समतल्य कट संकतों में पररिनतणत कर ललया जाता है । न्जससे क्रक कम््यटर को
े
े
ु
ू
ू
संगर्ना हे तु द्वि-अंकीय आंकडे लमलते हैं एिं समंक ननरूपर् इस ऑक्ट्टल प्रर्ाली में क्रकया जाता है न्जससे क्रक
समंक ननरुपर् क्रक्रया सरल एिं छोटी हो जाती है ।

है क्ट्सा (16 क आर्ार िाली) दशमलि प्रर्ाली
े
चुकी सामान्य धगनती ० से ९ तक की ही होती है इस कारन उससे ऊपर की गर्ना क ललए है क्ट्सा दशमलि प्रर्ाली का
े
उपयोग क्रकया जाता है . है क्ट्सा दशमलि प्रर्ाली 16 क आर्ार िाली प्रर्ाली होती है . 16 आर्ार हमें यह बताता है क्रक
े
इस प्रर्ाली क अन्तगणत हम 16 विलभन्न अंक या अक्षर इस प्रर्ाली क अंतगणत उपयोग कर सकते हैं । इन 16 अक्षरों
े
े
में 10 अक्षर तो दशमलि प्रर्ाली क अंक 0,1,2,3,4,5,6,7,8,9 होते हैं एिं शेष 6 अंक A,B,C,D,E,F क द्िारा दशाणये
े
े
जाते हैं । जो क्रक दशमलि मल्यों 10,11,12,13,14,15 को प्रदलशणत करते हैं । चँ ूक्रक है क्ट्सा दशमलि प्रर्ाली क अंतगणत
े
ू
कल 16 अंक प्रदलशणत करने होते हैं, इस प्रर्ाली क विलभन्न अक्षरों को द्वि-अंकीय प्रर्ाली क समतल्य बनाने हे तु
े
े
ु
ु
कल 4 ब्रबटों का प्रयोग क्रकया जाता है ।
ु

11. मैमोरी युक्तियॉ (Memory Device)
Jan 28, 2011

मैमोरी युक्तियॉ
प्राथक्तमक सग्रहण
ं
यह वह यक्तु िय ाँ होती हैं क्तिसमें डेट व प्रोग्र म्स तत्क ल प्र प्त एवं संग्रह क्तकए ि ते हैं ।
1.रीड-राइट मेमोरी,रैम(RAM)
Random access memory – कंप्यटर की यह सबसे महवपर्ण मेमोरी होती है. इस मेमोरी में प्रयोगकत ण अपने प्रोग्र म को कुछ देर के क्तलए
ू
ू
स्टोर कर सकते हैं । स ध रर् भ ष में इस मेमोरी को RAM कहते हैं । यही कम्प्यटर की बेक्तसक मेमोरी भी कहल ती है । यह क्तनम्नक्तलक्तित दो प्रक र
ू

की होती है –
ड यनेक्तमक रै म (DRAM)
ड यनेक्तमक क अर्ण है गक्ततशील । इस RAM पर यक्तद 10 आंकडे संक्तित कर क्तदए ि एं और क्तिर उनमें से बीि के दो आंकडे क्तमट क्तदए ि एं, तो
उसके ब द व ले बिे सभी आंकडे बीि के ररि स्र् न में स्वतः िले ि ते हैं और बीि के ररि स्र् न क उपयोग हो ि त है ।
स्टैक्तटक रै म (SRAM)
स्टैक्तटक रै म में संक्तित क्तकए गए आंकडे क्तस्र्त रहते हैं । इस RAM में बीि के दो आंकडे क्तमट क्तदए ि एं तो इस ि ली स्र् न पर आगे व ले
आंकडे क्तिसक कर नहीं आएंगे । िलस्वरूप यह स्र् न तब तक प्रयोग नहीं क्तकय ि सकत िब तक क्तक परी मेमोरी को “व श” करके नए क्तसरे
ू
से क म शरू न क्तकय ि ए ।
ु
2.रीड ओनली मेमोरी (Read Only Memory)
आधक्तु नक कंप्यटर की महत्वपर्ण मेमोरी ROM उसे कहते हैं, क्तिसमें क्तलिे हुए प्रोग्र म के आउटपट को के वल पढ ि सकत है, परन्तु उसमें अपन
ू
ू
ु
प्रोग्र म संक्तित नहीं क्तकय ि सकत । बेक्तसक इनपट आउटपट क्तसस्टम ( BIOS) न म क एक प्रोग्र म ROM क उद हरर् है, िो कम्प्यटर के ऑन
ु
ु
ू
होने पर उसकी सभी इनपट आउटपट यक्तु ियों की ि ंि करने एवं क्तनयंक्तित करने क क म करत है ।
ु
ु

प्रोग्र मेक्तबल रॉम (PROM)
इस स्मृक्तत में क्तकसी प्रोग्र म को के वल एक ब र संक्तित क्तकय ि सकत है, परंतु न तो उसे
क्तमट य ि सकत है और न ही उसे संशोक्तधत क्तकय ि सकत है ।

इरे िेक्तबल प्रॉम (EPROM)
इस I.C. में संक्तित क्तकय गय प्रोग्र म पर बैंगनी क्तकरर्ों के म ध्यम से क्तमट य ही ि सकत है । िलस्वरुप यह I.C. दोब र प्रयोग की ि सकती
है ।इलेक्तरिकली-इ-प्रॉम (EEPROM)
इलेक्तरिकली इरे िेक्तबल प्रॉम पर स्टोर क्तकये गये प्रोग्र म को क्तमट ने अर्व सशोक्तधत करने के क्तलए क्तकसी अन्य उपकरर् की आवश्यकत नहीं होती ।
ं
कम ण्ड्स क्तदये ि ने पर कम्प्यटर में उपलब्ध इलैक्तरिक क्तसगल्स ही इस प्रोग्र म को संशोक्तधत कर देते हैं ।
ू

12. सॉफ्टिेयर क प्रकार
े
Jan 29, 2011
सॉफ्टिेयर दो प्रकार क होते हैं ।
े
1)लसस्टम सॉफ्टिेयर
“लसस्टम सॉफ्टिेयर” यह एक ऐसा प्रोग्राम होता है , न्जनका काम लसस्टम अथाणत कम््यटर को चलाना तथा उसे
ू
काम करने लायक बनाए रिना है । लसस्टम सॉफ्टिेयर ही हािणिेयर में जान िालता है । ऑपरे ठटंग लसस्टम,
कम्पाइलर आठद लसस्टम सॉफ्यिेयर क मख्य भाग हैं ।
े ु

2)ए्लीकशन सॉफ्टिेयर
े
‘ए्लीकशन सॉफ्टिेयर’ ऐसे प्रोग्रामों को कहा जाता है , जो हमारे क्यटर पर आर्ाररत मख्य कामों को करने क
े
ं ू
े
ु
ललए ललिे जाते हैं । आिश्यकतानसार लभन्न-लभन्न उपयोगों क ललए लभन्न-लभन्न सॉफ्टिेयर होते हैं । िेतन की
े
ु
गर्ना, लेन-दे न का ठहसाब, िस्तओं का स्टाक रिना, ब्रबक्री का ठहसाब लगाना आठद कामों क ललए ललिे गए प्रोग्राम
े
ु
ही ए्लीकशन सॉफ्टिेयर कहे जाते हैं ।
े

13. कम्पाइलर और इन्टरवप्रटर
Jan 29, 2011

कम्पाइलर
कम्पाइलर क्रकसी कम््यटर क लसस्टम साफ्टिेयर का भाग होता है । कम्पाइलर एक ऐसा प्रोग्राम है , जो क्रकसी
े
ू
उच्चस्तरीय भाषा में ललिे गए प्रोग्राम का अनिाद क्रकसी कम््यटर की मशीनी भाषा में कर दे ता है । ननम्न धचत्र में
ु
ू
इस कायण को ठदिाया गया है ।

उच्चस्तरीय भाषा प्रोग्राम –> कम्पाइलर –> मशीनी भाषा प्रोग्राम

हर प्रोग्रालमंग भाषा क ललए अलग-अलग कम्पाइलर होता है पहले िह हमारे प्रोग्राम क हर कथन या आदे श की जांच
े
े
करता है क्रक िह उस प्रोग्रालमंग भाषा क व्याकरर् क अनसार सही है या नहीं ।यठद प्रोग्राम में व्याकरर् की कोई गलती
े
े
ु
नहीं होती, तो कम्पाइलर क काम का दसरा भाग शरू होता है ।यठद कोई गलती पाई जाती है , तो िह बता दे ता है क्रक
े
ू
ु
क्रकस कथन में क्ट्या गलती है । यठद प्रोग्राम में कोई बडी गलती पाई जाती है , तो कम्पाइलर िहीं रूक जाता है । तब
हम प्रोग्राम की गलनतयाँ ठीक करक उसे क्रिर से कम्पाइलर को दे ते हैं ।
े
इन्टरवप्रटर
इन्टरपेटर भी कम्पाइलर की भांनत कायण करता है । अन्तर यह है क्रक कम्पाइलर परे प्रोग्राम को एक साथ मशीनी
ू
भाषा में बदल दे ता है और इन्टरपेटर प्रोग्राम की एक-एक लाइन को मशीनी भाषा में पररिनतणत करता है । प्रोग्राम
ललिने से पहले ही इन्टरपेटर को स्मनत में लोि कर ठदया जाता है ।
ृ

कम्पाइलर और इन्टरवप्रटर में अन्तर
इन्टरपेटर उच्च स्तरीय भाषा में ललिे गए प्रोग्राम की प्रत्येक लाइन क कम््यटर में प्रविष्ट होते ही उसे मशीनी भाषा
े
ू
में पररिनतणत कर लेता है , जबक्रक कम्पाइलर परे प्रोग्राम क प्रविष्ट होने क पश्चात उसे मशीनी भाषा में पररिनतणत
े
े
ू
करता है ।

14. लसंगल यजर और मल्टीयजर
ू
ू
Jan 29, 2011
लसंगल यजर और मल्टीयजर
ू
ू

जैसा की नाम से ही स्पष्ट है लसंगल यजर ऑपरे ठटंग लसस्टम में कम््यटर पर एक समय में एक आदमी काम सकता
ू
ू
है । लसंगल यजर ऑपरे ठटंग लसस्टम मख्यतः पसणनल कम््यटरों में प्रयोग क्रकए जाते हैं, न्जनका घरों ि छोटे
ू
ु
ू
कायाणलयों में उपयोग होता है । िॉस, विंिोज इसी क उदाहरर् है । मल्टीयजर प्रकार क लसस्टमों में एक समय में बहुत
े
े
ू
सारे व्यन्क्ट्त काम कर सकते हैं और एक ही समय पर अलग-अलग विलभन्न कामों को क्रकया जा सकता है । जाठहर है ,
इससे कम््यटर क विलभन्न संसार्नों का एक साथ प्रयोग क्रकया जा सकता है । यननक्ट्स इसी प्रकार का ऑपरे ठटंग
े
ू
ू
लसस्टम है ।

15. मल्टी प्रोसेलसंग और मल्टी टान्स्कग
ं
Jan 29, 2011

मल्टी प्रोसेलसंग और मल्टी टान्स्कग
ं
मल्टी प्रोसेलसंग
एक समय मे एक से अधर्क कायण को संपाठदत करने क ललए लसस्टम पर एक से अधर्क सी.पी.यू रहते है । इस
े
तकनीक को मल्टी प्रोसेलसंग कहते है । मल्टी प्रोसेलसंग लसस्टम का ननमाणर् मल्टी प्रोसेसर लसस्टम को ध्यान मे
रिते हुए क्रकया गया है ।
एक से अधर्क प्रोसेसर उपल्ब्र् होने क कारर् इनपट आउटपट एिं प्रोसेसींगतीनो कायो क मध्य समन्िय रहता है ।
े
े
ु
ु
एक ही तरह क एक से अधर्क सी.पी. यू का उपयोग करने िाले लसस्टम को लसलमठरक मल्टी प्रोसेसर लसस्टम कहा
े
जाता है ।

मल्टी टान्स्कग
ं
मेमोरी मे रिे एक से अधर्क प्रक्रक्रयाओ मे परस्पर ननयंत्रर् मल्टी टान्स्कग कहलाता है . क्रकसी प्रोग्राम से ननयत्रर्
ं
हटाने से पहले उसकी पिण दशा सरक्षक्षत कर ली जाती है जब ननयंत्रर् इस प्रोग्राम पर आता है प्रोग्राम अपनी पिण
ू
ु
ू
अिस्था मे रहता है । मल्टी टान्स्कग मे यजर को ऐसा प्रनतत होता है क्रक सभी कायण एक साथ चल रहे है
ं
ू

16. कम््यटर िायरस
ू
Jan 30, 2011
कम््यटर िायरस
ू

VIRUS – Vital Information Resources Under Seized

यह नाम सयोग िश बीमारी िाले िायरस से लमलता है मगर ये उनसे पर्तः अलग होते है .िायरस प्रोग्रामों का प्रमि
ू ण
ु
उददे श्य किल कम््यटर मेमोरी में एकब्रत्रत आंकडों ि संपक में आने िाले सभी प्रोग्रामों को अपने संक्रमर् से
े
ण
ू
प्रभावित करना है ।िास्ति में कम््यटर िायरस कछ ननदे शों का एक कम््यटर प्रोग्राम मात्र होता है जो अत्यन्त
ू
ू
ु
सक्षम क्रकन्तु शन्क्ट्तशाली होता है । यह कम््यटर को अपने तरीक से ननदे लशत कर सकता है । ये िायरस प्रोग्राम
े
ू
ू
क्रकसी भी सामान्य कम््यटर प्रोग्राम क साथ जुड जाते हैं और उनक माध्यम से कम््यटरों में प्रिेश पाकर अपने
े
े
ू
ू
उददे श्य अथाणत िाटा और प्रोग्राम को नष्ट करने क उददे श्य को परा करते हैं । अपने संक्रमर्कारी प्रभाि से ये सम्पक
े
ण
ू
में आने िाले सभी प्रोग्रामों को प्रभावित कर नष्ट अथिा क्षत-विक्षत कर दे ते हैं । िायरस से प्रभावित कोई भी
कम््यटर प्रोग्राम अपनी सामान्य कायण शैली में अनजानी तथा अनचाही रूकािटें , गलनतयां तथा कई अन्य समस्याएं
ू
पैदा कर दे ता है ।प्रत्येक िायरस प्रोग्राम कछ कम््यटर ननदे शों का एक समह होता है न्जसमें उसक अन्स्तत्ि को
े
ू
ू
ु
बनाएं रिने का तरीका, संक्रमर् िलाने का तरीका तथा हानन का प्रकार ननठदण ष्ट होता है । सभी कम््यटर िायरस
ै
ू
प्रोग्राम मख्यतः असेम्बली भाषा या क्रकसी उच्च स्तरीय भाषा जैसे “पास्कल” या “सी” में ललिे होते हैं ।
ु
िायरस क प्रकार
े
1. बट सेक्ट्टर िायरस
ू
2. िाइल िायरस
3. अन्य िायरस

िायरस का उपचार : टीक
े
न्जस प्रकार िायरस सक्षम प्रोग्राम कोि से अनेक हाननकारक प्रभाि छोडता है ठीक उसी तरह ऐसे कई प्रोग्राम बनाये
ू
गये हैं जो इन िायरसों को नेस्तानाबद कर दे ते हैं, इन्हें ही िायरस क टीक कहा जाता है । यह टीक विलभन्नन िायरसों
े
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क चररत्र और प्रभाि पर संपर्ण अध्ययन करक बनाये गये हैं और कािी प्रभािी लसद्र् हुयें है ।
े
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Computer basic Course Hindi Notes

  • 1. 1. कम्पयटर से पररचय ू कम्पयटर से पररचय ू सम्पर्ण विश्ि मे शायद ही कोई इंसान बचा होगा जो इस शब्द से अभी तक अनजान होगा. ू कम््यटर एक इलैक्ट्रोननक डििाइस है । जो इनपट क माध्यम से आंकिो को ग्रहर् करता है उन्हे प्रोसेस करता है एिं ू ु े सचनाओ को ननर्ाणररत स्थान पर स्टोर करता है ! कम्पयटर एक क्रमादे श्य मशीन है । कम्पयटर की ननम्नललखित ू ू ू विशेषताएँ है । 1)कम्पयटर विलशष्ठ ननदे शो को सपररभावषत ढं ग से प्रनतिाधर्त करता है । ू ु 2)यह पहले संधचत ननदे शो को क्रक्रयान्न्ित करता है । ितणमान क कम्पयटर इलेक्ट्राननक और डिन्जटल है । इनमे मख्य रूप से तार रांन्जस्टर एिं सक्रकट का उपयोग क्रकया े ण ू ु जाता है । न्जसे हािणिेयर कहा जाता है । ननदे श एिं िेटा को साफ्टिेयर कहा जाता है । कम््यटर अपने काम-काज, ू प्रयोजन या उद्दे श्य तथा रूप-आकार क आर्ार पर विलभन्न प्रकार क होते हैं। िस्ततः इनका सीर्े-सीर्े अथाणत े े ु प्रत्यक्षतः (Direct) िगीकरर् करना कठठन है , इसललए इन्हें हम ननम्नललखित तीन आर्ारों पर िगीकृत करते हैं : 1. अनप्रयोग (Application ) ु 2. उद्दे श्य (Purpose ) 3. आकार (Size) 1. अनप्रयोग क आर्ार पर कम््यटरों क प्रकार े े ु ू .यद्यवप कम््यटर क अनेक अनप्रयोग हैं न्जनमे से तीन अनप्रयोगों क आर्ार पर कम््यटरों क तीन प्रकार होते हैं : े े े ू ु ु ू (a) एनालॉग कम््यटर ू (b ) डिन्जटल कम््यटर ू (c) हाईब्रिि कम््यटर ू 2. उद्दे श्य क आर्ार पर कम््यटरों क प्रकार े े ू कम््यटर को दो उद्दे श्यों क ललए हम स्थावपत कर सकते हैं- सामान्य और विलशष्ट , इस प्रकार कम््यटर उद्दे श्य क े े ू ू आर्ार पर ननम्न दो प्रकार क होते हैं : े
  • 2. (a ) सामान्य-उद्दे शीय कम््यटर ू (b ) विलशष्ट -उद्दे शीय कम््यटर ू 3. आकार क आर्ार पर कम््यटरों क प्रकार े े ू आकार क आर्ार पर हम कम््यटरों को ननम्न श्रेखर्याँ प्रदान कर सकते हैं – े ू 1. माइक्रो कम््यटर ू 2. िकस्टे शन ण 3. लमनी कम््यटर ू 4. मेनफ्रम कम््यटर े ू 5. सपर कम््यटर ु ू 3. पससनल कम््यटर ू पसणनल कम््यटर ू पसणनल कम््यटर माइक्रो कम््यटर समानाथणक से जाने िाले िैसे कम््यटर प्रर्ाली है जो विशेष रूप से व्यन्क्ट्तगत ू ू ू अथिा छोटे समह क द्िारा प्रयोग मे लाए जाते हैं। इन कम््यटरों को बनाने में माइक्रोप्रोसेसर मख्य रूप से सहायक ू े ू ु होते है । पसणनल कम््यटर ननमाणर् विशेष क्षेत्र तथा कायण को ध्यान में रिकर क्रकया जाता है । उदाहरर्ाथण- घरे लू ू कम््यटर तथा कायाणलय में प्रयोगक्रकये जाने िाले कम््यटर। बजारमें, छोटे स्तर की कम्पननयों अपने कायाणलयों क े ू ू कायण क ललए पसणनल कम््यटर को प्राथलमकता दे ते हैं। े ू पसणनल कम््यटर क मख्य कायो में क्रीडा-िेलना, इन्टरनेट का प्रयोग , शब्द-प्रक्रक्रया इत्याठद शालमल हैं। पसणनल े ु ू कम््यटर क कछ व्यिसानयक कायण ननम्नललखित हैंे ु ू 1. कम््यटर सहायक रूपरे िा तथा ननमाणर् ू 2. इन्िेन्री तथा प्रोिक्ट्शन कन्रोल 3. स्प्रेिशीट कायण 4. अकाउन्न्टं ग
  • 3. 5. सॉफ्टिेयर ननमाणर् 6. िेबसाइट डिजाइननंग तथा ननमाणर् 7. सांन्ख्यकी गर्ना पसणनल कम््यटर का मख्य भाग ू ु माइक्रोप्रोसेसर िह चीप होती जीस पर करोल यननट और ए. एल. य. एक पररपथ होता है । माइक्रोप्रोसेसर धचप तथा ं ू ू अन्य डििाइस एक इकाई में लगे रहते है , न्जसे लसस्टम यननट कहते है । पी,सी. में एक लसस्टम यननट, एक मननटर ू ू या स्क्रीन एक की बोिण एक माउस और अन्य आिश्यक डििाइसेज, जैसे वप्रंटर, मॉिेम, स्पीकर, स्कनर, ्लॉटर , ै ग्राक्रिक टे बलेट , लाइच पेन आठद होते हैं। पसणनल कम््यटर का मल लसद्र्ान्त ू ू पी.सी एक प्रर्ाली है न्जसमें िाटा और ननदे शों को इनपट डििाइस क माध्यम से स्िीकार क्रकया जाता है । इस इनपट े ु ु क्रकये गये िाटा ि ननदे शों को आगे लसस्टम यननट में पहुँचाया जाता है , जहाँ ननदे शों क अनसार सी. पी. य. िाटा पर े ू ु ू क्रक्रया या प्रोसेलसंग का कायण करता है और पररचय को आउटपट यननट मॉनीटर या स्क्रीन पर भेज दे ता है । यह प्रा्त ु ू पररर्ाम आउटपट कहलाता है । पी. सी में इनपट यननट में प्रायः की-बोिण और माउस काम आते है जबक्रक आउटपट ु ु ू ु यननट क रूप में मॉननटर और वप्रटर काम आते हैं। े ू कम््यटर यथाथण मे एक आश्चयणजनक मशीन है । कम््यटर को विलभन्न पीढी मे िगीकृत क्रकया गया है । समय ू ू अिधर् क अनसार कम््यटर का िगीकरर् नीचे ठदया गया है । े ु ू प्रथम पीढी क कम््यटर ( 1945 से 1956) े ू द्वितीय पीढी क कम््यटर (1956 से 1963) े ू ततीय पीढी क कम््यटर (1964 से 1971) े ू ृ चतथण पीढी क कम््यटर(1971 से ितणमान) े ु ू पंचम पीढी क कम््यटर (ितणमान से ितणमान क उपरांत) े े ू प्रथम पीढी क कम््यटर ( 1945 से 1956) े ू
  • 4. सन ् 1946 मे पेननसलिेननया विश्िविर्ालय क दो ईंन्जननयर न्जनका नाम प्रोिसर इक्रटण और जॉन था। उन्होने प्रथम े े डिन्जटल कम््यटर का ननमाणर् क्रकया। न्जसमे उन्होने िैक्ट्यम ट्यब का उपयोग क्रकया था। उन्होने अपने नए िोज ू ू ू का नाम इननक(ENIAC) रिा था। इस कम््यटर मे लगभग 18,000 िैक्ट्यम ट्यब , 70,000 रन्जस्टर और लगभग ू ू ू पांच लमललयन जोड थे । यह कम््यटर एक बहुत भारी मशीन क समान था । न्जसे चलाने क ललए लगभग 160 क्रकलो े े ू िाट विद्यत उजाण की आिशयकता होती थी। ु द्वितीय पीढी क कम््यटर ( 1956 से 1963 ) े ू सन ् 1948 मे रांन्जस्टर की िोज ने कम््यटर क विकास मे महत्िपर्ण भलमका अदा की । अब िैक्ट्यम ट्यब का स्थान े ू ू ू ू ू रांन्जस्टर ने ले ललया न्जसका उपयोग रे डियो ,टे ललविजन , कम््यटर आठद बनाने मे क्रकया जाने लगा । न्जसका ू पररर्ाम यह हुआ क्रक मशीनो का आकार छोटा हो गया । कम््यटर क ननमाणर् मे रांन्जस्टर क उपयोग से कम््यटर े े ू ू अधर्क उजाण दक्ष ,तीव्र एिं अधर्क विश्िसननय हो गया । इस पीढी क कम््यटर महं गे थे । द्वितीय पीढी क कम््यटर े े ू ू मे मशीन लेंग्िेज़ को एसेम्बली लेंग्िेज़ क द्िारा प्रनतस्थावपत कर ठदया गया । एसेम्बली लेंग्िेज़ मे कठठन बायनरी े कोि की जगह संक्षक्ष्त प्रोग्रालमंग कोि ललिे जाते थे । तनतय पीढी क कम््यटर (1964 से 1975) े ू ृ यद्यवप िैक्ट्यम ट्यब का स्थान रांन्जस्टर ने ले ललया था परं तु इसक उपयोग से बहुत अधर्क मात्रा मे ऊजाण उत्पन्न े ू ू होती थी जो क्रक कम््यटर क आंतररक अंगो क ललए हाननकारक थी । सन ् 1958 मे जैक क्रकलबे ने IC(integrated े े ू cercuit ) का ननमाणर् क्रकया । न्जससे क्रक िैज्ञाननको ने कम््यटर क अधर्क से अधर्क घटको को एक एकल धचप पर े ू समाठहत क्रकया गया , न्जसे सेमीकिकटर कहा गया, पर समाठहत कर ठदया । न्जसका पररर्म यह हुआ क्रक कम््यटर ं ू अधर्क तेज एिं छोटा हो गया । चतथण पीढी क कम््यटर े ु ू सन ् 1971 मे बहुत अधर्क मात्रा मे सक्रकट को एक एकल धचप पर समाठहत क्रकया गया । LSI (large scale integrated ण circuit ) VLSI(very large scale integratd circuit ) ULSI(ultra large scale integrated circuit ) मे बहुत अधर्क मात्रा मे सक्रकट को एक एकल धचप पर समाठहत क्रकया गया । सन ् 1975 मे प्रथम माइक्रो कम््यटर Altair 8000 ण ू प्रस्तत क्रकया गया । ु सन ् 1981 मे IBM ने पसणनल कम््यटर प्रस्तत क्रकया न्जसका उपयोग घर, कायाणलय एिं विघालय मे होता है । चतथण ू ु ु पीढी क कम््यटर मे लेपटॉप का ननमाणर् क्रकया गया । जो क्रक आकार मे ब्रििकस क समान था । plamtop का े े े ू ननमाणर् क्रकया गया न्जसे जेब मे रिा जा सकता था पंचम पीढी क कम््यटर (ितणमान से ितणमान क बाद) े े ू
  • 5. पंचम पीढी क कम््यटर को पररभावषत करना कछ कठठन होगा । इस पीढी क कम््यटर लेिक सी क्ट्लाक क द्िारा े े ण े ू ू ु ललिे उपन्यास अ स्पेस ओडिसी मे िखर्णत HAL 9000 क समान ही है । ये ररयल लाइि कम््यटर होंगे न्जसमे े ू आठटण क्रिशल इंटेललजेंस होगा । आर्ुननक टे क्ट्नॉलाजी एिं विज्ञान का उपयोग करक इसका ननमाणर् क्रकया जाएगा े न्जसमे एक एकल सी. पी. यू . की जगह समानान्तर प्रोसेलसंग होगी । तथा इसमे सेमीकिकटर टे क्ट्नॉलाजी का ं उपयोग क्रकया जाएगा न्जसमे ब्रबना क्रकसी प्रनतरोर् क विद्यत का बहाि होगा न्जससे सचना क बहाि की गनत बढे गी े े ु ू । 5. कम््यटर अपना काम कसे करता है ? ै ू Jan 26, 2011 कम््यटर अपना काम कसे करता है ? ै ू 1.इनपट क सार्न जैसे की-बोिण, माउस, स्कनर आठद क द्िारा हम अपने ननदे श,प्रोग्राम तथा इनपट े ै े ु ु िाटा प्रोसेसर को भेजते हैं । 2.प्रोसेसर हमारे ननदे श तथा प्रोग्राम का पालन करक कायण सम्पन्न करता है । े 3.भविष्य क प्रयोग क ललए सचनाओं को संग्रह क माध्यमों जैसे हािण डिस्क, फ्लापी डिस्क आठद पर े े े ू एकत्र क्रकया जा सकता है । 4.प्रोग्राम का पालन हो जाने पर आउटपट को स्क्रीन, वप्रंटर आठद सार्नों पर भेज ठदया जाता है । ु सेन्रल प्रोसेलसंग यननट – सेन्रल प्रोसेलसंग यननट को ठहन्दी में कन्रीय विश्लेषक इकाई भी कहा जाता है े ू ू । इसक नाम से ही स्पष्ट है , यह कम््यटर का िह भाग है , जहां पर कम््यटर प्रा्त सचनाओं का े ू ू ू विश्लेषर् करता है । सेन्रल प्रोसेलसंग यननट (सी.पी.य.) को पनः तीन भागों में बांटा जा सकता है ू ू ु 1. कन्रोल यननट ू 2. ए.एल.य. ू 3. स्मनत ृ
  • 6. कन्रोल यननट ू कन्रोल यननट का कायण कम््यटर की इनपट एिं आउटपट यन्क्ट्तयों को ननयन्त्रर् में रिना है । कन्रोल ू ू ु ु ु यननट क मख्य कायण है – े ु ू 1. सिणप्रथम इनपट यन्क्ट्तयों की सहायता से सचना/िेटा को कन्रोलर तक लाना । ु ु ू 2. कन्रोलर द्िारा सचना/िेटा को स्मनत में उधचत स्थान प्रदान करना । ू ृ 3. स्मनत से सचना/िेटा को पनः कन्रोलर में लाना एिं इन्हें ए.एल.य. में भेजना । ू ु ू ृ 4. ए.एल.य.से प्रा्त पररर्ामों को आउटपट यन्क्ट्तयों पर भेजना एिं स्मनत में उधचत स्थान प्रदान करना ू ु ु ृ । ए.एल.य. ू कम््यटर की िह इकाई जहां सभी प्रकार की गर्नाएं की जा सकती है , अथणमठटक एण्ि लॉन्जकल यननट े ू ू कहलाती है । स्मनत ृ क्रकसी भी ननदे श, सचना अथिा पररर्ाम को संधचत करक रिना ही स्मनत कहलाता है । कम््यटर क े े ू ू ृ सी.पी.य. में होने िाली समस्त क्रक्रयायें सिणप्रथम स्मनत में जाती है । तकनीकी रूप में मेमोरी कम््यटर ू ू ृ का कायणकारी संग्रह है । मेमोरी कम््यटर का अत्यधर्क महत्िपर्ण भाग है जहां िाटा, सचना और प्रोग्राम ू ू ू प्रक्रक्रया क दौरान न्स्थत रहते हैं और आिश्यकता पडने पर तत्काल उपलब्र् होते हैं । े इनपट यन्क्ट्त ु ु आमतौर पर की-बोिण एिं माउस है । इनपट यन्क्ट्त एक नली क समान है न्जसक द्िारा आँकिे एिं े े ु ु ननदे श कम््यटर में प्रिेश करते है । ू आउटपट यन्क्ट्त ु ु
  • 7. मख्य रूप से स्क्रीन एिं वप्रंटर इसका उदाहरर् है । इसक अलािा िे सभी यन्क्ट्त जो आपको बताए की े ु ु कम््यटर ने क्ट्या संपाठदत क्रकया है आउटपट यन्क्ट्त कहलाती है । ू ु ु संधचत यन्क्ट्त ु यह कम््यटर मे स्थायी तौर पर बहुत अधर्क मात्रा मे आंकिो को संधचत करने की अनमती प्रदान करता ू ु है । उदाहरर् डिस्क ड्राइि, टे प ड्राइि । 6. कम््यटर की विशेषताएँ ू Jan 26, 2011 कम््यटर की विशेषताएँ ू प्रत्येक कम््यटर की कछ सामान्य विशेषताएँ होती है । कम््यटर किल जोि करने िाली मशीन नही है यह कई े ू ू ु जठटल कायण करने मे सक्षम है ।कम््यटर की ननम्न ननशेषताएँ है । ू ििण-लेन्थ डिन्जटल कम््यटर किल बायनरी डिन्जट पर चलता है । यह किल 0 एिं 1 की भाषा समझता है । आठ ब्रबट क समह े े े ू ू को बाइट कहा जाता है । ब्रबट की संख्या न्जन्हे कम््यटर एक समय मे क्रक्रयान्न्ित करता है ििण लेंन्थ कहा जाता है । ू सामान्यतया उपयोग मे आने िाले ििण लेन्थ 8,16,32,64 आठद है । ििण लेन्थ क द्िारा कम््यटर की शन्क्ट्त मापी े ू जाती है । तीव्रता कम््यटर बहुत तेज गनत से गर्नाएँ करता है माइक्रो कम््यटर लमललयन गर्ना प्रनत सेकि क्रक्रयांवित करता है । ं ू ू संधचत यन्क्ट्त ु कम््यटर की अपनी मख्य तथा सहायक मेमोरी होती है । जो क्रक कम््यटर को आंकिो को संधचत करने मे सहायता ू ु ू करती है । कम््यटर क द्िारा सचनाओ को कछ ही सेकि मे प्रा्त क्रकया जा सकता है । इस प्रकार आकिो को संधचत े ं ू ु ु करना एिं ब्रबना क्रकसी त्रठट क सचनाओ को प्रदान करना कम््यटर की महत्िपर्ण विशेषता है े ु ु ू ू
  • 8. शद्र्ता ु कम््यटर बहुत ही शद्र् मशीन है । यह जठटल से जठटल गर्नाएँ ब्रबना क्रकसी त्रठट क करता है । े ू ु ु िैविघ्यपर्ण ू कम््यटर एक िैविघ्यपर्ण मशीन है यह सामान्य गर्नाओ से लेकर जठटल से जठटल गर्नाएँ करने मे सक्षम है । ू ू लमसाइल एिं उपग्रहो का संचालन इन्ही क द्िारा क्रकया जाता है । दसरे शब्दो मे हम कह सकते है क्रक कम््यटर े ू ू लगभग सभी कायो को कर सकता है एक कम््यटर दसरे कम््यटर से सचना का आदान प्रदान कर सकता है । ू ू ू ु कम््यटर की आपस मे िाताणलाप करने की क्षमता ने आज ईंटरनेट को जन्म ठदया है ।जो क्रक विश्ि का सबसे बिा ू नेटिक है । ण स्िचलन कम््यटर एक समय मे एक से अधर्क कायण करने मे सक्षम है । ू पररश्रमशीलता पररश्रमशीलता का अथण है क्रक ब्रबना क्रकसी रूकािट क कायण करना । मानि जीिन थकान ,कमजोरी,सकन्रर् का े े आभाि आठद से वपडित रङता है ।मनष्य मे भािनाए ङोती है िे कभी िुश कभी दिी होते है । इसललए िे एक जैसा ु ु काम नही कर पाते है । परं तु कम््यटर क साथ ऐसा नही है िह हर कायण हर बार बहुत ही शद्र्ता एिं यथाथणता से े ू ु करता है . 7. कम््यटर की मल इकाईयॉ ं ू ू Jan 26, 2011 मल इकाईयॉ ं ू क्यटर की मल इकाइयों का मतलब क्यटर की उन बातों से है न्जनसे क्यटर की गर्नाओं का काम प्रारं भ होता है . ं ू ं ू ं ू ू ब्रबट
  • 9. ब्रबट अथाणत Binary digT, कम््यटर की स्मनत की सबसे छोटी इकाई है । यह स्मनत में एक बायनरी अंक 0 अथिा 1 ू ृ ृ को संधचत क्रकया जाना प्रदलशणत करता है । यह बाइनरी डिन्जट का छोटा रूप है . यहाँ एक सिाल उठता हैं की ब्रबट ० और १ ही क्ट्यू होता है ३-४ क्ट्यू नहीं ? तो इसका जिाब दो तरह से आता हैं, - चकी गखर्तीय गर्ना क ललये विज्ञाननयों को ऐसा अंक चाहीये था जो क्रकसी भी तरह क गर्ना को आगे बढाने या े े ू घटाने पर गखर्तीय उतर पर असर न िाले तो किल ० एक मात्र एसी संख्या हैं न्जसे क्रकसी भी अंक क साथ जोडने या े े घटाने पर कोई िक नहीं पडता और १ एक मात्र ऐसी संख्या हैं न्जसे क्रकसी अंक क साथ गर्ा या भाग दे ने पर कोई ण े ु िक नहीं पडता. ण -दसरी तरि इलेक्ट्रॉननकस में हम जानते हैं की ० और १ क्रमशः ऑन और ऑि को ठदिलाता हैं. क्यटर भी ं ू ू इलेक्ट्रॉनन लसग्नल को ही पहचानता हैं इस कारर् ० और १ का उपयोग क्रकया जाता हैं. बाइट यह कम््यटर की स्मनत (memory) की मानक इकाई है । कम््यटर की स्मनत में की-बोिण से दबाया गया प्रत्येक ू ू ृ ृ अक्षर, अंक अथिा विशेष धचह्न ASCII Code में संधचत होते हैं । प्रत्येक ASCII Code 8 byte का होता है । इस प्रकार क्रकसी भी अक्षर को स्मनत में संधचत करने क ललए 8 ब्रबट लमलकर 1 बाइट बनती है । े ृ करे क्ट्टर ै संख्यांको क अलािा िह संकत है जो भाषा और अथण बताने क काम आते है । उदाहरर् क ललए हम दे िे े े े े abcdefghijklmnopqrstuvwxyzABCDEFGHIJKLMNOPQRSTUVWXYZ012345 6789!@#$%^&*()_–=+|`,./;‘[]{}:”<>? कम््यटर लसस्टम सामान्यतः करे क्ट्टर को संधचत करने क ललए ASCII कोि का उपयोग करते हैं । प्रत्येक करे क्ट्टर 8 ै े ै ू ब्रबटस का उपयोग करक संधचत होता है । े About these ads 8. आस्की (ASCII) कोि क्ट्या होता है Jan 27, 2011
  • 10. American Standard Code For Information Interchange आज हम क्यटर पर आसनी जो कछ भी ललिते हैं िो आस्की में ही ललिा होता है . प्रत्येक क्यटर प्रयोगकताण अंकों, ं ू ं ू ु अक्षरों तथा संकतों क ललए बाइनरी लसस्टम पर आर्ाररत कोि का ननमाणर् करक क्यटर को पररचाललत कर सकता े े े ं ू है ! लेक्रकन उसक कोि किल उसी क द्िारा प्रोग्रामों और आदे शों क ललए लागू होंगे! इससे क्यटर क प्रयोगकताण े े े े ं ू े परस्पर सचनाओं का आदान प्रदान तब तक नहीं कर सकते जब तक क्रक िे एक -दसरे द्िारा इस्तेमाल क्रकये हुए कोि ू ू संकतों से पररधचत न हों! सचनाओं क आदान प्रदान की सविर्ा क ललए अमेररका मे एक मानक कोि तैयार क्रकया े े े ू ु गया है न्जसे अब पर विश्ि मे मान्यता प्रा्त है ! इसे आस्की (ASCII) क नाम से जाना जाता है ! इसमे प्रत्येक अंक, े ू अक्षरों िा संकत को 8 बीटो से दशाणया गया है ! इन 8स्थानों पर किल 0 और 1 की संख्या ही ललिी गयी है ! े े 10. विलभन्न अंक प्रर्ाली Jan 27, 2011 विलभन्न अंक प्रर्ाली द्वि-अंकीय प्रर्ाली यह क्यटर की सबसे महत्िपर्ण प्रर्ाली हैं न्जसक द्िारा ही हम क्यटर से बात करते है . इस प्रर्ाली क अन्तगणत ं ू े ं ू े ू आंकडों को मख्य रूप से किल दो अंकों क संयोजन द्िारा दशाणया जाता है । ये दो अंक उपरोक्ट्त ‘0’ तथा ‘1’ होते हैं े े ु परन्तु इस प्रर्ाली को द्वि-अंकीय या द्वि-आर्ारी पद्र्नत का नाम इसललये ठदया गया है क्ट्योंक्रक इसमें विलभन्न आंकडों क कट संकत उस दी गई संख्या को दो से लगातार े ू े विभाजन क पश्चात प्रा्त पररर्ामों एिं शेषिल क आर्ार पर क्रकया जाता है एिं इस कट संकत से पनः दशमलि े े े ु ू अंक प्रा्त करने पर इस कट संकत क अंकों को उसक स्थानीय मल्य क बराबर 2 की घात ननकालकर गर्ा करते हैं े े े े ू ु ू एिं इनका योग िल ननकाल कर ज्ञात क्रकया जाता है । इस प्रर्ाली में बने हुए एक शब्द में प्रत्येक अक्षर को एक ब्रबट कहा जाता है । 011001 यह एक 6 ब्रबट की संख्या है । 11010010 यह एक 8 ब्रबट की संख्या है । ऑक्ट्टल (8 क आर्ार िाली) प्रर्ाली े
  • 11. इस प्रर्ाली में उपयोग क्रकये जाने िाले विलभन्न अंकों का आर्ार 8 होता है इन्ही कारर्ों से इस प्रर्ाली को ओक्ट्टल प्रर्ाली क नाम से जाना जाता है । दसरे शब्दों में इस प्रर्ाली में किल 8 धचन्ह या अंक ही उपयोग क्रकये जाते हैं – े े ू 0,1,2,3,4,5,6,7 (इसमें दशमलि प्रर्ाली की भांनत 8 एिं 9 क अंकों का प्रयोग नहीं क्रकया जाता) यहाँ सबसे बडा अंक े 7 होता है (जो क्रक आर्ार से एक कम है ) एिं एक ऑक्ट्टल संख्या में प्रत्येक न्स्थनत 8 क आर्ार पर एक घात को े प्रदलशणत करती हैं । यह घात ऑक्ट्टल संख्या की न्स्थनत क अनसार होती है । चँ ूक्रक इस प्रर्ाली में कल “0” से लेकर े ु ु “7” तक की संख्याओं को अथाणत 8 अंकों को प्रदलशणत करना होता है ।कम््यटर को प्रवषत करते समय इस ऑक्ट्टल ू प्रर्ाली क शब्दों को बाइनरी समतल्य कट संकतों में पररिनतणत कर ललया जाता है । न्जससे क्रक कम््यटर को े े ु ू ू संगर्ना हे तु द्वि-अंकीय आंकडे लमलते हैं एिं समंक ननरूपर् इस ऑक्ट्टल प्रर्ाली में क्रकया जाता है न्जससे क्रक समंक ननरुपर् क्रक्रया सरल एिं छोटी हो जाती है । है क्ट्सा (16 क आर्ार िाली) दशमलि प्रर्ाली े चुकी सामान्य धगनती ० से ९ तक की ही होती है इस कारन उससे ऊपर की गर्ना क ललए है क्ट्सा दशमलि प्रर्ाली का े उपयोग क्रकया जाता है . है क्ट्सा दशमलि प्रर्ाली 16 क आर्ार िाली प्रर्ाली होती है . 16 आर्ार हमें यह बताता है क्रक े इस प्रर्ाली क अन्तगणत हम 16 विलभन्न अंक या अक्षर इस प्रर्ाली क अंतगणत उपयोग कर सकते हैं । इन 16 अक्षरों े े में 10 अक्षर तो दशमलि प्रर्ाली क अंक 0,1,2,3,4,5,6,7,8,9 होते हैं एिं शेष 6 अंक A,B,C,D,E,F क द्िारा दशाणये े े जाते हैं । जो क्रक दशमलि मल्यों 10,11,12,13,14,15 को प्रदलशणत करते हैं । चँ ूक्रक है क्ट्सा दशमलि प्रर्ाली क अंतगणत े ू कल 16 अंक प्रदलशणत करने होते हैं, इस प्रर्ाली क विलभन्न अक्षरों को द्वि-अंकीय प्रर्ाली क समतल्य बनाने हे तु े े ु ु कल 4 ब्रबटों का प्रयोग क्रकया जाता है । ु 11. मैमोरी युक्तियॉ (Memory Device) Jan 28, 2011 मैमोरी युक्तियॉ प्राथक्तमक सग्रहण ं यह वह यक्तु िय ाँ होती हैं क्तिसमें डेट व प्रोग्र म्स तत्क ल प्र प्त एवं संग्रह क्तकए ि ते हैं । 1.रीड-राइट मेमोरी,रैम(RAM) Random access memory – कंप्यटर की यह सबसे महवपर्ण मेमोरी होती है. इस मेमोरी में प्रयोगकत ण अपने प्रोग्र म को कुछ देर के क्तलए ू ू
  • 12. स्टोर कर सकते हैं । स ध रर् भ ष में इस मेमोरी को RAM कहते हैं । यही कम्प्यटर की बेक्तसक मेमोरी भी कहल ती है । यह क्तनम्नक्तलक्तित दो प्रक र ू की होती है – ड यनेक्तमक रै म (DRAM) ड यनेक्तमक क अर्ण है गक्ततशील । इस RAM पर यक्तद 10 आंकडे संक्तित कर क्तदए ि एं और क्तिर उनमें से बीि के दो आंकडे क्तमट क्तदए ि एं, तो उसके ब द व ले बिे सभी आंकडे बीि के ररि स्र् न में स्वतः िले ि ते हैं और बीि के ररि स्र् न क उपयोग हो ि त है । स्टैक्तटक रै म (SRAM) स्टैक्तटक रै म में संक्तित क्तकए गए आंकडे क्तस्र्त रहते हैं । इस RAM में बीि के दो आंकडे क्तमट क्तदए ि एं तो इस ि ली स्र् न पर आगे व ले आंकडे क्तिसक कर नहीं आएंगे । िलस्वरूप यह स्र् न तब तक प्रयोग नहीं क्तकय ि सकत िब तक क्तक परी मेमोरी को “व श” करके नए क्तसरे ू से क म शरू न क्तकय ि ए । ु 2.रीड ओनली मेमोरी (Read Only Memory) आधक्तु नक कंप्यटर की महत्वपर्ण मेमोरी ROM उसे कहते हैं, क्तिसमें क्तलिे हुए प्रोग्र म के आउटपट को के वल पढ ि सकत है, परन्तु उसमें अपन ू ू ु प्रोग्र म संक्तित नहीं क्तकय ि सकत । बेक्तसक इनपट आउटपट क्तसस्टम ( BIOS) न म क एक प्रोग्र म ROM क उद हरर् है, िो कम्प्यटर के ऑन ु ु ू होने पर उसकी सभी इनपट आउटपट यक्तु ियों की ि ंि करने एवं क्तनयंक्तित करने क क म करत है । ु ु प्रोग्र मेक्तबल रॉम (PROM) इस स्मृक्तत में क्तकसी प्रोग्र म को के वल एक ब र संक्तित क्तकय ि सकत है, परंतु न तो उसे क्तमट य ि सकत है और न ही उसे संशोक्तधत क्तकय ि सकत है । इरे िेक्तबल प्रॉम (EPROM) इस I.C. में संक्तित क्तकय गय प्रोग्र म पर बैंगनी क्तकरर्ों के म ध्यम से क्तमट य ही ि सकत है । िलस्वरुप यह I.C. दोब र प्रयोग की ि सकती है ।इलेक्तरिकली-इ-प्रॉम (EEPROM) इलेक्तरिकली इरे िेक्तबल प्रॉम पर स्टोर क्तकये गये प्रोग्र म को क्तमट ने अर्व सशोक्तधत करने के क्तलए क्तकसी अन्य उपकरर् की आवश्यकत नहीं होती । ं कम ण्ड्स क्तदये ि ने पर कम्प्यटर में उपलब्ध इलैक्तरिक क्तसगल्स ही इस प्रोग्र म को संशोक्तधत कर देते हैं । ू 12. सॉफ्टिेयर क प्रकार े Jan 29, 2011 सॉफ्टिेयर दो प्रकार क होते हैं । े
  • 13. 1)लसस्टम सॉफ्टिेयर “लसस्टम सॉफ्टिेयर” यह एक ऐसा प्रोग्राम होता है , न्जनका काम लसस्टम अथाणत कम््यटर को चलाना तथा उसे ू काम करने लायक बनाए रिना है । लसस्टम सॉफ्टिेयर ही हािणिेयर में जान िालता है । ऑपरे ठटंग लसस्टम, कम्पाइलर आठद लसस्टम सॉफ्यिेयर क मख्य भाग हैं । े ु 2)ए्लीकशन सॉफ्टिेयर े ‘ए्लीकशन सॉफ्टिेयर’ ऐसे प्रोग्रामों को कहा जाता है , जो हमारे क्यटर पर आर्ाररत मख्य कामों को करने क े ं ू े ु ललए ललिे जाते हैं । आिश्यकतानसार लभन्न-लभन्न उपयोगों क ललए लभन्न-लभन्न सॉफ्टिेयर होते हैं । िेतन की े ु गर्ना, लेन-दे न का ठहसाब, िस्तओं का स्टाक रिना, ब्रबक्री का ठहसाब लगाना आठद कामों क ललए ललिे गए प्रोग्राम े ु ही ए्लीकशन सॉफ्टिेयर कहे जाते हैं । े 13. कम्पाइलर और इन्टरवप्रटर Jan 29, 2011 कम्पाइलर कम्पाइलर क्रकसी कम््यटर क लसस्टम साफ्टिेयर का भाग होता है । कम्पाइलर एक ऐसा प्रोग्राम है , जो क्रकसी े ू उच्चस्तरीय भाषा में ललिे गए प्रोग्राम का अनिाद क्रकसी कम््यटर की मशीनी भाषा में कर दे ता है । ननम्न धचत्र में ु ू इस कायण को ठदिाया गया है । उच्चस्तरीय भाषा प्रोग्राम –> कम्पाइलर –> मशीनी भाषा प्रोग्राम हर प्रोग्रालमंग भाषा क ललए अलग-अलग कम्पाइलर होता है पहले िह हमारे प्रोग्राम क हर कथन या आदे श की जांच े े करता है क्रक िह उस प्रोग्रालमंग भाषा क व्याकरर् क अनसार सही है या नहीं ।यठद प्रोग्राम में व्याकरर् की कोई गलती े े ु नहीं होती, तो कम्पाइलर क काम का दसरा भाग शरू होता है ।यठद कोई गलती पाई जाती है , तो िह बता दे ता है क्रक े ू ु क्रकस कथन में क्ट्या गलती है । यठद प्रोग्राम में कोई बडी गलती पाई जाती है , तो कम्पाइलर िहीं रूक जाता है । तब हम प्रोग्राम की गलनतयाँ ठीक करक उसे क्रिर से कम्पाइलर को दे ते हैं । े इन्टरवप्रटर
  • 14. इन्टरपेटर भी कम्पाइलर की भांनत कायण करता है । अन्तर यह है क्रक कम्पाइलर परे प्रोग्राम को एक साथ मशीनी ू भाषा में बदल दे ता है और इन्टरपेटर प्रोग्राम की एक-एक लाइन को मशीनी भाषा में पररिनतणत करता है । प्रोग्राम ललिने से पहले ही इन्टरपेटर को स्मनत में लोि कर ठदया जाता है । ृ कम्पाइलर और इन्टरवप्रटर में अन्तर इन्टरपेटर उच्च स्तरीय भाषा में ललिे गए प्रोग्राम की प्रत्येक लाइन क कम््यटर में प्रविष्ट होते ही उसे मशीनी भाषा े ू में पररिनतणत कर लेता है , जबक्रक कम्पाइलर परे प्रोग्राम क प्रविष्ट होने क पश्चात उसे मशीनी भाषा में पररिनतणत े े ू करता है । 14. लसंगल यजर और मल्टीयजर ू ू Jan 29, 2011 लसंगल यजर और मल्टीयजर ू ू जैसा की नाम से ही स्पष्ट है लसंगल यजर ऑपरे ठटंग लसस्टम में कम््यटर पर एक समय में एक आदमी काम सकता ू ू है । लसंगल यजर ऑपरे ठटंग लसस्टम मख्यतः पसणनल कम््यटरों में प्रयोग क्रकए जाते हैं, न्जनका घरों ि छोटे ू ु ू कायाणलयों में उपयोग होता है । िॉस, विंिोज इसी क उदाहरर् है । मल्टीयजर प्रकार क लसस्टमों में एक समय में बहुत े े ू सारे व्यन्क्ट्त काम कर सकते हैं और एक ही समय पर अलग-अलग विलभन्न कामों को क्रकया जा सकता है । जाठहर है , इससे कम््यटर क विलभन्न संसार्नों का एक साथ प्रयोग क्रकया जा सकता है । यननक्ट्स इसी प्रकार का ऑपरे ठटंग े ू ू लसस्टम है । 15. मल्टी प्रोसेलसंग और मल्टी टान्स्कग ं Jan 29, 2011 मल्टी प्रोसेलसंग और मल्टी टान्स्कग ं मल्टी प्रोसेलसंग एक समय मे एक से अधर्क कायण को संपाठदत करने क ललए लसस्टम पर एक से अधर्क सी.पी.यू रहते है । इस े तकनीक को मल्टी प्रोसेलसंग कहते है । मल्टी प्रोसेलसंग लसस्टम का ननमाणर् मल्टी प्रोसेसर लसस्टम को ध्यान मे रिते हुए क्रकया गया है ।
  • 15. एक से अधर्क प्रोसेसर उपल्ब्र् होने क कारर् इनपट आउटपट एिं प्रोसेसींगतीनो कायो क मध्य समन्िय रहता है । े े ु ु एक ही तरह क एक से अधर्क सी.पी. यू का उपयोग करने िाले लसस्टम को लसलमठरक मल्टी प्रोसेसर लसस्टम कहा े जाता है । मल्टी टान्स्कग ं मेमोरी मे रिे एक से अधर्क प्रक्रक्रयाओ मे परस्पर ननयंत्रर् मल्टी टान्स्कग कहलाता है . क्रकसी प्रोग्राम से ननयत्रर् ं हटाने से पहले उसकी पिण दशा सरक्षक्षत कर ली जाती है जब ननयंत्रर् इस प्रोग्राम पर आता है प्रोग्राम अपनी पिण ू ु ू अिस्था मे रहता है । मल्टी टान्स्कग मे यजर को ऐसा प्रनतत होता है क्रक सभी कायण एक साथ चल रहे है ं ू 16. कम््यटर िायरस ू Jan 30, 2011 कम््यटर िायरस ू VIRUS – Vital Information Resources Under Seized यह नाम सयोग िश बीमारी िाले िायरस से लमलता है मगर ये उनसे पर्तः अलग होते है .िायरस प्रोग्रामों का प्रमि ू ण ु उददे श्य किल कम््यटर मेमोरी में एकब्रत्रत आंकडों ि संपक में आने िाले सभी प्रोग्रामों को अपने संक्रमर् से े ण ू प्रभावित करना है ।िास्ति में कम््यटर िायरस कछ ननदे शों का एक कम््यटर प्रोग्राम मात्र होता है जो अत्यन्त ू ू ु सक्षम क्रकन्तु शन्क्ट्तशाली होता है । यह कम््यटर को अपने तरीक से ननदे लशत कर सकता है । ये िायरस प्रोग्राम े ू ू क्रकसी भी सामान्य कम््यटर प्रोग्राम क साथ जुड जाते हैं और उनक माध्यम से कम््यटरों में प्रिेश पाकर अपने े े ू ू उददे श्य अथाणत िाटा और प्रोग्राम को नष्ट करने क उददे श्य को परा करते हैं । अपने संक्रमर्कारी प्रभाि से ये सम्पक े ण ू में आने िाले सभी प्रोग्रामों को प्रभावित कर नष्ट अथिा क्षत-विक्षत कर दे ते हैं । िायरस से प्रभावित कोई भी कम््यटर प्रोग्राम अपनी सामान्य कायण शैली में अनजानी तथा अनचाही रूकािटें , गलनतयां तथा कई अन्य समस्याएं ू पैदा कर दे ता है ।प्रत्येक िायरस प्रोग्राम कछ कम््यटर ननदे शों का एक समह होता है न्जसमें उसक अन्स्तत्ि को े ू ू ु बनाएं रिने का तरीका, संक्रमर् िलाने का तरीका तथा हानन का प्रकार ननठदण ष्ट होता है । सभी कम््यटर िायरस ै ू प्रोग्राम मख्यतः असेम्बली भाषा या क्रकसी उच्च स्तरीय भाषा जैसे “पास्कल” या “सी” में ललिे होते हैं । ु िायरस क प्रकार े
  • 16. 1. बट सेक्ट्टर िायरस ू 2. िाइल िायरस 3. अन्य िायरस िायरस का उपचार : टीक े न्जस प्रकार िायरस सक्षम प्रोग्राम कोि से अनेक हाननकारक प्रभाि छोडता है ठीक उसी तरह ऐसे कई प्रोग्राम बनाये ू गये हैं जो इन िायरसों को नेस्तानाबद कर दे ते हैं, इन्हें ही िायरस क टीक कहा जाता है । यह टीक विलभन्नन िायरसों े े े ू क चररत्र और प्रभाि पर संपर्ण अध्ययन करक बनाये गये हैं और कािी प्रभािी लसद्र् हुयें है । े े ू 2222222