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Bigbang mystery !

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Bigbang mystery !

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What is bigbang theory ?
mahavisfot sidhant kya hai ? Hamare brahammand ka itihas kya hai? Bigbang ka adbhut sidhant. Bigbang ek vedic sidhant hai. Bigbang ek satya ghatna hai. Bigbang ab ek rahasya nahi. Bigbang hamare brahammand ka itihas hai. Bigbang vishnu puraan me.

What is bigbang theory ?
mahavisfot sidhant kya hai ? Hamare brahammand ka itihas kya hai? Bigbang ka adbhut sidhant. Bigbang ek vedic sidhant hai. Bigbang ek satya ghatna hai. Bigbang ab ek rahasya nahi. Bigbang hamare brahammand ka itihas hai. Bigbang vishnu puraan me.

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Bigbang mystery !

  1. 1. बिग-बेंग का अद्भुत सिद्धांत ! आखिर वैज्ञानिकों ने बिग-बेंग की घटना को क ै से जाना? आज क े लगभग हर पढ़े-लिखे लोग और विज्ञान को मानने वाले यह जान चुक े हैं कि बिग-बेंग की थ्योरी क्या है? दोस्तो, बिग-बेंग दुनियाँ की शुरुआत क े मामले में किन्हीं विज्ञानिकों क े द्वारा दिया गया एक सिद्धांत है। दरअसल यह सिद्धांत अलग-अलग विज्ञानिकों ने एक साथ नहीं दिया बल्कि असल में इस सिद्धांत को सबसे पहले सिर्फ एक ही विज्ञानिक ने दिया था जिनका नाम एडविन हबेल था ! महाविस्फोट सिद्धांत वह है जो हमें दुनियाँ की शुरुआत क े बारे में बताती है। तो आखिर यह बिग-बेंग का सिद्धान्त है क्या ? बिग-बेंग से तो जाहिर होता है कि कोई विशाल-धमाका हुआ था, पर असल में बिग-बेंग का सिद्धांत किस आधार पर रखा गया ? तो आइये इस संदर्भ में क ु छ प्रकाश डालते हैं जो हमें बिग-बेंग क े सिद्धांत क े आधार का खुलासा करेगी :- बिग-बेंग सिद्धांत का विस्तार से वर्णन ! इस विशाल अंतरिक्ष में ये जो अनगिनत तारे हैं वे सभी आकाशगंगाओं में गुरुत्वाकर्षण क े प्रभाव क े कारण तथा धूल क े जरुरत से अधिक सघन बादलों क े निपात (Collapse) क े जरिये बने। उसक े बाद हमारे सौरमंडल क े नवग्रह तारों क े आसपास बचे-खुचे पदार्थों क े संघनित (इक्कट्ठे होकर जुड़ने से) होने से बने।
  2. 2. फिर भी कई सवाल अब भी हमारे जहन में है कि अंतरिक्ष में गेस क े ये बादल आये कहाँ से ? उनका निर्माण क ै से हुआ ? पदार्थ किस तरह उत्पन्न हुआ ? बिग-बेंग सिद्धांत: हमारे ब्रह्माण्ड की रचना का इतिहास ! सन 1928 ईसवी में, क ै लिफोर्निया स्थित 'माउण्ट-विल्सन वेधशाला' से 'एडविन हबेल' नामक खगोलशास्त्री द्वारा सबसे पहले एक महत्वपूर्ण अवलोकन किया गया। उन्होंने देखा कि आकाशगंगायें एक ही स्थान पर स्थिर नहीं हैं, वे निरंतर एक दूसरे से दूर जा रही हैं। प्रत्येक आकाशगंगा प्रत्येक अन्य आकाशगंगा से अत्यधिक तीव्र चाल से दूर जा रही हैं। यह ठीक उसी तरह है जिस तरह से किसी गुब्बारे को फ ू लाने पर उसक े किन्हीं दो बिन्दुओं क े बीच की दूरी बढ़ती जाती है। इसक े अलावा एडविन हबेल ने यह भी दर्शाया कि वह चाल (गति) जिसकी वजह से वे परस्पर दूर जा रही हैं, उनक े बीच की दूरी क े समानुपाती है। दो आकाशगंगाओं क े बीच दूरी जितनी ज्यादा होगी, उतनी ही ज्यादा चाल से वे परस्पर दूर भागेंगी। इस तरह हमारी इस दुनियाँ का विस्तार हो रहा है। हममें यह जानने की उत्सुकता होती है कि भूतकाल में आकाशगंगायें किस तरह से आईं (अवतरित हुईं)। इसकी कल्पना (बिग-बेंग सिद्धांत क े अनुसार) हम उनकी चाल (गति) की दिशा को उल्टे (विपरीत) करक े कर सकते हैं। क्योंकि उनकी चाल उनक े बीच की दूरी क े समानुपाती रहती है। अत: अगर हम इस स्थिति की कल्पना भूतकाल में लगभग 15 अरब वर्ष पूर्व करें तो हमारी दुनियाँ सिक ु ड़कर एक बिन्दु क े समान हो जायेगी। बिग-बेंग का अद्भुत सिद्धांत ! एक बिन्दु पर आकारमय सृष्टि की शुरुआत हुई !
  3. 3. इसीलिए, हमारे खगोलशास्त्रीयों का विश्वास है कि भूतकाल में किसी बिन्दु पर क ु छ घटनाओं ने दुनियाँ (विश्व) को एक ऐसी चिरन्तर यात्रा पर रवाना कर दिया कि निरन्तर फ ै लता ही चला जा रहा है। इस घटना को ही बिग-बेंग यानि कि विशाल धमाका कहते हैं। खगोलशास्त्री हमारी दुनियाँ क े जन्म का समय लगभग 15 अरब वर्ष पूर्व निर्धारित करते हैं। पूरी दुनियाँ (संपूर्ण विश्व) की आयु क े मुकाबले में पृथ्वी का जन्म एक नई घटना है। इस तथ्य की कल्पना करने की एक विधि यह है कि इन 15 अरब वर्ष की अवधि को पृथ्वी क े एक वर्ष क े बराबर मान लें। इस पैमाने क े अनुसार अगर हम यह मानें कि बिग-बेंग पहली जनवरी को हुआ, तब सौरमंडल की उत्पत्ति अक्तूबर क े शुरुवात में हुई और पृथ्वी पर पहला इंसान 31 दिसम्बर को रात क े 11:30 बजे चला होगा माना जायेगा। सारांश बिग-बेंग थ्योरी क्या है?, हमारी दुनियाँ (विश्व) की यह कल्पना अद्भुत है। खास ग्रह होते हुये भी हमारी पृथ्वी उन नौ ग्रहों में से एक है जो सूर्य क े चारों ओर परिक्रमा कर रहे हैं। हमार सूर्य जो पृथ्वी ग्रह पर जीव बनाये रखता है आकाशगंगा क े उन अरबों-खराबों तारों में से क े वल एक है जो दुनियाँ (विश्व) क े किसी कौने में मौजूद हैं। हमारी आकाशगंगा खुद भी उन करोड़ों आकाशगंगाओं में से एक है जो इस असीम दुनियाँ में भरी पड़ीं हैं। इसक े बाद भी पृथ्वी का दुनियाँ में बड़ा स्थान है। इसका द्रव्यमान और सूर्य से इसकी सही दूरी एक ऐसे जीवन क े जन्म क े लिये बिल्क ु ल सही है जिसमें एक ऐसी अवचेतना (इंसानी दिलो-दिमाग, उसकी भावनायें और कल्पनाएं) का समावेश है जो उन घटनाक्रमों पर हैरानी जाहिर कर सक े जिनक े कारण हमारा बजूद है, और जिसमें इस दुनियाँ की प्रकृ ति और उसक े विकास क े बारे में जानकारी हांसिल करने की जरुरी उत्सुकता एवं क्षमता है। इसलिये यह इंसान ही है जो इस दुनियाँ में अपने बीते समयों और अनसुलझे दासतानों को सुलझाने की काबिलियत रखता है। इसी क े चलते उसक े दिलो-दिमाग में ऐसी बेखबर बातों की जानकारी आती रहती है जिन्हें हम अपने जमाने में सिद्धांतों का नाम देते रहते हैं ! Read more......*भगवान्और परमात्मा में अंतर ! *क्या ईश्वर स्वर्ग में रहता है ! *क्या मूर्ती पूजा पाप है ?, जानिए सनातन धर्म क े अनुसार !

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