Beehive College of
Advance Study
Selaqui Dehradun
(2020-2022 )
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Presented By-
Manish Rawat B.Ed-4th Sem.
Roll No- 20205106040
महात्मा गााँधी का जीवन परिचय (1869-1948)
महात्मा गााँधी (मोहनदास करमचन्द गााँधी) का जन्म काठियावाड़ क
े पोरबन्दर नामक
स्थान पर 2 अक्टू बर, 1869 को हुआ। उनक
े ठपता पोरबन्दर क
े दीवान थे। बाद में
उनक
े ठपता राजकोट क
े दीवान होकस्वहााँ गये और वहीीं उन्ोींने ठिक्षा प्रारम्भ की। जब
गााँधी जी 16 वर्ष क
े थे, ठपता का देहावसान हो गया। स्क
ू ल में गााँधीजी को धमष की ठिक्षा
नहीीं ठमली, ठकन्तु आत्मबोध या आत्म-ज्ञान क
े मागष, पर वे चलते रहे और वातावरण से
क
ु छ धाठमषकता उन्ें ठमलती रही। गााँधीजी क
े नेतृत्व में भारत ने 15 अगस्त सन् 1947
को स्वतन्त्रता प्राप्त की। इस महान समाजसेवी एवीं दू रदिी राजनीठतज्ञको को सींकीणष
मनोवृठि क
े लोग सहन न कर सक
े और 30 जनवरी, 1948 को नाथूराम गोडसे ने
भारत-पाठकस्तान बींटवारे क
े ठववादास्पद ठबन्दुओीं पर मतान्तर क
े कारण गोली मारकर
उनकी हत्या कर दी।
गाींधी की िादी
मोहनदास चौदह वर्ष क
े भी नहीीं थे जब उनक
े माता-ठपता ने उनकी
िादी पोरबींदर की कस्तूरबाई नाम की एक लड़की से कर दी
थी। क
ु छ समय क
े ठलए, मोहनदास बहुत खुि था, क्ोींठक वह
जानता था ठक उसे पहनने क
े ठलए अच्छे नए कपड़े और खेलने क
े
ठलए एक नया साथी ठमलेगा। लेठकन जब वे बड़े हुए तो उन्ोींने
हमेिा बाल-ठववाह की ठनींदा की और इस क
ु प्रथा क
े खखलाफ लड़ाई
लड़ी।
दबींग पठत
अपनी िादी क
े तुरींत बाद मोहनदास ने अपनी कोमल, छोटी पत्नी
क
े साथ बुरा व्यवहार करना िुरू कर ठदया। वह उसकी हरकतोीं की
जााँच करता था और यहााँ तक ठक उसक
े ठलए उसक
े दोस्त भी चुनता
था। कस्तूरबाई इन छोटे-छोटे अत्याचारोीं से थक चुकी थी, और
मोहनदास ने ठजतना
उसे ठनयींठित करने की कोठिि की, उतना ही उसने
उनका ठवरोध ठकया। बहुत बार वे झगड़ते थे और एक
दू सरे से बात नहीीं करते थे।“
महात्मा गाींधी की ठिक्षा
अपने हाई स्क
ू ल क
े वर्ों क
े दौरान महात्मा गाींधी की ठिक्षा चुनौठतयोीं क
े बावजूद, ठजसमें
एक साल पहले ठलया गया था, गाींधी ने अपना हाई स्क
ू ल पूरा करने में कामयाबी हाठसल
की। उन्ोींने समालदास आट्षस कॉलेज में दाखखला ठलया, जो एकमाि सींस्थान था जो
ठडग्री प्रदान कर रहा था। गाींधी ने बाद में कॉलेज छोड़ ठदया और पोरबींदर में अपने
पररवार क
े पास वापस चले गए।
क
ु छ समय बाद, गाींधी ने कॉलेज वापस जाने का फ
ै सला ठकया। उन्ोींने एक अलग कोसष,
लॉ लेने का ठवकल्प चुना। चूींठक उन्ोींने जीवन भर भारत में अध्ययन ठकया था, इसठलए
उन्ोींने इींग्लैंड में एक बदलाव और अध्ययन करने का फ
ै सला ठकया। उनक
े इस फ
ै सले
को कई चुनौठतयोीं का सामना करना पड़ा, जो उनक
े अपने पररवार से िुरू हुई
थीीं। उनकी मााँ ने उन्ें भारत छोड़ने का समथषन नहीीं ठकया और स्थानीय प्रमुखोीं ने उन्ें
बठहष्क
ृ त कर ठदया। अपने पररवार और अन्य लोगोीं को, ठजन्ोींने सोचा ठक वह अपने धमष
क
े खखलाफ जाने क
े ठलए प्रभाठवत होींगे, उन्ोींने माींस न खाने, िराब पीने या अन्य
मठहलाओीं क
े साथ िाठमल होने का सींकल्प ठलया।
उन्ोींने यूठनवठसषटी कॉलेज लींदन (यूसीएल) में प्रवेि ठलया और 3 साल बाद
सफलतापूवषक कानून की ठडग्री पूरी की। उन्ोींने अपने पररवार क
े ठलए ठकए गए सींकल्प
का सम्मान करते हुए अींग्रेजी सींस्क
ृ ठत को अपनाने में कामयाबी हाठसल की। लींदन में
अपने अध्ययन क
े दौरान, उन्ोींने अपने िमीले स्वभाव को सुधारने में कामयाबी हाठसल
की, जब वे एक सावषजठनक बोलने वाले समूह में िाठमल हो गए, ठजसने उन्ें एक अच्छा
सावषजठनक वक्ता बनने क
े ठलए प्रठिठक्षत ठकया।
भाितीय स्वतंत्रता क
े लिए संघर्ष (1915-1947)
गोपाल क
ृ ष्ण गोखले क
े अनुरोध पर , सीएफ एीं ड
र यूज द्वारा उन्ें अवगत कराया गया ,
गाींधी 1915 में भारत लौट आए। उन्ोींने एक प्रमुख भारतीय राष्ट्र वादी, ठसद्ाींतवादी और
सामुदाठयक आयोजक क
े रूप में एक अींतरराष्ट्र ीय ख्याठत प्राप्त की।
गाींधी भारतीय राष्ट्र ीय काींग्रेस में िाठमल हो गए और मुख्य रूप से गोखले द्वारा भारतीय
मुद्ोीं, राजनीठत और भारतीय लोगोीं से उनका पररचय कराया गया । गोखले काींग्रेस पाटी
क
े एक प्रमुख नेता थे, जो अपने सींयम और सींयम क
े ठलए जाने जाते थे, और ठसस्टम क
े
अींदर काम करने की उनकी ठजद क
े ठलए जाने जाते थे। गाींधी ने ठिठटि खिठगि
परींपराओीं क
े आधार पर गोखले क
े उदारवादी दृठष्ट्कोण को अपनाया और इसे भारतीय
ठदखने क
े ठलए बदल ठदया। [93]
गाींधी ने 1920 में काींग्रेस का नेतृत्व सींभाला और 26 जनवरी 1930 को भारतीय राष्ट्र ीय
काींग्रेस द्वारा भारत की स्वतींिता की घोर्णा तक माींगोीं को बढाना िुरू कर ठदया। अींग्रेजोीं
ने घोर्णा को मान्यता नहीीं दी, लेठकन बातचीत िुरू हुई, काींग्रेस ने 1930 क
े दिक क
े
अींत में प्राींतीय सरकार में भूठमका ठनभाई। गाींधी और काींग्रेस ने राज का समथषन वापस ले
ठलया जब वायसराय ने ठसतींबर 1939 में ठबना परामिष क
े जमषनी क
े खखलाफ युद् की
घोर्णा की। तनाव तब तक बढ गया जब तक गाींधी ने 1942 में तत्काल स्वतींिता की
माींग नहीीं की और अींग्रेजोीं ने उन्ें और काींग्रेस क
े हजारोीं नेताओीं को क
ै द करक
े जवाब
ठदया। इस बीच, मुखिम लीग ने ठिटेन क
े साथ सहयोग ठकया और गाींधी क
े कड़े ठवरोध
क
े खखलाफ, पाठकस्तान क
े एक पूरी तरह से अलग मुखिम राज्य की माींग को आगे
बढाया।[94]
गााँधीजी क
े लिक्षा-दिषन क
े लसद्धान्त
महात्मा गाींधी का ठिक्षा दिषन में ठनम्नठलखखत ठविेर्ताएाँ हैं-
(1) ठिक्षा द्वारा बालक की िारीररक, मानठसक तथा चाररठिक क्षमताओीं
को ठवकठसत ठकया जा सकता है। प्रजाताखन्त्रक मूल्ोीं की स्थापना कर
बालक में आदिष नागररक क
े गुणोीं का ठवकास ठिक्षा द्वारा ही सम्भव है।
(2) बालक का सम्यक
् ठवकास (मानठसक िारीररक एवीं आध्याखत्मक) भी
ठिक्षा द्वारा सम्भव है। ठिक्षा का माध्यम मातृभार्ा होनी चाठहये ताठक छाि
में उसक
े प्रठत व्यावहाररक दृठष्ट्कोण उत्पन्न हो सक
े ।
(3) ठिक्षा को ‘उत्पादकता से जोड़ना चाठहये,ठजससे बालक में श्रम क
े प्रठत
ठनष्ठा एवीं आत्म-ठनभषरता का भाव पनप सक
े । बालको की ठिक्षा को
ठियात्मक पक्ष से जोड़ा जाना चाठहये ताठक स्वानुभव को स्थान देकर उसे
ठियाखित ठकया जा सक
े । इसक
े ठलये ‘हस्तकला व्यवसाय’ को उन्ोींने
उठचत समझा।
(4) ठिक्षा क
े अन्य ठवर्योीं का सह-सम्बन्ध हस्त-कौिल क
े कायों से होना
चाठहये ताठक ठसद्ान्त एवीं ठिया में सामींजस्य स्थाठपत ठकया जा सक
े ।
गााँधी जी क
े अनुसार ठिक्षा क
े उद्ेश्य
िारीररक ठवकास – महात्मा गाींधी का ठिक्षा दिषन क
े अनुसार छािोीं
को िारीररक ठिक्षा भी प्रदान की जानी चाठहए।ठिक्षा ऐसी होनी चाठहए
ठजससे बालक क
े िरीर का ठवकास होना चाठहए क्ोींठक उनक
े अनुसार
स्वस्थ िरीर मे ही स्वस्थ मखस्तष्क का ठनमाषण होता है इसीठलए सबसे पहले
उन्ोींने िारीररक ठवकास पर बल ठदया।
मानठसक एवीं बौखद्क ठवकास – गींधी जी क
े अनुसार ठजस प्रकार िारीररक
ठवकास क
े ठलए ठििु को मााँ क
े दू ध की आवश्यकता होती है उसी प्रकार
मानठसक ठवकास क
े ठलए ठिक्षा की आवश्यकता है।
व्यखक्तगत एवीं सामाठजक ठवकास – गींधी जी व्यखक्त ,समाज और राष्ट् क
े
ठवकास पर बल देते है सामाठजक ठवकास से तात्पयष मनुष्य को समाज मे
प्रेम और मानव माि की सेवा करने से ही आखत्मक ठवकास सींभव हैं।
साींस्क
ृ ठतक ठवकास – गाींधी जी आखत्मक ठवकास क
े ठलए सींस्क
ृ ठत क
े ज्ञान
की आवश्यकता पर ठविेर् बल देते थे उनक
े अनुसार ठिक्षा दिषन में
सींस्क
ृ ठत क
े अहम भूठमका होती हैं।
नैठतक एवीं चाररठिक ठवकास – गाींधी जी ठिक्षा क
े माध्यम से बालक में
सत्य,अठहींसा,िमचयष, अस्वाद, अपररग्रह ओर ठनभषरता आठद गुणोीं का
ठवकास होना चाठहए।
बुलनयादी लिक्षा BASIC EDUCATION –
गाींधी जी बेठसक ठिक्षा को ठनम्नठलखखत रूपो में स्वीकार करते
हैं-
6 से 14 वर्ष तक क
े सभी बच्ोीं को अठनवायष एवीं ठनिःिुल्क
ठिक्षा प्रदान की जाए।
ठिक्षा का माध्यम मातृभार्ा होनी चाठहए।
ठवद्याठथयोीं द्वारा ठनठमषत सामग्री का उपयोग उसको िय कर
ठवद्यालय में उसका व्यय करना चाठहये।
सम्पूणष ठिक्षा हस्तकला और उद्योगोीं पर आधाररत होनी
चाठहये।
महात्मा गाींधी का ठिक्षा दिषन में अन्य तथ्य
अनुिासन Dicipline –
गाींधी जी दमनात्मक ठवठध का ठवरोध करते थे सच्े अनुिासन की प्राखप्त आत्मप्रेररत से
होती है इनकी दृठष्ट् से सच्े अनुिासन का ठवकास प्रभावात्मक ठवठध द्वारा प्राप्त कराया
जा सकता है अथाषत बालक जब तक स्वयीं न चाहें तब तक अनुिासन की प्राखप्त नही कर
सकतें।
लिक्षक Teacher –
ठिक्षक पर गााँधी जी क
े ठवचार थे ठक ठिक्षक मुख्य होता है यह ठिक्षा को समाज का
आदिष , ज्ञान का पुन्य और सत्य आचरण करने वाला होना चाठहये।
लवद्यार्थी Students –
ठिक्षा की प्रठिया का क
ें द्र होता है ठवद्याथी । ठवद्याथी को अनुिाठसत रहना चाठहए ,
अनुिासन तथा िमचयष का पालन करना चाठहए गााँधी जी िुरू से ही बालक में िरीर ,
मन , आत्मा क
े ठवकास पर बल और आत्मठनभषर बनाना चाहते हैं।
लवद्यािय School –
ठवद्यालय ऐसे होने चाठहए जहााँ ठिक्षक सेवा भाव से पूणष ठनष्ठा क
े साथ , ठिक्षण करें।
महात्मा गाींधी का ठिक्षा दिषन ठवद्यालय को सामुदाठयक क
ें द्र बनाना चाहते है जहााँ पर
समुदाय क
े लोगोीं को पड़ने ओर कायष करने की सुठवधा उपलब्ध हो राठि में पाििालायें
लगातार प्रोढ ठिक्षा की व्यवस्था भी करनी चाठहये।